>>: श्राद्ध पक्ष में करा सकते हैं घरों में रंग-रोगन, कारीगरों को भी मिला काम

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भीलवाड़ा. सनातन धर्म में पितृ पक्ष विशेष महत्व रखता है। हिंदू पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से प्रारंभ होते हैं और आश्विन की अमावस पर संपन्न होते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार श्राद्ध पक्ष एक अ्कटूबर से शुरू हुए व समापन 14 अक्टूबर को होगा।

 

पितृ पक्ष के दौरान पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण व पिंडदान जैसे कार्य किए जाते हैं। ऐसा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। आप पर उनकी कृपा हमेशा बनी रहती है, लेकिन श्राद्ध से जुड़ी कुछ भ्रांतियां हैं। पंडित अशोक व्यास का कहना है कि पुत्र के अभाव में पौत्र तथा पौत्र के न रहने पर भाई या भाई की संतान भी श्राद्ध कर सकती है। पुत्र के अभाव में विधवा पत्नी भी अपने पति का श्राद्ध कर सकती है। पत्नी का श्राद्ध पति तभी कर सकता है जब उसे कोई पुत्र न हो।
घर में कलर कराना गलत नहीं

घर में सफेदी न सिर्फ घर को दोबारा चमकाने के लिए की जाती है बल्कि नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव को घटाने और घर को शुद्ध करने के लिए भी की जाती है। ऐसे में पितृ पक्ष के दौरान सफेदी कराना गलत नहीं है क्योंकि पितृ कोई नकारात्मक या बुरी शक्ति नहीं बल्कि हमारे ही पूर्वज होते हैं। वे हमेशाआशीर्वाद परिवार पर बनाए रखते हैं। ऐसे में श्राद्ध के दौरान भी घरों में रंग-रोगन करवा सकते हैं। इसे लेकर शहर की गलियों व मोहल्लों में इन दिनों रंगाई का काम चल रहा है।
शुभ कार्य से कोई विघ्न नहीं

पितृपक्ष के दौरान शुभ कार्य पर कोई पाबंदी नहीं है और न ही खरीदारी पर रोक है। पितृपक्ष में पूजन नहीं करने, नई खरीदारी नहीं करने जैसी भ्रांतियां हैं। सनातन धर्म के जानकार इसे गलत बताते हैं। शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में खरीदारी अथवा शुभ कार्य करने से कोई विघ्न नहीं होता, बल्कि पितरों का आशीष मिलता है। इससे जीवन समृद्धशाली बना रहता है।

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