मोहम्मद इलियास/उदयपुर
राजस्थान व उदयपुर के सबसे पुराने हाइकोर्ट बेंच आंदोलन को 42 साल बाद जीत मिली। केन्द्रीय विधि मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने बुधवार को नई दिल्ली में अपने आवास पर उदयपुर सहित बीकानेर व कोटा में आगामी डेढ़ माह में वर्चुअल हाइकोर्ट बेंच स्थापित करने की घोषणा की। उदयपुर में वर्चुअल हाइकोर्ट खुलने के बाद तकनीकी माध्यम से मुकदमों की सुनवाई हो सकेगी। छोटे-बड़े मामलों के लिए अब 400 किलोमीटर दूर जोधपुर नहीं जाना पड़ेगा।
इस बहुप्रतीक्षित मांग के लिए अधिवक्ता लंबे समय से संघर्षरत हैं। प्रति माह 7 तारीख को हड़ताल करते हैं। हाल ही में केन्द्रीय विधि मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने बीकानेर में वर्चुअल हाइकोर्ट खोलने की घोषणा की थी, उसके बाद उदयपुर के अधिवक्ता हड़ताल पर उतर गए थे। सांसद अर्जुनलाल मीणा व असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया सहित अधिवक्ताओं ने इस संबंध में केन्द्रीय मंत्री से बात की तथा उदयपुर के आंदोलन व यहां हाइकोर्ट की आवश्यकता के बारे में बताया। इस पर मंत्री ने सभी को दिल्ली बुलाया था। सुबह सांसद अर्जुनलाल मीणा के नेतृत्व में अधिवक्ता केन्द्रीय विधि मंत्री अर्जुनराम मेघवाल से मिले। मेवाड़ वागड़ हाइकोर्ट संघर्ष समिति के संयोजक रमेश नंदवाना, वरिष्ठ अधिवक्ता शांतिलाल चपलोत, हर्ष मेहता, अरुण व्यास, बार अध्यक्ष राकेश मोगरा, डॉ. प्रवीण खंडेलवाल, महेन्द्र नागदा, रामकृपा शर्मा, भरत वैष्णव व चेतनपुरी गोस्वामी ने मंत्री को उदयपुर के आंदोलन व यहां हाइकोर्ट की आवश्यकता के बारे में विस्तार से बताया। उनका कहना था कि गरीब आदिवासी न्याय से वंचित हैं। मुकदमों में पेशी आदि के लिए उनका बार-बार जोधपुर जाना मुमकिन नहीं। इस कारण छोटे-बड़े केस में भी कई आरोपी जमानतों के अभाव में जेलों में बंद हैं।
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विधि मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने सुनवाई के बाद कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा है कि हर गरीब को न्याय मिले और ग्रामीण तबके में बैठा अधिवक्ता भी अपने गांव से पक्ष रख सके, इसके लिए वर्चुअल हाइकोर्ट खोली जाएगी।
- देशभर में अलग-अलग जगह 10 जगह वर्चुअल हाइकोर्ट खुलेगी, इनमें से तीन राजस्थान में बीकानेर, उदयपुर व कोटा में होगी।
- इन कोर्ट को खोलने के लिए प्रधानमंत्री के साथ चीफ जस्टिस भी गंभीर हैं और इन पर काम चल रहा है। शीघ्र ही यह कोर्ट काम करने लगेगी।
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जोधपुर के अधिवक्ता भी पहुंचे दिल्ली, जताया विरोध
उधर, उदयपुर के अधिवक्ताओं से पूर्व जोधपुर के अधिवक्ता भी दिल्ली में मंत्री से मिले। उन्होंने हाइकोर्ट को जोधपुर में ही रखने की मांग की। इस पर मंत्री ने स्पष्ट कहा कि तकनीकी युग में न्याय का विकेन्द्रीकरण आवश्यक है। इससे जोधपुर की हाइकोर्ट को ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन अन्य जिलों के छोटे-बड़े काम वर्चुअल माध्यम से निपट जाएंगे।