>>: Digest for October 08, 2023

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Table of Contents

राजस्थान में तीन नए जिले और बनाए जाएंगे। राजस्थान सीएम अशोक गहलोत ने ऐलान किया। सीएम गहलोत के इस एलान के बाद से राजस्थान अब देश का तीसरा सबसे ज्यादा जिलों वाला राज्य बन गया है। राजस्थान में अब कुल 53 जिले हो गए हैं। आचार संहिता से पहले राजस्थान सीएम अशोक गहलोत का यह मास्टर स्ट्रोक है। जिन तीन जिलों के नाम का ऐलान किया गया है, वे मालपुरा, सुजानगढ़, कुचामन सिटी हैं। कुछ ही महीनों में डीडवाना-कुचामन जिले को दो भागों में बांट दिया गया है। डीडवाना-कुचामन पहले नागौर जिले में आते थे। इसके साथ ही चूरू से सुजानगढ़ और टोंक से मालपुरा को अलग करके नए जिले बनाए जाएंगे।

रामलुभाया कमेटी आज भेजेंगे प्रस्ताव

सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि हम रामलुभाया कमेटी को ये 3 नए जिले बनाने का प्रस्ताव भेज रहे हैं। कुचामन और नावां क्षेत्र के लोग अलग जिले बनाने की मांग कर रहे थे। सुजानगढ़ के विधायक और स्थानीय लोग भी लंबे समय से मांग कर रहे थे।

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रामलुभाया कमेटी के सामने रखें अपनी मांगें

सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि हमारे ऊर्जा मंत्री रहे डॉ. चंद्रभान मालपुरा को जिला बनाने की मांग कर रहे थे। इसीलिए तीन नए जिले बनाने का प्रस्ताव रामुलुभाया कमेटी को आज ही भेज रहे हैं। इनके सीमांकन का काम रामलुभाया कमेटी और राजस्व विभाग मिलकर करेंगे। बाकी जगह भी लोग धरने-प्रदर्शन कर रहे हैं, वे रामलुभाया कमेटी के सामने अपनी मांगें रखें।

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Weather Update : मौसम ने एक बार फिर करवट बदली है। मानसून राजस्थान से चला गया है। अब सुबह और शाम के तापमान में भारी गिरावट देखने को मिल रही। सर्दी ने राजस्थान के कई जिलों में दस्तक दे दी है। अक्टूबर के पहले ही सप्ताह में ठंड अपना असर दिखा रहा है। राजस्थान के कई जिलों में पारा तेजी से नीचे जा रहा है। रात में राजस्थान के कई जिलों के लोग ठिठुर रहे हैं। अभी अभी मौसम विभाग का बारिश पर नया अलर्ट आया है। मौसम विभाग के अलर्ट के अनुसार राजस्थान में आगामी 10 दिनों के दौरान बारिश की संभावना नहीं है। मौसम पूर्णतया शुष्क रहेगा। इस दौरान आसमान साफ रहने तथा अधिकतम तापमान औसत से 1-3 डिग्री सेल्सियस ऊपर दर्ज होने की संभावना है। राजधानी जयपुर में न्यूनतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है।

बारिश होने का अनुमान बहुत कम - IMD

मौसम केंद्र नई दिल्ली से जारी पूर्वानुमान में 5 से 19 अक्टूबर तक राजस्थान समेत उत्तर और मध्य भारत में बारिश होने का अनुमान बहुत कम है। इस कारण 20 अक्टूबर तक राज्य में तापमान में उतार-चढ़ाव रहने की संभावना है। राजस्थान के कुछ शहरों में रात में हल्की सर्दी का अहसास हो सकता है।

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जैसलमेर में सबसे गरम सिरोही सबसे ठंडा

राजस्थान में मौसम अपने अलग-अलग मिजाज दिखा रही है। बीते 24 घंटे में जैसलमेर में सबसे ज्यादा गर्मी रही। पारा 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। सिरोही अभी सूबे में सबसे ठंडा है। यहां न्यूनतम तापमान 15.5 डिग्री रिकॉर्ड किया गया।

प्रदेश के प्रमुख शहरों का तापमान

शहर - अधिकतम - न्यूनतम

सिरोही - 33.8 17.1
उदयपुर - 35.4 17.9
करौली - 38.4 18.2
भीलवाड़ा - 36.1 18.5
डूंगरपुर - 34.9 19.3
हनुमानगढ़ - 37.8 19.3
बारां - 36.6 19.8
अलवर - 37 19.6
चित्तौड़गढ़ - 33.4 20.9
धौलपुर - 37.7 20.8।

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Rajasthan Madrasa Board Recruitment 2023 : राजस्थान मदरसा बोर्ड ने शिक्षा और कंप्यूटर प्रशिक्षकों की भर्ती के लिए एक शॉर्ट नोटिफिकेशन जारी किया है। राज्य में स्थित मान्यता प्राप्त मदरसों में कुल 6843 पदों को भरा जाएगा। कुल पदों में से 4143 पद एजुकेशन इंस्ट्रक्टर, जबकि 2700 पद कंप्यूटर इंस्ट्रक्टर के लिए हैं। संक्षिप्त अधिसूचना के अनुसार, बोर्ड इन पदों पर भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया 27 अ क्टूबर 2023 को शुरू करेगा और आवेदन भरने की अंतिम तिथि 25 नवंबर 2023 है।

उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट minority.rajasthan.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। नोटिफिकेशन के अनुसार, चयनित अभ्यर्थियों को अनुबंध के आधार पर रखा जाएगा। शैक्षणिक योग्यता एजुकेशन इंस्ट्रक्टर और कंप्यूटर इंस्ट्रक्टर पदों के लिए आवेदन करने के इच्छुक अभ्यर्थियों के पास किसी भी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी की डिग्री होनी चाहिए।

आयु सीमा
इन पदों के लिए आवेदन करने के लिए अभ्यर्थियों की आयु 19 से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिए। आयु सीमा की विस्तृत जानकारी आधिकारिक अधिसूचना जारी होने के बाद दी जाएगी।

ऐसे करें अप्लाई
-आधिकारिक वेबसाइट minority.rajasthan.gov.in पर जाएं

-होमपेज खुलने पर Recruitment section पर क्लिक करें

-फिर Rajasthan Madarsa Board Recruitment 2023 पर क्लिक करें

-उसके बाद Apply Online पर क्लिक करें

-आवेदन फॉर्म खुलने पर मांगी गई जानकारियां सावधानी पूर्वक भरें

-फिर फोटो, हस्ताक्षर सहित सभी जरूरी दस्तावेज की स्कैन कॉपी अपलोड करें

-श्रेणीवार आवेदन शुल्क भरें

-पूर्ण रूप से आवेदन फॉर्म भरने के बाद सबमिट करें

-अंत में भविष्य के संदर्भ के लिए पूर्ण रूप से जमा आवेदन फॉर्म का प्रिंट आउट ले लें

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आशा मालवीय, संडे गेस्ट एडिटर
राजगढ़ (मप्र)।. मैं 24 साल की हूं और मैंने साइकिल से पूरे देश में 25 हजार किमी की यात्रा की है, हर संस्कृति की झलक देखी। महिलाओं की सोच को करीब से जानने का मौका मिला। मुझे सभी में एक बात अवश्य नजर आई कि आज की महिला के अंदर जिज्ञासाएं हैं। वे सपने देखती हैं, उड़ान भी भरना चाहती हैं, लेकिन उनमें एक हिचक है। अपनी बात कहने से वह डरती हैं। यही डर, उनमें असुरक्षा का भाव पैदा करता है।

मैं चालीस फीसदी सफर रात में करती थी

मैंने इतनी यात्रा की है, लेकिन मुझे इस दौरान यह नहीं लगा कि मेरा देश महिलाओं के लिए असुरक्षित है। मेरा चालीस फीसदी सफर रात के समय होता था। मुझे लोगों का सहयोग भी बहुत मिला। खासकर उत्तरपूर्व भारत में भारतीय सेना ने न केवल मेरा हौसला बढ़ाया बल्कि उन्होंने मुझे सुरक्षा देने के साथ हरसंभव मदद की।

सही समय पर सही फैसला लें: मैं सभी महिलाओं से यही कहना चाहूंगी कि हमें अपनी सुरक्षा के लिए खुद प्रयास करने होंगे। अपने मन से असुरक्षा का भाव हम तभी निकाल पाएंगी, जब अपने भीतर आत्मविश्वास पैदा कर लें कि हर स्थिति का सामना करने के काबिल हों। सही समय पर सही फैसला लेना भी महिलाओं की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है।

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इंडिया इज सेफ फॉर वीमन का संदेश दे रही वैशाली भगत मास्टर
राखी हजेला. जयपुर।
इंडिया इज सेफ फॉर वीमन के साथ ही वीमन एम्पावरमेंट का संदेश दे रही हैं वैशाली भगत मास्टर जो पेशे से आर्किटेक्ट हैं, ऑर्गेनिक फार्मिंंग करती हैं, लेकिन बाइक राइडिंग के प्रति उनके पैशन ने उन्हें एक अलग पहचान दी है। मूल रूप से गुजरात निवासी वैशाली शादी के बाद जयपुर आईं और यहीं की होकर रह गईं। सोलो राइडर के रूप में अपनी पहचान बनाने वाली वैशाली ने राइड करना उस समय शुरू किया जबकि अधिकांश महिलाएं गृहस्थ जीवन में ही फंसकर रह जाती हैं। यानी 41 साल की उम्र में उन्होंने अपने पैशन को फॉलो करना शुरू किया।

वैशाली के मुताबिक बाइक चलाना उन्हें पहले से ही पसंद था और कहीं ना कहीं मन में यह इच्छा भी थी कि वह बाइक के जरिए दुनिया देखे। शादी से पहले एक बार अपने पिता की बाइक लेकर वह निकली थी और इस दौरान चोटिल भी हुईं लेकिन शादी के बाद घर की जिम्मेदारियों और अपने प्रोफेशन को समय देते हुए बाइक राइडिंंग का शौक मन में ही कहीं दब कर रह गया। जब बेटा कुछ बड़ा हुआ तो लगा कि अब कुछ समय खुद को देने की जरूरत है। वैशाली कहती हैं कि मेरे पति ऐसे में मेरा सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम बने। मैंने पहली राइड 2011 में सूरत में अपनी स्कूल की रियूनियन में जाने के लिए की।

इस दौरान मैंने तकरीबन 2600 किलोमीटर का सफर किया। जब मेरे टीचर्स को इस बात का पता चला तो वह भी अचरज में आ गए। इस राइड से पूर्व भी मैं अपने काम के लिए बाइक लेकर ही निकलती थी, इस दौरान मेरी मुलाकात ट्रेफिक सिग्नल पर एक फेमस बाइक राइडर से हुई। वह भी मुझे बाइक चलाते देखकर आश्चर्य चकित रह गए क्योंकि उस दौरान जयपुर में किसी फीमेल को बाइक चलाते हुए नहीं देखा गया था। उन्होंने मुझे अपने राइडर ग्रुप से मिलवाया। इस समय ना तो सोशल मीडिया था और ना ही लोग इंटरनेट फ्रेंडली थे, लेकिन इस राइड से मेरा खुद पर भरोसा बढ़ा और मैंने इसी तरह से छोटी छोटी सोलो राइड करना शुरू कर दिया, धीरे धीरे मेरे दूसरे शहरों के बाइक राइडर्स से सम्पर्क हुआ और एक फ्रेंड सर्किल बनना शुरू हो गया।

इस सफर में मैने इंडिया पाकिस्तान बॉर्डर का सफर तय किया। पूरा सफर मिट्टी से भरा हुआ था। कई बार ऐसा समय भी आया कि मिट्टी ने पूरी सडक़ ही ब्ल्ॉाक कर दी थी, रेत के टीलों के बीच गर्मी में यह सफर करना मेरे लिए किसी चैलेंज से कम नहीं था।

इसके बाद मैंने फीमेल बाइक राइडर्स का ग्रुप बनाया। आज मेरी उम्र 53 साल है, बेटा यूएसए सेटल हो चुका है लेकिन मेरी बाइक की जर्नी लगातार जारी है। अपनी इस जर्नी में मैंने कई रिकॉर्ड भी बनाए। मैंने ईस्ट टू वेस्ट ऑफ इंडिया की राइड की और इंडिया बुक रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया। पूरा देश मैं अपनी बाइक के जरिए नाप चुकी हूं।

वैशाली के मुताबिक आमतौर पर लोगों का मानना है कि किसी महिला का इस प्रकार सोलो राइड करना उसकी सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक हो सकता है लेकिन मेरा अनुभव कभी ऐसा नहीं रहा। यहां तक कि यूपी और बिहार जैसे राज्यों जिन्हें महिलाओं के लिए असुरक्षित माना जाता है वहां के लोग भी जरूरत होन पर आपकी मदद ही करते हैं। इसके बाद भी मेरा मानना है कि जब भी किसी राइड पर जाएं तो उससे पहले पूरा होमवर्क करके ही जाना चाहिए। राइड का पूरा प्लान बनाएं। गूगल मैप की मदद लें और देश के दूसरे हिस्सों के बाइक राइडर्स से सम्पर्क में रहें।

वैशाली के मुताबिक कुछ समय पूर्व उन्होंने फीमेल बाइक राइडर का एक और ग्रुप बनाया है इस ग्रुप के जरिए हम डिफरेंट सोशल कॉज कर रहे हैं। फिर भी डोनेशन ड्राइव हो या फिर गरीब बच्चों की मदद करने का काम हो। हम अपनी राइड्स के जरिए वीमन एम्पावरमेंट को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं, हमारा कहना है कि हर महिला को आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है, मैं महिलाओं से कहती हूं कि उन्हें अपने बैंक अकाउंट तक खुद ही हैंडल करना आना चाहिए। यह नही कि अगर पैसों से जुड़ा कोई काम करना है तो वह अपने पति या बच्चों पर निर्भर हो जाएं।

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साइकिलिस्ट के रूप में बनाई पहचान आप महिलाओं को साइकिल चलाने के लिए कर रही है प्रेरित

ज्योति शर्मा. अलवर। ज्यादातर बालिकाएं स्कूल और कॉलेज के दौरान ही साइकलिंग करती है और इसके बाद उत्तर पढ़ाई के दौरान स्कूटी चलाना ही पसंद करती हैं लेकिन अलवर शहर के मोती डूंगरी निवासी मोना अग्रवाल स्वयं साइकिल भी चलती है और दूसरी महिलाओं को साइकिल चलाने के लिए प्रेरित भी करती हैंl

मोना पेशे se चार्टर्ड अकाउंटेंट है और दो बच्चों की मां भी है l लेकिन बचपन से ही साइकिल चलाने का शौक रखती हैl कोरोना के दौरान सेहत को ध्यान में रखते हुए पति अर्पित गुप्ता ने प्रतिदिन सुबह साइकिल चलाना शुरु किया l पति के प्रेरित करने पर वह स्वयं भी प्रतिदिन साइकिलिंग के लिए जाने लगी l इस दौरान उन्होंने करीब 100 किलोमीटर की साइकिल यात्रा एक ही दिन में पूरी कीl इसके बाद प्रति रविवार और अन्य सरकारी अवकाश के दौरान साइकिलिंग करने लगीl इसके लिए उन्होंने महिलाओं का साइकिल क्लब भी बनायाl अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, विश्व पर्यटन दिवस, योगा डे, सेव द अर्थ एनवायरमेंट डे विशेष खसम को पर शहर में साइकिलिंग का आयोजन कर लोगों को ज्यादा से ज्यादा साइकिल चलाने के लिए प्रेरित कर रही हैl वह अपने पति के साथ एक साइकिल ग्रुप मत्स्य रांडो नियर में भी नियमित सेवाएं देती हैl


यह क्लब सामाजिक सरोकार के अवसरों पर साइकिलिंग जैसे आयोजन करता हैl इनका कहना है कि महिलाओं को सेहत के लिए जागरूक होने की जरूरत हैl इसके लिए साइकलिंग बेहतर हैl महिलाएं स्वस्थ रहेंगी तो परिवार को भी स्वस्थ रख पाएंगेl कम दूरी के कामों के लिए वाहनों का प्रयोग करने से पर्यावरण प्रदूषण का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा हैl यदि देश में ज्यादातर लोग छोटी दूरी के कामों को साइकिल से करें तो पर्यावरण प्रदूषण से बच सकते हैंl नियमित साइकिल चलाने से शरीर भी फिट रहता है और बीमारियां दूर रहती हैl वजह है की साइकिल क्लब में महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही हैl

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बुलेट गर्ल शायनी बोली बस्तर की महिलाएं कम रूढ़ीवादी और आत्मनिर्भर

शेख तैय्यब ताहीर . जगदलपुर। बुलेट गर्ल शायनी महिलाओं और बच्चों पर हो रहे हिंसा के खिलाफ कश्मीर तक बाइक पर निकली हैं , जब वो बस्तर पहुंची तो वहां की खूबसूरती के साथ यहां के महिलाओं के जज्बे की वो कायल हो गई। शायनी ने वहां की महिलाओं को खुद की रक्षा के साथ ही आत्मनिर्भता के लिए किए जा रहे उनके प्रयास के बारे में बताया। शायनी कहती हैं कि वो बस्तर के एक दर्जन से अधिक गांव गईं, वहां के लोगों से बातचीत की और उनके साथ समय बिताया तो पाया कि यहां की महिलाएं सिर्फ घर के काम काज तक सीमित नहीं हैं। वे पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती हैं। बस्तर में ग्रामीण सामाजिक परिवेश में महिलाओं की आजादी छीनने वाली रूढ़ीवादी व्यवस्था नहीं हैं। यही वजह है कि वह चाहे पुरूषों की तरह काम करना हो, खेत संभालना या फिर परिवार सभी में आगे हैं।

सबसे अच्छी बात बेटे बेटियों में कोई फर्क नहीं
आज के दौर में देखा गया है कि सभ्य समाज और पढ़े लिखे लोग भी बेटे और बेटियों में फर्क करते हैं। लेकिन बस्तर के आदिवासी समाज में कुछ समय बिताने के दौरान ऐसा बिल्कुल महसूस नहीं हुआ और न हीं कभी सुना। यह बात इस समाज को दुनिया के सबसे अच्छे समाज के रूप में दिखाती है। हां लेकिन यहां कि महिलाएं बाहरी लोगों से जल्दी घुलने मिलने में जरूर शर्माती हैं, लेकिन एक बार बात शुरू हो जाए तो फिर खुलकर बात करती हैं।
नक्सलवाद नहीं, आत्मनिर्भर महिलाओं के लिए पहचाना जाना चाहिए बस्तर
शायनी बताती हैं कि जब वह कोंटा के रास्ते बस्तर में प्रवेश कर रहीं थी तो वह बहुत डरी हुईं थी। नक्सलवाद और खून खराबे के बारे में सुना था, लेकिन यहां जब बस्तर में प्रवेश किया तो यहां की प्राकृतिक सौंदर्य ने दिल जीत लिया। आदिवासी महिलाएं आत्मविश्वास के साथ काम करती नजर आईं। उन्होंने कहा कि दो दिन में एक बार भी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि यहां दहशत जैसा माहौल है। चाहे परिवार संभालने में हो या फिर आर्ट एंड कल्चरल वर्क सभी में महिलाओं का अहम योगदान नजर आया। इस आधुनिक विचारों से लैस यह समाज किसी भी समाज से आगे है। इसलिए उनका मानना है कि बस्तर को नक्सलवाद के लिए नहीं बल्कि आत्मनिर्भर महिलाओं के लिए पहचाना जाना चाहिए।

महिलाओं के लिए बस्तर सबसे सुरक्षित, समझाना छोड़ सीखकर जा रहीं हूं
शायनी ने बताया कि बस्तर महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित स्थान हैं। उन्होंने पुरा देश घुमा हुआ है बाइक चलाने को लेकर कई बार उन्हें लोगों के भद्दे कमेंट भी सुनने को मिले। लेकिन बस्तर में एक बार भी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि उन्हें लेकर कोई गलत बात कह रहा है। बल्कि लोग आकर उनके बारे में पूछते हुए नजर आए। नक्सली और पिछड़ा इलाका होने के बावजूद भी यहां खतरा एक पल के लिए महसूस नहीं हुआ। यहां के लोग बेहद व्यवहार कुशल और मदद करने वालों में से हैं। वह कहती हैं कि महिला सशक्तिकरण को लेकर लोगों को जागरूक करती हैं लेकिन यहां ऐसा करने का मौका ही नहीं मिला। अब दूसरे जगहों पर यहां की मिसाल दिया करूंगी।

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राज्य सरकार ने राजस्थान राज्य कृषक ऋण राहत योजना आयोग का गठन किया है। प्राकृतिक और अन्य आपदाओं से हुए नुकसान के कारण समय पर ऋण न चुकाने वाले किसानों को राहत देने एवं उनकी जमीन को कुर्की से बचाने के लिए अगस्त में 'राजस्थान राज्य कृषक ऋण राहत आयोग विधेयक-2023' पारित करवाया गया था।

आयोग में सेवानिवृत न्यायाधिपति प्रकाशचंद गुप्ता को अध्यक्ष मनोनीत किया है। इसके अलावा सेवानिवृत आईएएस पी.के. गोयल, महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एस.एन. राठौड़, हरिकुमार गोदारा व सुनील गहलोत को आयोग का सदस्य मनोनीत किया गया है।
यह आयोग बैंक व किसानों के बीच ऋण संबंधी विवादों को समझाइश व बातचीत के माध्यम से निपटाएगा एवं कृषि ऋण से संबंधित विभिन्न सुझाव देगा।

श्री करणी चारण शोध, संरक्षण विकास बोर्ड का गठन
इसके साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने श्री करणी चारण एवं डिंगल साहित्य शोध संरक्षण एवं विकास बोर्ड के गठन को स्वीकृति दी है। इस बोर्ड में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा 9 गैर सरकारी एवं 5 सरकारी सदस्य होंगे। बोर्ड का मुख्यालय जयपुर में होगा।

ये बोर्ड भारत के विभिन्न राज्यों एवं विदेशों से चारण एवं डिंगल साहित्य शोध तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान, प्रचार करने के साथ ही चारण एवं डिंगल साहित्यकारों को वित्तीय सहायता देगा। इसके अलावा चारण एवं डिंगल साहित्य के संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए राज्य सरकार को सुझाव भी दिए जाएंगे।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उदयपुर में राणा पूंजा पेनोरमा व चित्तौड़गढ़ में सत्यव्रत रावत चूण्डा पेनोरमा के निर्माण एवं बालोतरा जिले में बाटाडु कुआं के जीर्णोद्धार और विकास कार्य के लिए 10 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं।

प्रस्ताव के अनुसार, उदयपुर में राणा पूंजा पेनोरमा व चित्तौड़गढ़ में सत्यव्रत रावत चूण्डा पेनोरमा के निर्माण पर 4-4 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसी प्रकार बालोतरा जिले के बायतु स्थित बाटाडु कुएं के जीर्णोद्धार व विकास पर 2 करोड़ रुपए व्यय किए जाएंगे। ये सभी कार्य पर्यटन विभाग द्वारा पर्यटन विकास कोष से कराए जाएंगे।

शिक्षण संस्थानों में खुलेंगे नवीन व्यवसाय :

राज्य के विभिन्न जिलों में स्थित औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में माईनिंग ट्रेड व इलेक्ट्रिक व्यवसाय खोले जाएंगे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसके लिए 7.76 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी है।
इस संबंध में प्राप्त प्रस्ताव के अनुसार आई.टी.आई. भीलवाड़ा, जालौर, सिरोही, किशनगढ़-अजमेर व राजसमंद में माईनिंग ट्रेड खोलने के लिए कार्यशाला कक्ष व सैद्धान्तिक कक्ष का निर्माण किया जाएगा। जिसमें 4.57 करोड़ रूपए से अधिक की लागत आएगी। इसी प्रकार महिला आई.टी.आई. अजमेर, अलवर, भीलवाड़ा, उदयपुर, टोंक एवं आरआई केन्द्र जयपुर तथा बेसिक ट्रेनिंग सेंटर कोटा में इलेक्ट्रिक व्यवसाय प्रारंभ करने के लिए आवश्यक कार्यशाला और सैद्धान्तिक कक्ष का निर्माण किया जाएगा, जिस पर 3.18 करोड़ रूपए से अधिक की लागत आएगी।

Gulab Kothari Article शरीर ही ब्रह्माण्ड: "शरीर स्वयं में ब्रह्माण्ड है। वही ढांचा, वही सब नियम कायदे। जिस प्रकार पंच महाभूतों से, अधिदैव और अध्यात्म से ब्रह्माण्ड बनता है, वही स्वरूप हमारे शरीर का है। भीतर के बड़े आकाश में भिन्न-भिन्न पिण्ड तो हैं ही, अनन्तानन्त कोशिकाएं भी हैं। इन्हीं सूक्ष्म आत्माओं से निर्मित हमारा शरीर है जो बाहर से ठोस दिखाई पड़ता है। भीतर कोशिकाओं का मधुमक्खियों के छत्ते की तरह निर्मित संघटक स्वरूप है। ये कोशिकाएं सभी स्वतंत्र आत्माएं होती हैं।"
पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी की बहुचर्चित आलेखमाला है - शरीर ही ब्रह्माण्ड। इसमें विभिन्न बिंदुओं/विषयों की आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से व्याख्या प्रस्तुत की जाती है। गुलाब कोठारी को वैदिक अध्ययन में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। उन्हें 2002 में नीदरलैन्ड के इन्टर्कल्चर विश्वविद्यालय ने फिलोसोफी में डी.लिट की उपाधि से सम्मानित किया था। उन्हें 2011 में उनकी पुस्तक मैं ही राधा, मैं ही कृष्ण के लिए मूर्ति देवी पुरस्कार और वर्ष 2009 में राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान से सम्मानित किया गया था। 'शरीर ही ब्रह्माण्ड' शृंखला में प्रकाशित विशेष लेख पढ़ने के लिए क्लिक करें नीचे दिए लिंक्स पर -

अन्न से वर्ण परिवर्तन
योग - स्वयं से स्वयं का
मैं, मैं नहीं-तू, तू नहीं
मां-पुन: गुरु भव!
ज्ञान ही भक्ति
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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि जनता की मांग एवं उच्च स्तरीय समिति की अनुशंसा के अनुसार राजस्थान में तीन नए जिले और बनाए जाएंगे। इनमें मालपुरा, सुजानगढ़ और कुचामन सिटी शामिल है। अब राजस्थान में 53 जिले हो जाएंगे। गहलोत शुक्रवार को जयपुर के मानसरोवर में गो सेवा समिति की ओर से आयोजित गो सेवा सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आगे भी उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों के मुताबिक सीमांकन आदि परेशानियों को दूर किया जाता रहेगा।

गहलोत ने कहा कि गोवंश का हमारी संस्कृति और समाज में प्राचीन काल से महत्व रहा है। प्रदेश में अनेक त्यौहार गोवंश पर केन्द्रित हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश में गोवंश संरक्षण के लिए गोपालन विभाग बनाया और राजस्थान गो सेवा आयोग का पुनर्गठन किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में गौशालाओं की स्थापना, सहायता और विकास में हर सम्भव सहयोग किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि आने वाले समय में गौशालाओं को भी 12 माह का अनुदान देने का प्रावधान किया जाएगा तथा चारागाह माफियाओं पर भी अंकुश लगाया जाएगा।

Rajasthan Assembly Election 2023 : राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं और चुनाव आयोग जल्द ही इसे लेकर तिथियों की घोषणा कर सकता है। दोनों प्रमुख पार्टियां-सत्ताधारी कांग्रेस और मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसा चुनाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। जहां कांग्रेस फिर से सत्ता में लौटने की कोशिश में है, वहीं भाजपा कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के लिए एडी-चोटी का जोर लगा रही है। प्रदेश में पहली बार विधानसभा चुनाव 1952 में हुए थे। प्रदेश के हनुमानगढ़ जिले में आने वाली भादरा विधानसभा सीट (Bhadra Assembly Seat) एक प्रमुख सीट मानी जाती है। इस सीट पर किसी भी पार्टी का दबदबा नहीं रहा है।

कांग्रेस ने खोला खाता
पहली बार 1952 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर मैदान में उतरे हंस राज आर्य यहां से जीतने में सफल रहे। इसके बाद 1957 और 1962 के विधानसभा चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवार जीत दर्ज करने में सफल रहे। 1957 में निर्दलीय उम्मीदवार राम किशन भमबू, तो 1962 में हरदत्त सिंह जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे।

कांग्रेस ने की वापसी
1967 और 1972 के चुनावों ने कांग्रेस ने शानदार वापसी करते हुए यह सीट फिर से अपने पाले में की। 1967 के चुनाव हंस राज आर्य जीतकर विधानसभा पहुंचे, तो 1972 के चुनाव ज्ञान सिंह चौधरी ने जीत दर्ज की। वहीं, 1977 में कांग्रेस विरोधी लहर में जनता पार्टी लाल चंद यह सीट जीतने में कामयाब रहे।

