>>: Rajasthan Election: अलवर संभाग बन जाए तो तीन टुकड़े होने का मलाल नहीं...पानी ही यहां बड़ा मुद्दा

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महेंद्रसिंह शेखावत/अलवर. Rajasthan Assembly Election 2023: लगातार सफर से तबीयत कुछ नासाज तो लगी तो रुटीन चैकअप के लिए अलवर के राजीव गांधी सामान्य चिकित्सालय जाना हुआ। अस्पताल के प्रवेश द्वार से लेकर अंदर तक हर तरफ मरीजों की भीड़ ही भीड़। मरीजों को असुविधा न हो, इसके लिए श्रेणियां बनाकर अलग-अलग काउंटर बनाए गए हैं, इसके बावजूद कमोबेश हर जगह कतार। चिकित्सकों के यहां तो जबरदस्त गहमागहमी। अस्पताल में प्रतिदिन तीन हजार की ओपीडी है।

 

पड़ोसी प्रदेश हरियाणा से लेकर करौली-दौसा तक के मरीज यहां आते हैं। अस्पताल के बाहर मिले अजय नामक युवा यहां की व्यवस्थाओं से संतुष्ट नजर आए। उनका कहना था कि यहां काउंटर पर्ची बनाने से लेकर दवा वितरण की व्यवस्था और चिकित्सकों का व्यवहार सब अच्छा है। सरकार की योजनाओं का लाभ लोगों को मिल रहा है। यहां से निकलकर चिलचिलाती धूप के बीच घंटाघर के पास सब्जी मंडी पहुंचा। दोपहर का समय होने के कारण यहां ग्राहकी जरूर कमजोर थी, दुकानदार कुछ सुस्ताते हुए नजर आए। यहां मिले वेदप्रकाश शर्मा ने कहा कि मंडी में आवारा पशु के कारण लोगों को परेशानी होती है। इससे हादसे होते हैं। अलवर के तीन टुकड़े होने के सवाल पर सब्जी व्यवसाय से जुड़े हरीशकुमार ने बताया अलवर को संभाग मुख्यालय बनाने की मांग पुरानी है। मुख्यमंत्री भी पिछले दिनों यहां संभाग बनाने की बात कह चुके हैं। अलवर को संभाग मुख्यालय बना दिए जाए तो जिले के तीन टुकडे करके जो अलग जिले बनाए गए हैं, उसका कोई मलाल नहीं रहेगा।

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पानी की मांग व आपूर्ति में बड़ा अंतर
अलवर शहर में पानी की मांग व आपूर्ति में बड़ा अंतर है। यह अंतर लोगों से बातचीत में भी उभरता है। शहर के किसी भी नागरिक से बड़ी समस्या की बात की जाए तो सबसे पहले पानी ही गिनाता है। होटल व्यवसाय से जुड़े युवा शुभम शर्मा भी पानी को लेकर बड़े चिंतित दिखाई दिए, बोले गर्मी के मौसम में एक दिन छोडकऱ पानी दिया जा रहा है। अब तो पानी की सप्लाई की अवधि भी घटा दी गई है। पानी के कमी के कारण शहर में आए दिन विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। गरीब आदमी टैंकर कैसे मंगवाए। शुभम ने शहर में रोडलाइट सही नहीं होने की बात भी कही।

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सियासी पेंच में पानी का बंटवारा
सिलीसेढ़ झील का पानी अलवर लाने के लिए घोषणाएं हुई हैं। प्रस्ताव भी बने हैं, लेकिन न प्रस्ताव सिरे चढ़े और न ही घोषणाएं पूरी हुईं। अलवर शहर सहित जिले भर के भू-जल स्तर में लगातार गिरावट आ रही है। शहर में पेयजल सप्लाई के लिए बने ट्यूबवैल से सप्लाई नहीं हो पा रही है। शहर की करीब पांच लाख की आबादी गर्मी के मौसम में तीन चार माह पेयजल किल्लत से जूझती है। अलवर-दौसा मार्ग पर होटल चलाने वाले अलवर ग्रामीण विधानसभा के मतदाता तथा ढाकपुरी निवासी राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि अलवर को पानी चाहिए तो सिलीसेढ़ से क्यों? यहां तो पानी चंबल से लाना चाहिए।

 

वैसे सच यह भी है कि सिलीसेढ़ बांध का पानी सिंचाई जरूरतों को पूरा करता है, लेकिन सिंचाई के बाद भी उसमें पानी बचता है, उस पानी से अलवर की प्यास बुझाई जा सकती है। फिलहाल यहां पानी का पेंच अलवर शहर बनाम अलवर ग्रामीण के बीच सियासी लाभ-हानि के गणित में अटका दिखाई देता है।

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