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World Asthma Day 2023: पुरूषों के बजाय महिलाओं में अस्थमा का खतरा अधिक Tuesday 02 May 2023 04:13 AM UTC+00 जयपुर। दुनियाभर में आज विश्व अस्थमा दिवस मनाया जा रहा है। अस्थमा फेफड़ों से जुड़ी एक बीमारी है, जिसमें सांस लेने में कठिनाई होती है। ग्लोबल अस्थमा रिपोर्ट 2022 के मुताबिक भारत में 3 करोड़ 50 लाख लोगों को अस्थमा है। भारत में हर साल करीब 1 लाख 98 हजार लोगों की मौत होती है। वहीं दुनिया में हर साल करीब 4 लाख 61 हजार लोगों की मौत अस्थमा से होती है। हवा में मौजूद छोटे-छोटे तत्व, धूल के कण और जहरीली गैस के कारण अस्थमा की संभावना बढ़ जाती है। पालतू जानवरों के बालों, लार और मृत कोशिकाओं से अस्थमा की समस्या अधिक बढ़ सकती है। अस्थमा बचपन से लेकर बुढ़ापे में कभी भी हो सकता है। जिन बच्चों के माता-पिता को अस्थमा होता है उनके बच्चों में अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है। किसी व्यक्ति के श्वसन तंत्र में गंभीर संक्रमण होने पर भी अस्थमा की समस्या हो सकती है। अस्थमा ब्रोन्कियल ट्यूब्स में सूजन की वजह से होता है। लेकिन एलर्जी, एक्सरसाइज, स्ट्रेस, एंग्जाइटी भी इसे बढ़ाने का काम करते हैं। वही अब गर्मियों में तापमान के साथ वायु प्रदूषण भी बढ़ जाता है, जो अस्थमा से जूझ रहे लोगों के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। इसके अलावा गर्म हवा की वजह से अस्थमा के मरीजों की खांसी भी बढ़ सकती है। इसलिए अस्थमा के मरीजों को खास तौर पर अपना गर्मी में ख्याल रखना चाहिए। महिलाओं को अस्थमा का अधिक खतरा.. महिलाओं में हॉर्मोनल बदलाव की वजह से अस्थमा का खतरा ज्यादा रहता है। टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की कमी की वजह से महिलाओं में अस्थमा विकसित होने की संभावना दोगुनी हो जाती है। वहीं पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन होता है, वो उन्हें अस्थमा से बचाता है। माहवारी से ठीक पहले लड़कियों के हार्मोन में बदलाव होने से अस्थमा अटैक का खतरा रहता है। अस्थमा के लक्षण... — खांसी, सीने में जकड़न अस्थमा के रोगी हमेशा इन बातों का रखें ध्यान.. — इनहेलर को हमेशा अपने साथ ही रखें जिससे इसके लक्षण विकसित होने पर ही इसे तुरंत लिया जा सके। इस वर्ष अस्थमा दिवस की थीम.. इस वर्ष विश्व अस्थमा दिवस की थीम 'अस्थमा केयर फॉर ऑल' है। इस थीम के अनुसार भारत सहित दुनिया भर के देश अस्थमा के बारे में वैश्विक जागरूकता पैदा करेंगे। एक्सपर्ट का क्या है कहना... सीनियर फिजीशियन डॉ रमन शर्मा का कहना है कि लगातार जोर-जोर से घरघराहट के साथ सांस लेते रहने को आमतौर पर अस्थमा का पहला संकेत माना जाता है। ज्यादातर मामलों में इस प्रकार की स्थिति बार-बार वायरल संक्रमण और वायुमार्ग में बैक्टीरिया की मौजूदगी के कारण आती है। बार-बार इस स्थिति के शिकार ज्यादातर बच्चे समय के साथ खुद स्वस्थ हो जाते हैं, लेकिन लगभग एक तिहाई नवजातों में यह समस्या अस्थमा का रूप ले लेती है। इस स्थिति को अस्थमा में बदलने वाले प्रमुख कारणों में पोषक और रोगाणु के प्रकार और पर्यावरण या जीवनशैली शामिल हैं। बार-बार जोर-जोर से सांस लेने की परेशानी के खतरे के कारणों में फेफड़ों का छोटा आकार, समय से पहले व्यस्कता और तंबाकू धूम्रपान करना आदि शामिल होते हैं। |
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