तीन साल बाद कांग्रेस के पाले में फिर आई सीट
1980 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर से शानदार जीत दर्ज करते हुए यह सीट फिर अपने नाम की। पार्टी ने ज्ञान सिंह चौधरी पर एक बार फिर भरोसा करते हुए मैदान में उतारा। वह पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरे और जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे।

लाल चंद ने रोका कांग्रेस का विजीय रथ
1977 के चुनाव में जनता पार्टी की टिकट से जीतकर सदन पहुंचे लाल चंद ने कांग्रेस के विजयी रथ को रोकते हुए 1985 और 1990 के चुनावों में शानदार जीत दर्ज की। 1985 में वह लोक दल की टिकट से मैदान में उतरे थे, तो 1990 के चुनाव में जनता दल की टिकट से जीतकर विधानसभा पहुंचे।

निर्दलीय जीते ज्ञान सिंह
हालांकि, 1993 के चुनाव में लाल चंद के विजयी रथ को ज्ञान सिंह चौधरी रोकने में कामयाब रहे। लेकिन, इस बार कांग्रेस की टिकट से नहीं, बल्कि निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता। वहीं, 1998 के चुनाव में कांग्रेस ने संजीव कुमार को मैदान में उतारा और उन्होंने पार्टी का भरोसा कायम रखा। इसके बाद 2003 और 2008 में हुए चुनावों में भादरा की जनता ने निर्दलीय उम्मीदवारों-डॉक्टर सुरेश चौधरी (2003) और जयदीप को (2008) को जीताकर सदन में भेजा।

भाजपा ने खोला खाता
इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार 2013 के चुनाव में जीत दर्ज की। भाजपा ने कांग्रेस छोड़कर आए संजीव कुमार को मैदान में उतारा और उन्होंने अपनी नई पार्टी को निराश नहीं किया। हालांकि, 2018 के चुनाव में जनता ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के बलवान पूनिया को जीताकर विधानसभा भेजा। 2023 में कौन सी पार्टी यहां से जीतेगी, यह तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा।

बस्सी/कानोता। ग्राम पंचायत घाटा की पहाड़ी में खनन के दौरान खान ढहने से शुक्रवार सुबह दो मजदूरों की मौत हो गई। हादसे में ट्रैक्टर-ट्रॉली के टुकड़े हो गए और पत्थर गिरने से शव क्षत-विक्षत अवस्था में निकाले। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सौंपा। कानोता पुलिस के अनुसार शुक्रवार सुबह खान में मजदूर ट्रैक्टर-ट्रॉली में पत्थर भर रहे थे। सुबह करीब 10 बजे अचानक करीब 200 फीट ऊपर से पत्थर गिरने से एक ट्रैक्टर ट्रॉली व पत्थर भर रहे मानोता निवासी राकेश मीना (35) व घाटी निवासी रामकरण मीना (38) दब गए। खान में पत्थर उखाड़ रहे मजदूरों की सूचना पर कई लोग एकत्रित हो गए।

सूचना पर कानोता, बस्सी थाना पुलिस और सिविल डिफेंस की टीम मौके पर पहुंची और एलएनटी व जेसीबी से पत्थर व मलबा हटाकर ट्रैक्टर-ट्रॉली व शवों को निकालने का काम शुरू कर दिया। उपखण्ड अधिकारी शिवचरण शर्मा एवं सहायक पुलिस आयुक्त फूलचंद मीना के निर्देशन में दो एलएनटी व चार जेसीबी से पत्थर व मलबा हटाने में करीब 3 घंटे लगे। उसके बाद करीब 1 बजे ट्रैक्टर-ट्रॉली की छतरी दिखाई दी। इसके बाद क्षतविक्षत अवस्था में शव निकाले। हादसे के बाद ग्रामीणों की भीड़ लगी रही। मजदूरों के परिजन 50-50 लाख रुपए के मुआवजे व सरकारी नौकरी दिलाने की मांग कर रहे थे। वहीं खान चलाने वाले खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की।

सबसे पहले ट्रैक्टर-ट्रॉली की छतरी दिखाई दी
एलएनटी जब पत्थरों व मलबे को हटा रह थी तो सबसे ट्रैक्टर की छतरी दिखाई दी। इसके बाद जब थोड़े पत्थर व मलबा और हटाया। इसके बाद ट्रैक्टर के टायर व पुर्जो के टुकड़े निकाले। करीब डेढ़ बजे घाटी निवासी रामकरण मीना का शव क्षत-विक्षत अवस्था में निकाला। इसके करीब एक घंटे बाद घाटा निवासी मानोता निवासी राकेश मीना भी क्षत विक्षत अवस्था में भी निकाला गया।

200 फीट ऊपर से नीचे गिरे हजारों टन पत्थर
खान में करीब 200 फीट की ऊंचाई से हजारों टन पत्थर एक साथ धमाके के साथ नीचे गिरे तो काफी दूर तक धमाके की आवाज सुनाई दी। लोगों का कहना था कि खान में पहले ब्लास्टिंग होने से पहाड़ी में खान के हिस्से में दरारें चल रही थी। शुक्रवार सुबह करीब 10 बजे यह खान ध्वस्त हो गई। खान में पत्थर उखाड़ने वाले मजदूरों ने सैकड़ों फीट लम्बे रस्से लटका रखे थे। मजदूर इन रस्सों से पहाड़ी पर चढ़कर ब्लास्टिंग के लिए हॉल कर उनमें बारूद भरते है। इसके बाद ब्लास्टिंग कर पत्थर उखाड़ते हैं। इस खान में एक हिस्सा तो ढह गया, लेकिन खान के पूर्वी हिस्से में भी ऊपर की तरफ दरार आई हुई है। यह हिस्सा कभी भी ढह सकता है।

जयपुर। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के समर्थन में शुक्रवार को पीसीसी मुख्यालय में बुलाई गई बैठक में जयपुर शहर और देहात के अधिकांश नेताओं के नदारद रहने पर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की नाराजगी फूट पड़ी। डोटासरा ने यहां तक कह दिया कि जिन नेताओं और विधायकों का खून अपने नेता और पार्टी के अस्तित्व पर खतरा होने के बावजूद भी नहीं खौल रहा है, ऐसे नेताओं की पार्टी में कोई जरूरत नहीं है। नेता का अस्तित्व पार्टी से हैं, पार्टी का अस्तित्व नेता से नहीं है। दऱअसल भाजपा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से राहुल गांधी की रावण वाली फोटो पोस्ट की गई थी, जिसके विरोध में पीसीसी में बैठक बुलाई गई थी।

11 बजे उठने वाले अपना बिजनेस संभाले
डोटासरा ने रहा कि चुनाव में पार्टी का उम्मीदवार वही होगा जो कांग्रेस के लिए सड़कों पर समर्पित होकर संघर्ष करेगा, वो उम्मीदवार नहीं बनेगा जो सुबह 11 बजकर उठता हो और उसके बाद यह कहे कि मुझे पता नहीं कि आज क्या कार्यक्रम है, ऐसे नेताओं की कांग्रेस को जरूरत नहीं है, वो अपना बिजनेस और घर संभालें।

बैठक में नेता और विधायक नहीं पहुंचे थे
बैठक में कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, देहात के अध्यक्ष और विधायक गोपाल मीणा, शहर कांग्रेस के अध्यक्ष आर.आर. तिवाड़ी, समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष अर्चना शर्मा, बगरू से कांग्रेस विधायक गंगा देवी, फतेहपुर से कांग्रेस विधायक हाकम खान मौजूद थे तो वहीं विधायक अमीन कागजी, रफीक खान, कैबिनेट मंत्री लालचंद कटारिया, राजेंद्र यादव, विधायक इंद्राज गुर्जर बैठक में नहीं पहुंचे थे। मंत्री महेश जोशी बैठक की बजाए पैदल मार्च में शामिल हुए थे।

निकाला पैदल मार्च
बैठक के बाद डोटासरा के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं-नेताओं ने पीसीसी मुख्यालय से संजय सर्किल तक पैदल मार्च किया और भाजपा के खिलाफ नारेबाजी की, पैदल मार्च वापस पीसीसी पर आकर संपन्न हुआ। पैदल मार्च के बाद डोटासरा ने कहा कि जिस तरह का माहौल बनाया जा रहा है उसे आशंका है कि राहुल गांधी की जान को खतरा है। मंत्री खाचरियावास ने कहा कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से बीजेपी बौखला गई है और अब फिर से राहुल गांधी का सोशल मीडिया पर चरित्र हनन कर रहे हैं, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

वीडियो देखेंः- Rajasthan को 3 नए जिलों की सौगात | क्या होगा असर? | CM Ashok Gehlot | Sujangarh | Malpura | Kuchaman

 

 

जयपुर। प्रदेश में चुनावी आचार संहिता लगने से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तीन नए जिलों की घोषणा करके एक बार फिर बड़ा सियासी दांव चला है। गहलोत ने शुक्रवार को गौ सेवा सम्मेलन में मालपुरा, सुजानगढ़ और कुचामन को नया जिला बनाने की घोषणा की। गहलोत ने कहा कि जनता की मांग और उच्च स्तरीय समिति की अनुशंसा पर इन तीन जिलों की घोषणा की गई है आगे भी और जिलों की घोषणा की जा सकती है। इधर तीन जिले बनने के बाद राजस्थान अब 53 जिलों का प्रदेश बन जाएगा। इससे पहले 17 मार्च को सीएम गहलोत ने 19 जिलों और तीन नए संभागों की घोषणा की थी।

सोच समझ कर लिया जिलों का फैसला
गहलोत ने कहा कि हमने जिले बनाने का फैसला सोच समझ कर लिया है, अगर छोटे राज्य और छोटे जिले बनेंगे तो उनमें विकास जल्दी होता है, गुड गवर्नेंस रहती है, जनता को भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है, नजदीक में ही जिला हेड क्वार्टर रहेंगे तो काम आसानी से होंगे।

कुचामन को किया गया डीडवाना से अलग
गहलोत ने पूर्व में कुचामन- डीडवाना नाम से अलग जिला बनाया था लेकिन अब कुचामन को डीडवाना से अलग करके नया जिला बनाने की घोषणा की गई है, वहीं टोंक से मालपुरा को अलग करके अलग जिला बनाया जा रहा है, तो सुजानगढ़ को चूरू से अलग करके अलग जिला बनाया जा रहा है।

मालपुरा-कुचामन को जिला बनाने को लेकर चल रहे थे आंदोलन
वहीं मालपुरा और सुजानगढ़ को जिला बनाने की मांग को मार्च माह से आंदोलन चल रहे थे। शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और बीसूका के उपाध्यक्ष डॉ. चंद्रभान के नेतृत्व मालपुरा से सैकड़ो लोग जयपुर पहुंचे थे और मुख्यमंत्री गहलोत से मांग भी की थी और उसके कुछ ही घंटे के बाद गहलोत ने गौ सेवा सम्मेलन के कार्यक्रम में मालपुरा को अलग जिला बनाने की घोषणा कर दी। सुजानगढ़ को जिला बनाने की मांग को लेकर कांग्रेस विधायक मनोज मेघवाल भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से कई बार मुलाकात कर चुके थे।


आचार संहिता से पहले गजट नोटिफिकेशन जरूरी
बताया जाता है कि जिन तीन नए जिलों की घोषणा मुख्यमंत्री गहलोत ने की है वो जिले अस्तित्व में तभी आएंगे जब आचार संहिता लगने से पहले पहले उनका गजक नोटिफिकेशन और सीमांकन जारी कर दिया जाए। ऐसे में माना जा रहा है शनिवार को गजट नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है।

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Caste Census In Rajasthan : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनाव आचार संहिता से पहले शुक्रवार को बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा कि राजस्थान में भी बिहार पैटर्न पर जातिगत जनगणना कराएंगे। कांग्रेस की कोर कमेटी की पीसीसी के वॉर रूम में हुई लंबी बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री ने (CM Ashok gehlot) कहा कि राहुल गांधी ने जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी की बात कही है।

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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा (Rajasthan Congress President Govind Singh Dotasara) ने कहा कि उपराष्ट्रपति पद पर बैठे व्यक्ति को पद की मर्यादा रखनी चाहिए। चुनावी मौसम में अगर उपराष्ट्रपति लगातार दौरे करेंगे तो गलत संदेश जाएगा। डोटासरा ने कहा, कि जिस दिन आचार संहिता लगती है, उस दिन दोपहर तक भी पीएम घोषणा करते हैं। चुनाव में हमारा प्रमुख नारा, काम किया है दिल से, कांग्रेस फिर से होगा। 70 साल के इतिहास में किसी ने बजट को इस तरह क्रियान्वयन नहीं किया, जितना हमारी सरकार ने किया है। ईआरसीपी (ERCP) मुद्दे पर यात्रा को लेकर उन्होंने कहा कि रविवार को 13 जिलों के कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई है, उसमें कार्यक्रम तय करेंगे।

खरगे, राहुल व प्रियंका के दौरे होंगे

कोर कमेटी की बैठक में तय हुआ है कि आने वाले दिनों में प्रदेश में 6 बड़ी जनसभाएं होंगी, जिसके लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकर्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge), राहुल गांधी (Rahu Gandhi) और प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) को आमंत्रित किया जाएगा।

जयपुर। राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारियों के 64 दिन के आंदोलन के बाद सरकार के बार-बार आश्वासनों से तंग आकर कर्मचारियों में व्यापक आक्रोश है। इस संबंध में शुक्रवार को पिंक सिटी प्रेस क्लब में राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ ने प्रेस कांफ्रेंस में कर्मचारियों की मांगे पूरी करने पर आंदोलन की चेतावनी दी।

महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष राज सिंह चौधरी और प्रदेश महामंत्री वीरेंद्र दाधीच ने बताया कि सरकार मंत्रालयिक कर्मचारियों की महत्वपूर्ण मांगों पर छलावा कर रही है। राज्य सरकार द्वारा मंत्रालयिक कर्मचारियों की ग्रेड पे के मामले में केवल संस्थापन अधिकारी की ग्रेड पे बदला जा रहा है, जिसका मंत्रालयिक कर्मचारी विरोध करेंगे। प्रेस कॉन्फ्रेंस में सतवीर सिंह राजावत, विजय सिंह राजावत, जितेन्द्र सिंह, यतेन्द्र सिंह,विवेक सैकड़ एवं मुकेश मुदगल भी उपस्थिति रहे। इन सभी ने एक स्वर में कहा कि स्वयं को संवेदनशील मानने वाली सरकार की मंत्रालयिक कर्मचारियों के प्रति बेरूखी के कारण सभी ने सरकार का विरोध करने का संकल्प लिया है।

गौरतलब है कि महासंघ ने गुरुवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात कर विभिन्न मुद्दों से अवगत भी कराया था। मंत्रालयिक कर्मचारियों की वित्तीय मांग पर केवल संस्थापक अधिकारी की ग्रेड पे 6000 के स्थान पर 6600 की जा रही है। कनिष्ठ सहायक के पद की योग्यता भी स्नातक नहीं की जा रही है। जबकि कर्मचारियों की मांग मंत्रालयिक कर्मचारी संपर्क के प्रथम पदोन्नति पद की ग्रेड पे 2800 के स्थान पर 3600 करने अथवा द्वितीय पदोन्नति की ग्रेड पे 3600 के स्थान पर 4200 करने की मांग है। इस मांग पर कमेटी की सकारात्मक रिपोर्ट के आश्वासन के कारण अधीनस्थ विभाग एवं पंचायती राज संस्थानों में पदोन्नति पदों की आशा अनुरूप संख्या में कम स्वीकृत करने पर भी महासंघ द्वारा सरकार का स्वागत किया है।

महासंघ के ट्रिब्यूनल चेयरमेन कमलेश शर्मा ने बताया कि सरकारों ने समकक्ष सभी कैडरस को एन्ट्री स्केल के पश्चात पदोन्नति वेतनमानों एवं पदोन्नति अवसरों में समय समय पर वृद्धि की है। एन्ट्री स्कूल में भी कुछ संवर्गों को हार्ड ड्यूटी अथवा अन्य भत्तों के नाम से वेतन उन्नयन किया हुआ है। एन्ट्री स्केल पर तो केन्द्र के समान वेतनमान की बात कहकर सरकार पल्ला झाल लेती है परन्तु पदोन्नति वेतनमान एवं पदोन्नति के अवसर की बात आते ही मौन धारण कर लेती 64 दिन के आंदोलन में कर्मचारियों ने आँधी तुफान, अतिवृष्टि का सामना किया। दिन-रात महापड़ाव मे इसी आशा के साथ जमे रहे कि सरकार मंत्रालयिक कर्मचारियों की पीड़ा को समझेगी।

मंत्री डॉ० महेश जोशी आदोलन स्थल पर रक्तदान शिविर एवं एक अन्य दिन आकर आश्वासन देकर गये थे। तत्पश्चात आरटीडीसी अध्यक्ष धमेन्द्र सिंह राठौड ने सरकार से समझौता कराया और तब से लेकर लगातार यह आश्वासन देकर गए कि आपको किसी भी हाल में सचिवालय पैटर्न दिलवायेंगे। स्वयं मुख्यमंत्री ने हमे ठोस आश्वासन दिया था कि वेतन विसंगति दूर की जायेगी। इसके बाद भी यह स्थिति अच्छी नहीं है।

प्रदेशाध्यक्ष राजसिंह चौधरी ने बताया कि पुरानी पेंशन के नाम पर सरकार यह जताना चाह रही है कि हमने कर्मचारियों को काफी कुछ दिया है। जबकि पुरानी पेंशन किसी एक भी व्यक्ति की स्वीकृत हुई हो तो सरकार बताए। यह आकड़ों का माया जाल है सरकार यह जानती है कि पुरानी पेंशन कभी कर्मचारियों को मिलेगी ही नहीं। सरकार मंत्रालयिक कर्मचारियों से समझौते करके मुकरी है। जिसका खामियाजा मंत्रालयिक कर्मचारियों एवं उनके परिवारों के विरोध के कारण सरकार को भुगतना होगा। यह निश्चित है कि सरकार को मंत्रालयिक कर्मचारियों की हाय लगेगी ।

जयपुर। राजधानी जयपुर में राजस्थान आर्किटेक्चर फेस्टिवल का आयोजन हो रहा है। 6 से 8 अक्टूबर तक फेस्टिवल का आयोजन होगा। जिसमें दुनियाभर के नामी आर्किटेक्चर फेस्टिवल में भाग ले रहे है।

आईआईए के अध्यक्ष तुषार सोगानी ने बताया की फेस्टिवल का मुख्य विषय आर्किटेक्चर फोर बेटर फ्यूचर है। जिसमे 26 से ज्यादा देशों के आर्किटेक्ट्स भाग ले रहे है। आज फेस्टिवल का उद्घाटन हुआ। उद्घाटन सत्र में अतिथि राजसिको चेयरमैन राजीव अरोड़ा, पूर्व आईएएस जीएस संधु रहे।

महोत्सव का उद्देश्य आज रचनात्मक क्षेत्र की कुछ सबसे प्रभावशाली हस्तियों के साथ संवाद और नवप्रवर्तन के लिए एक वैश्विक मंच स्थापित करना है। दुनियाभर से जयपुर आए आर्किटेक्चर जयपुर में हेरिटेज का भ्रमण भी करेंगे। यहां की स्थापनाओं के बारे में जानेंगे। इस दौरान रात्रि भोज आयोजन के दौरान प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी। जिसमे राजस्थान के संगीत व जयपुर की पृष्ठभूमि में समृद्ध विरासत के साथ सूफियत द्वारा सूफी संगीत प्रस्तुति दी जाएगी।

जयपुर। प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग संघ द्वारा चलाई जा रही ओबीसी जातियों में जागृति और अधिकारों की मुहिम के तहत जयपुर की सभी विधान सभाओं में घर-घर जागरूकता संदेश पहुंचाने का लक्ष्य लगभग पूरा कर लिया गया है

अन्य पिछड़ा वर्ग संघ के अध्यक्ष डा प्रवीण तंवर ने बताया कि 20 दिसंबर 1978 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने सांसद बीपी मंडल की अध्यक्षता में पिछड़ा आयोग का गठन किया। इसे बाद में मंडल आयोग कहा जाने लगा। सांसद बीपी मंडल ने 2 साल में लगभग 640 जिलों का दौरा किया। इसमें 3743 जातियों को पिछड़े मॉमडेंट में रखा। इस आंकड़े के लिए 1931 की जनगणना को आधार बनाया गया। आज स्थिति बदल चुकी है। 2023 की जनगणना के अनुसार बहुसंख्यक ओबीसी को आरक्षण मिलना चाहिए।

तंवर ने बताया कि हमें आज भी आरक्षण की मूलभूत सुविधाओं से दूर रखा जा रहा है। आज सभी सरकारें हमें जातियों में बताकर पिछड़ा आयोग को कमजोर कर रही है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही प्रमुख पार्टियों ने ओबीसी वर्ग के साथ अन्याय किया है

अब जयपुर शहर की सभी विधानसभाओं में अपना वर्चस्व दिखाएंगे। ताकि हमारी मांगे हमारे समाज के लिए हितकारी व पूर्ण हो सके।

अन्य पिछड़ा वर्ग संघ की प्रमुख मांगे...

— संविधान निर्माण के समय डॉक्टर अंबेडकर ने ओबीसी के लिए अनुच्छेद 340 का प्रावधान रखा था। उसे लागू किया जाएं।
— ओबीसी वर्ग के छात्रों को बार-बार जाति प्रमाण पत्र बनाने से मुक्ति मिले।
—ओबीसी वर्ग के छात्रों को प्रतिमाह 3000 रुपए छात्रवृत्ति और छात्रावासों का निर्माण किया जाएं।
— ओबीसी छात्रों के लिए तकनीकी शिक्षा मुफ्त आर्थिक सहायता दी जाएं। ताकि आत्मनिर्भर बनकर स्वयं का रोजगार शुरू कर सके।

जयपुर. राज्य के विकास और चर्चा के लिए विधानसभा सत्र होता है। उसी तरह शहर के विकास की चर्चा के लिए नगर निगम की साधारण सभा होती है। साधारण सभा में जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होती है और महत्वपूर्ण फैसले लिए जाते हैं। धीरे-धीरे उन फैसलों पर अमल किया जाता है, लेकिन नगर निगम में साधारण सभा का बुरा हाल है। यहां बैठकों की संख्या लगातार कम हो रही है। राजधानी के दोनों नगर निगम की बात करें तो इस कार्यकाल के ढाई वर्ष में ग्रेटर नगर निगम की पांच और हैरिटेज निगम की एक ही बैठक हुई है। मौजूदा हाल यह है कि हैरिटेज नगर निगम की सरकार बिना महापौर के ही चल रही है।


बजट बैठक भी नहीं
आपसी खींचतान और सियासी विवाद के बीच बजट के लिए भी दोनों शहरी सरकारों ने बैठक नहीं बुलाई। विरोध की आशंका को देखते हुए दोनों महापौर ने बजट पारित कराने के लिए भी बैठक नहीं बुलाई और सीधे राज्य सरकार को बजट भेज दिया।

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हैरिटेज निगम: महापौर पर भारी विधायकों की सियासत

निर्दलीयों के समर्थन से महापौर की कुर्सी कांग्रेस के खाते में आई, लेकिन विधायकों का दखल इतना है कि ढाई वर्ष बीत जाने के बाद भी समितियों का गठन नहीं हो पाया। ऐसे में निर्दलीय विरोध में उतर आए। महापौर से कांग्रेस के पार्षद भी नाराज हो गए। इससे हुआ यह कि महापौर ने साधारण सभा से दूरी बना ली। एक साधारण सभा करवाने के बाद दूसरी के लिए ढाई साल में भी हिम्मत नहीं जुटा पाईं। अब तो स्थिति यह है कि 22 सितम्बर को मुनेश गुर्जर के निलम्बन के बाद महापौर की कुर्सी खाली है।


ग्रेटर निगम: अस्थिरता का माहौल

भाजपा की महापौर के लिए राज्य सरकार ने दिक्कतें पेश की। महापौर का निलम्बन तक हुआ। यहां साधारण सभा राजनीतिक अस्थिरता की भेंट चढ़ गई। भाजपा के पार्षदों में भी कई गुट बन गए। ऐसे में विरोधी गुट के ज्यादा हावी होने की वजह से महापौर बैठक बुलाने से बचती रहीं। हालांकि, महापौर सौम्या गुर्जर अब तक पांच साधारण सभा करवा चुकी हैं।

फैसलों पर भी अमल नहीं
(फरवरी, 2021 में )

-हैरिटेज नगर निगम के 100 वार्डों में सीसीटीवी कैमरे लगाने पर अमल नहीं।
-ठोस कचरा निस्तारण को लेकर प्लांट लगाने पर भी हैरिटेज सरकार आगे नहीं बढ़ पाई।
-कचरे से बिजली बनाने का काम भी गति नहीं पकड़ पाया है।
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(जनवरी, 2021)

-ग्रेटर सीमा क्षेत्र के महाविद्यालयों, कोचिंग और एजुकेशन हब के नजदीक जमीन चिह्नित कर ई-लाइब्रेरी का निर्माण कराया जाएगा।
-कच्ची बस्ती में रहने वाले लोगों का जीवन स्तर उठाने के लिए कार्ययोजना तैयार कर विकास कार्य कराए जाएंगे।
-वाहनों के लिए ई-चार्जिंग स्टेशन लगवाए जाएंगे।
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(जून, 2023)

-ग्रेटर निगम में ग्रीन बॉन्ड लाने की बात कही, लेकिन अब तक इस पर कोई काम शुरू नहीं हुआ है।

नगर पालिका अधिनियम-2009 के प्रावधानों के अनुसार निगम को वर्ष में छह और 60 दिन में एक बैठक करना अनिवार्य है। तय समय में बैठक नहीं करने पर राज्य सरकार कार्रवाई कर सकती है। सारी शक्तियां बोर्ड के पास होती है और निर्णय बोर्ड बैठक में होते हैं। यदि बैठक नहीं होगी तो निर्णय नहीं हो पाएंगे। साधारण सभा में जनहित के मुद्दों पर चर्चा होती है और उनकी क्रियान्विति का रोडमैप बनता है।
-अशोक सिंह, सेवानिवृत्त, विधि निदेशक, स्वायत्त शासन विभाग


साधारण सभा की बैठकों का हाल
बोर्ड- -बैठकों की संख्या
पहला -47

दूसरा -41

तीसरा -20

चौथा -23

पांचवां -13

दो निगम बनने के बाद ये हाल

नगर निगम हैरिटेज-01

नगर निगम ग्रेटर-05

जयपुर. आज के दौर में कई दंपती नौकरी और कामकाज के कारण घर से अलग और अकेले रहते हैं। इनमें से कई अकेलेपन के शिकार हो रहे हैं। जिसके कारण छोटी-छोटी बात को लेकर तकरार होने पर रिश्तों में दरार पड़ रही है। हालात यहां तक पहुंच रहे है कि वे साथ रहना भी पसंद नहीं कर रहे। पारिवारिक न्यायालय के अधिवक्ताओं के अनुसार कई दंपती तो विवाह के 3 से 4 महीने बाद ही अलग हो रहे हैं। दरअसल कुछ वर्षों में महिलाओं की वित्तीय आत्मनिर्भरता बढ़ गई है। इसके अलावा घर में होने वाली नोकझोंक या झगड़ा होने पर पति-पत्नी का अहम आपस में टकराने लगता है और वे तुरंत अलग होने का निर्णय ले लेते है।

यह कहती है रिपोर्टआईजेसीआरटी ऑर्गेनाइजेशन की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार 25-29 वर्षीय जोड़ों के बीच में 4.8 फीसदी और 30 से 34 वर्षीय जोड़ों के बीच 15.2 फीसदी तक तलाक दर बढ़ी है। ईपीडब्ल्यू की एक रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में तलाक की दर 11.2 प्रतिशत है। राजधानी के वकीलों के पास भी रोजाना दो से तीन नव-विवाहित जोड़ों के अलग होने के मामले आ रहे हैं।

ऑफिस का तनाव घर तक पहुंच रहा

आजकल अधिकांश दंपती कामकाजी होते हैं। जब वे घर आते हैं तो ऑफिस का तनाव आपसी झगड़े के रूप में सामने आता है। अहम इतना ज्यादा बढ़ गया है कि कोई झुकने को तैयार नहीं होता। घर के काम-काज को लेकर झगड़ा होता है। कुछ मामलों में दंपती एक दूसरे को समय नहीं दे पाते... विचार नहीं मिलने पर वे तुरंत अलग होने का निर्णय ले लेते है।

