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खेलों में आगे बढऩे के अवसर घटे, प्रतिभाओं को कम मिलेंगे मौके
- राजस्थान में विद्यालयी खेलकूद प्रतियोगिता से 16 खेलों को हटाया
- पिछले सत्र में थे 59 खेल, इस बार होंगे केवल 33 ही
हनुमानगढ़. पारम्परिक व ठेठ देशी खेल सतोळिया को एक साल के भीतर ही स्कूल से आउट कर दिया गया है। विद्यालयी खेलकूद प्रतियोगिता में इस साल सतोळिया खेल शामिल नहीं है। पिछले साल ही सतोळिया सहित डेढ़ दर्जन के करीब नए खेल विद्यालयी खेलकूद प्रतियोगिता में शामिल किए गए थे। उनमें से सतोळिया सहित 16 खेलों को इस साल सूची से बाहर कर दिया गया है।
इसका मतलब है कि अब विद्यालयी खेलकूद प्रतियोगिता में खेलों की संख्या घटकर केवल 33 ही रह गई है। जबकि बीते बरस यह संख्या 59 थी। सतोळिया के अलावा क्रिकेट, शूटिंग बॉल, आस्थे दा अखाड़ा आदि खेलों को सूची से बाहर किया गया है। खास बात यह कि दूसरी तरफ राजीव गांधी ग्रामीण व शहरी ओलम्पिक खेलों में क्रिकेट, रस्साकस्सी आदि खेलों को शामिल किया जा रहा है। मगर टेनिस बॉल क्रिकेट व रस्साकस्सी को विद्यालयी खेलकूद सूची से बाहर कर दिया गया है।
इनको किया बाहर
जानकारी के अनुसार विद्यालयी खेलकूद प्रतियोगिता से लगौरी माने सतोळिया, टग ऑफ वार (रस्साकसी), कूडो, कैरम, मार्शल स्कॉय, आस्थे दा अखाड़ा तथा पॉवर लिफ्टिंग को बाहर किया गया है। इसके अलावा स्पीड बॉल, थ्रो बॉल, रोल बॉल, शूटिंग बॉल, बाल बैडमिंटन, टेनिस वॉलीबाल, टेनिस क्रिकेट, टेनिस बॉल क्रिकेट व सुपर सेवन क्रिकेट को भी सूची में शामिल नहीं किया गया है।
अब रहेंगे 33 खेल
राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ, रेस्टा के प्रदेश प्र्र्रवक्ता बसन्त कुमार ज्याणी कहते हैं कि खेलों के माध्यम से कॅरियर बनाने वाले विद्यार्थियों के लिए यह अच्छी खबर नहीं है। खेलों में कटौती की बजाय उनकी संख्या बढ़ाने की जरूरत है। पिछले साल कुल 59 खेल जिला स्तर से राज्य स्तर तक आयोजित किए गए थे। स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इण्डिया (एसजीएफआई) की ओर से 16 प्रकार के खेल प्रतियोगिता की सूची से बाहर करने के कारण अब 33 खेल ही रह गए हैं जिनकी प्रतियोगिताओं के आयोजन की स्वीकृति दी गई है।
खेलों में कटौती और खेलो इंडिया
एक ओर खेलो इंडिया सरीखे कार्यक्रम चलाकर खेलों को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं, दूसरी ओर स्कूल स्तर पर खेलों की संख्या में कटौती की जा रही है। पिछले सत्र में खेलों की संख्या बढ़ाकर कुछ ग्रामीण व परंपरागत खेलों को प्रतियोगिताओं में बड़े अरमान के साथ शामिल किया गया था। मगर एक साल के भीतर ही सब अरमान धरे रह गए। अब सतोळिया, आस्थे दा अखाड़ा, रस्साकस्सी सरीखे परम्परागत खेल विद्यालयों में नहीं खिलाए जाएंगे। इससे प्रतिभाओं के लिए अवसर भी सीमित हो जाएंगे।
अब 33 की ही स्वीकृति
विद्यालयी खेलकूद प्रतियोगिता से इस साल 16 खेलों को हटाया गया है। पिछले साल कुल 59 खेल थे। मगर इस साल 33 खेलों के आयोजन की ही स्वीकृति दी गई है। - बाबुलाल मीणा, उप जिला शिक्षा अधिकारी (खेल)।

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