>>: Mahana Chathi: अजमेर दरगाह में महाना छठी पर हुई जायरीन की रौनक

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ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में गुरुवार को महाना छठी पर अकीदतमंद की भीड़ उमड़ी। दरगाह परिसर खचाखच भरा नजर आ रहा है।

दरगाह के अहाता-ए-नूर में सुबह कुरान शरीफ की तिलावत हुई। खुद्दाम-ए-ख्वाजा ने रस्म अदा कराई। शिजराख्वानी और सलातो-सलाम पेश किया गया। इस दौरान समूचे दरगाह परिसर में अजमेर और आसपास के गांवों सहित देश के विभिन्न प्रांतों से आए जायरीन की भीड़ दिख रही है।

जगह-जगह नियाज

छठी की रस्म के बाद देश के विभिन्न हिस्सों से आए जायरीन ने तबर्रुक पर नियाज दिलाई जा रही है। तबर्रुक पाने के लिए भी जायरीन में होड़ नजर आ रही है। । इधर अंजुमन सैयदजादगान की ओर से लंगर का आयोजन किया जाएगा। अंजुमन शेखजादगान की तरफ से भी नियाज दिला कर तबर्रुक तकसीम किया जाएगा। गरीब नवाज सेवा समिति के सचिव सैयद कुतुबुद्दीन सखी की अगुवाई में जायरीन को लंगर तकसीम किया जाएगा। मालूम हो कि महाना छठी पर हर महीने जायरीन पहुंचते हैं।

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अजमेर. ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में शादियाने बजाने की सदियों पुरानी परम्परा बदस्तूर जारी है। उर्स के अलावा रोजाना सुबह-शाम की नमाज तथा रोशनी के वक्त शादियाने गूंजते हैं। इसकी एवज में नक्कारची महज 6 रुपए सालाना पारिश्रमिक लेते हैं। उनके लिए गरीब नवाज की नियमित सेवा वेतन से कहीं ज्यादा कीमती है।

मुगल बादशाह अकबर ने 15वीं शताब्दी में दरगाह में शादियाने बजाने की जिम्मेदारी इमामबक्श और अल्लाहबक्श नक्कारची को दी थी। उनकी नवीं पीढ़ी के शमीम अहमद और उनका परिवार शादियाने बजाने की परम्परा को आज भी निभा रहा है।

रोजाना बजाते शादियाने

शमीम अहमद ने बताया कि शाहजहांनी गेट स्थित नौबत खाना में वे रोजाना फजर और मगरिब की नमाज और रोशनी के दौरान शादियाने बजाते हैं। इसके अलावा गरीब नवाज के सालाना उर्स, ईद, रमजान और अन्य अवसरों पर शादियाने बजाए जाते हैं।

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