- अंशुल गोयल, अधिवक्ता, पारिवारिक न्यायालय

धैर्य हो रहा कम

नवविवाहित जोड़ों में धैर्य कम है। तलाक पहले भी होते थे, लेकिन पहले इतने कम समय में नहीं हुआ करते थे। आजकल तो बस थोड़ी अनबन हुई और अलग हो जाते हैं। घरवालों की तरफ से भी साथ रहने का दबाव नहीं डाला जाता। महिलाएं भी अब आर्थिक तौर पर सक्षम हैं। उन्हें पता है अलग भी होंगे तो भी उन्हें कोई तकलीफ नहीं होगी।- प्रियंका आचार्य, अधिवक्ता, पारिवारिक न्यायालय

पत्रिका न्यूज नेटवर्क/जयपुर। Rajasthan New District : प्रदेश में चुनावी आचार संहिता लगने से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। गहलोत ने मानसरोवर में आयोजित गो सेवा सम्मेलन में मालपुरा, सुजानगढ़ और कुचामन को नया जिला बनाने की घोषणा की। तीन नए जिले बनने के बाद राजस्थान अब 53 जिलों का प्रदेश बन जाएगा। वहीं कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक के बाद गहलोत ने प्रदेश में जातिगत जनगणना कराने का भी ऐलान किया। उधर राज्य सरकार ने राजस्थान राज्य कृषक ऋण राहत योजना आयोग का गठन कर किसानों को तोहफा दिया। मुख्यमंत्री ने श्री करणी चारण एवं डिंगल साहित्य शोध संरक्षण एवं विकास बोर्ड के गठन को भी स्वीकृति दी है।

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कुछ घंटे बाद घोषणा
शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और बीसूका के उपाध्यक्ष डॉ. चंद्रभान के नेतृत्व मालपुरा से लोग जयपुर पहुंचकर मुख्यमंत्री गहलोत से मिले। इसके कुछ ही घंटे के बाद ही गहलोत ने कार्यक्रम में मालपुरा को जिला बनाने की घोषणा की।

सोच समझ कर लिया फैसला
सीएम ने कहा कि जिले बनाने का फैसला सोच समझ कर लिया है। छोटे राज्य व छोटे जिले बनेंगे तो विकास जल्दी होता है। गुड गवर्नेस रहती है। जनता को भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। नजदीक में ही जिला हेड क्वार्टर रहेंगे तो काम आसानी से होंगे।

कुचामन को किया गया डीडवाना से अलग
पूर्व में कुचामन-डीडवाना नाम से जिला बनाया था। अब कुचामन को डीडवाना से अलग किया गया है। वहीं टोंक से मालपुरा और सुजानगढ़ को चूरू से अलग करके जिले बनाए जाएंगे।

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सीएम बोले... संविधान की भावना का भी रखा जाएगा ध्यान
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान में भी बिहार पैटर्न पर जातिगत जनगणना कराएंगे। कांग्रेस की कोर कमेटी की पीसीसी के वॉर रूम में हुई लंबी बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में सीएम ने कहा कि राहुल गांधी ने जिसकी • जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी की बात कही है। जिस तरह सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में कराई गई जातिगत जनगणना को रोका नहीं है, अब सरकार यहां भी जातिगत जनगणना के आदेश जारी करेगी। इस बारे में संविधान की भावना व सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी ध्यान में रखा जाएगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने कहा कि उपराष्ट्रपति पद पर बैठे व्यक्ति को पद की मर्यादा रखनी चाहिए। अभी अगर उपराष्ट्रपति लगातार दौरे करेंगे तो गलत संदेश जाएगा। डोटासरा ने बताया कि ईआरसीपी मुद्दे पर रविवार को 13 जिलों के कार्यकर्ताओं की बैठक होगी।

आज का सुविचार

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आज क्या खास
- 2 हज़ार रुपये के नोट बदलवाने का आज आखिरी दिन, पिछले शनिवार को एक सप्ताह के लिए बढ़ाई गई थी समय सीमा, अब आज चूके तो नोट हो जाएंगे रद्दी
- उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का आज सूरतगढ़ और हनुमानगढ़ दौरा, किसानों से करेंगे संवाद तो गोगामेड़ी मंदिर में करेंगे दर्शन-पूजन
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RAS And IAS Transfer List: राजस्थान में चुनाव नजदीक है ऐसे में आचार संहिता लगने से पहले एक बार फिर प्रशासनिक स्तर पर बड़े फेरबदल हुए। शुक्रवार देर रात 1 आईएएस और 53 आरएएस अधिकारियों की तबादला सूची जारी की गई।

कार्मिक विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार आरएएस अफसर डॉण् धीरज कुमार सिंह को उपखंड अधिकारी व उपखंड मजिस्ट्रेट खींवसर नागौर में लगाया गया है। वहीं, आरएएस महेंद्र कुमार खींची को निदेशक भाषा में पुस्तकालय विभाग जयपुर, जोगाराम देवासी को मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद क्रमिक जिला कार्यक्रम समन्वयक इजीएस व पदेन मुख्य परियोजना अधिकारी मंडा उदयपुर, रचना भाटिया को अतिरिक्त आयुक्त उपनिषद सतर्कता बीकानेर, भावना शर्मा को अतिरिक्त आयुक्त नगर निगम कोटा उत्तर, कैलाश चंद शर्मा को मुख्य कार्यकारी अधिकारी नाथद्वारा मंदिर मंडल, मेघराज सिंह मीणा को अतिरिक्त जिला कलेक्टर मजिस्ट्रेट भरतपुर की कमान सौंपी गई।
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वहीं, लोकेश कुमार मीणा को अतिरिक्त जिला कलेक्टर जिला मजिस्ट्रेट जयपुर, रामचंद्र को उपमहान निरीक्षित पंजीयन एवं मुद्रण सतर्कता अजमेर, राजेश जोशी को सचिव नगर विकास न्यास उदयपुर, कृपाल सिंह चौहान को अतिरिक्त जिला कलेक्टर जिला मजिस्ट्रेट सलूंबर, रतन कुमार को मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद एवं क्रम अतिरिक्त जिला कार्यक्रम समन्वयक ईजीएस व पदेन मुख्य परियोजना अधिकारी मंडा श्रीगंगानगर, सोबीला माथुर को प्रबंधक रविंद्र मंच जयपुर, डॉ. प्रभा विकास को जिला परिषद अधिकारी प्रथम जयपुर, रविंद्र कुमार शर्मा को अतिरिक्त आयुक्त व शासन उप सचिव प्रथम पंचायती राज विभाग जयपुर, आलोक कुमार सांखला को उपनिदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग करौली, अशोक कुमार मीणा को राजस्व अपील अधिकारी हनुमानगढ़ और यशपाल आहूजा को आयुक्त नगर परिषद श्रीगंगानगर भेजा गया है।

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इसी प्रकार योगेश कुमार ठाकुर को अतिरिक्त जिला कलेक्टर एवं अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट कोटपूतली बहरोड लगाया गया है। प्रियवंत सिंह चारण को रजिस्टर राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर में लगाया गया है। रविंद्र कुमार को अतिरिक्त जिला कलेक्टर एवं मैट्रिक जिला मजिस्ट्रेट कुचामन सिटी लगाया गया है । प्रकाश चंद्र रेगर को उपखंड अधिकारी शरद सहारनपुर में लगाया गया है। दुर्गा शंकर मीणा को मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद प्रतापगढ़ में पोस्टिंग दी गई है। विनोद कुमार मीणा को उपखंड अधिकारी कामां, डीग में लगाया गया है। आेमप्रभा देवी को उपायुक्त जयपुर विकास प्राधिकरण जयपुर में लगाया गया है। संजू पारीक को उपायुक्त नगर निगम जयपुर हेरीटेज लगाया गया है । पंकज शर्मा को उपखंड अधिकारी भीनमाल जालौर में पोस्टिंग दी गई है ।राम सिंह राजावत को उपखंड अधिकारी बसेड़ी धौलपुर में लगाया गया है ।

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देवांशु शर्मा को अतिरिक्त जिला कलेक्टर सीलिंग न्यायालय कोटा में तैनात किया गया है। विवेक व्यास को उपखंड अधिकारी बायतु बालोतरा में लगाया गया है । विजेंद्र कुमार मीणा को उपखंड अधिकारी दीगोद कोटा में पोस्टिंग दी गई है । केशव कुमार मीणा को फंड अधिकारी मालदाना डूंगर सवाई माधोपुर में लगाया गया है। हर्षित वर्मा को उपसचिव नगर विकास न्यास कोटा में लगाया गया है । सुनील कुमार को उपखंड अधिकारी साबला में पोस्टिंग दी गई है । सरिता मल्होत्रा को सहायक कलेक्टर मुख्यालय टोंक में लगाया गया है । सीता शर्मा को उपखंड अधिकारी विजयनगर अनूपगढ़ में पोस्टिंग दी गई है । सरिता देवी को आयुक्त नगर निगम कोटा दक्षिण लगाया गया है । मधुलिका सीवर को सहायक भू प्रबंधन अधिकारी जोधपुर में लगाया गया है। प्रमोद कुमार को फंड अधिकारी सिणधरी बालोतरा में लगाया गया है । सुप्रिया को उपखंड अधिकारी लाडनूं डीडवाना कुचामन सिटी में लगाया गया है ।

Rajasthan election 2023 विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदारों को अब जगह-जगह देवरे नहीं ढोकने पड़ेंगे। भाजपा ने दावेदारी जताने के लिए, बायोडाटा संभाग प्रभारी और जिला अध्यक्ष को दे सकेंगे। इसके अलावा एक मोबाइल एप्लीकेशन भी डवलप किया जा रहा है, जहां बायोडाटा अपलोड किया जा सकेगा। संगठन महामंत्री चंद्रशेखर ने नेताओं और कार्यकर्ताओं को स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें इधर- उधर घूमने और प्रदेश कार्यालय आने की बजाय जिला अध्यक्ष और संभाग प्रभारी अधिकृत होंगे। शुक्रवार को हुई वर्चुअल मीटिंग में यह दिशा-निर्देश जारी किए गए। इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी भी मौजूद थे।
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चंद्रशेखर ने उन दावेदारों और उनके समर्थकों को हिदायत दी है, जो दावेदारी जताने और प्रदर्शन करने के लिए भाजपा कार्यालय में जमघट लगा रहे हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि यदि प्रदेश कार्यालय आने की जरूरत है तो 1-2 कार्यकर्ता के साथ ही आ सकते हैं। इससे ज्यादा संख्या नहीं होनी चाहिए।

राजस्थान में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गईं हैं। राजस्थान चुनाव के डेट की घोषणा कभी भी हो सकती है। भाजपा ने अपने कील कांटे मजबूत कर लिए हैं। भाजपा के दिग्गज नेताओं का राजस्थान दौर बढ़ गया है। पीएम नरेंद्र मोदी 10 दिन में तीन बार मतदाताओं को लुभाने के लिए राजस्थान का दौर कर चुके हैं। अब एके बार फिर से राजस्थान में चुनाव की घोषणा से पहले संगठन को पूरी तरह से सक्रिय करने के लिए भाजपा ने राष्ट्रीय नेताओं के दौरे बढ़ा दिए हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बी एल संतोष रविवार से लेकर मंगलवार तक प्रदेश दौरे पर रहेंगे।

सूत्रों के अनुसार संगठन महामंत्री बी एल संतोष रविवार को बीकानेर आएंगे। वे यहां भाजपा नेताओं के साथ-साथ विचार परिवार के लोगों से भी मुलाकात करेंगे। 9 एवं 10 अक्टूबर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा का राजस्थान का कार्यक्रम बना है। वे अजमेर, कोटा, उदयपुर और जोधपुर में संभाग स्तरीय बैठक लेंगे। बताया जा रहा है कि वे 9 को अजमेर और कोटा में बैठक करेंगे। दस को उदयपुर और जोधपुर में बैठक करेंगे।

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क/जयपुर। Rajasthan Election 2023: मुख्यमंत्री अशाेक गहलोत ने विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले शुक्रवार को तीन जिले और बनाने की घोषणा कर राजनीतिक स्ट्राेक मारा है। इन तीन जिलों में से दो के लिए हाल ही बनाए गए नए जिलों का कुछ एरिया भी लिया जाएगा। कुचामन जिले को डीडवाना-कुचामन से अलग किया जाएगा, वहीं मालपुरा जिले के लिए टोंक के साथ ही केकड़ी जिले का कुछ हिस्सा लिया जा सकता है। इन नए जिलों से अजमेर व सीकर संभाग की तस्वीर बदलने की भी संभावना है।

राजनीति के लिहाज से देखा जाए तो अब इन तीन जिलों की घोषणा को कांग्रेस भुनाएगी ताकि आने वाले चुनाव में पार्टी को इसका सियासी फायदा मिल सके। इन नए जिलों को लेकर शुक्रवार को राजस्व विभाग ने भी प्रक्रिया शुरू कर दी। बताया जाता है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी रामलुभाया की अध्यक्षता में गठित कमेटी इन जिलों की सीमाओं को तय करेगी, उसके बाद ही नए जिलों के गठन की अधिसूचना जारी हो पाएगी।

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नए जिलों की तस्वीर
मालपुरा
- टोंक जिले से अलग होगा
- कस्बे की आबादी करीब 45000
- इन क्षेत्रों से मिलकर बनेगा जिला
मालपुरा नगरपालिका क्षेत्र व उपखण्ड की 35 ग्राम पंचायत, टोडारायसिंह नगरपालिका क्षेत्र, टोंक की 9 ग्राम पंचायत तथा टोडारायसिंह उपखण्ड की 11 पंचायतों को शामिल किया जाना संभावित है।
वर्तमान स्थिति- यहां सन् 1947 से नगरपालिका और ब्रिटिशकाल से न्यायालय स्थापित है। इनके अलावा यहां एसडीएम कार्यालय व अन्य विभागीय कार्यालयों के साथ एएसपी कार्यालय भी है।

कुचामन
- नवसृजित डीडवाना-कुचामन जिले से अलग होगा।
- आबादी करीब 11 लाख है
यह क्षेत्र शामिल होने की संभावना
- नावां, परबतसर एवं मकराना विधानसभा क्षेत्र।

सुजानगढ़
- वर्तमान में चूरू जिले में है।
-सुजानगढ़ शहर की आबादी करीब एक लाख 70 हजार है।
- लंबे समय से जिला बनाने की मांग थी, 100 साल पहले जिला था।

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राजनीतिक समीकरणों पर भी आएगा असर
मालपुरा: दाे दशक से नहीं जीत पा रही कांग्रेस
मालपुरा सीट पर दो दशक से कांग्रेस का उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाया। आखिरी बार 1998 में कांग्रेस से डॉ चन्द्रभान चुनाव जीते थे और वे तब गहलोत सरकार में मंत्री भी बने थे। इसके बाद के चार चुनाव में यहां से कांग्रेस विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाई। अबकी बार कांग्रेस जिला बनाने का फायदा लेने की कोशिश करेगी। वर्तमान में कन्हैयालाल चौधरी विधायक हैं, जो भाजपा से हैं और लगातार दूसरी बार निर्वाचित हुए हैं।

कुचामन: डीडवाना को मुख्यालय बनाने से थी नाराजगी
डीडवाना को डीडवाना-कुचामन जिले का मुख्यालय बनाने से कुचामन क्षेत्र के लोग नाराज थे और विरोध जता रहे थे। नावां के विधायक महेन्द्र चौधरी ने इस बारे में मुख्यमंत्री से बात भी की थी। अब नावां सीट कुचामन जिले में आएगी। नावां सीट पर चौधरी दूसरी बार विधायक बने और अभी उप मुख्य सचेतक है। इस सीट पर 2008 से अब तक एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा का विधायक बनता आया है।

सुजानगढ़: 1985 से एक बार कांग्रेस एक बार भाजपा
सुजानगढ में अभी दिवंगत भंवरलाल मेघवाल के पुत्र मनोज मेघवाल विधायक हैं। वे उपचुनाव में विधायक बने थे। इस सीट का इतिहास है कि 1985 से अब तक एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा चुनाव जीत रही है। यहां विश्व प्रसिद्ध तालछापर कृष्ण मृग अभयारण्य हैं। इसके अलावा सिद्धपीठ सालासर बालाजी मंदिर है।

एक अक्टूबर से ट्रेनों के टाइम टेबल में हुए बदलाव से ट्रेन यात्रियों में गफलत हो रही है। इस गफलत की वजह से यात्रियों की ट्रेनें छूट जा रही हैं। यात्री परेशान हैं। रेलवे भी हैरान है। उसका दावा है कि उसने नए टाइम शेड्यूल की जानकारी यात्रियों को दे दी थी। पर अब यात्री की तो ट्रेनें छूट ही गई हैं। दरअसल, रेलवे ने हाल ही ट्रेनों के टाइम टेबल में बड़ा बदलाव किया था। इससे उत्तर पश्चिम रेलवे में संचालित होने वाली 200 से ज्यादा ट्रेनों का समय बदल गया है। ट्रेनों के समय में 5 से लेकर 65 मिनट तक बदलाव किया गया है। परेशानी की बात यह है कि सितम्बर के अंतिम सप्ताह में जारी किए रेलवे टिकटों में पूर्व का टाइम टेबल ही अंकित है।

हालांकि रेलवे सोशल साइट्स के माध्यम से ट्रेनों के टाइम टेबल के बदलाव की जानकारी उपलब्ध करवाने का दावा कर रहा है फिर भी कई लोगों की ट्रेन छूट रही है। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि जयपुर जंक्शन, गांधीनगर, दुर्गापुरा समेत अन्य स्टेशनों पर कुछ लोग जानकारी के अभाव में सफर से वंचित हो रहे हैं। हालांकि उनके मोबाइल पर मैसेज भी भेजे जा रहे हैं।

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दिवाली से पहले आकाशीय मंडल में खगोलीय घटनाएं होंगी। सूर्यग्रहण के साथ ही चंदग्रहण का साया इस बार विशेष रहेगा। 33 साल बाद आश्विन शुक्ल शरद पूर्णिमा को मध्यरात्रि में खंडग्रास चंद्रग्रहण रहेगा। यह ग्रहण भारत के संपूर्ण भूभाग के साथ ही अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, यूरोप और एशिया के समस्त भूभाग में दिखाई देगा। ज्योतिषविदों के अनुसार 28 अक्टूबर को मध्यरात्रि बाद रात 1 बजकर 5 मिनट से चंद्रग्रहण शुरू होकर 2.23 बजे तक यानि 1 घंटे 18 मिनट ग्रहण की अवधि रहेगी। ग्रहण के मध्यकाल में रात 1.44 बजे चंद्रमा की रोशनी 13 प्रतिशत कम यानि ग्रहण युक्त चंद्रमा नजर आएगा। जबकि सूतक शाम 4 बजकर 5 मिनट से ही शुरू हो जाएगा। सन 1986 में मध्यरात्रि में ग्रहण लगा था।

शहरवासी इस बार असमंजस में है कि खीर का भोग कैसे लगेगा। इधर, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शरद पूर्णिमा पर व्रत, दान पुण्य का महत्व बताया है जबकि आयुर्वेद के हिसाब से शरण पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा की चांदनी में अमृत का निवास रहता है। इसलिए उसकी किरणों में अमृत्व और आरोग्य की प्राप्ति सुलभ होती है। इसलिए खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखने की परंपरा है।



नहीं रखी जा सकेगी खीर

ज्योतिषाचार्य पं.दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि चंद्रग्रहण देर रात होने से इस साल शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की धवल रोशनी में खीर नहीं रखी जा सकेगी। वहीं मंदिरों में भी उत्सव दोपहर में ही होंगे। ठाकुर जी सुबह ही धवल पोशाक में दर्शन देंगे। शाम को सूतक काल के समय से कीर्तन आदि का दौर शुरू होगा। भगवान के पट मंगल रहेंगे। जरूरतानुसार इस रात चांदनी में खीर ग्रहण के मोक्ष के बाद 2.33 बजे पूजा अर्चना, स्नान आदि के बाद रखी जा सकती है।

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शरद पूर्णिमा पर खीर कब रखें

ज्योतिषाचार्य पं.दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि मान्यता है कि चंद्रमा से अमृत गिरने की अवधि ब्रह्म बेला में मानी गई है। अस्थमा रोगियों के लिए खीर का सेवन औषधि के समान माना है। सूतक प्रारंभ हो जाने के बाद बालक, वृद्ध व रोगियों को छोड़कर धार्मिकजन को भोजन आदि नहीं करना चाहिए। विशेष स्थिति में खीर बनाकर पूर्व दिन की रात्रि में रखकर 28 को सुबह वितरित किया जा सकता है।

यह रहेगा असर

ज्योतिषाचार्य पं.पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि सूतक शाम को शुरू होने से दिन में ही भगवान का अभिषेक, पूजन अनुष्ठान करें। चंद्रग्रहण अश्विनी नक्षत्र व मेष राशि में घटित हो रहा है। अतः अश्विनी नक्षत्र व मेश राशि में उत्पन्न लोगों को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है।

14 अक्टूबर को कंकण सूर्यग्रहण

14 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या के मौके पर कंकण सूर्यग्रहण होगा। लेकिन यह ग्रहण भारत में अदृश्य रहेगा।

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जयपुर। हैरिटेज नगर निगम में अफसर बदले तो परकोटे के बाजारों के साथ मुख्य मार्गों को 'कचराडिपो से फ्री सिटी' बनाने का प्लान भी धरातल पर नहीं उतरा। कचरा डिपो पर फूलवारी और हरियाली करना तो दूर, वहां खड़े रहने वाले हूपर और गार्ड भी हटा दिए गए है। नतीजा, शहर के मुख्या बाजारों में फिर से कचरा डिपो नजर आने लगे है। जगह—जगह कचरा डिपो से शहर की सफाई व्यवस्था की पोल भी सामने आ रही है, वहीं लोग इससे परेशान भी है।

हैरिटेज नगर निगम ने कुछ माह पहले ही परकोटे के बाजारों के साथ अन्य बाजारों से कचरा डिपो हटाने का प्लान तैयार किया। इसके लिए निगम प्रशासन ने 'कचराडिपो से फ्री सिटी' का खाका तैयार किया। इसे मूर्त रूप देने के लिए कचरा डिपो पर हूपर खड़े किए गए और वहां गार्ड तैनात किए गए, ताकि डिपो पर कचरा आने पर उसे सीधे हूपर में डाला जा सके और लोगों से समझाइश भी की गई कि अब कचरा घर—घर आने वाले हूपर में ही डाले। इसके बाद इन कचरा डिपो पर पौधों के गमले रखवाने का प्लान तैयार किया, लेकिन निगम प्रशासन में अफसर क्या बदलें, यह प्लान फेल होता नजर आ रहा है।

हूपर व गार्ड हटाए, हरियाली भी नहीं
निगम प्रशासन ने कचरा डिपो से हूपर हटा लिए है। वहीं वहां तैनात गार्ड भी हटा दिए है। इन कचरा डिपो पर निगम प्रशासन ने हरियाली करने के लिए पौधों के गमले भी नहीं रखवाए, जिससे प्लान पूरी तरह धरातल पर नहीं उतर पाया। अगर यह प्लान सफल रहता तो शहर को कुछ हद तक कचरा डिपो मुक्त किया जा सकता था, लेकिन हकीकत यह है कि शहर में फिर से सड़कों और बाजारों में कचरा डिपो नजर आने लगे है।

यह था निगम का प्लान
हैरिटेज निगम प्रशासन ने बाजार व गलियों से कचरा डिपो को पूरी तरह से हटाने का प्लान तैयार किया। प्लान के तहत सबसे पहले किशनपोल जोन और आदर्श नगर जोन क्षेत्र के बाजार और गलियों को कचरा डिपो मुक्त बनाने की तैयारी शुरू की। इसके लिए कचरा डिपो पर एक—एक हूपर खड़े कर वहां एक—एक कर्मचारी भी तैनात किया गया। कचरा डिपो पर कचरा डालने आने वालों से सीधे ही हूपर में कचरा डलवाया गया और लोगों से कचरा सड़क पर नहीं डालने के लिए समझाइश की गई। निगम प्रशासन ने किशनपोल जोन व आदर्श नगर जोन क्षेत्र में 16 से 20 अतिरिक्त हूपर भी दिए।

सफाई व्यवस्था को बेहतर करने का प्रयास
हैरिटेज नगर निगम के उपायुक्त स्वास्थ्य नूर मोहम्मद का कहना है कि सफाई व्यवस्था को बेहतर करने का प्रयास किया जा रहा है। कचरा डिपो कम कर दिए गए है, इसे और कम किया जा रहा है। कचरा डिपो पर अभी एक—दो जगह ही गार्ड लगे हुए है। हूपर भी एक—दो जगह ही खड़े हो रहे है।

पहले की तुलना में लोग अब सेहत को लेकर अधिक जागरूक हो रहे हैं। इसके चलते न केवल डॉक्टरी सलाह को गंभीरता से लेते हैं बल्कि कुछ लोग तो बिना डॉक्टरी सलाह के ही खुद की जांचें करवा लेते हैं। लेकिन कई बार न केवल गलत और गैर जरूरी जांचें करवा लेते हैं बल्कि कई बार जांच के लिए जब सैंपल देते हैं तो उन्हें पता नहीं होता है कि सैंपल देने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। आजकल सबसे ज्यादा लिपिड प्रोफाइल को लेकर समस्या आ रही है। जानते हैं इसके बारे में-

लिपिड प्रोफाइल टेस्ट?
लिपिड प्रोफाइल की जांच शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा चेक करने के लिए होती है। इसमें पता चलता है कि खून में कितना फैैट यानी वसा है। वसा में मुख्य रूप से कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स होता है। ये फैट कोशिकाओं की हैल्थ के लिए जरूरी है। खराब खून की धमनियों को ब्लॉक करता, उसमें सूजन का कारण बनता है। इससे हृदय की क्षमता घटती है। हार्ट से संबंधित बीमारियों की आशंका बढ़ती है। लिपिड प्रोफाइल से इसकी पहले पहचान होती है।

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इसमें क्या जांच होती है
इसमें टोटल कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल यानी बैड कोलेस्ट्रॉल, एचडीएल यानी गुड कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स, वीएलडीएल लेवल, नॉन-एचडीएल कोलेस्ट्रॉल, एचडीएल और टोटल कोलेस्ट्रॉल के बीच का अनुपात देखते हैं।

जांच करवाने से पहले...
टेस्ट से पहले 10-12 घंटे कुछ न खाएं यानी खाली पेट ही टेस्ट कराएं। इसे खाली पेट सुबह-सुबह कराएं। ऐसा करने से रिपोर्ट सही आती है। खाना खाने के बाद टेस्ट से ट्राइग्लिसराइड्स गड़बड़ आ सकता है। टेस्ट से पहले चाय-कॉफी आदि बिल्कुल ही न लें। एक दिन पहले रात में किसी प्रकार का नशा या हैवी डाइट न लें।

40 के बाद रुटीन टेस्ट?
इसी उम्र के बाद शरीर में नए सेल्स कम संख्या में बनते हैं जिससे कुछ बीमारियां जैसे शुगर, ब्लड प्रेशर और हार्ट डिजीज की आशंका बढ़ती है। वहीं महिलाओं में मेनोपॉज का समय होता है। इससे उनके शरीर में कई हार्मोनल बदलाव होते हैं। इसलिए डॉक्टर रुटीन टेस्ट की सलाह देते हैं।

रुटीन टेस्ट क्यों जरूरी
- गंभीर और जानलेवा बीमारियों का जल्दी पता लग जाता है।
- बीमारी के गंभीर होने का जोखिम बहुत कम हो जाता है।
- बीमारी का जल्द पता लगने पर इलाज और उपचार में मदद मिलती है।
- मौजूदा स्थितियों की बारीकी से निगरानी कर जटिलताओं के जोखिम को सीमित किया जा सकता है।
- महंगी चिकित्सा सेवाओं से बचकर स्वास्थ्य देखभाल की लागत को कम किया जा सकता है।

किस टेस्ट का क्या अर्थ होता है

लिपिड प्रोफाइल टेस्ट में मुख्य रूप से टोटल कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल, एचडीएल और ट्राइ ग्लिसराइड्स का महत्व होता है। अन्य जांचें इन्हें सपोर्ट करती हैं।

गुड कोलेस्ट्रॉल: यह शरीर के लिए फायदेमंद होता है। यह खून की धमनियों में जमेे पदार्थों की सफाई करता है। इसकी अधिक मात्रा सेहत के लिए अच्छी होती है।

बैड कोलेस्ट्रॉल: हृदय रोगों के पीछे इसी कोलेस्ट्रॉल की भूमिका होती है क्योंकि यह खून की धमनियों को गंदा करता है। ब्लॉकेज करता है। इसकी जितनी मात्रा कम है, सेहत के लिए अच्छा है।

