>>: Success Story: बकरी चराकर भरते थे पेट, पढ़ाई के भी नहीं थे पैसे, अब दो भाइयों की बेटियां एक साथ बनेंगी डॉक्टर

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Success Story: जयपुर के पास जमवारामगढ़ तहसील में नांगल तुलसीदास गांव के परिवार की दो बेटियों ने एक साथ नीट क्रेक की है। यह पहला अवसर है जब परिवार में कोई मेडिकल कॉलेज में जाएगा और डॉक्टर बनेगा। इरादे मजबूत थे इसलिए विपरीत परिस्थितियां भी बाधक नहीं बन सकीं। रितु यादव ने 645 अंकों के साथ व करीना यादव ने 680 अंक प्राप्त कर नीट में सफलता पाई है। इस खुशी के पीछे संघर्ष, कड़ी मेहनत और लगन के साथ-साथ परिवार के प्रति त्याग की कहानी भी है।

रितु ने ननिहाल में रहकर की पढ़ाई
परिवार की स्थिति ऐसी नहीं थी कि बच्चों की पढ़ाई करा सके। 8वीं कक्षा दोनों गांव के सरकारी स्कूल से पढ़ीं। रितु ने 9वीं और 10वीं ननिहाल में रहकर की। 12वीं प्राइवेट करने के बावजूद 97.2 प्रतिशत अंकों से पास की। करीना ने घर से पढ़ाई की। 12वीं 83% अंकों से पास की।

बकरियां पालकर चलाते हैं घर
दोनों चचेरी बहनों के पिता चरवाहे हैं। रितु के पिता हनुमान सहाय 10वीं एवं मां सुशीला 8वीं कक्षा तक पढ़े हैं। करीब 8-10 बकरियां हैं। उन्हीं से उनका घर चलता है। करीना के पिता नन्छूराम एवं पत्नी गीता निरक्षर हैं। उनके पास दो-चार बकरियों के अलावा गाय-भैंस भी है, जिनका दूध बेचते हैं। घर भी आधे कच्चे-पक्के हैं।

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दोनों भाइयों को बीमारी
दोनों परिवारों की आर्थिक स्थिति पहले से कमजोर थी। रही-सही कसर बीमारियों ने पूरी कर दी। रितु के पिता हनुमान सहाय यादव की एक आंख में ऑपरेशन के बावजूद विजिबिलिटी सिर्फ 30 प्रतिशत है। फिर वर्ष 2011 में दूसरी आंख में दिखाना बंद हो गया। वहीं नन्छू राम यादव को लंग्स कैंसर ने घेर लिया।

बड़े पापा बने सहारा
दोनों नीट की तैयारी करना चाहती थी, लेकिन परिवार उन्हें कोचिंग के लिए बाहर नहीं भेज सकता था। ऐसे में दोनों के ताऊजी ठाकरसी यादव ने परिवार के प्रति अपना फर्ज निभाया और दोनों बहनों को नीट की तैयारी कराने के लिए सीकर के इंस्टीट्यूट में एडमिशन दिलवाया और उनकी देखभाल के लिए खुद साथ में रहे। इंस्टीट्यूट ने फीस में रियायत दी।

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