वीएलडीएल: यह भी एक प्रकार बैड कोलेस्ट्रॉल है। ये प्लैक बनाता है और ट्राइग्लिसराइड्स को भी साथ रखता है। इससे भी हृदय रोगों का जोखिम बढ़ता है।

ट्राइग्लिसराइड्स: इसकी थोड़ी मात्रा जरूरी है लेकिन ज्यादा मात्रा धमनियों की दीवार को कठोर करती है। इससे धमनियों में कड़ापन होता है। इसकी अधिकता से हार्ट डिजीज की आशंका बढ़ती है।

नॉन-एचडीएल कोलेस्ट्रॉल: गुड कोलेस्ट्रॉल को छोडक़र जितने भी कोलेस्ट्रॉल होते हैं उसे नॉन एचडीएल कोलेस्ट्रॉल कहते हैं। टोटल कोलेस्ट्रॉल-एचडीएल= नॉन-एचडीएल कोलेस्ट्रॉल है।

टोटल कोलेस्ट्रॉल: इसमें कुल कोलेस्ट्रॉल की गणना होती है यानी एचडीएल+एलडीएल+20 प्रतिशत ट्राइ ग्लिसराइड्स।

हाई रिस्क ग्रुप
फैमिली हिस्ट्री, वजन ज्यादा है, अल्कोहल-सिगरेट की आदत, खराब जीवनशैली, बीपी, शुगर या किडनी रोगी हैं तो 30 की उम्र से जांच कराएं।

रिपोर्ट दिखाना क्यों जरूरी
डॉक्टर को रिपोर्ट दिखाने से न केवल सही जानकारी मिलती है बल्कि खुद को भी भरोसा होता है। आगे की रणनीति का भी पता चलता है।

लिपिड प्रोफाइल बढ़ा है तो उसके क्या मायने हैं
- जिसका लिपिड प्रोफाइल बढ़ा हुआ है तो उसको हार्ट अटैक की आशंका को कई गुना बढ़ा देता है। बैड कोलेस्ट्रॉल आर्टरीज में जमा होने से ब्लॉकेज की आशंका रहती है।
- ब्लड फ्लो में रुकावट से दिल, दिमाग, किडनी और शरीर के निचले हिस्सों पर भी असर पड़ता है।
- हाई कोलेस्ट्रॉल आंखों की नसों को भी प्रभावित करता है। पलकों पर फैट जमने लगती है।
- लिपिड, फैट जैसा पदार्थ है, जो शरीर के लिए ऊर्जा का स्रोत है। यह ब्लड व टिश्यूज में जमा होता है और हमारे शरीर की सही कार्य प्रणाली के लिए बेहद जरूरी भी होता है।

डॉ. सुनील महावर, फिजिशियन, सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज

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जयपुर। श्रीश्याम भजन संध्या परिवार सेवा समिति जयपुर के 31वें वार्षिक श्याम महोत्सव का आगाज कलश यात्रा के साथ हुआ। महोत्सव में आज खंडेलवाल कॉलेज शास्त्री नगर में शाम 7 बजे से श्याम बाबा का विशाल दरबार सजेगा, जिसमें देशभर से आए भजन गायक अपनी प्रस्तुति से श्याम प्रभु का गुणगान करेंगे। इस मौके पर अखंड ज्योत प्रज्वलित की जाएगी। इसके साथ छप्पन भोग लगाए जाएंगे। तैयारियां पूरी कर ली गई है।

संस्था के मंत्री शंकर झालानी ने बताया कि 7 अक्टूबर को शाम 7 बजे श्याम प्रभु के दरबार में भजनों की रस गंगा प्रवाहित होगी। इसमें मुंबई के लखबीर सिंह लक्खा सहित देश के जाने माने भजन गायक अपनी प्रस्तुति से श्याम प्रभु को रिझाएंगे। लखबीर सिंह लक्खा 8 रविवार को अपनी प्रस्तुति देंगे। भजन संध्या 9 अक्टूबर को सुबह 4 बजे तक चलेगी।

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ये भजन गायक देंगे प्रस्तुति
कार्यक्रम संयोजक मनोज मुरारका ने बताया कि भजन रस गंगा में भजन प्रवाहक लखबीर सिंह लक्खा (मुम्बई), संजय मित्तल, संजू शर्मा, शुभम रूपम, राजू मेहरा, विकास रुहिया, आशीष सुल्तानिया, विकास कपूर (कोलकाता), मनोज शर्मा ग्वालियर, संतोष व्यास रींगस, मुकेश बागड़ा जयपुर, आशु वर्मा पानीपत, जस्सी सैनी अलवर के साथ स्थानीय भजन गायक गोविंद निशा शर्मा, अमित नामा, लक्ष्मीकांत खंडेलवाल, अविनाश शर्मा, सुनील शर्मा, महेश परमार, लोकेश शर्मा, आयुष सोमानी, अभिषेक नामा, अजय शर्मा, मनोज शर्मा सनी चक्रधारी आदि अपनी भाव भरी प्रस्तुतियों से श्याम बाबा को रिझाएंगे।

कॉमेडियन भारती सिंह ने हाल ही अपने वजन घटाने का सीक्रेट शेयर किया है। मां बनने के बाद से उनका वजन काफी बढ़ गया था। पिछले 10 महीने में उन्होंने अपना वजन 15 किग्रा तक कम किया है। जानते हैं क्या है उनका सीक्रेट-

ऐसे कम किया अपना वजन
भारती सिंह ने इंटरमिटेंट फास्टिंग को अपनाया है। इसमें वह पहला मील दोपहर 12 बजे लेती थीं और शाम को डिनर सात बजे से पहले कर लेती थीं। इस बीच में वे डाइट में लगभग सभी चीजें जैसे कि दाल, चावल, घी, मक्खन, आलू के परांठे आदि खाती थीं। लेकिन मात्रा नियंत्रित रखती थीं। इस दौरान वे जिम कम ही जाती थीं। लेकिन ब्रिस्क वॉक रोज करती थीं।

क्या है इंटरमिटेंट फास्टिंग

अगर कोई इसे अपनाता है तो उसे रोज 16 घंटे का उपवास रखना होता है और केवल 8 घंटे में ही खाने की छूट होती है। इस दौरान आप चाहें तो 2, 3, 4 बार भी डाइट ले सकते हैं। इसमें खाने के घंटे कम हैं इसलिए पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, विटामिन्स और खनिजों के साथ संतुलित आहार लेने की जरूरत होती है। इसमें सामान्य डाइट के साथ नट्स, सीड्स आदि ज्यादा लेना होता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग में जंक फूड या ऑइली फूड नहीं खाना चाहिए। इनसे शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व नहीं मिलेंगे। नुकसान हो सकता है।

कौन लोग नहीं कर सकते हैं
जिन्हें डायबिटीज, हाइपरटेंशन, गैस्ट्रिक की समस्या है ऐसे लोगों को इंटरमिटेंट फास्टिंग नहीं करनी चाहिए। इससे उनकी परेशानी बढ़ सकती है। अगर कोई मेडिकल कंडीशन है, गर्भवती हैं या फिर उम्र अधिक है तो इसे न अपनाएं। डॉक्टरी सलाह के बाद ही शुरू करें।

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महिलाओं में कम उम्र यानी 30-40 वर्ष में ही हड्डियां कमजोर होने के मामले देखे जा रहे हैं। वहीं 45 वर्ष की उम्र के बाद मेनोपॉज शुरू होने से भी ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या होने लगती है। इससे कमर-जोड़ों, पीठ या फिर थोड़ी देर बैठने के बाद घुटनों में दर्द की समस्या आम है। जानते हैं इसके पीछे के कारण-

एस्ट्रोजन घटने से शुरू होने लगती है समस्या
महिलाओं में एक खास हार्मोन यानी एस्ट्रोजन होता है। यह हार्मोन कैल्शियम के अवशोषण में बड़ी भूमिका निभाता है। जब महिलाएं 20-30 की उम्र में होती हैं, तो ज्यादा मात्रा में बनता है लेकिन 30-40 की उम्र में आते-आते एस्ट्रोजन हार्मोन शरीर में कम बनने लगता है। डाइट में लिए गए कैल्शियम का शरीर ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाता और महिला की हड्डियां कमजोर होना शुरू हो जाती हैं। यही कमजोर हड्डियां अलग-अलग तरह की समस्याओं का कारण बनती हैं। दूसरा, कुछ खराब आदतें हैं जो इस तरह की समस्या को बनाती और बढ़ाती हैं।

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इनके चलते होती है समस्या

1. ज्यादा प्रोटीन खाने से एसिडिटी होती है। इससे भी कैल्शियम यूरिन में ज्यादा निकलता है।
2. कार्बोनेटेड ड्रिंक्स में फास्फेट ज्यादा होता है जो कैल्शियम को कम कर हड्डियों को कमजोर बनाते हैं।
3. ज्यादा मात्रा में एसिडिटी वाली दवाएं लेने से शरीर को कैल्शियम, मैग्नीशियम और जिंक जैसे खनिज पदार्थों को अवशोषित करने में मुश्किल होती है।

4. ज्यादा कैफीन वाली चीजें लेने से भी हड्डियां अंदर से कमजोर होती हैं।
5. ज्यादा तनाव से कोर्टिसॉल हार्मोन बढ़ता है। इससे ब्लड शुगर बढ़ता और टॉयलेट के रास्ते कैल्शियम भी शरीर से बाहर निकलता है।
6. ज्यादातर महिलाओं में विटामिन डी3 की कमी होती है क्योंकि वे धूप में कम जाती हैं।
7. महिलाएं कम दूध पीती हैं जबकि कैल्शियम का मुख्य स्रोत डेयरी प्रोडक्ट ही हैं।
8. ज्यादातर महिलाएं व्यायाम नहीं करती हैं। इससे हड्डियों में अकडऩ और दूसरी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।

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ऐसे करें बचाव
शरीर को रोज 700-1000 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है। डाइट में कैल्शियम से भरपूर फूड्स जैसे- दूध, दही, पनीर, चीज, हरी सब्जियां, राजगिरा के बीज, तिल के बीज, दाल, राजमा, छोले, बादाम आदि को जरूर शामिल करें।
सुबह करीब 9-10 बजे हर दिन थोड़ी देर धूप में बैठें ताकि शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन-डी मिल सके।
महिलाओं को रोज कम से कम 5000 कदम जरूर चलना चाहिए। अकडऩ-जकडऩ से आराम मिलेगा। हड्डियों में नए सेल्स बनेंगे।
वजन कंट्रोल रखें। ज्यादा वजन घुटनों पर जोर बढ़ाता है। घुटने जल्दी खराब होते हैं। इससे जोड़ों का कार्टिलेज ज्यादा तेजी से घिसता है।

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प्रदेश में सौर व पवन ऊर्जा के उत्पादन को बढावा देने के लिए राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने रिन्यूएबल एनर्जी की नई नीति जारी कर दी है। अगले छह साल में रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादन 30 हजार मेगावाट से बढ़ाकर 90 हजार मेगावाट कर दिया है। सोलर पार्क लगाने वाली बड़ी कंपनियों-निवेशकों के लिए राजस्थान रिन्यूएबल एनर्जी डवलपमेंट फंड व प्रोजेक्ट सिक्योरिटी राशि 5 लाख रुपए से घटाकर 1 लाख रुपए प्रति मेगावाट कर दी गई है। इसके अलावा अब आमजन अपनी खाली छत पर भी सोलर प्लांट लगा सकेंगे और यह बिजली डिस्कॉम को ग्रिड में भेजकर पैसा ले सकेंगे।

सोलर-विंड...

अभी तक सौर उर्जा को उसी परिसर में भी उपयोग करना जरूरी था। उर्जा विभाग ने शुक्रवार को नीति जारी कर दी। विषय विशेषज्ञों का दावा है कि राजस्थान को रिन्यूएबल एनर्जी हब बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। इससे 2029 तक 4 लाख करोड़ निवेश आने का दावा किया जा रहा है।

 

फ्लोटिंग सोलर लगाने का भी प्रावधान

प्रदेश में सौर व विंड एनर्जी तो बन रही है, लेकिन अभी तक स्टोरेज करने की व्यवस्था नहीं है। अब पम्प स्टोरेज व स्टेंड अलोन पम्प स्टोरेज प्रोजेक्ट लगाने की अनुमति आसानी से मिल सकेगी। इसके अलावा बांध, झील, तालाब में फ्लोटिंग सोलर लगाने के लिए भी नीति में प्रावधान कर दिया गया है। यानि, सस्ती बिजली उत्पादन के कई तरह के मैकेनिज्म डवलप किए गए हैं।

 

अभी तक सौर उर्जा को उसी परिसर में भी उपयोग करना जरूरी था। उर्जा विभाग ने शुक्रवार को नीति जारी कर दी। विषय विशेषज्ञों का दावा है कि राजस्थान को रिन्यूएबल एनर्जी हब बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। इससे 2029 तक 4 लाख करोड़ निवेश आने का दावा किया जा रहा है।

 

पत्रिका न्यूज नेटवर्क/जयपुर। Robotic Surgery: सवाईमानसिंह अस्पताल का यूरोलॉजी विभाग रोबोटिक सर्जरी का उत्कृष्ट केन्द्र बनता जा रहा है। विभाग में गत छह माह में 60 से अधिक रोबोटिक सर्जरी हो चुकी हैं। जिनमें यूरिन कैंसर से संबंधित सभी प्रकार की जटिल यूरोलॉजिकल सर्जरियां शामिल हैं। रोबोटिक सर्जरी की पहली वर्षगांठ पर राज्य में पहला रोबोटिक रीनल प्रत्यारोपण करने की विभाग की तैयारी चल रही है।

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गौरतलब है कि एसएमएस मेडिकल कॉलेज उत्तर भारत में 11 रोबोट हासिल करने वाला पहला और देश में दूसरा सरकारी मेडिकल कॉलेज बन चुका है। यहां अब तक सभी सर्जरी बिना किसी जटिलता के सफलतापूर्वक की गई हैं। इनमें से अधिकांश रोगियों को ऑपरेशन के बाद न के बराबर दर्द होता है और उन्हें 3-4 दिन में छुट्टी भी दे दी जाती है।

पश्चिमी देशों के बराबर सुविधाएं
यूरोलॉजी विभाग के डॉ. शिव प्रियदर्शी ने बताया कि देश में किसी निजी या सरकारी अस्पताल की ओर से पहली बार एक ही संस्थान की ओर से रोबोट खरीदे गए हैं। जिसमें चिरंजीवी योजना के तहत सबसे जटिल रोबोटिक यूरोलॉजिकल सर्जरी भी की जा रही है। निजी अस्पताल में इसका खर्च 3 से 10 लाख रुपए के बीच है। यह सुविधा पश्चिमी दुनिया के किसी भी अन्य अस्पताल के बराबर है। उन्होंने बताया कि विभाग के पास दुनिया में कहीं भी होने वाली किसी भी यूरोलॉजिकल सर्जरी करने के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं और उपकरण हैं।

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रोबोट की मदद से हो रहीं ये सर्जरियां
इंट्राकोर्पोरियल नियोब्लैडर, रेडिकल सिस्टेक्टॉमी, रेडिकल प्रोस्टेटक्टॉमी, एड्रेनालेक्टॉमी, रेडिकल नेफरेक्टोमी, पुनर्निर्माण यूरोलॉजिकल सर्जरी, पाइलोप्लास्टी, यूरेटेरिक रीइम्प्लांटेशन, वेसिकोवागिनल और यूटेरोवागिनल फिस्टुला रिपेयर और लिंगुअल ग्राफ्ट के साथ ऑग्मेंटेशन यूरेटेरोप्लास्टी शामिल है।

RSMSSB Recruitment 2023 : राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड (Rajasthan Staff Selection Board) की ओर से पशु परिचर के 5934 पदों पर सीधी भर्ती की जाएगी। इस भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन 13 अक्टूबर से प्रारंभ होंगे। आवेदन की अंतिम तिथि 11 नवंबर है। यह भर्ती पशुपालन विभाग के लिए निकाली गई है। कुल पदों में से गैर अनुसूचित क्षेत्र के लिए 5281, जबकि 653 पद अनुसूचित क्षेत्र के लिए हैं।

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आवेदन करने से पहले अभ्यर्थियों को एसएसओ आईडी बनानी होगी, अगर पहले से नहीं बनी हुई है तो। इसके लिए सामान्य, ओबीसी, अति पिछड़ा वर्ग के क्रीमी लेयर के अभ्यर्थियों को 600 रुपए भरने होंगे। राजस्थान के नॉन क्रीमी लेयर के अन्य पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग, ईडब्ल्यूएस, एससी और एसटी अभ्यर्थियों को 400 रुपए भरने होंगे। वहीं, समस्त श्रेणी के दिव्यांग अभ्यर्थियों को भी 400 रुपए भरने होंगे। राजस्थान से बाहर के राज्यों के आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को सामान्य श्रेणी में माना जाएगा और उन्हें सामान्य श्रेणी के समान पंजीयन शुल्क देना होगा। पूर्व में एक बार पंजीयन शुल्क जमा करवा चुके अभ्यर्थियों से दोबारा शुल्क नहीं लिया जाएगा।

पात्रता मापदंड
किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10वीं या समकक्ष उत्तीर्ण अभ्यर्थी इन पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं। पशु परिचर के पद पर भर्ती के लिए अभ्यर्थी मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ्य हो। 1 जनवरी, 2024 को अभ्यर्थियों की आयु 18 से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिए। आरक्षण का लाभ और आयु सीमा में छूट राजस्थान के मूल निवासियों की ही मिलेगी। अधिक जानकारी के लिए नोटिफिकेशन अवश्य पढ़ें। बोर्ड की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनसुार, जो अभ्यर्थी 31 दिसंबर, 2020 तक आयु सीमा में थे, 31 दिसंबर, 2024 तक आयु सीमा में माने जाएंगे।

पेंशन
नोटिफिकेशन के अनुसार, नए नियुक्त होने वाले कर्मचारियों के लिए नियमानुसार राज्य सरकार द्वारा देय पेंशन योजना लागू होगी।

ऐसे करना होगा आवेदन
अभ्यर्थी बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट rsmssb.rajasthan.gov.in पर लॉगिन कर 11 नवंबर तक आवेदन कर सकते हैं। अभ्यर्थी sso.rajasthan.gov.in पर भी जाकर आवेदन कर सकते हैं।


जयपुर @ पत्रिका. चुनाव की घोषणा से पहले संगठन को पूरी तरह से सक्रिय करने के लिए भाजपा ने राष्ट्रीय नेताओं के दौरे बढ़ा दिए हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रविवार से लेकर मंगलवार तक प्रदेश दौरे पर रहेंगे। सूत्रों के अनुसार संगठन महामंत्री बी एल संतोष रविवार को बीकानेर आएंगे। वे यहां भाजपा नेताओं के साथ-साथ विचार परिवार के लोगों से भी मुलाकात करेंगे। 9 एवं 10 अक्टूबर को जे पी नड्डा का राजस्थान का कार्यक्रम बना है। वे अजमेर, कोटा, उदयपुर और जोधपुर में संभाग स्तरीय बैठक लेंगे। बताया जा रहा है कि वे 9 को अजमेर और कोटा में बैठक करेंगे। दस को उदयपुर और जोधपुर में बैठक करेंगे।

लगातार हो रही बैठकें
जे पी नडृडा और बी एल संतोष पिछले दिनों ही जयपुर आए थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के भी राजस्थान दौरे हो रहे हैं। दो अक्टूबर को पीएम सांवलियाजी और पांच अक्टूबर को पीएम जोधपुर में सभा कर चुके हैं। इससे पहले 25 सितम्बर को पीएम जयपुर में भी सभा कर चुके हैं। यह सभा परिवर्तन यात्रा के समापन के अवसर पर हुई थी।

नहीं चाहते कोई भी विवाद
भाजपा के बडे नेताओं के दौरे इस बात का संकेत कर रहे हैं कि वे यह नहीं चाहते कि चुनावों से पहले किसी भी तरह का कोई विवाद पनपे। पाटी चाहती है कि इन दौरों के माध्यम से सभी गुटों को एक जगह पर बैठा कर उनके बीच की कडवाहट को दूर की जाए। चाहे िफर यह कडवाहट प्रदेश स्तर के नेताओं के बीच हो या िफर जिला या विधानसभा स्तर पर। पार्टी सारी कडवाहट को टिकट वितरण से पहले दूर कर यह संदेश देना चाहती है कि पार्टी पूरी तरह से एकजुट है।

जयपुर. यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल राजधानी के परकोटा क्षेत्र में मनमानी के निर्माण खूब हो रहे हैं। इससे न सिर्फ हैरिटेज की दुर्दशा हो रही है बल्कि विरासत को सहेजे शहर की सूरत भी बिगड़ रही है। जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारियों की मिलीभगत से ही यह सब काम हो रहा है। वरना एक समय वो भी था, जब परकोटे के मूलस्वरूप से कोई छेड़छाड़ करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था।

150 से अधिक हो रहे नए निर्माण

परकोटा में 150 से अधिक नए निर्माण हो रहे है। जबकि, हैरिटेज निगम ने जीर्णोद्धार कराने के लिए बायलॉज बना रखे हैं, लेकिन इन नियमों की किसी को परवाह नहीं है। तभी तो एक के बाद एक हवेलियों को ध्वस्त कर नए निर्माण किए जा रहे हैं। जौहरी बाजार की प्रमुख गलियों से लेकर चांदपोल बाजार, चौड़ा रास्ता, रामगंज बाजार, घाटगेट बाजार और हवामहल बाजार में एक जैसा हाल दिखाई दिया।


मैं परकोटा: गलियों में आ गया बाजार

मैं ऐसा शहर हूं, जिसको जमीन पर उतारने से पहले कागज पर बनाया गया और उसी के अनुरूप मुझे बसाया गया। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों से व्यावसायिक गतिविधि बढ़ी हैं। व्यावसायिक गतिविधियां बाजारों से बढक़र गलियों में पहुंच रही हैं। ऐसे में जब ऐतिहासिक इमारतों को तोड़ा जाता है तो मुझे दर्द होता है। निजी फायदे के लिए धरोहर को नुकसान पहुंचाना फायदे की बात नहीं है। तीन सौ वर्ष पहले इनको बनाना आसान नहीं था। वैसे तो इन इमारतों की महत्ता बहुत है, लेकिन विश्व विरासत सूची में शामिल होने से और बढ़ गई है। हमारे वैभव को लौटाने के लिए सभी को एकजुट होना होगा, नहीं तो इतिहास समेटे शहर इतिहास बन जाएगा।


ये जिम्मेदार

स्थानीय विधायक के अलावा, क्षेत्रीय पार्षद हैरिटेज निगम आयुक्त, सतर्कता शाखा उपायुक्त, हवामहल-आमेर, किशनपोल और आदर्श नगर जोन उपायुक्त भी जिम्मेदार हैं।

दिनभर एयर कंडीशनर कमरे, धूप की कमी या इसकी अनुपलब्धता वाले घर या दफ्तर में रहने सहित पौष्टिक खान-पान की कमी से बच्चों और युवाओं में विटामिन डी और विटामिन बी 12 की कमी के मामले बढ़ते जा रहे हैं। अस्पतालों के आउटडोर और विशेषज्ञों के पास आने वाले मरीजों में से 25 फीसदी में इनकी कमी पाई जा रही है। चिंता की बात यह है कि विटामिन की कमी के कारण शरीर में कमजोरी या दर्द रहने पर करीब 50 प्रतिशत लोग उसे हृदय रोग के शुरुआती लक्षण मान रहे हैं।

राष्ट्रीय औसत के अनुसार कुल आबादी में 8 से 10 प्रतिशत में इस समय विटामिन की कमी बताई जा रही है। इसके अनुसार शहर में ही करीब 3 से 5 लाख लोग विटामिन की कमी के शिकार होने का अनुमान है। विशेषज्ञों के अनुसार विटामिन की कमी नर्वस सिस्टम, हड्डियों, आंख और इम्यून सिस्टम को प्रभावित करती है।

विटामिन की कमी से असर
वैशाली नगर निवासी रमन (30) को कमजोरी महसूस होती थी। साथ-साथ दर्द भी होने लगा। हृदय रोग की आशंका पर जांच करवाई तो रिपोर्ट सामान्य आई। फिर फिजिशियन की सलाह पर विटामिन की जांचें करवाईं तो विटामिन डी की मात्रा 10 मिली जो न्यूनतम आवश्यकता 20 की आधी ही थी।

भांकरोटा निवासी देव कुमार (33) को थकान, आंखों में दर्द और आलस की समस्या रहने लगी। उन्होंने इसे हृदय रोग समझा। डॉक्टर से परामर्श लेकर जांचें करवाई तो उनमें विटामिन बी 12 और विटामिन डी की कमी मिली। इलाज शुरू होने के बाद अब वह फिट हैं।

विटामिन बी 12: आंखों में समस्या, याददाश्त कमजोर होने, सांस में तकलीफ, हाथ-पैरों में झनझनाहट, थकान की समस्या होती है। विशेषज्ञों के अनुसार इसकी कमी अधिकांशत: शाकाहारी लोगों में होती है। इन्हें दूध, दही और इससे बने उत्पादों का अधिक उपयोग करना चाहिए।

विटामिन डी: बार-बार बीमार पड़ना, हड्डियों और जोड़ों में दर्द, थकान और सुस्ती, मूड खराब रहना इसके मुख्य लक्षण हैं। सुबह के समय गुनगुनी धूप का सेवन और फल, दूध, दही का सेवन किया जाना चाहिए।

विटामिन बी 12 और विटामिन डी की कमी से हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द होता है। लोग इसे हृदय रोग समझते हैं। ओपीडी में रोजाना इस तरह के कई मामले आ रहे हैं। जांच में पता चलता है कि विटामिन की कमी के कारण उन्हें यह परेशानी हो रही है। डॉ.जी.एल.शर्मा, हृदय रोग विशेषज्ञ

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मानसून में बारिश में भीगने के बाद से वायरल बुखार, सर्दी-खांसी-जुकाम आम बात है। इस मौसम में मच्छर और पानी से होने वाली बीमारियों की आशंका भी बढ़ जाती है। होम्योपैथी ऐसी पद्धति है जिसमें न केवल बीमारी होने पर इलाज किया जाता है बल्कि बीमारियों से बचाव के लिए भी कुछ प्रिवेंटिव मेडिसिन भी दिए जाते हैं। जानते हैं मानसूनी बीमारियों से बचाव के लिए क्या-क्या हो सकता है।

एंफ्लूएंजा से जुड़ी बीमारियों में ज्यादा असरकारी

- बारिश में भीगने से हल्का बुखार, बदन दर्द या सिरदर्द हो सकता है। इसमें डल्कामारा 30 दवा लेने से आराम मिल जाता है। वयस्क इसे दो-दो बूंद दिन में 4 बार और बच्चों को एक-एक बूंद दे सकते हैं।

- मच्छरजनित बीमारियां मलेरिया, चिकनगुनिया, डेंगू होती हैं। मच्छरों से बचाव के अलावा कुछ दवाइयां हैं जैसे कि यूप्टोरियम परफ्लोटिम, ब्रायनिया अल्बा आदि जो इनको लेकर बचाव कर सकते हैं।

- पानी के दूषित होने से डायरिया-कोलेरा आदि की आशंका रहती है। इनमें उल्टी दस्त की समस्या होती है। इनमें हाइजीन का ध्यान रखना होता है। जहां शंका है कि बाहर का खाना-पानी शुद्ध नहीं है तो खाने से बचें। इसमें आर्सेनिक अल्बम 30, पोडोफाइल्म 30, वरेट्रम अल्बम 30, कैम्फोरा 30 आदि उपयोगी हैं।

- मानसून में दूषित भोजन-पानी से टाइफाइड भी आम बीमारी है। इसमें संक्रमण होता है। लंबे समय तक बुखार, पेट में गंभीर दर्द, कब्ज और दस्त के साथ साथ सिरदर्द भी हो सकता है। इसमें भी हाइजीन का ध्यान रखना होता है। साथ ही वट्रम अल्ब, बिस्मुथ, कारबो वेज आदि देते हैं। वायरल बुखार (इन्फ्लूएंजा) से बचाव के लिए आर्सेनिक अल्बम 30 की कुछ खुराक ले सकते हैं।

नोट- कोई भी दवा बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं लें। इससे दवा की गुणवत्ता न केवल बढ़ जाती है बल्कि उसके दुष्प्रभाव से भी बचाव हो सकता है। - डॉ. कमलेंद्र त्यागी, वरिष्ठ होम्योपैथी विशेषज्ञ, जयपुर

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जयपुर. यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल राजधानी के परकोटा क्षेत्र में मनमानी के निर्माण खूब हो रहे हैं। इससे न सिर्फ हैरिटेज की दुर्दशा हो रही है बल्कि विरासत को सहेजे शहर की सूरत भी बिगड़ रही है। जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारियों की मिलीभगत से ही यह सब काम हो रहा है। वरना एक समय वो भी था, जब परकोटे के मूलस्वरूप से कोई छेड़छाड़ करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था।

कोई भी नहीं रहा पीछे

-विधायक और पार्षद अवैध निर्माण रुकवाने के लिए एक बार भी आगे नहीं आए। राजनीतिक लाभ लेने के लिए जरूर एक-दो बार धरना दिया।

-सतर्कता शाखा से लेकर जोन के अधिकारी भी अवैध निर्माणों को रोकने में नाकाम रहे। कभी राजनीतिक दबाव के कारण पुराने निर्माण तोड़ नए बनाए गए तो कभी अधिकारियों ने अपने स्तर पर ही बनवा दिए।

150 से अधिक हो रहे नए निर्माण

परकोटा में 150 से अधिक नए निर्माण हो रहे है। जबकि, हैरिटेज निगम ने जीर्णोद्धार कराने के लिए बायलॉज बना रखे हैं, लेकिन इन नियमों की किसी को परवाह नहीं है। तभी तो एक के बाद एक हवेलियों को ध्वस्त कर नए निर्माण किए जा रहे हैं। जौहरी बाजार की प्रमुख गलियों से लेकर चांदपोल बाजार, चौड़ा रास्ता, रामगंज बाजार, घाटगेट बाजार और हवामहल बाजार में एक जैसा हाल दिखाई दिया।

ये हो रहा

-निगरानी के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। सतर्कता शाखा के जवान तो गलियों में घूमते हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं होती।

-यूनेस्को को दिखाने के लिए राज्य सरकार ने हैरिटेज सेल का गठन कर दिया। लेकिन, अब तक इसका गठन और उपयोगिता तय नहीं है।

मैं परकोटा: गलियों में आ गया बाजार

मैं ऐसा शहर हूं, जिसको जमीन पर उतारने से पहले कागज पर बनाया गया और उसी के अनुरूप मुझे बसाया गया। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों से व्यावसायिक गतिविधि बढ़ी हैं। व्यावसायिक गतिविधियां बाजारों से बढ़कर गलियों में पहुंच रही हैं। ऐसे में जब ऐतिहासिक इमारतों को तोड़ा जाता है तो मुझे दर्द होता है। निजी फायदे के लिए धरोहर को नुकसान पहुंचाना फायदे की बात नहीं है। तीस सौ वर्ष पहले इनको बनाना आसान नहीं था। वैसे तो इन इमारतों की महत्ता बहुत है, लेकिन यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल होने से और बढ़ गई है। हमारे (परकोटा) वैभव को लौटाने क लिए सभी को एकजुट होना होगा, नहीं तो इतिहास समेटे शहर इतिहास बन जाएगा।

ये जिम्मेदार

-स्थानीय विधायक के अलावा क्षेत्रीय पार्षद

-हैरिटेज निगम आयुक्त, सतर्कता शाखा उपायुक्त, हवामहल-आमेर, किशनपोल और आदर्श नगर जोन उपायुक्त भी जिम्मेदार हैं।

न्यूयॉर्क। चरम मौसम की घटनाएं अपने साथ कई तरह की चुनौतियां लेकर आती हैं, इनमें विस्थापन भी एक है। संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट के अनुसार बाढ़, सूखा, तूफान और जंगल की आग संबंधी मौसमी आपदाओं के कारण 2016-2021 तक दुनिया के 44 देशों में 4.3 करोड़ बच्चे आंतरिक रूप से विस्थापित हुए यानी रोजाना लगभग 20 हजार मासूमों को यह पीड़ा झेलनी पड़ी। इनमें 95 फीसदी विस्थापन बाढ़ और तूफान से हुए। जबकि सूखे के कारण 13 लाख और लगभग आठ लाख बच्चे जंगल की आग से अपने ही देश के भीतर विस्थापित हुए, खासतौर से कनाडा, इजरायल और अमरीका में।

बाढ़ से विस्थापन का हॉट स्पॉट दक्षिणी और पूर्व एशिया में:

बाढ़ के कारण विस्थापन का हॉट स्पॉट दक्षिणी और पूर्वी एशिया में स्थित है। फिलीपींस, भारत और चीन ऐसे देश हैं, जहां उनकी विशाल आबादी और भौगोलिक स्थिति के कारण सबसे अधिक संख्या में विस्थापन (2.3 करोड़) हुए हैं। दक्षिण सूडान और सोमालिया में बच्चों की कुल आबादी के आकार की तुलना में बाढ़ के कारण सबसे ज्यादा तादाद में विस्थापन हुए। यह दक्षिण सूडान में लगभग 12 प्रतिशत और सोमालिया में 11 प्रतिशत के बराबर है। उच्च आंकड़े होने के अलावा दक्षिण सूडान और सोमालिया में दर्ज किए गए विस्थापनों में चीन, भारत और फिलीपींस जैसे अन्य देशों की तुलना में आपदा से पूर्व किसी सुरक्षित स्थान पर जाने की संभावना कम ही है।

शिक्षा और जरूरी टीकों से वंचित होना पड़ रहा:

विस्थापन किसी भी उम्र के लिए भयावह और दर्दनाक होता है। लेकिन इसके परिणाम उन बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक होते हैं, जो पलायन के कारण अपनी शिक्षा, जीवन रक्षक टीकों और सामाजिक नेटवर्क से वंचित हो जाते हैं। विस्थापन की यह पीड़ा बच्चों के लिए माता-पिता से अलगाव और तस्करी के शिकार होने के खतरे से भी जुड़ी है। यह आंकड़ा विस्थापन की संख्या दर्शाता है न कि प्रभावित बच्चों की संख्या को। ऐसा इसलिए क्योंकि एक ही बच्चे को एक से अधिक बार विस्थापित किया जा सकता है।

तीन दशकों में खतरा और बढ़ने की आशंका: रिपोर्ट के अनुसार नदी की बाढ़ भविष्य में सबसे बड़ा खतरा बनेगी और अगले 30 सालों में लगभग 9.6 करोड़ बच्चों को विस्थापित कर सकती है। वर्तमान जलवायु डेटा के आधार पर इसी अवधि में चक्रवाती तूफान से 1.03 करोड़ बच्चे विस्थापन के लिए मजबूर हो सकते हैं। हालांकि यदि जीवाश्म ईंधन को तत्काल चरणबद्ध तरीके से समाप्त नहीं किया गया तो हालात और भी गंभीर होने की आशंका है।

एक्सपर्ट व्यू:
आंकड़े चिंताजनक हैं। ये विस्थापित बच्चों के दीर्घकालिक स्वास्थ्य और शिक्षा आदि पर पड़ने वाले प्रभावों को कम करने के लिए देशों को जलवायु परिवर्तन और विस्थापन के बीच संबंध को पहचानने, तत्काल योजना बनाने की आवश्यकता को दर्शाते हैं।
- एडलिन नेउ, शोधकर्ता, एमनेस्टी इंटरनेशनल

यहां सर्वाधिक विस्थापित हुए बच्चे
फिलीपींस- 97 लाखों में
भारत- 67 लाखों में
चीन- 64 लाखों में
बांग्लादेश- 33 लाखों में
सोमालिया- 17 लाखों में

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जयपुर. राज्य के विकास और चर्चा के लिए विधानसभा सत्र होता है। उसी तरह शहर के विकास की चर्चा के लिए नगर निगम की साधारण सभा होती है। साधारण सभा में जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होती है और महत्वपूर्ण फैसले लिए जाते हैं। धीरे-धीरे उन फैसलों पर अमल किया जाता है, लेकिन नगर निगम में साधारण सभा का बुरा हाल है। यहां बैठकों की संख्या लगातार कम हो रही है। राजधानी के दोनों नगर निगम की बात करें तो इस कार्यकाल के ढाई वर्ष में ग्रेटर नगर निगम की पांच और हैरिटेज निगम की एक ही बैठक हुई है। मौजूदा हाल यह है कि हैरिटेज नगर निगम की सरकार बिना महापौर के ही चल रही है।

बजट बैठक भी नहीं

आपसी खींचतान और सियासी विवाद के बीच बजट के लिए भी दोनों शहरी सरकारों ने बैठक नहीं बुलाई। विरोध की आशंका को देखते हुए दोनों महापौर ने बजट पारित कराने के लिए भी बैठक नहीं बुलाई और सीधे राज्य सरकार को बजट भेज दिया।

हैरिटेज निगम: महापौर पर भारी विधायकों की सियासत

निर्दलीयों के समर्थन से महापौर की कुर्सी कांग्रेस के खाते में आई, लेकिन विधायकों का दखल इतना है कि ढाई वर्ष बीत जाने के बाद भी समितियों का गठन नहीं हो पाया। ऐसे में निर्दलीय विरोध में उतर आए। महापौर से कांग्रेस के पार्षद भी नाराज हो गए। इससे हुआ यह कि महापौर ने साधारण सभा से दूरी बना ली। एक साधारण सभा करवाने के बाद दूसरी के लिए ढाई साल में भी हिम्मत नहीं जुटा पाईं। अब तो स्थिति यह है कि 22 सितम्बर को मुनेश गुर्जर के निलम्बन के बाद महापौर की कुर्सी खाली है।

ग्रेटर निगम: अस्थिरता का माहौल

भाजपा की महापौर के लिए राज्य सरकार ने दिक्कतें पेश की। महापौर का निलम्बन तक हुआ। यहां साधारण सभा राजनीतिक अस्थिरता की भेंट चढ़ गई। भाजपा के पार्षदों में भी कई गुट बन गए। ऐसे में विरोधी गुट के ज्यादा हावी होने की वजह से महापौर बैठक बुलाने से बचती रहीं। हालांकि, महापौर सौम्या गुर्जर अब तक पांच साधारण सभा करवा चुकी हैं।

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फैसलों पर भी अमल नहीं(फरवरी, 2021 में )

-हैरिटेज नगर निगम के 100 वार्डों में सीसीटीवी कैमरे लगाने पर अमल नहीं।

-ठोस कचरा निस्तारण को लेकर प्लांट लगाने पर भी हैरिटेज सरकार आगे नहीं बढ़ पाई।

-कचरे से बिजली बनाने का काम भी गति नहीं पकड़ पाया है।

(जनवरी, 2021)

-ग्रेटर सीमा क्षेत्र के महाविद्यालयों, कोचिंग और एजुकेशन हब के नजदीक जमीन चिह्नित कर ई-लाइब्रेरी का निर्माण कराया जाएगा।

-कच्ची बस्ती में रहने वाले लोगों का जीवन स्तर उठाने के लिए कार्ययोजना तैयार कर विकास कार्य कराए जाएंगे।

-वाहनों के लिए ई-चार्जिंग स्टेशन लगवाए जाएंगे।

.....(जून, 2023)

-ग्रेटर निगम में ग्रीन बॉन्ड लाने की बात कही, लेकिन अब तक इस पर कोई काम शुरू नहीं हुआ है।

टॉपिक एक्सपर्ट

नगर पालिका अधिनियम-2009 के प्रावधानों के अनुसार निगम को वर्ष में छह और 60 दिन में एक बैठक करना अनिवार्य है। तय समय में बैठक नहीं करने पर राज्य सरकार कार्रवाई कर सकती है। सारी शक्तियां बोर्ड के पास होती है और निर्णय बोर्ड बैठक में होते हैं। यदि बैठक नहीं होगी तो निर्णय नहीं हो पाएंगे। साधारण सभा में जनहित के मुद्दों पर चर्चा होती है और उनकी क्रियान्विति का रोडमैप बनता है।

-अशोक सिंह, सेवानिवृत्त, विधि निदेशक, स्वायत्त शासन विभाग

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साधारण सभा की बैठकों का हाल

बोर्ड- -बैठकों की संख्यापहला -47

दूसरा -41

तीसरा -20

चौथा -23

पांचवां -13

दो निगम बनने के बाद ये हाल

नगर निगम हैरिटेज-01

नगर निगम ग्रेटर-05

वाशिंगटन। अमरीका में हुए अध्ययन के अनुसार पिछले एक दशक में यहां बच्चों की मौतों के मामले काफी बढ़े हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमरीका में बंदूक और नशीली दवाओं के जहर से होने वाली मौतों में क्रमश: 87 फीसदी और 133 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यहां कार दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मृत्यु के मामले 2011-2021 के बीच लगभग आधे रह गए हैं, जबकि बंदूक से चोट बच्चों में आकस्मिक मौत का शीर्ष कारण बन गई है।

कार दुर्घटनाओं को कम करने की दिशा में प्रगति:

जर्नल पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक 2021 में 18 वर्ष से कम उम्र के लगभग 2,590 बच्चों और किशोरों की बंदूक की गोली लगने से मृत्यु हो गई, जो 2011 में 1,311 मामलों से अधिक है। जबकि अन्य विकसित देशों में बंदूकें बच्चों की मौत के शीर्ष तीन कारणों में भी शामिल नहीं हैं। यह भी पाया कि बच्चों और किशोरों में नशीली दवाओं का जहर दोगुने से अधिक हो गया और दम घुटने की दर 12.5 प्रतिशत बढ़ गई। विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को कार दुर्घटनाओं और मौतों से बचाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण प्रगति की गई है, जिसमें अनिवार्य सीटबेल्ट, बूस्टर सीटें और एयरबैग शामिल हैं।

सुरक्षा संबंधी उपायों के लिए उद्योग तैयार ही नहीं:

इस गन कल्चर के कारण स्थिति लगातार खराब हो रही है। बंदूक से होने वाली मौतों को रोकने के लिए ट्रिगर लॉक जैसी सुरक्षा सुविधाओं को शामिल किया जा सकता है, जिनमें फिंगरप्रिंट पहचान की आवश्यकता होती है। लेकिन बंदूकों के व्यापार से जुड़े उद्योग, सुरक्षा संबंधी उपायों के लिए तैयार नहीं हैं। यहां ज्यादातर परिवार सुरक्षा के लिए बंदूक रखते हैं। लेकिन कई शोध इस बात की पुष्टि करते हैं कि बंदूक रखने से घर में इससे होने वाली मौतों का खतरा हत्या और आत्महत्या दोनों ही मामलों के संबंध में बढ़ जाता है।

गरीबी का उच्च स्तर अधिक मृत्यु दर से संबंधित:

अमरीका में बंदूक की गोली से मारे जाने वालों में लड़कों की तादाद ज्यादा है। चिंताजनक है कि इस प्रवृत्ति में भविष्य में भी किसी तरह की कमी का कोई संकेत नहीं है। बंदूक से संबंधित मौतों की घटनाएं अमरीका के लगभग हर हिस्से में हो रही हैं। दो साल पहले हुई लगभग दो-तिहाई मौतें हत्याएं थीं, हालांकि अनजाने में हुई गोलीबारी में भी कई बच्चों की जान चली गई। पूरे अमरीका में गरीबी का उच्च स्तर बंदूक से होने वाली अधिक मृत्यु दर से संबंधित है।

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जयपुर
11 साल का रविन्द्र और आठ साल की उसकी छोटी बहन मोनिका....। कल दोपहर दो बजे के बाद घर लौटे थे स्कूल से। माता पिता खेत पर गए थे...। बच्चों ने स्कूल का बैग रखा और खेलने लगे। खेलते खेलते लोहे के बक्से में बैठ गए और पता चला कि बक्सा बंद हो गया। बंद होकर वह लॉक हो गया। शाम छह बजे माता पिता घर लौटे तो और बच्चों को संभाला तो वे नहीं मिले। बाद में जब बक्सा खोला तो दोनो के अकड़े हुए शरीर उसमें से बरामद हुए। तुरंत अस्पताल ले गए लेकिन तब तक मौत हो चुकी थी। हैरान करने वाली यह घटना राजस्थान के बाड़मेर जिले में गडरारोड थाना क्षेत्र के पलेवा गांव की है।


पुलिस ने बताया कि चौखाराम मेघवाल के तीन बच्चे हैं। दो बेटे और एक बेटी। एक बेटा कल स्कूल नहीं गया था तो वह माता पिता के साथ खेत में काम करने चला गया था। वह भी शाम को ही घर लौटा था। चौखाराम ने पुलिस को बताया कि कुछ दिन पहले बकरियां बेची थी और उसके बाद नया बक्सा लाया गया था।

बक्सा तीन दिन पहले ही खरीदा गया था। इसमें अनाज एवं अन्य सामान रखे जाने थे। क्या पता था कि यह बक्सा मेरे ही बच्चों को निगल जाएगा......। पुलिस ने शवों को मुर्दाघर में रखवाया है। इस घटना के बाद पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। चौखाराम के घर में कोहराम मचा हुआ है। बच्चों की मौत को हादसा मानते हुए ही इस मामले की जांच की जा रही है।

जयपुर। कानोता। ग्राम पंचायत घाटा की पहाड़ी में खनन के दौरान मलबा गिरने से शुक्रवार सुबह दो मजदूरों की मौत हो गई। हादसे में ट्रैक्टर-ट्रॉली बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई और शव क्षत-विक्षत अवस्था में मिले।

कानोता पुलिस के अनुसार शुक्रवार सुबह खनन के दौरान मजदूर ट्रैक्टर-ट्रॉली में पत्थर भर रहे थे। अचानक करीब 200 फीट ऊपर से मलबा गिरने से मानोता निवासी राकेश मीना (35) व घाटी निवासी रामकरण मीना (38) की दबने से मौत हो गई।

सूचना पर कानोता, बस्सी थाना पुलिस और सिविल डिफेंस की टीम मौके पर पहुंची। दो एलएनटी व चार जेसीबी से पत्थर व मलबा हटाने में करीब तीन घंटे लगे।

हादसे के बाद ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई और उन्होंने मृतकों के परिजन को 50-50 लाख रुपए मुआवजा व सरकारी नौकरी दिलाने की मांग की। वहीं खान चलाने वाले खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की।

ग्रामीनों की मांग

ग्रामीनों ने मृतकों के परिजन को 50-50 लाख रुपए मुआवजा व सरकारी नौकरी दिलाने की मांग की। साथ ही खनन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है।

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जयपुर।

विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के प्रदेश दौरे लगातार जारी हैं। उपराष्ट्रपति आज तीन ज़िलों में जाकर विभिन्न कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे हैं। इस दौरान वे देव दर्शन करने के साथ ही लोगों से संवाद भी कर रहे हैं। सभी कार्यक्रमों में उनकी पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ भी साथ हैं। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले दिनों उपराष्ट्रपति के लगातार हो रहे दौरों को लेकर सवाल उठाया था।

 

जोधपुर समेत आज तीन ज़िलों का दौरा
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का आज श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ के अलावा सीएम गहलोत के ही गृह ज़िले जोधपुर दौरा है। इन तीनों ज़िलों में वे कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे हैं। अपने इस दौरे में धनखड़ का सूरतगढ़ में सेंट्रल स्टेट फार्म और जोधपुर में केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान केंद्र के दौरे का कार्यक्रम है। वे हनुमानगढ़ में गोगामेड़ी मंदिर और भोपालगढ़ में कुंभारा धूणी में दर्शन-पूजन भी करेंगे।

गहलोत के गृह ज़िले में कार्यक्रम
प्रदेश दौरों पर गरमाए विवाद के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ आज सीएम अशोक गहलोत के गृह ज़िले जोधपुर भी जा रहे हैं। वे वहां केंद्रीय अनुसंधान केंद्र में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। जोधपुर के बाद भोपालगढ़ जाकर कुंभारा धूणी के दर्शन करेंगे।

 

गरमा रहा धनकड़ वर्सेज़ गहलोत
प्रदेश दौरों को लेकर उपराष्ट्रपति धनकड़ और सीएम गहलोत आमने-सामने बने हुए हैं। सीएम गहलोत ने जहां पिछले दिनों एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति के चुनावी माहौल के बीच लग रहे दौरों को लेकर आपत्ति जताई थी, वहीं उपराष्ट्रपति ने भी सार्वजनिक कार्यक्रम में ही पलटवार भी किया है।

 

सीएम गहलोत ने उपराष्ट्रपति के संवैधानिक पद का ज़िक्र करते हुए इस तरह के ताबड़तोड़ दौरों पर कहा था कि ऐसा करना उपराष्ट्रपति को शोभा नहीं देता, जबकि उपराष्ट्रपति ने सीकर के लक्ष्मणगढ़ में शुक्रवार को हुए एक कार्यक्रम में कहा कि सवाल उठाने वालों ने नात तो संविधान पढ़ा है और ना ही उन्होंने इस पद की गरिमा ही रखी है।

Famous Painter Convicted Double Murder : राजस्थान का एक विश्व प्रसिद्ध चित्रकार शोहरत पाने मुंबई पहुंचा। पर वह डबल मर्डर का दोषी पाया गया। ब्रिटेन के चार्ल्स वॉलेस फाउंडेशन पुरस्कार से सम्मानित चित्रकार ने इतना बड़ा अपराध क्यों किया और उसने किन दो का मर्डर किया। जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे। राजस्थान के प्रसिद्ध शहर बांसवाड़ा जिले के परतापुर गांव से निकल कर वह कला नगरी मुंबई में बतौर कलाकार पहचान बनाने में सफल रहा। पिता विद्यासागर उपाध्याय की तर्ज पर बेहतरीन चित्रकारी करता। उसने अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की। पर जानें क्या हुआ अचानक राजस्थान का यह विश्व प्रसिद्ध चित्रकार डबल मर्डर का दोषी पाया गया। इस चित्रकार का नाम है चिंतन उपाध्याय।

चिंतन उपाध्याय अपनी पत्नी और उसके वकील की हत्या के दोषी पाए गए। चिंतन को पत्नी हेमा उपाध्याय और हेमा के वकील हरीश भंभानी की हत्या के मामले में कोर्ट ने दोषी पाया। चिंतन उपाध्याय को 2012 में ब्रिटेन का प्रतिष्ठित चार्ल्स वॉलेस फाउंडेशन का सम्मान भी मिल चुका है।



पिता के नक्शे कदम पर चला, बना चित्रकार

चिंतन के पिता विद्यासागर उपाध्याय भी अंतरराष्ट्रीय स्तर के चित्रकार हैं। चिंतन ने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए एक चित्रकार के रूप में अपना कॅरियर शुरू किया लेकिन समय बीतने के साथ उसने एक मूर्तिकार के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। पढ़ाई के सिलसिले में परतापुर से निकलकर उसने गुजरात के बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ फाइन आर्ट्स में दाखिला लिया। उसके बाद कॅरियर संवारने मुंबई बस गया। जयपुर में रह रहे अपने माता-पिता के पास वह पारिवारिक आयोजनों में ही आता है।

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फेस्टिवल में विद्यासागर उपाध्याय की पेंटिंग प्रदर्शित

शुक्रवार से शुरू हुई पिंकसिटी इंटरनेशल आर्ट, थियेटर और कल्चर फेस्टिवल में विद्यासागर उपाध्याय की भी पेंटिंग प्रदर्शित की गई है। हालांकि वह इस समय मुंबई में है और इस फेस्टिवल में शामिल नहीं हो पाएगा।

डबल मर्डर की कहानी क्या है जानें -

हेमा और हरीश भंभानी की 11 दिसंबर 2015 को हत्या कर दी गई थी। उनके शव डिब्बों में मुंबई के कांदिवली में एक गड्ढे में मिले थे। मुंबई की सत्र अदालत ने पत्नी हेमा और उनके वकील हरीश की हत्या के मामले में चिंतन को दोषी ठहराया। सितंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट से उसे जमानत मिल गई थी।

चिंतन की एकल प्रदर्शनी का शीर्षक था 'टेंटुआ दबा दो (किल हर)'

दिसंबर 2015 में हत्या के आरोप में गिरफ्तार होने के बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। चिंतन 2021 से जमानत पर बाहर था। मुंबई में जेल में रहने के दौरान जयपुर के कुछ कलाकारों ने उसका सपोर्ट किया था। जयपुर के कला जगत में चिंतन को आर्टिस्ट के तौर पर जाना जाता है। वर्ष 2007 में उसने जवाहर कला केंद्र में एकल प्रदर्शनी लगाई थी, जिसका शीर्षक 'टेंटुआ दबा दो (किल हर)' था।

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जयपुर।

चुनावी सरगर्मी के बीच जहां सियासी दलों के नेताओं की आमजन के बीच सक्रियता बढ़ गई है, तो वहीं उनके 'देव दर्शन' और संत-महंतों से आशीर्वाद लेने का सिलसिला भी परवान पर है। ऐसी ही एक तस्वीर अलवर में देखने को मिली जहां कांग्रेस पार्टी के दो सीनियर नेता जाने-माने कथा वाचक व बागेश्वर धाम के महाराज पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के धोक लगाने पहुंचे। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री, एआईसीसी महासचिव और एमपी स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष भंवर जितेंद्र सिंह और गहलोत सरकार के मंत्री व अलवर विधायक टीकाराम जूली शामिल रहे।

 

कांग्रेस के इन दोनों वरिष्ठ नेताओं ने सहारा में जारी एक धार्मिक आयोजन में शिरकत करते हुए आचार्य का आशीर्वाद लिया। आचार्य शास्त्री इन दिनों अलवर में हनुमंत कथा और दिव्य दरबार का आयोजन कर रहे हैं।

 

कांग्रेस और भाजपा दोनों बराबर हैं : धीरेंद्र शास्त्री
कांग्रेस नेताओं से मुलाक़ात के बाद आचार्य पंडित धीरेन्द्र शास्त्री ने अपनी सभा में कहा कि उनका किसी भी राजनीतिक दल से संबंध नहीं है। उनके लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों बराबर हैं। उन्होंने कहा कि दोनों पार्टी ही नहीं सभी पार्टी के लोग उनके शिष्य हैं। कभी भी एक पार्टी को महत्व नहीं दिया है।

 

नेताजी के निवास भी पहुंचे आचार्य
पंडित धीरेन्द्र शास्त्री पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह के निवास फूल बाग़ भी पहुंचे, जहां उनका स्वागत-सत्कार हुआ। यहां उन्होंने दिव्य दरबार लगाया और भक्तों से सनातम के प्रति आस्था रखने और इसके संरक्षण के लिए आगे आने का आग्रह किया।

सिकल सेल एनीमिया खून की कमी से जुड़ी एक बीमारी है। इस आनुवांशिक डिसऑर्डर में ब्लड सेल्स या तो टूट जाते या उनका आकार (सिकल यानी दरांती जैसे) बदलता है जिससे ब्लड सेल्स में ब्लॉकेज और रेड ब्लड सेल्स तेजी से मरते भी हैं। इसमें रेड ब्लड सेल्स की आयु 10-20 दिन होती है जबकि सामान्य रूप से 120 दिन होता है। इससे शरीर में खून की कमी और अन्य अंगों को भी नुकसान होता है।

56% महिलाएं ग्रस्त

यह बीमारी 15- 50 साल की उम्र की करीब 56त्न महिलाओं में हैं। पिछले 6 दशकों से यह बीमारी भारत में ज्यादा तेजी से फैल रही है। विश्व के करीब आधे मरीज भारत में हैं।

चर्चा में: सिकल सेल एनीमिया: प्रधानमंत्री ने 2047 तक खत्म करने का लक्ष्य रखा: यह टैग लेख के एक महत्वपूर्ण तथ्य को उजागर करता है, जो यह है कि भारत सरकार ने सिकल सेल एनीमिया को 2047 तक खत्म करने का लक्ष्य रखा है।

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आनुवांशिक बीमारी

सिकल सेल एनीमिया एक आनुवांशिक बीमारी है। यह बीमारी अधिकतर जनजातियों में देखने को मिलती है। देश में 706 जनजातियां हैं जो कुल आबादी का 8.6 फीसदी हैं।

यहां ज्यादा मरीज

राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पं. बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के कुछ राज्य।

संभावित लक्षण
इसके लक्षण बच्चों में 6 माह की उम्र से देखे जा सकते हैं। इससे थकान-कमजोरी होती है। छाती, पेट और जोड़ों में खून की समस्या होने से तेज दर्द हो सकता है। यह कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक रह सकता है। हाथ-पैरों में सूजन और बार-बार संक्रमण होना भी इसके प्रमुख लक्षण हो सकते हैं।

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एकमात्र कारण
अगर माता-पिता को यह बीमारी है तो बच्चे को भी होगी। यह मुख्य रूप से आनुवांशिक बीमारी है। इनमें एक जीन होता है जो एनीमिया के खिलाफ आंशिक सुरक्षा प्रदान करता है। यह जीन ही बीमारी का कारण बनता है। बार-बार संक्रमण से प्लीहा की क्षमता पर असर पड़ता है।

कब दिखाएं

तेज बुखार, चिड़चिड़ापन, शरीर का रंग पीला, तेज सांसें, पेट बढऩे, हाथ और पैरों में सूजन, कमजोरी, बेसुध होने, आंखों में दिक्कत और दौरे आते हैं।

जांचें
इसे प्रेग्नेंसी या फिर बच्चे के जन्म के समय डायग्नोस किया जाता है। जांच के लिए सीबीसी यानी संपूर्ण ब्लड काउंट टेस्ट, हीमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफोरेसिस टेस्ट (असामान्य हीमोग्लोबिन की जांच), यूरिन की जांच ताकि किसी तरह के छिपे हुए इंफेक्शन का पता चल सके। अल्ट्रासाउंड-एक्सरे भी कराते हैं।

इलाज
हर मरीज के लक्षणों के आधार पर इलाज होता है। इसमें खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। बोनमैरो ट्रांसप्लांट एकमात्र इलाज है। यह न केवल कठिन, महंगा इलाज है बल्कि इसके साइड इफेक्ट भी होते हैं। इसमें डोनर, मरीज का भाई या बहन हो ताकि बोनमैरो मैच हो जाए।

इन बातों का रखें ध्यान

- शिशु को लगने वाले सभी टीकों के न्यूमोकॉकल, फ्लू और मेनिंगोकॉकल का टीका भी लगवाएं।
- फोलिक एसिड सप्लीमेंट भी नियमित रूप से देना चाहिए ताकि नई लाल रक्त कोशिकाएं बनती रहें।
- खूब पानी पीते रहें ताकि दर्द से बचा जा सके। दर्द निवारक दवाइयां डॉक्टरी सलाह के बाद ही लें।
- शादी से पहले लडक़ा-लडक़ी के ब्लड की जांच हो ताकि सिकल सेल बच्चों में न फैले।

डॉ. अक्षत जैन, डायरेक्टर सिकल सेल सेंटर,लोमा लिंडा चिल्ड्रन हॉस्पिटल, अमरीका

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'एंडोमेट्रियोसिस' महिलाओं में नि:संतानता का बड़ा कारण बन रहा है। इससे गर्भाशय में टिश्यू की असामान्य बढ़ोतरी होने लगती है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (एनसीबीआई) की रिपोर्ट के अनुसार 30 से 50 प्रतिशत महिलाएं इस समस्या से ग्रसित है। यह बच्चेदानी में होने वाली एक समस्या है, जिसके कारण महिलाओं को गर्भधारण करने में दिक्कत होती है। एक हेल्थ रिपोर्ट के अनुसार भारत में एंडोमेट्रियोसिस स्वास्थ्य संबंधी एक नया मुद्दा है, जो कम वर्षों में महिलाओं में बेहद आम हो गया है।

 

इस कारण समस्या

इस स्थिति में महिला के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टोरोन के साथ संतुलन नहीं होता और एस्ट्रोजन बढ़ जाता है। एंडोमेट्रियम टिश्यू जब गर्भाशय के बाहर शरीर के अन्य भागों में विकसित होने लगते हैं, तब महिलाओं को काफी दर्द होता है। यह समस्या आनुवंशिक, मासिक धर्म जल्दी आने, एस्ट्रोजन हार्मोन की अत्यधिक मात्रा और इम्यून संबंधी परेशानियों के कारण होती है।

 

ऐसे मामले आ रहे सामने

समीक्षा (परिवर्तित नाम) ने बताया कि उन्हें काफी दिनों से पेल्विक दर्द था। अनियमित माहवारी, अत्यधिक थकान के साथ लो-बीपी की समस्या रहने लगी। डॉक्टर ने बताया कि उन्हें एंडोमेट्रियोसिस है।

 

बढ़ रही चॉकलेट सिस्ट की समस्या

जिन महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस की समस्या होती है, उन्हें मासिक धर्म के दौरान पेल्विक दर्द का भी सामना करना पड़ता है। इसके टिश्यू ब्लेडर तक फैल जाएं तो महिलाओं को शौच में भी दिक्कत होती है। शहर में रोजाना ऐसे 3 से 5 नए मामले आ रहे हैं। यह टिश्यू ओवरी में विकसित होने लगते हैं तो महिलाओं के शरीर में चॉकलेट सिस्ट बन जाता है। सिस्ट को ऑपरेशन से निकाला जाता है।

 

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जयपुर। सिक्किम में बादल फटने से तीस्ता नदी में आई बाढ़ की वजह से मरने वालों की संख्या बढ़कर सुबह 19 हो गई। सिक्किम में आए इस सैलाब में सेना के 22 जवानों समेत 103 लोग लापता बताए जा रहे है। वहीं सिक्किम की बाढ् में राजस्थान के दो जवान शहीद हो गए हैं। शहीद जवान सीकर और करौली के रहने वाले थे।

साथी को बचाते-बचाते गई जान

सिक्किम त्रासदी में शहीद होने वाले जवान सीकर के पलसाना इलाके के माजीपुरा निवासी हवलदार सज्जन सिंह खीचड़ है। खीचड़ 18 महार रेजीमेंट में थे। जानकारी के अनुसार हवलदार सज्जन सिंह खीचड़ अपनी यूनिट के साथ बाढ़ प्रभावित क्षेत्र बारडांग में तैनात थे। गत 04 अक्टूबर को सीवी ग्रांउड पर अचानक आई बाढ़ में वे अपने सैनिकों को निकालने में जुटे थे। इसी दौरान वे पानी के बहाव में लापता हो गए थे। उनकी पार्थिव देह आज रात तक उनके पैतृक गांव पहुंचने की संभावना है।

तीन साल की मासूम बेटी
राजस्थान के ही दूसरे शहीद रलावता, करौली के रहने वाले शिवकेश गुर्जर है। ये आर्मी की मेडिकल कोर में कार्यरत थे। शिवकेश भी सीवी ग्राउंड पर आई बाढ़ में लापता हो गए थे। शिवकेश के तीन साल की मासूम बेटी है। उनकी पत्नी का नाम कृष्णा है।

आपदा से 22 हजार लोग प्रभावित
सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने बताया कि अब तक 2,011 लोगों को बचाया गया है। जबकि आपदा से 22,034 लोग प्रभावित हुए हैं। सेना की 27वीं माउंटेन डिवीजन के अधिकारियों ने जानकारी दी है कि उत्तरी सिक्किम के लाचेन, लाचुंग और आसपास के क्षेत्रों में फंसे पर्यटक पूरी तरह सुरक्षित हैं। प्राकृतिक आपदा में 3,000 से ज्यादा पर्यटक सिक्किम के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए हैं।

जयपुर।

जाने-माने कॉमेंट्रेटर और मीडिया एक्सपर्ट मुकुल गोस्वामी ने चीन के हांगझोऊ में खेले जा रहे एशियन गेम्स के निर्णायक मैचों में कमेंट्री की। उन्होंने बैडमिंटन के फाइनल मुकाबलों का आंखों-देखा हाल रेडियो पर देश-दुनिया के श्रोताओं तक पहुंचाया। गोस्वामी जयपुर निवासी हैं और कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में लाइव कमेंट्री कर चुके हैं। हाल ही में उन्होंने भारत और मोरक्को के बीच लखनऊ में खेले गए डेविस कप टेनिस चैम्पियनशिप का भी आंखों देखा हाल रेडियो पर सुनाया था।

 

आकाशवाणी जयपुर के कार्यक्रम अधिकारी राकेश जैन ने बताया कि एशियन गेम्स में बैडमिंटन के फाइनल मुकाबले शनिवार को खेले गए। इसमें जयपुर के कमेंट्रेटर मुकुल गोस्वामी ने सभी निर्णायक मुकाबलों में कमेंट्री की। उनके साथ कमेंट्री पैनल में देश के विभिन्न राज्यों से आए सीनियर कमेंट्रेटर्स भी शामिल रहे।

 

कमेंट्रेटर मुकुल गोस्वामी ने 'पत्रिका' से बातचीत में बताया कि उन्होंने बैडमिंटन फाइनल्स के पुरुष और महिला एकल स्पर्धाओं के अलावा डबल्स और मिक्स्ड डबल्स स्पर्धाओं में भी कमेंट्री की। इन मैचों में भारत के अलावा चीन, कोरिया और जापान की टीमें शामिल रहीं।

 

सबसे रोमांचक भारत का मैच
गोस्वामी ने बताया कि वैसे तो सभी खिताबी मुकाबले ज़बरदस्त टक्कर के रहे, लेकिन इनमें भी सबसे ज़्यादा रोमांचक मुकाबला भारत और कोरिया के बीच रहा। मेंस डबल्स के इस निर्णायक मैच में भारतीय जोड़ी सात्विक साइराज और चिराग चंद्रशेखर शेट्टी ने प्रतिद्वंदी कोरिया के चोई और किम की जोड़ी को मात दी। लगभग एक घंटे तक चले इस मैच को भारतीय टीम ने दो सीधे सेटों में 18-21, 16-21 से जीतकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

 

गौरव का क्षण रहा एशियन गेम्स में कमेंट्री
कमेंट्रेटर मुकुल गोस्वामी ने बताया कि एशियन गेम्स में वे पहले भी कमेंट्री कर चुके हैं। इस तरह की अंतर्राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धाओं में कमेंट्री करना हमेशा से ही रोमांचक और गौरव का क्षण रहता है। इन खेल आयोजनों में सम्पूर्ण एशिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी अपने देश को जिताने में अपना दमखम लगाते हैं।

 

दर्शकों के साथ खुद भी झूम उठे
गोस्वामी ने बताया कि भारतीय टीम की हर सेट में जीत जहां दर्शकों को ख़ुशी दे रही थी, वहीं कॉमेंट्री बॉक्स में बैठी कॉमेंट्री टीम भी रोमांचित हो रही थी। कई बार ऐसे मौके आए जब कॉमेंट्री करते-करते कॉमेंट्रेटर्स खुद भी ख़ुशी से झूम उठे।

 

करनी होती है विशेष तैयारी
मुकुल गोस्वामी बताते हैं कि चाहे खेल क्रिकेट का हो, फुटबॉल का हो, टेनिस का हो या बैडमिंटन का, हर बड़ी चेम्पियनशिप में कॉमेंट्री पर जाने से पहले विशेष तैयारी करनी ज़रूरी होती है। मुकाबले में शामिल हो रही टीमों से लेकर हर एक खिलाड़ी का व्यक्तिगत ट्रेक रिकॉर्ड रखना, पूर्व के दिलचस्प किस्से, संबंधित खेल की छोटी-बड़ी बारीकियां, नए फॉर्मेट के नियम-कायदे, यहां तक कि टीमों के कोच और फील्ड अंपायर्स या रेफरी तक की जानकारियां रखनी ज़रूरी होती हैं।

 

राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर की कमेंट्री
गौरतलब है कि मुकुल गोस्वामी वर्ष 1993 से अब तक लगातार राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खेलों का आंखो देखा हाल सुना रहे हैं। वे अब तक विश्व कप क्रिकेट, कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियाई खेलों सहित पूर्व में कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में आंखों देखा हाल सुना चुके हैं।

चौमूं (जयपुर)। सामान्य परिवार में पली बढी दूल्हासिंह की ढाणी चौमूं की बेटी अंजली गौरा का राजस्थान महिला अंडर 19 की महिला क्रिकेट टीम में चयन हुआ है। अंजली का कहना है कि उसका देश के लिए खेलने का सपना है। क्रिकेटर गौरा अंडर 19 चैलेंचर ट्रॉफी में खेल चुकी हैं, जिसमें उसका शानदार प्रदर्शन रहा था, जिसके दम पर वह अंडर 19 टीम में जगह बनाने में सफल हुई हैं।

ऑलराउंडर गौरा ने बताया कि स्कूली खेलकूद प्रतियोगिता से खेलना शुरू किया था। उसके पिता एनआर गोरा का भी प्रशिक्षण में सहयोग मिला। उसके पिता जिम ट्रेनर और क्रिकेटर भी हैं, जो चौमूं में खिलाडिय़ों को क्रिकेट के गुर सिखा रहे हैं। मां मंजू देवी गृहिणी हैं। खुद अंजलि तीन बहन-भाइयों में सबसे बड़ी हैं।

गौरा की कामयाबी पर विधायक रामलाल शर्मा, पूर्व पार्षद शैलेन्द्र चौधरी, कालूराम जाट, भाजपा नेता शंकर गोरा, पूर्व छात्रसंघ महासचिव धर्मा नागा, सीमा पालावत, गजेन्द्र सेरावत, अशोक गोरा आदि ने खुशी जताई है।

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हरियाणा में होगी प्रतियोगिता
क्रिकेटर गौरा ने बताया कि 8 अक्टूबर से हरियाणा में राजस्थान अंडर-19 की प्रतियोगिता होंगी। इसमें बेहतर प्रदर्शन को लेकर उत्साहित हैं। उनके अलावा राजस्थान अंडर-19 की टीम में कप्तान सिद्धी शर्मा, उप कप्तान अनाया गर्ग, अंजली गौरा, चहक भातरा, रुतबा चौधरी, वंशिका यादव, पार्वती, गंगा चौधरी, विजतिता चौहान, श्रेया जोशी, रितू लोदा, अल्पना रावत, सीजे भाटी, माही सेठी, तनिका शर्मा, अनुष्का चौधरी आदि शामिल हैं।

कद्दू इम्युनिटी को बढ़ाने वाली अच्छी सब्जी होती है। इसमें कैलोरी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, फाइबर, सोडियम व फोलेट जैसे पोषक तत्व भरपूर होते हैं। इसमें विटामिन-सी, विटामिन ई भी ज्यादा मात्रा में मिलते हैं जो त्वचा और बालों को हैल्दी रखते हैं। इसमें एंटी-डायबिटिक, एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-कार्सिनोजेनिक और एंटी-इंफ्लेमेटरीगुण भी पाए जाते हैं जो पाचन को ठीक रखने के साथ इम्युनिटी को भी बढ़ाते हैं। रोज एक कटोरी कद्दू का सूप इस मौसम में लेना ठीक रहेगा।

जरूरी सामग्री: 1 लाल प्याज, 100 ग्राम कद्दू पीला, एक बड़ा चम्मच ताजा अदरक-लहसुन का पेस्ट, एक चम्मच घी या तेल, काली मिर्च पाउडर, और नमक स्वादानुसार।
-मेधावी गौतम, सीनियर डायटीशियन, जयपुर

ऐसे तैयार करें

पैन में तेल डालकर गर्म करें। फिर लहसुन और अदरक के पेस्ट या कतरन को बारीक कटे हुए प्याज के साथ ब्राउन होने तक भूनें। अब उसमेंं कद्दू को नरम होने तक पकाएं। फिर उसमें एक कप पानी, नमक, काली मिर्च पाउडर डालकर उबालें। ठंडा होने पर ग्राइंड कर सूप बना लें।

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Symptoms of vitamin B12 : विटामिन बी 12 शरीर के लिए जरूरी माइक्रोन्यूट्रिएंट है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉमेशन की रिपोर्ट की मानें 47त्न भारतीयों में इसकी कमी है। करीब आधी आबादी इससे ग्रसित है।

कई बार आपने देखा होगा कि कुछ लोगों में बिना किसी कारण चिड़चिड़ापन, खिन्नता आ जाती है। डॉक्टरों के मुताबिक शरीर में पोषक तत्वों की कमी के चलते भी चिड़चिड़ाहट आने लगती है। खासतौर से विटामिन बी12 की वजह से। क्योंकि विटामिन बी 12 नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। यह मेंटल हैल्थ के लिए भी जरूरी पोषक तत्व है। इसकी कमी से अगर नर्वस सिस्टम प्रभावित होता है तो डिप्रेशन आदि जैसे लक्षण तो दिखेंगे ही हाथ और पैरों में सुन्नता, चलने में कठिनाई, मेमोरी लॉस और अन्य संज्ञानात्मक समस्याएं हो सकती हैं। जानिए विटामिन बी 12 की कमी और यह शरीर के लिए क्यों जरूरी है।

संभावित लक्षण
यदि विटामिन बी-12 का स्तर कम है, तो कमजोरी, थकान, संतुलन खोना, चलते चलते लडख़ड़ा जाना या गिर जाना, हाथों और पैरों की झुनझुनी, सुन्नता, मुंह के छाले, चिड़चिड़ाहट जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

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क्यों होती इसकी कमी
विटामिन बी 12 की कमी तब होती है जब शरीर में इन्ट्रिसिक फैक्टर की कमी होती है। क्योंकि इस फैक्टर की कमी से शरीर तक पहुंचने वाल विटामिन बी 12 अवशोषित नहीं हो पाता। यह फैक्टर एक तरह का विटामिन बी 12 का कैरियर मॉलिक्यूल है। जिन बच्चों में जन्मजात फैक्टर नहीं होता, वे परनीशियस एनिमिया से ग्रसित होते हैं जो कि बेहद गंभीर रोग है।

कब कराएं जांच
जब शरीर में ब्लड की कमी हो और हाथ-पैरों की अंगुलियों में सूनापन लगने लगे तो इस पोषक तत्व की जांच करानी चाहिए। क्योंकि यदि हाथ-पैरों की अंगुलियों में सूनापन को नजरअंदाज करेंगे तो यह धीरे-धीरे आगे बढऩे लगेगा। ज्यादा चिड़चिड़ापन है तो भी टेस्ट करवाएं।

किनमें होती है कमी

जिनमें इन्ट्रिसिक फैक्टर नहीं हो
एल्कोहल-तम्बाकू का सेवन करते हों
जो सलेक्टिव डाइट लेते हों

कितना चाहिए

दिनभर में विटामिन बी 12 की मात्रा एक माइक्रोग्राम चाहिए होती है। इसकी कमी होने पर लक्षण सामने आने में 5-6 माह का समय लगता है।

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डाइटरी सप्लीमेंट से पूर्ति

कई मल्टीविटामिन में विटामिन बी12 होता है। ऐसे सप्लीमेंट भी हैं जिनमें केवल विटामिन बी 12 होता है। उसके अलावा मछली, बादाम का दूध, दही, चीज, अंडे आदि चीजें आहार में ले सकते हैं।

कई मल्टीविटामिन में विटामिन बी12 होता है। ऐसे सप्लीमेंट भी हैं जिनमें केवल विटामिन बी 12 होता है। उसके अलावा मछली, बादाम का दूध, दही, चीज, अंडे आदि चीजें आहार में ले सकते हैं।

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जयपुर। राजस्थान में चुनावी आचार संहिता लगने से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक के एक कई घोषणाएं कर रहे हैं। सीएम गहलोत ने तीन नए जिले बनाने की घोषणा के बाद शनिवार को 8 विभिन्न बोर्ड के गठन को स्वीकृति दी है।

इन नवगठित बोर्ड में राजस्थान राज्य राजा बली कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य वाल्मिकी कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य मेघवाल कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य पुजारी कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य केवट कल्याण (मां पूरी बाई कीर) बोर्ड, राजस्थान राज्य जाटव कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य धाणका कल्याण बोर्ड एवं राजस्थान राज्य चित्रगुप्त कायस्थ कल्याण बोर्ड शामिल हैं।

सभी बोर्ड संबंधित वर्गों की स्थिति का जायजा लेने, प्रमाणिक सर्वे रिपोर्ट के आधार पर वर्गों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने तथा इनके पिछड़ेपन को दूर करने के सुझाव राज्य सरकार को देंगे।

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इन बोर्ड द्वारा संबंधित वर्ग के कल्याण हेतु विभिन्न योजनाएं प्रस्तावित करने, उनके लिए वर्तमान में संचालित विभिन्न योजनाओं के संबंध में विभिन्न विभागों से समन्वय करने, परम्परागत व्यवसाय को वर्तमान तौर-तरीकों से आगे बढ़ाने, रोजगार को बढ़ावा देने तथा शैक्षिक एवं आर्थिक उन्नयन के संबंध में सुझाव दिए जाएंगे। साथ ही, सामाजिक बुराइयों एवं कुरीतियों के विरूद्ध ठोस उपाय करने सहित अन्य सुझाव भी राज्य सरकार को प्रस्तुत किए जाएंगे।

इन सभी बोर्ड में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं तीन सदस्य सहित 5-5 गैर-सरकारी सदस्य होंगे तथा राज्य के विभिन्न विभागों के शासन सचिव, आयुक्त, निदेशक, संयुक्त निदेशक एवं उप निदेशक स्तर के अधिकारी सरकारी सदस्य होंगे। इसके अतिरिक्त राजस्थान राज्य अनुसूचित जाति एवं जनजाति वित्त एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड या राजस्थान राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक स्तर के अधिकारी अथवा उनका प्रतिनिधि विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे।

अक्षिता देवड़ा/Rajasthan Politics: छात्र-राजनीति से निकले कई छात्र नेता मौजूदा वक्त में सत्ता पक्ष और विपक्ष में अपना नाम चमका रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, राजस्थान सरकार के केबिनेट मंत्री महेश जोशी, प्रताप सिंह खाचरियावास, हनुमान बेनीवाल और कालीचरण सराफ जैसे कई नाम इस फेहरिस्त में शामिल हैं।

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 भी अब बेहद नजदीक है। कभी भी चुनाव कार्यक्रम का एलान हो सकता है। इस बार भी कई छात्र नेता इस चुनाव में अपनी ताल ठोंक रहे हैं। सभी पार्टियां जनता को रिझाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही हैं। यही कारण है कि युवाओं और छात्र-छात्राओं के समर्थन के लिए पार्टिंयां इस बार भी छात्र नेताओं को टिकट दे सकती है। कुछ छात्र नेताओं ने इस बार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अपना दावा भी पेश किया है।

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लोहावट से दावा कर रहे अभिषेक चौधरी
राजस्थान NSUI के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक चौधरी भी युवाओं के बीच एक जाना-पहचाना नाम बनकर उभर रहा है। वह जोधपुर से अलग हुए जिले फलोदी के लोहावट क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। छात्रों के बीच रहकर करीब से उनकी समस्याओं को पहचानते हुए उन्होंने अभी सबसे ज्यादा बढ़ रही समस्या युवाओं को नशे की गिरफ्त से मुक्त करने का मुद्दा है, जिसे वह सदन में उठाने की चाहत रखते हैं। अभिषेक चौधरी ने टिकट नहीं भी मिलने पर निर्दलीय लड़ने की बात पर साफ इंकार कर दिया। उन्होंने कहा, पार्टी जिस भी व्यक्ति को टिकट देगी उसके सपोर्ट में खड़े होकर पार्टी का साथ देंगे।

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रविंद्र सिंह भाटी भी उतरेंगे चुनावी मैदान में
पश्चिमी राजस्थान के सबसे बड़े विश्वविद्यालय जय नारायण व्यास जोधपुर के कॉलेज से 55 साल बाद बतौर निर्दलीय अध्यक्ष पद का चुनाव जीतने के बाद सुर्खियों में आए रविंद्र सिंह भाटी भी राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में उतरने की तैयारियों में जुटे हैं। कोरोना की वजह से वे लगातार 3 साल तक जेएनवीयू के अध्यक्ष रहे। चुनाव लड़ने की तैयारी को लेकर रविंद्र सिंह भाटी ने कहा कि 'जनता मेरे लिए सर्वोपरि है, जिस पार्टी से जनता चाहेगी, उस पार्टी पर मैं विचार करूंगा'।

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अमित बड़बड़वाल बोले, उम्मीद है कि पार्टी देगी टिकट
राजस्थान विश्विद्यालय के 2019 में ABVP प्रत्याशी और 2016 में लॉ कॉलेज के चुनाव जितने वाले अमित बड़बड़वाल भी शाहपुरा विधानसभा क्षेत्र से अपनी ताल ठोकने को तैयार है। पत्रिका से बातचीत में अमित बड़बड़वाल ने बताया कि सभी तैयारियां पूरी है और उम्मीद है कि पार्टी टिकट देगी बाकी जनता का फैसला सर्वोपरि है। वहीं चुनाव में छात्रहितों के लिए एजुकेशन के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करेंगे और विदेशों की एजुकेशन की तुलना में देश में एजुकेशन के बीच के गैप को कम करने की कोशिश करेंगे, जिससे युवाओं को उन्ही के देश में पढ़ने की भी अच्छी सुविधा मिले और रोजगार के अवसर भी खुले।

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निर्दलीय लड़ने का कोई प्लान नहीं — अरविन्द जाजड़ा
2019 में लॉ कॉलेज में 3 चुनावों से वोट हारने के बाद 2022 में ABVP से जुड़कर महासचिव पद पर विजय होने के बाद अब अरविन्द जाजड़ा राजस्थान के नागौर जिले से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। टिकट की लाइन में लगे अरविन्द का कहना है कि उन्हें टिकट मिलने की संभावना है और टिकट नहीं भी मिलने पर इस पर विचार करेंगे और पूरी रणनीति के साथ मैदान में आएंगे। फिलहाल निर्दलीय लड़ने का कोई प्लान नहीं है। वहीं छात्राओं के सभी मुद्दों को उठाया जाएगा, जिसमें बेरोजगारी का मुद्दा मुख्य होगा।

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गणपत पटेल चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे
2018 में NSUI के प्रदेशसचिव गणपत पटेल भी पाली क्षेत्र से चुनाव लड़ने की तैयारी में है और पूरी NSUI टीम उनके साथ खड़ी है और नाम भी आगे दिया है फिर भी अगर टिकट नहीं मिलता है तो वह पार्टी के उम्मीदवार के साथ खड़े होकर पार्टी के उम्मीदवार को जिताएंगे। वहीं पाली में बढ़ रही प्रदूषण की समस्या को उठाकर उसका निवारण करेंगे।
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RU ने सूबे की राजनीति को दिए कई नेता
छात्रसंघ के गलियारों से राजनीति ककहरा सीखने के बाद सूबे की राजनीति में लंबी पारियां खेलने वालों की एक लम्बी फेहरिस्त है। राजस्थान विश्वविद्यालय ने सूबे की राजनीति को कई नेता जिसमें राजेंद्र राठौड़, कालीचरण सराफ, राजपाल सिंह शेखावत, रणवीर गुढ़ा, राजकुमार शर्मा, हनुमान बेनीवाल, महेंद्र चौधरी, प्रताप सिंह खाचरियावास आदि शामिल है।

Laziness in Winter: सर्दियों के मौसम में लोगों को नींद ज्‍यादा आती है। इस मौसम में आलस इतना बढ़ जाता है कि लोगों को सुबह जल्‍दी उठने का मन नहीं करता है। लोगों का मन रजाई से निकलने का नहीं होता है। लेकिन ऐसा क्यों होता है। दरअसल, सर्दियों में रातें लंबी और दिन छोटे होते हैं। इस मौसम में सूरज की रोशनी बहुत कम हो जाती है। ऐसे में शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है। जिस वजह से शरीर में सुस्ती और ज्‍यादा नींद आती है।

 

सर्दियों में ज्‍यादा नींद आने का यही कारण है। सर्दियों के दौरान शरीर में मेलाटोनिन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। मेला‍टोनिन ज्‍यादा और गहरी नींद के लिए जिम्‍मेदार होता है। इस हार्मोंन का स्तर बढ़ने से भी ज्यादा नींद आती है। मेलाटोनिन हार्मोन का ज्‍यादा बढ़ना हमारे स्लीपिंग पैटर्न में गड़बड़ी पैदा कर देता है। इसी वजह से कुछ लोगों को सर्दी के मौसम में पूरे-पूरे दिन आलस बना रहता है।

 

एक्सपर्ट्स के अनुसार, हमारे शरीर में सोने की आदत सर्केडियन प्रक्रिया से प्रभावित होती है। सर्केडियन प्रॉसेस हमारे शरीर का अंदरुनी टाइम टेबल है। हर कोशिका इसी के मुताबिक अपना काम करती है। हमारी जैविक घड़ी पर कई चीजों का असर पड़ता है। इसमें पर्यावरण, तापमान, सूरज की रोशनी जैसी कई चीजों के साथ एकरूपता आती है। इस पर पूरी सर्केडियन प्रतिक्रियाएं निर्भर करती हैं। मौसम बदलने का असर सर्केडियन प्रक्रिया पर भी पड़ता है। इससे हमारी जैविक घड़ी में भी मामूली बदलाव होने लगता है। यही कारण है कि बहुत ज्‍यादा सर्दी में सोने का समय भी प्रभावित होता है।

 

प्रकाश हमारे दिमाग के उस खास हिस्से को उत्‍तेजित करता है, जहां मेलाटोनिन हार्मोन रिलीज होता है। यह शरीर में कुदरती तौर पर बनता है। इसी के कारण नींद आती है। रोशनी कम होने पर शरीर को संकेत जाता है कि अब सोने का टाइम हो गया है। सुबह में मेलाटोनिन बहुत कम हो जाता है। इससे शरीर में स्फूर्ति लौट आती है और आलस चला जाता है। लेकिन, सर्दियों में रोशनी कम होने से मेलाटोनिन का प्रभाव बना रहता है। इसी वजह से हम सर्दियों में ज्यादा देर तक सोते रहते हैं।

 

सर्दियों में ज्यादा नींद से बचने के लिए डॉक्‍टर्स कई उपाय सुझाते हैं। सर्दियों में व्यायाम की कमी, ज्‍यादा तला-भुना या हैवी खाने की आदत, खराब लाइफस्टाइल, धूप न लेना, कमजोर इम्यूनिटी, सर्दी-जुकाम और फ्लू के कारण भी ज्‍यादा नींद आ सकती है। ज्‍यादा नींद से बचने के लिए दिन के समय ज्‍यादा से ज्‍यादा सूरज की रोशनी लेने की कोशिश करें। कोशिश करें कि हर 30 मिनट तक व्यायाम कर सकें। दिन में सोने से बचने के लिए खुद को व्‍यस्‍त रखें। कमरे के तापमान को नियंत्रित रखें। सर्दियों में डिनर में ज्‍यादा खाने से बचें। सर्दियों में हरी पत्तेदार सब्जियों और मौसमी फलों का सेवन करना बेहतर रहता है। भोजन में ज्‍यादा प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट वाली चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए।

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AIIMS Jodhpur Recruitment 2023 : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), जोधपुर (AIIMS Jodhpur) ऑनलाइन परीक्षा के माध्यम से सीधी भर्ती के आधार पर सहायक नर्सिंग अधीक्षक, आर्टिस्ट (मॉडलर), स्टोर कीपर सह क्लर्क, कनिष्ठ प्रशासनिक सहायक सहित ग्रुप ए, बी और सी पदों के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए हैं। 12वीं पास से लेकर संबंधित स्ट्रीम में मास्टर डिग्रीधारक अभ्यर्थी इन पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस भर्ती के जरिए कुल 105 पदों को भरा जाएगा। कुछ पदों के लिए न्यूनतम 2 से 6 साल का कार्य अनुभव भी मांगा गया है।

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आवेदन की प्रारंभिक/अंतिम तिथि केवल आधिकारिक वेबसाइट पर अधिसूचित की जाएगी। ऑनलाइन आवेदन पत्र की अंतिम तिथि इस विज्ञापन के आवेदन के ऑनलाइन पंजीकरण शुरू होने से 20 दिन होगी। अधिक जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट देखते रहें।

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आयु सीमा
इन पदों के लिए अलग-अलग आयु सीमा मांगी गई है। नोटिफिकेशन के अनुसार, अभ्यर्थियों की आयु 18 से 35 वर्ष के बीच मांगी गई है। आयु सीमा में छूट केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार दी जाएगी।

आवेदन शुल्क
सामान्य, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस अभ्यर्थियों को आवेदन शुल्क के रूप में 3000, जबकि एससी, एसटी और दिव्यांग अभ्यर्थियों को 2400 रुपए भरने होंगे।

चयन प्रक्रिया
अभ्यर्थियों का चयन ऑनलाइन परीक्षा (सीबीटी) और स्किल टेस्ट (जहां भी लागू) के आधार पर किया जाएगा।

ऐसे करें आवेदन
अभ्यर्थी एम्स जोधपुर की आधिकारिक वेबसाइट https://aiimsjodhpur.edu.in/ पर लॉगिन कर विज्ञापन जारी होने के 20 दिन के अंदर आवेदन कर सकेंगे।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 8 विभिन्न बोर्डो के गठन को स्वीकृति दी है।

इन नवगठित बोर्ड में राजस्थान राज्य राजा बली कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य वाल्मिकी कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य मेघवाल कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य पुजारी कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य केवट कल्याण (मां पूरी बाई कीर) बोर्ड, राजस्थान राज्य जाटव कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य धाणका कल्याण बोर्ड एवं राजस्थान राज्य चित्रगुप्त कायस्थ कल्याण बोर्ड शामिल हैं।

सभी बोर्ड संबंधित वर्गों की स्थिति का जायजा लेने, प्रमाणिक सर्वे रिपोर्ट के आधार पर वर्गों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने तथा इनके पिछड़ेपन को दूर करने के सुझाव राज्य सरकार को देंगे।

इन बोर्ड की ओर से संबंधित वर्ग के कल्याण के लिए विभिन्न योजनाएं प्रस्तावित करने, उनके लिए वर्तमान में संचालित विभिन्न योजनाओं के संबंध में विभिन्न विभागों से समन्वय करने, परम्परागत व्यवसाय को वर्तमान तौर-तरीकों से आगे बढ़ाने, रोजगार को बढ़ावा देने तथा शैक्षिक एवं आर्थिक उन्नयन के संबंध में सुझाव दिए जाएंगे। साथ ही, सामाजिक बुराइयों एवं कुरीतियों के विरूद्ध ठोस उपाय करने सहित अन्य सुझाव भी राज्य सरकार को प्रस्तुत किए जाएंगे।

सभी बोर्ड में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं तीन सदस्य सहित 5-5 गैर-सरकारी सदस्य होंगे तथा राज्य के विभिन्न विभागों के शासन सचिव, आयुक्त, निदेशक, संयुक्त निदेशक एवं उप निदेशक स्तर के अधिकारी सरकारी सदस्य होंगे। इसके अतिरिक्त राजस्थान राज्य अनुसूचित जाति एवं जनजाति वित्त एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड या राजस्थान राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक स्तर के अधिकारी अथवा उनका प्रतिनिधि विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे।

जयपुर। कानोता। ग्राम पंचायत घाटा की पहाड़ी में खनन के दौरान मलबा गिरने से शुक्रवार सुबह दो मजदूरों की मौत हो गई। हादसे में ट्रैक्टर-ट्रॉली बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई और शव क्षत-विक्षत अवस्था में मिले।

 
कानोता पुलिस के अनुसार शुक्रवार सुबह खनन के दौरान मजदूर ट्रैक्टर-ट्रॉली में पत्थर भर रहे थे। अचानक करीब 200 फीट ऊपर से मलबा गिरने से मानोता निवासी राकेश मीना (35) व घाटी निवासी रामकरण मीना (38) की दबने से मौत हो गई।


सूचना पर कानोता, बस्सी थाना पुलिस और सिविल डिफेंस की टीम मौके पर पहुंची। दो एलएनटी व चार जेसीबी से पत्थर व मलबा हटाने में करीब तीन घंटे लगे। 

 

हादसे के बाद ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई और उन्होंने मृतकों के परिजन को 50-50 लाख रुपए मुआवजा व सरकारी नौकरी दिलाने की मांग की। वहीं खान चलाने वाले खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की।


 
ग्रामीनों की मांग 

ग्रामीनों ने मृतकों के परिजन को 50-50 लाख रुपए मुआवजा व सरकारी नौकरी दिलाने की मांग की। साथ ही खनन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है।

डायबिटीज यानी शरीर में शुगर का असंतुलन केवल एक बीमारी नहीं है, इसे कई रोगों की जड़ भी कहा जा सकता है। अगर इसे नियंत्रित कर लिया जाए तो कई गंभीर रोगों से बचा जा सकता है। शरीर में शुगर का अनियंत्रित रहना करीब एक दर्जन बीमारियों का सीधे तौर पर कारण बन सकता है।

डायबिटीज के प्रकार
इसके दो मुख्य प्रकार होते हैं। टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज। तीसरा प्रकार है गर्भावस्था में भी डायबिटीज जिसे जस्टेशनल डायबिटीज के नाम से जानते हैं। अधिकतर महिलाओं में डिलीवरी के बाद ये यह स्वत: ही ठीक हो जाता है।
टाइप 1 : यह बच्चों में पाया जाता है जो 20 साल से कम उम्र के बच्चों में देखा जाता है। इसमें इंसुलिन की सेंसिटिविटी खत्म हो जाती है और शरीर का मेटाबॉलिक सिस्टम खराब हो जाता है तो शुगर का लेवल बढऩे लगता है। जब बीटा सेल्स नहीं बने होते हैं या खराब हो जाते हैं तब बच्चों को टाइप 1 डायबिटीज होती है।

टाइप २ : इससे ग्रसित मरीजों की संख्या 90 फीसदी से अधिक है। इसमें इंसुलिन की सेंसिटिविटी कम हो जाती है। हमारे शरीर के लिए जितनी इंसुलिन की आवश्यकता होती है, उतने इंसुलिन की मात्रा हमारे शरीर को नहीं मिल पाती है। यह डायबिटीज 20 साल से अधिक की उम्र वालों में होती है।

संभावित लक्षण
बार-बार प्यास लगना, भूख का बढऩा, अचानक वजन का बढऩा या घट जाना, थकान और कमजोरी महसूस होना, घाव का जल्दी न भरना, फोड़े-फुंसी निकलना, आंखों की दृष्टि धुंधली होना, दांतों में परेशानी, हाथ पैर में झुनझुनी या सुन्नपन या पैरों में दर्द आदि।

तीन तरह के नुकसान
जिनको लंबे समय तक डायबिटीज रहता है उनको दो तरह की परेशानी होती है। छोटी नसों में दिक्कत यानी माइक्रोवेस्कुलर समस्या और दूसरी, बड़ी नसों में परेशानी। छोटी धमनियों में जो समस्याएं हैं उससे न्यूरोपैथी, नेफ्रोपैथी यानी किडनी से जुड़ी समस्या और रेटिनोपैथी यानी आंखों से जुड़ी दिक्कत होती है। डायबिटीज के मरीजों में सबसे ज्यादा परेशानियां न्यूरोपैथी से जुड़ी होती हैं। यह पैरों में घाव की आशंका बढ़ाती है। इसमें सुन्नपन व जलन की समस्या होती है। नेफ्रोपैथी में किडनी रोगों की आशंका बढ़ जाती है। रेटिनोपैथी में आंखों से धुंधला दिखाई देता है।

हैल्दी डाइट
शुगर की बीमारी में डाइट का अहम रोल है। संतुलित भोजन के साथ यह भी जरूरी है कि आप समय पर अपना हर मील लें।

नियमित व्यायाम
एक्सरसाइज को अपने रुटीन का हिस्सा अवश्य बनाएं। नियमित 30 मिनट व्यायाम करें। रात्रि भोजन के बाद कम से कम 10 मिनट तक जरूर टहलें।

वजन नियंत्रित रखें
मोटापा और डायबिटीज समानान्तर चलने वाले रोग हैं। इसलिए अपने वजन को नियंत्रित अवश्य रखें। समय-समय पर अपना वजन चेक करते रहें।

स्ट्रेस फ्री लाइफ

लाइफस्टाइल को ऐसा रखें कि आप तनाव से मुक्त रहें। काम के दबाव या घर में किसी बात को लेकर तनाव न लें। खुश रहें। परिवार के सदस्य भी स्ट्रेस फ्री रखने का प्रयास करें।

शुगर कंट्रोल के फायदे
किडनी की समस्या कई गुना घट जाती है
हार्ट डिजीज होने की आशंका 2-4 गुना तक घट जाती है
दो गुना तक कम हो जाती है लकवे की आशंका
पैरों में घाव के मरीजों की संख्या आधी रह जाती है
देश में ब्लाइनेंस (नॉन ट्रॉमैटिक-मोतियाबिंद) का सबसे बड़ा कारण ही डायबिटीज हैै

अचानक शुगर डाउन होने लगे तो...

यदि डायबिटीज के मरीज का शुगर लेवल डाउन हो जाए तो यह खतरनाक स्थिति है जिसे हाइपोग्लाइसीमिया कहा जाता है। यह स्थिति शुगर का स्तर 70 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से नीचे होने पर होती है। अगर ये स्तर 40 से कम हो जाए तो रोगी कोमा में जा सकता है। इसे हाइपोक्सिया एन्सेफ्लोपैथी कहते हैं।

लक्षण: जब मरीज का शुगर लेवल कम होने लगे तो उसे कमजोरी, घबराहट, पसीना आना और सिंकिंग सेंसेशन होने लगते हैं।

कारण: अक्सर शुगर का स्तर गिरने के पीछे कारण है कि मरीज ने शुगर की दवा ली लेकिन खाना नहीं खाया। उसके अलावा यदि बीमार हैं तो इंसुलिन ले लिया, दवा ले ली, लेकिन ठीक से भोजन नहीं किया। ऐसे में जितनी जरूरत होती है, उस हिसाब से भोजन शरीर को नहीं मिला तो शुगर कंट्रोल में समस्या हो सकती है।

क्या करें: इस स्थिति में मरीज को तुरंत शुगर यानी चीनी से बनी चीज जैसे कैंडी या मिठाई खानी चाहिए। जो भी मरीज डायबिटीज से ग्रसित है, उसे अपनी जेब में शुगर कैंडी जरूर रखनी चाहिए। उसके अलावा शुगर कार्ड (डिजीज आइडेंटिटी) भी अवश्य रखना चाहिए।

अचानक शुगर बढऩे लगे तो...

वैसे देखा जाए तो शुगर लेवल अचानक नहीं बढ़ता, इसके पीछे दो-तीन कारण हो सकते हैं। डायबिटीज के रोगी को नियमित अपने शुगर के स्तर की जांच जरूर करनी चाहिए। यदि सुबह के समय आपका ग्लूकोज स्तर लगातार बढ़ा रहता है तो डॉक्टर से आहार और लाइफस्टाइल से संबंधित सलाह अवश्य लेनी चाहिए।

लक्षण: शुगर बढऩे पर बार-बार यूरीन और डिहाइड्रेशन होता है। शुगर 500-600 हो जाए तो हाइपर ऑस्मोलर कोमा की स्थिति आ जाती है।

कारण: यह दो-तीन कारण से बढ़ सकता है जैसे कोई संक्रमण होना, कॉर्टिकोस्टिरॉइड की गोली खाना या फिर शुगर की दवा बंद करना। उस स्थिति में शुगर का स्तर बढ़ जाता है। जब मरीज ने खाना नहीं खाया, दवा नहीं ली तो शुगर का स्तर और कीटोन बॉडी बढऩे की स्थिति को कीटो एसिडोटिक कोमा कहा जाता है।

क्या करें: डॉक्टर और आहार विशेषज्ञ की ओर से सुझाए मील-प्लान का पालन करें। छोटे-छोटे पोर्शन में भोजन करें। अपने ब्लड शुगर का एक उचित रिकॉर्ड रखें। आपात स्थिति के लिए टूल किट तैयार रखने की सलाह डॉक्टर से लें। अगर कीटोन का स्तर अधिक होता है तो उल्टी आती है।

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जयपुर। सिक्किम में चार दिन पहले बादल फटने की घटना के दौरान पानी के तेज बहाव में फंसकर करौली जिले के नादौती उपखण्ड के रलावता खेड़ला गांव निवासी वीर सिपाही शिवकेश गुर्जर शहीद हो गए। घटना की सूचना मिलते ही क्षेत्र में शोक छा गया। शहीद के परिजनों ने बताया कि रविवार सुबह शहीद शिवकेश की पार्थिव देह रलावता खेड़ला गांव पहुंचने की संभावना है।

शिवकेश गुर्जर सेना की 420 आर्मी मेडिकल कोर एएमसी लखनऊ में वर्ष 2018 में भर्ती हुए थे। शिवकेश से मंगलवार रात परिजनों की फोन पर बात हुई थी। तब उन्होंने बताया था यहां सब ठीक है। शहीद के चचेरे भाई रमेश चंद गुर्जर ने बताया कि बुधवार को बादल फटने से अचानक आए पानी के तेज बहाव में सेना की गाड़ी में सो रहे शिवकेश सहित अन्य जवान बह गए थे। शिवकेश का शव सिक्किम से करीब छह सौ किलोमीटर दूर बांग्लादेश की सीमा में बंगाल की खाड़ी के पास शव बरामद हुआ है। शहीद शिवकेश के तीन वर्ष का एक पुत्र है।

परिजनों में मचा कोहराम
शिवकेश के शहीद होने की सूचना मिलने पर उनकी पत्नी कृष्णा देवी सहित अन्य परिजन बेहाल हो गए। परिवार में कोहराम मच गया। शहीद शिवकेश दो भाई है। छोटा भाई अजीत भी सेना में जाने की तैयारी में जुटा हुआ है। शहीद के पिता हवलदार लेखराज पूर्व सैनिक हैं।



रविवार को पैतृक गांव में होगी अन्त्येष्टी
शहीद की पार्थिव देह शनिवार को जयपुर एयरपोर्ट पहुंची। यहां उन्हें पुष्प चक्र अर्पित किए गए। यहां से पार्थिव देह उनके पैतृक गांव भेजी जाएगी। जिला सैनिक कल्याण बोर्ड के प्रभारी कर्नल आलोक शाह ने बताया कि शहीद शिवकेश गुर्जर की रविवार को उनके पैतृक गांव रलावता खेड़ला में सैन्य सम्मान से अन्त्येष्टी की जाएगी। इधर सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा खेड़ला गांव से रलावता गांव तक जेसीबी की मदद से सड़क के दोनों और बबूल की झाडिय़ों को हटाने का कार्य शुरू कर दिया है। सड़क को ठीक कराया जा रहा है। गड्ढों को भरवाया जा रहा है।

Honor 90 5G Launch In India : भारत में ऑनर 90 ने स्मार्टफोन के बाजार में नई क्रांति ला दी है। इस फोन ने भारतीय बाजार में नए स्टैंडर्ड भी सेट कर दिए हैं। एआई व्लॉग मास्टर और 3840 हट्र्ज पीडब्लूएम डिमिंग तकनीक के साथ उद्योग के अग्रणी क्वाड-कव्र्ड फ्लोटिंग डिस्प्ले वाले शानदार 200 एमपी मुख्य कैमरे से लैस, ऑनर 90 5जी (Honor 90 5G) एक डिवाइस में अभूतपूर्व हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर पेश कर रहा है। ऑनर 90 5जी डिवाइस दो वेरिएंट में आता है - 12जीबी + 512जीबी और 8+256 जीबी, जो रैम टर्बो के साथ मिलकर 8 जीबी रैम वेरिएंट पर 5 जीबी और 12 जीबी वेरिएंट पर 7 जीबी तक देता है।

सबसे पहले, बिल्कुल नए ट्रिपल कैमरा सिस्टम में 1/1.4-इंच सेंसर के साथ 200 एमपी का मुख्य कैमरा है, जो स्पष्टता, एचडीआर क्षमताओं और कम रोशनी में प्रदर्शन में उत्कृष्टता को प्राथमिकता देकर, उत्कृष्ट फोटोग्राफिक परिणाम प्रदान करता है। ट्रिपल कैमरे में 112-डिग्री क्षेत्र के दृश्य के साथ 12 एमपी अल्ट्रा-वाइड और मैक्रो कैमरा और 2 एमपी डेप्थ कैमरा है, जो कैमरे को दूरी को सटीक रूप से मापने में मदद करता है। यह कैमरा लाइट-कैप्चरिंग प्रदर्शन देने के लिए मल्टी-फ्रेम फ्यूजन, शोर कटौती एल्गोरिदम और पिक्सेल बिनिंग के साथ समर्थित है जो बड़े 2.24 माइक्रोमीटर पिक्सेल (16-इन-1) के बराबर है।

मुख्य कैमरा 200 एमपी, सेल्फी के लिए 50 एमपी कैमरा
200 एमपी के मुख्य कैमरे के परिणामस्वरूप कम रोशनी में भी उत्कृष्ट उच्च गतिशील रेंज (एचडीआर) तस्वीरें और विस्तृत, उज्ज्वल छवियां प्राप्त हुईं। सेल्फी प्रेमियों के लिए, ऑनर 90 में 50 एमपी का कैमरा है, जो अच्छी तस्वीरें खींचने में मदद करता है। पोट्र्रेट मोड के साथ, आप आसानी से असाधारण पोट्र्रेट बना सकते हैं, जिसमें अच्छी तरह से परिभाषित चेहरे की विशेषताएं, सटीक स्किन टोन और एक प्रामाणिक बोके प्रभाव उत्पन्न होता है, जो स्वाभाविक रूप से मुख्य विषय के साथ पृष्ठभूमि को मिश्रित करता है।

फोटोग्राफर्स को अधिक फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करने के लिए पोट्र्रेट मोड यूजर्स को फ्रेम में विषयों को बेहतर ढंग से हाइलाइट करने वाले परिणाम देने के लिए 2 एक्स ज़ूम पर फ़ोटो कैप्चर करने देता है। इसके अतिरिक्त, स्मार्टफोन तीनों कैमरों - 200 एमपी मुख्य कैमरा, 12 एमपी अल्ट्रावाइड कैमरा और 50 एमपी सेल्फी कैमरा से 30 एफपीएस पर 4के वीडियो रिकॉर्डिंग देने के लिए प्रोसेसर की जबरदस्त ताकत उपयोग करता है।

4के में शूटिंग करते समय एक सिंगल टेक में उपयोगकर्ता 4के रिकॉर्डिंग को रोके बिना मेन, अल्ट्रावाइड और फ्रंट कैमरे के बीच आसानी से ट्रांजिशन कर सकते हैं। व्लॉगर्स के लिए, डिवाइस ऑडियो को बेहतर बनाने में मदद करता है, वीडियो मोड की अनुशंसा करता है, और एआई व्लॉग असिस्टेंट के साथ आता है जो उपयोगकर्ताओं को केवल कुछ टैप के साथ सोशल मीडिया के लिए तैयार 15-सेकंड का वीडियो बनाने की सुविधा देता है। इसके अलावा, 20डीबी के सिग्नल-टू-शोर अनुपात वाले सर्वदिशात्मक शोर में कमी के साथ, आप ठोस और स्पष्ट मानवीय आवाज और आसपास के शून्य शोर को कैप्चर कर सकते हैं, जो एक पेशेवर रिकॉर्डर के करीब है।

तीन रंगों में आता है ऑनर 90
डिजाइन के लिहाज से, ऑनर 90 183 ग्राम वजन के साथ स्लिम 7.8 मिमी डिजाइन प्रदान करता है। यह शानदार क्वॉड-कव्र्ड किनारों के साथ आता है। ऑनर 90 अत्यधिक शानदार ग्लास प्रदान करता है, जो असाधारण मजबूती प्रदर्शित करता है और घुमावदार डिस्प्ले को गिरने का सामना करने में सक्षम बनाता है। पीछे की तरफ, ऑनर 90 प्रतिष्ठित एन सीरीज डुअल रिंग डिजाइन को प्रदर्शित करता है, जिसमें गोलाकार आकृतियां हैं, जो चमक पैदा करने के लिए कटिंग तकनीक से तैयार की जाती है, जिससे इसकी सुंदरता दूसरे स्तर पर बढ़ जाती है।

डिवाइस तीन रंगों में आता है - मिडनाइट ब्लैक, एमराल्ड ग्रीन और डायमंड सिल्वर। 6.7-इंच क्वाड-कव्र्ड फ्लोटिंग डिस्प्ले से लैस, ऑनर 90 266431200 के उच्च रिज़ॉल्यूशन, 100 प्रतिशत डीसीआई-पी3 कलर गेमट और 1.07 बिलियन रंगों तक का समर्थन करता है। डिस्प्ले 1600 निट्स की एचडीआर चमक सपोर्ट करता है, जिससे तेज रोशनी में भी उपयोगकर्ताओं की पठनीयता में सुधार होता है। आंखों की थकान को कम करने के लिए डिस्प्ले में प्राकृतिक रोशनी का अनुकरण करते हुए डायनामिक डिमिंग की सुविधा भी है।

इसके अतिरिक्त, यह ऑनर की सर्कैडियन नाइट डिस्प्ले तकनीक का समर्थन करता है, जो नीली रोशनी को फिल्टर करता है और यूजर्स की रात की नींद की गुणवत्ता में स्वाभाविक रूप से सुधार करने के लिए मेलाटोनिन स्राव को बढ़ावा देता है। ऑनर 90 नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम वीडियो से एचडीआर10+ और एचडीआर सर्टिफिकेशन को भी सपोर्ट करता है। बैटरी की बात करें तो इसमें दिनभर इस्तेमाल के लिए 5000 एमएएच की बैटरी है। हमारे परीक्षण में इसने कभी-कभार वीडियो स्ट्रीमिंग, सोशल मीडिया और दैनिक कार्य कार्यों के साथ 16-17 घंटे तक का कार्य किया।

सेल में पाए भारी छूट
अपनी बिल्ट-इन एआई पावर-सेविंग तकनीक के साथ डिवाइस बैटरी के प्रदर्शन को अनुकूलित करता है और दक्षता बढ़ाता है, जो गहन उपयोग के दौरान भी अधिकतम उत्पादकता को सक्षम बनाता है। स्मार्टफोन क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 7 जेन 1 त्वरित संस्करण प्रोसेसर द्वारा संचालित है, जिसमें फोन के पूर्ववर्ती की तुलना में 20 प्रतिशत बेहतर जीपीयू प्रदर्शन और 30 प्रतिशत बेहतर एआई प्रदर्शन है।

ऑनर 90 नवीनतम एंड्रॉइड 13-आधारित मैजिकओएस 7.1 पर चलता है, और मैजिक टेक्स्ट जैसी उन्नत स्मार्ट सुविधाओं के साथ एक पंच पैक करता है, जो एक स्मार्ट जीवन अनुभव प्रदान करता है और उत्पादकता को अधिकतम करता है। स्मार्टफोन दो स्टोरेज वेरिएंट 8+256 जीबी और 12+512 जीबी में आता है जिनकी कीमत क्रमश: 37,999 रुपए और 39,999 रुपए है।

ऐसा कहा जा रहा है कि, इसे 8 अक्टूबर से शुरू होने वाले अमेजन ग्रेट इंडियन फेस्टिवल के दौरान 26,999 रुपए और 29,999 रुपए में खरीदा जा सकता है। इन ऑफर्स को सभी मेनलाइन स्टोर्स पर भी खरीदा जा सकता है। इनमें बैंक ऑफर भी शामिल हैं।

निष्कर्ष : अल्ट्रा-क्लियर 200 एमपी कैमरा, एआई व्लॉग मास्टर और जीरो रिस्क आई-कम्फर्ट डिस्प्ले सहित अत्याधुनिक एआई तकनीकों और श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ इनोवेशन को बढ़ावा देने वाला यह डिवाइस स्मार्टफोन फोटोग्राफी और डिस्प्ले तकनीक में एक क्रांति की शुरुआत करता है।

-आईएएनएस

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कोरोना के बाद से डायबिटीज में दो तरह के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे लोग जिन्हें डायबिटीज की समस्या नहीं थी लेकिन कोरोना गंभीर होने के बाद उनके पैंक्रियाज पर असर पड़ा। बीटा सेल्स में इंसुलिन बनने की प्रक्रिया तेज हुई व शुगर बढ़ गया। दूसरा : करीब आधे मरीजों में डायबिटीज स्थाई थी। शेष में यह स्थाई हो गई। कोरोना में मरीजों को अधिक मात्रा में स्टेराइड दिया गया।

 

जिन्हें पहले से शुगर है
ऐसे मरीज जिन्हें पहले से ही डायबिटीज है और कोरोना हुआ था। वे विशेष सावधानी बरतें। जिन्हें माइल्ड लक्षण थे उन्हें दवाइयों में बदलाव की कोई जरूरत नहीं है लेकिन मॉडरेट व गंभीर हो चुके मरीज दवाएं डॉक्टरी सलाह से ही लें।

 

जिन्हें सांस लेने में तकलीफ थी
कोरोना के दौरान जिन मरीजों को सांस लेने में तकलीफ या ऑक्सीजन का स्तर कम हुआ था और पहले से डायबिटीज थी तो उन्हें डॉक्टरी सलाह से दवाओं में बदलाव करना चाहिए। हर 3-4 माह में चेकअप कराएं। विशेष रूप से अपनी दिनचर्या नियमित रखें।

 

बूस्टर डोज लगवाएं
पिछली बार भी देखा गया है कि कोरोना होने पर डायबिटीज के रोगियों की स्थिति अचानक से गंभीर हो रही थी। हमें अब कोरोना के साथ ही रहना पड़ेगा। ऐेसे में डायबिटीज के रोगियों को आवश्यक रूप से बूस्टर डोज लगवानी चाहिए।

 

गंभीर कोरोना वाले क्या करें
जिनमें कोरोना गंभीर हो चुका है और उनकी उम्र 40 से अधिक है या फिर उनकी फैमिली में डायबिटीज, अधिक वजनी है या फिर दिनचर्या अनियमित है उनको 3-4 माह के अंतराल पर अपना ब्लड शुगर टेस्ट करवाते रहना चाहिए।

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हाइ काब्र्स डाइट जैसे गेहूं की रोटी, चावल, जंक और फास्ट फूड डायबिटीज में नुकसान पहुंचाते हैं। इसकी जगह साबुत और मोटे अनाज को आहार में शामिल करें। इससे न केवल डायबिटीज कंट्रोल होगी बल्कि टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा भी घटेगा। गेहूं से बनी मैदा भी ज्यादा नुकसानदेह है।

 

फाइबर डाइट क्यों लेना चाहिए
डायबिटीज में फाइबर डाइट लेने से पाचनतंत्र उसे धीरे-धीरे पचाता है जिससे शरीर में शुगर भी धीरे-धीरे बनता है। इस प्रकार से साबुत अनाज का सेवन डायबिटीज के खतरे को कम कर देता है। आइए जानते हैं साबुत अनाज का सेवन किस तरह से करें।

 

मल्टीग्रेन आटा खाएं
डायबिटीज रोगियों को रागी या नाचनी, बाजरा, जौ, सोयाबीन, ज्वार, चना, रामदाना/राजगीर आदि मिलाकर बने आटे की रोटियां खानी चाहिए। इनमें डायट्री फाइबर अधिक होता है। कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट उच्च मात्रा में होते हैं। यह वजन भी नियंत्रित रखते हैं।

 

दलिया होता है फायदेमंद
गेहूं से बनाया गया दलिया स्वाद और सेहत दोनों के लिए बहुत फायदेमंद है। सब्जियां मिलाकर दलिया बनाएं। ओट्स भी अच्छा विकल्प है। साबुत अनाजों को भूनकर खाना भी डायबिटीज में फायदेमंद है।

 

ज्यादा मात्रा में खाएं दालें
दालों में घुलनशील और अघुलनशील डायट्री फाइबर होते हैं। इनमें कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट भी अधिक होता है। डायबिटीज के रोगियों को 55 जीआई यानी ग्लाइसेमिक इंडेक्स से नीचे वाली चीजें खानी चाहिए।

 

जानें किसमें कितना: चना दाल में जीआइ लेवल 28 से कम होता है। इसी तरह राजमा में 19, मूंग दाल में 38, सफेद चने में 33 होता है। लोभिया, सोयाबीन, साबुत मसूर दाल आदि भी लें। इनमें जीआइ लेवल कम होता है। इनमें प्रोटीन, फोलिक एसिड भी होता है जो डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद है।

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जयपुर. ज्योति नगर स्थित राजस्थान वक्फ बोर्ड भवन ( Rajasthan Waqf Board ) में नवनिर्मित पार्किंग स्थल, सोलर प्लांट और लिफ्ट सहित अन्य विकास कार्यों का लोकार्पण किया गया। अल्पसंख्यक मामलात और वक्फ विभाग मंत्री शाले मोहम्मद के हाथों यह लोकार्पण हुआ। कार्यक्रम में मुस्लिम समाज के गणमान्य लोग उपस्थित रहे। मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के महासचिव मौलाना मोहम्मद फजलुर्रहीम मुजद्दीदी की ओर से बोर्ड को लिफ्ट भेंट की गई।


वक्फ बोर्ड के चेयरमैन खानू खान बुधवाली ने बताया कि राज्य सरकार की बजट घोषणा के अनुसार प्रदेश भर में वक्फ संपत्तियोें पर विभिन्न विकास कार्य कराए जा रहे हैं। साथ ही वहां से अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया भी जारी है। उन्होंने बताया कि भीलवाड़ा में हॉस्पिटल, लाइब्रेरी व कॉम्पलेक्स, जयपुर में छात्रावास, जोधपुर में कम्यूनिटी सेंटर, प्रतापगढ़ में विद्यालय भवन व चूरू में कोचिंग सेंटर का निर्माण कराया जा रहा है। इस दौरान मुख्य कार्यकारी अधिकारी सैयद शीराज अली जैदी, मदरसा बोर्ड के सचिव सैयद मुकर्रम शाह, सम्पदा अधिकारी बनवारी लाल, डॉ. समरा सुल्ताना डॉक्टर मोहम्मद शोएब और अनवर शाह समेत अन्य मौजूद रहे।

वक्फ संपत्ति पर बनेगा कम्यूनिटी सेंटर

कार्यक्रम में वक्फ बोर्ड के ब्रोशर का विमोचन भी किया गया। जिसमें बताया गया कि वक्फ जायदादों पर आगामी दिनों में विकास के कार्य कराए जाएंगे। इस क्रम में भीलवाड़ा में दरगाह गुलजीपीर, दाई हलीमा हॉस्पिटल का निर्माण, सीरत लाईब्रेरी व व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स, दरगाह शाहबाज अलीशाह जयपुर की जमीन पर हॉस्टल निर्माण होगा। इसके अलावा ब्रोशर में बताया गया कि जोधपुर में कम्यूनिटी सेंटर निर्माण, प्रतापगढ में विद्यालय के भवन निमार्ण, चूरू में कोचिंग सेंटर के लिए दी गई वक्फ जायदाद पर निर्माण का निर्णय लिया गया है।

राजस्थान वक्फ बोर्ड में विकास कार्यों का मंत्री ने किया लोकार्पण, आगामी​ दिनों में मिलेंगी और सौगातें, मौलाना मुजद्दीदी ने भेंट की लिफ्ट

मुजद्दीदी की ओर से बोर्ड ऑफिस में लगवाई गई लिफ्ट

मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी व शिक्षण संस्थान जामिया हिदायत और इमाम रब्बानी ग्रुप्स के सदर मौलाना मोहम्मद फजलुर्रहीम मुजद्दीदी की ओर से राजस्थान वक्फ बोर्ड ऑफिस को लिफ्ट की सौगात दी गई। राजस्थान अल्पसंख्यक मामलात व वक्फ विभाग मंत्री शाले मोहम्मद और राजस्थान बोर्ड के अध्यक्ष खानु बुधवाली की मौजूदगी में इसका उद्घाटन किया गया।

बुजुर्गों के दर्द को समझा

बोर्ड अध्यक्ष बुधवाली ने बताया कि वक्फ बोर्ड कार्यालय में बुजुर्गों को सीढ़ियां चढ़ने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ता था, ऐसे में मौलाना फजलुर्रहीम मुजद्दीदी ने बुजुर्गों के इस दर्द को महसूस करते हुए बोर्ड को लिफ्ट के लिए 14.5 लाख रुपए की मदद की। जो काबिले तारीफ है। मौके पर मौजूद सभी वक्ताओं ने मुजद्दीदी की सराहना की।

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जयपुर। जयपुर स्थित विवेकानंद ग्लोबल यूनिवर्सिटी एनएएसी, बिट्स टेक और राजस्थान चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (आरसीसीआई) के सहयोग से दो दिवसीय राजस्थान एमएसएमई शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसका उद्देश्य छोटे, बड़े और सामान्य व्यवसाय वाले व्यापारियों को विभिन्न विषयों पर चर्चा के लिए एकजुट करना है। मुख्य अतिथि विजय कुमार शर्मा, निदेशक एमएसएमई राजस्थान ने टीम भावना के साथ काम करने पर बल दिया और कहा की आपूर्ति चेन पर ध्यान देना आवश्यक है। उन्होंने ये भी बताया कि व्यापार संबंधी योजनाओं को कैसे सत्यापित करें।

कार्यक्रम में की नोट वक्ता के रूप में बोलते हुए सिडबी के महाप्रबंधक तथा रीजनल इंचार्ज अशोक कुमार पाण्डेय ने कहा कि भारत के कुल निर्यात में 45% हिस्सेदारी एमएसएमईस की है तथा साथ ही यह भी बताया कि सिडबी एमएसएमई के लिए वेंचर कैपिटल प्रदान कर रहा है। उन्होंने सिडबी के द्वारा कोविड–19 महामारी के दौरान किए गए कार्यों का भी जिक्र किया। श्री पाण्डेय ने ये भी कहा की सिडबी निचले सूक्ष्म स्तर के उद्यमों को बिना किसी कोलेटरल के चलन छूट के माध्यम से समर्थन कर रहा है।

वीजीयू के वाइस चेयरपर्सन डॉ. के आर बगड़िया ने अपने उद्बोधन में छात्रों से कहा कि सरकारी और प्राइवेट नौकरियों के पीछे भागने के बजाय उन्हें स्टार्टअप पर ध्यान देना चाहिए। आरसीसीआई के अध्यक्ष डॉ. के एल जैन ने दोषरहित उत्पादों के उत्पादन पर जोर दिया और कहा कि स्टार्टअप्स के लिए पांच साल की तैयारी आवश्यक है।

जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तकनीकी शिक्षा (प्रशिक्षण) आईटीआई विभाग में विभिन्न व्यवसायों एवं विषयों के कनिष्ठ अनुदेशक के 2500 पदों पर भर्ती की सहमति दी है। यह भर्ती राजस्थान तकनीकी प्रशिक्षण अधीनस्थ सेवा नियम-1975 (संशोधित) के तहत की जाएगी।

पुनर्वास एवं अनुसंधान केंद्र में 14 पदों का सृजन
मुख्यमंत्री गहलोत ने चिकित्सा महाविद्यालय, जयपुर से संबंद्ध पुनर्वास एवं अनुसंधान केंद्र जयपुर के लिए 14 विभिन्न पदों के सृजन की स्वीकृति दी है। स्वीकृत पदों में फिजियोथैरेपिस्ट के 8, कनिष्ठ सहायक के 2 तथा साइक्लोजिकल काउंसलर, सूचना सहायक, सहायक पुस्तकालयाध्यक्ष एवं ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट के 1-1 पद शामिल हैं।

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खुलेंगे 278 नवीन पशु चिकित्सा उपकेन्द्र, 556 पदों का होगा सृजन
सीएम गहलोत ने राज्य में ग्राम पंचायत स्तर पर 278 नवीन पशु चिकित्सा उपकेन्द्र खोलने की स्वीकृति दी है। गहलोत ने इन केन्द्रों के लिए 556 नवीन पदों के सृजन को भी मंजूरी प्रदान की है। प्रस्तावित प्रत्येक पशु चिकित्सा उपकेन्द्र पर 1-1 पशुधन सहायक एवं जलधारी का पद सृजित होगा। इस तरह कुल 278 पशुधन सहायक एवं 278 जलधारी की भर्ती की जाएगी।

जयपुर। पुलिस मुख्यालय क्राइम ब्रांच की टीम ने शनिवार को धौलपुर जिले में दस हजार रुपए के इनामी बदमाश को पकड़ा हैं। आरोपी कैलाशी गुर्जर पुत्र दीवान धौलपुर जिले के थाना सदर इलाके में घड़ी सादरा गांव का रहने वाला है। डकैती व आर्म्स एक्ट के मामले में लंबे समय से फरार चल रहा था।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक दिनेश एमएन ने बताया कि पुलिस मुख्यालय क्राइम ब्रांच टीम द्वारा इनामी अपराधियों और अवैध मादक पदार्थ के तस्करों के विरुद्ध कार्रवाई कर रही है। इसी क्रम में शनिवार को बारां डीएसटी और धौलपुर सदर थाने के सहयोग से बारां जिले के भंवरगढ़ थाने में दर्ज मुकदमे में वांछित दस हजार रुपए के इनामी को गिरफ्तार किया गया।

एडीजी एमएन ने बताया कि डकैती व आर्म्स एक्ट के मामले में लंबे समय से फरार चल रहे आरोपी कैलाशी गुर्जर के बारे में क्राइम ब्रांच टीम के सदस्य कांस्टेबल नरेश कुमार को सूचना मिली थी। सूचना पुख्ता कर आरोपी की दस्तयाबी के लिए आईजी प्रफुल्ल कुमार के पर्यवेक्षण एवं एडिशनल एसपी नरोत्तम वर्मा व राजेश मलिक के सुपरविजन तथा इंस्पेक्टर सुभाष सिंह तंवर के नेतृत्व में हेड कांस्टेबल महेश सोमरा, रविंद्र सिंह राकेश जाखड़ व कांस्टेबल नरेश की टीम गठित कर रवाना की गई।
एडीजी ने बताया कि टीम ने धौलपुर पहुंच थाना सदर के एएसआई विष्णु दत्त के सहयोग से सूचना को विकसित कर पुख्ता किया। शनिवार को थाना पुलिस व बारां डीएसटी के सहयोग से आरोपी को दस्तयाब कर डीएसटी को सुपुर्द किया गया।
पूरी कार्रवाई में कांस्टेबल नरेंद्र कुमार व हेड कांस्टेबल राकेश जाखड़ की विशेष भूमिका रही, वहीं हेड कांस्टेबल महेश सोमरा व रविंद्र सिंह की तकनीकी भूमिका रही। टीम का नेतृत्व इंस्पेक्टर सुभाष सिंह तंवर द्वारा किया गया। धौलपुर सदर थाने के एएसआई विष्णु दत्त मय टीम और बारां डीएसटी का सहयोग रहा।

जयपुर
पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा ने एशियाड में अब तक राजस्थान पुलिस के 6 खिलाड़ियों सहित राजस्थान के 12 पदक विजेता खिलाड़ियों को बधाई दी है। उन्होंने शेष प्रतियोगिताओं में भी भाग ले रहे राजस्थान पुलिस के खिलाड़ियों को उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए अपनी शुभकामनाएं दी है।

मिश्रा ने खिलाड़ियों के साथ ही उनके प्रशिक्षकों, खेल अधिकारियों और टीम प्रबन्धकों को भी इस उल्लेखनीय प्रदर्शन के लिए बधाई दी है। उन्होंने कहा कि राजस्थान पुलिस के एशियाड पदक विजेता राजस्थान पुलिस के खिलाड़ियों ने पुलिस के साथ ही प्रदेश और देश का नाम रोशन किया है। उल्लेखनीय है कि एशियाड में अब तक राजस्थान पुलिस के 6 खिलाड़ी पदक जीत चुके हैं। एशियाड में स्वर्ण पदक विजेता पुरुष कबड्डी टीम में सचिन तंवर राजस्थान पुलिस में उपनिरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं।

महिला कबड्डी स्वर्ण पदक जीतने वाली 12 खिलाड़ियों की टीम में 4 खिलाड़ी उपनिरीक्षक निधी शर्मा व सुषमा शर्मा और प्लाटून कमांडर साक्षी कुमारी व मुस्कान मलिक राजस्थान पुलिस की हैं। उपाधीक्षक शालिनी पाठक इनकी कोच है। राजस्थान पुलिस की ही उपनिरीक्षक किरण बालियान ने शॉटपुट में कांस्य पदक जीता है।

जयपुर। राजधानी जयपुर में क्रिकेटर शिखर धवन ने अपनी खेल एकेडमी शुरू की है। देवयानी जयपुरिया स्पोर्ट्स एकेडमी के सहयोग से डीपीएस जयपुर में अपनी स्पोर्ट्स एकेडमी 'दा वन स्पोर्ट्स' लॉन्च की। इस अवसर पर शिखर धवन ने कहा कि डीपीएस जयपुर, डीपीएसआई और दा वन स्पोर्ट्स एकेडमी इच्छुक खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने और असाधारण अवसर प्रदान करने के साझा उद्देश्य के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। मैं एसोसिएशन और छात्रों को उत्कृष्ट प्रशिक्षण कौशल प्रदान करने के लिए उत्सुक हूं।

देवयानी जयपुरिया, चेयरपर्सन ने इस अवसर पर कहा कि हम मानते हैं कि प्रत्येक एथलीट में उत्कृष्टता और महानता हासिल करने की क्षमता होती है। हमारा मिशन खेल प्रशिक्षण के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करना है। जिसमें न केवल तकनीकी कौशल बल्कि चरित्र विकास, खेल कौशल और नेतृत्व क्षमताओं पर भी जोर दिया जाता है।

प्रिंसिपल ऋचा प्रकाश ने कहा कि सफलता केवल वहीं प्राप्त की जा सकती है जहां तैयारी और अवसर मिलते हैं। दा वन स्पोर्ट्स अकादमी के साथ हमारा सहयोग उन लोगों के लिए एक शानदार अवसर है जो खेल के प्रति जुनूनी हैं। डीजेएसए और दा वन का उद्देश्य प्रत्येक व्यक्तिगत एथलीट में टीम के हित में योगदान देने के लिए अपनेपन की भावना पैदा करना है।

Rajasthan Assembly Election 2023 : साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अघोषित तौर पर सत्ताधारी कांग्रेस और मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं। राजस्थान विधानसभा में 200 सीटें हैं। बीकानेर ईस्ट (Bikaner East) भी इन्हीें सीटों में से एक है और यह क्षेत्र बीकानेर (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) के अंतर्गत भी आता है। इसे शहरी सीट की श्रेणी में रखा गया है। इस सीट पर पहली बार वर्ष 2008 में विधानसभा चुनाव हुए थे और तब से लेकर अब तक इस सीट पर भाजपा का कब्जा है।

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लगातार तीन बार से सिद्धि कुमारी (Siddhi Kumari) यहां से विधायक हैं। सीट पर कुल 2,22,255 मतदाता हैं, जिनमें 1,14,388 पुरुष और 1,07,867 महिला मतदाता शामिल हैं। 2018 के राजस्थान चुनाव में बीकानेर पूर्व में 67.77 फीसदी मतदान हुआ। 2013 में 69.04 फीसदी और 2008 में 62.9 फीसदी मतदान हुआ था। 2013 में बीजेपी की सिद्धि कुमारी ने 31,677 वोटों (23.91 फीसदी) के अंतर से सीट जीती थी. उन्हें कुल मतदान का 58.77 फीसदी वोट मिले। 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने यह सीट 37,653 वोटों (36.62 फीसदी) के अंतर से जीती, जो कुल वोटों का 58.94 फीसदी था।

जयपुर। राजधानी जयपुर में मैरिंगो सिम्स अस्पताल, अहमदाबाद और एपेक्स अस्पताल, जयपुर ने मिलकर अंग विफलता के लिए ओपीडी शुरू की है। ओपीडी सेवाओं को मैरिंगो सिम्स अस्पताल, अहमदाबाद के डॉ धीरेन शाह, डायरेक्टर और एचओडी , हार्ट ट्रांसप्लांट, डॉ ज्ञानेश ठाकर, डायरेक्टर लंग ट्रांसप्लांट और डॉ पुनित सिंगला, डायरेक्टर और एचओडी , लिवर ट्रांसप्लांट संभालेंगे। जयपुर में चिकित्सा सलाह लेने वाले मरीजों के लिए हर महीने ओपीडी सेवाओं में डॉक्टर उपलब्ध रहेंगे। अंग प्रत्यारोपण विशेषज्ञ जयपुर और इसके आसपास के क्षेत्रों में मरीजों को नियमित परामर्श प्रदान करेंगे।

मैरिंगो सिम्स अस्पताल के डॉयरेक्टर और HOD, हार्ट ट्रांसप्लांट डॉ. धीरेन शाह ने बताया कि हमारे अस्पताल ने देश में दूसरे सबसे अधिक हृदय प्रत्यारोपण किए हैं। हमने कई किडनी और लीवर प्रत्यारोपण और 200 से अधिक अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण (बॉन मेरो ट्रांसप्लांट्स) किए हैं। मैरिंगो सिम्स अस्पताल को गुजरात राज्य में पहला हृदय प्रत्यारोपण और पहला फेफड़े का प्रत्यारोपण करने का गौरव प्राप्त है। मैरिंगो सिम्स अस्पताल अंग प्रत्यारोपण के लिए एक पसंदीदा स्थान है, जहां अस्पताल वैश्विक ख्याति प्राप्त डॉक्टरों के साथ सुपर-स्पेशलाइज्ड क्लिनिकल उत्कृष्टता प्रदान करता है।

जयपुर में अंग विफलता पर विशेषज्ञ की सलाह लेने वाले मरीजों को दूसरे शहरों की तनावपूर्ण यात्राएं करनी पड़ती है। एपेक्स हॉस्पिटल में इन विशिष्ट सेवाओं की शुरुआत के साथ, व्यक्ति अब अपने इलाके में नामी विशेषज्ञों के साथ आसानी से अपॉइंटमेंट ले सकते हैं।

एपेक्स अस्पताल में ओपीडी सेवाओं के माध्यम से अपनी नैदानिक उत्कृष्टता का विस्तार करने का हमारा उद्देश्य जयपुर में अंतिम चरण के अंग विफलताओं का सामना करने वाले मरीज़ों के लिए प्रोसिजर्स को सरल बनाना है। हम हर महीने अस्पताल में मौजूद रहेंगे और मरीजों को हमारे साथ परामर्श करने, उनके लक्षणों पर चर्चा करने और प्रभावी समाधान खोजने का अवसर प्रदान करेंगे।

जयपुर। विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में जातिगत जनगणना को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। शुक्रवार को जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जातिगत जनगणना की बात कही थी तो वहीं शनिवार को गहलोत ने जातिगत जनगणना की बजाए सर्वे कराने की बात कही है। गहलोत ने कहा कि जातिगत जनगणना करवाना केंद्र सरकार का काम है, हम केवल सर्व करवाएंगे।


गहलोत ने जेईसीसी में एक कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि जनगणना राज्य सरकार नहीं करवा सकती है, हम सर्वे करवाएंगे जिसके जरिए परिवारों की आर्थिक स्थिति का पता चल जाएगा। ये हमारी पार्टी का स्टैंड भी हैं जिसे आगे बढ़ा रहे हैं। गहलोत ने कहा कि जातिगत सर्वे के मामले में आचार संहिता कहीं भी आड़े नहीं आएगी, जो पैटर्न बिहार में अपनाया गया है वही हम अपनाएंगे।

सर्वे से ही जरूरतमंदों का पता चलेगा
गहलोत ने कहा कि देश में आज सामाजिक सुरक्षा का अधिकार कानून लागू होना चाहिए लेकिन सोशल सिक्योरिटी किसे मिले, इसका पता जातिगत सर्वे से ही चलेगा। सर्वे हो गया तो पता चल जाएगा कि किसको इसकी जरूरत है, सर्वे होने के बाद घर बैठे ही जरूरतमंदों को सहायता मिलना शुरू हो जाएगी।

हमारी योजनाएं की खामियां नहीं निकाल पा रहे प्रधानमंत्री
गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री भी मान गए हैं कि हमारी योजनाएं शानदार हैं, इसलिए प्रधानमंत्री मोदी ने हमारी योजनाओं को बंद नहीं करने की बात कही है, उनके पास हमारी योजनाओं की खामियां निकालने के लिए शब्द नहीं है, इसलिए अब वे लाल डायरी और पीली डायरी की बात कर रहे हैं।भाजपा के प्रदेश नेताओं को चाहिए कि वे प्रधानमंत्री और केंद्रीय नेताओं को बताएं कि राजस्थान के मुद्दे क्या है, जानकारी के अभाव में भाजपा के केंद्रीय मंत्री और नेता अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं।

गजेंद्र सिंह से माफी क्यों मांगू
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह से माफी के सवाल पर गहलोत ने कहा कि मैं गजेंद्र सिंह से माफी क्यों मांगू, माफी तो गजेंद्र सिंह को संजीवनी सोसाइटी के पीड़ितों से मांगनी चाहिए जिनकी जमा पूंजी डूब गई, मैं उनसे एक बार नहीं बल्कि 25 बार माफी मांग लूंगा, अगर वे पीड़ित परिवार की मदद करें। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बयान को लेकर गहलोत ने कहा कि उपराष्ट्रपति मेरे घर आएं मैं उनका स्वागत करूंगा। भैरों सिंह शेखावत के बाद धनकड़ राजस्थान से दूसरे उपराष्ट्रपति बने हैं, उनके परिवार से मेरे 50 साल से संबंध हैं, मैंने उनकी यात्राओं को लेकर जो कहा, वो सोच-समझ कर कहा था।

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जयपुर। राजधानी जयपुर में जेके लोन अस्पताल के हालात बदहाल है। प्रदेश में बच्चों का यह सबसे बड़ा अस्पताल है। यहां प्रदेशभर से बच्चों को इलाज के लिए लाया जाता है। लेकिन यहां इलाज के मामले में अस्पताल प्रशासन की ओर से लापरवाही बरती जा रही है। हालात यह है कि जेके लोन में एक बैड पर दो या तीन बच्चों तक इलाज किया जा रहा है। चौकानें वाली बात यह है कि यह हालात सामान्य वार्ड के नहीं है। यह हालात है आईसीयू वार्ड के। जहां सीरियस कंडीशन में बच्चों का इलाज किया जाता है।

हालांकि अस्पताल प्रशासन का सफाई में कहना है कि यह जनरल वार्ड की तरह ही है। जहां बच्चों का इस तरह इलाज किया जा रहा है। लेकिन सवाल यह भी है कि आखिर एक बेड पर दो से तीन बच्चों का एक साथ इलाज क्यों किया जा रहा है। क्या इससे बच्चों में आपस में रहने से इंफेक्शन का खतरा नहीं है।

बता दें कि जेके लोन अस्पताल में बच्चों के इलाज को लेकर बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। पीआईसीयू टू में एक बेड पर दो से तीन बच्चों का इलाज किया जा रहा है। जब देखा गया तो यहां माताएं अपने नवजात बच्चों के साथ बैठी नजर आई। किसी बच्चे के ऑक्सीजन चल रही थी तो किसी के ड्रिप चल रही थी। बेड पर दो से तीन बच्चे और फिर उनके साथ उनकी माताएं। ऐसे में एक बेड पर चार—पांच जने बैठे हुए दिखे। जब महिलाओं से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उनके नवजात शिशुओं का इलाज चल रहा है। तो उनकी मजबूरी है कि वह चाहकर भी उन्हें छोड़ नहीं सकती है। अस्पताल में बेड नहीं है, ऐसे में मजबूरी में उन्हें जो भी बेड मिला है उसी पर बच्चे का इलाज करा रहीं है।


जब इस मामले में जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक डॉ कैलाश मीणा से जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि यह जनरल वार्ड है। पिछले दिनों जब फेब्रिक वार्ड में आग लगी थी तो उस समय बच्चों को यहां शिफ्ट किया गया था। तब से अब तक फेब्रिक वार्ड का काम चल रहा है। जल्द ही फेब्रिक वार्ड तैयार हो जाएगा। एक बेड पर दो से तीन बच्चों के इलाज को लेकर सवाल के जवाब में अधीक्षक ने कहा कि यह सरकारी अस्पताल है। इसमें हम क्या कर सकते है। हम हमारी तरफ से पूरे प्रयास कर रहे है।

जयपुर। ईस्टर्न कैनल परियोजना (ईआरसीपी) को लेकर पिछले डेढ़ साल से केंद्र सरकार और बीजेपी पर हमलावर हो रही कांग्रेस अब इस मुद्दे को विधानसभा चुनाव में भी भुनाएगी। पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में इस मुद्दे पर कांग्रेस ने आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है।

इसके संकेत शुक्रवार रात प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी दिए थे। इस मुद्दे पर रणनीति तैयार करने के लिए डोटासरा ने आज महामंथन बैठक बुलाई है। सुबह 11 बजे पीसीसी वॉर रूम में होने वाली इस बैठक में 13 जिलों के जिलाध्यक्ष, मंत्री, पूर्व मंत्री, विधायक, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद और सांसद प्रत्याशी रहे नेताओं को बुलाया गया है। बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश, प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा भी मौजूद रहेंगे।

बैठक में बनेगी कार्यक्रमों रूपरेखा
बताया जाता है कि ईआरसीपी पर 13 जिलों में अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनमें धरने-प्रदर्शन, जन जागरण अभियान, नुक्कड़ सभाएं, जनसभाएं और डोर टू डोर कैंपेन भी होंगे।बैठक में ही सभी जिलों के कब-कब कार्य़क्रम आयोजित होंगे, इसकी रूपरेखा भी बैठक में तय होगी।

पार्टी नेताओं की मानें तो करीब एक पखवाड़े तक 13 जिलों में कार्यक्रम होंगे। बताया जाता है कि प्रदेश में चुनावी आचार संहिता लागू होने के बाद ही प्रदेश कांग्रेस की ओर से 13 जिलों में ईआरसीपी को लेकर कार्यक्रम आयोजित होंगे। माना जा जा रहा है कि 10 अक्टूबर के बाद जयपुर या फिर दौसा से इन कार्यक्रमों की शुरुआत हो सकती है।

इसलिए भी अहम है ईआरसीपी का मुद्दा
दरअसल सत्तारूढ़ कांग्रेस के लिए ईस्टर्न कैनल परियोजना का मुद्दा इसलिए भी अहम है चूंकि ईआरसीपी के तहत आने वाले 13 जिलों में विधानसभा की 86 सीटें हैं, पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को यहां बड़ी सफलता मिली थी। कांग्रेस ने 49 सीटों पर कब्जा किया था तो एक सीट गठबंधन के खाते में गई थी। ऐसे में ईआरसीपी के बहाने कांग्रेस की नजर इन सीटों पर है।

वीडियो देखेंः-प्रदेश में प्रशासनिक स्तर पर बड़ा फेरबदल

Part Time Job Scam : जैसे-जैसे तकनीक बढ़ती जा रही है, वैसे ही जालसाजी के नए-नए तरीके सामने आ रहे हैं। ऐसा ही एक हैरान करने वाला मामला सामने आया जहां बेंगलूरु की एक युवती ने थोड़े से पैसों की लालच में 60 लाख रुपए गंवा दिए। दरअसल, स्कैमर्स ने 27 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर को पार्ट टाइम जॉब के जरिए अतिरिक्त पैसे कमाने का लालच देकर उसे एक टेक्सट मैसेज भेजा था। घटना 11 से 19 सितंबर के बीच की है। इसलिए, लोगों को सलाह दी जाती है कि जालसाजी से बचने के लिए सतर्क रहें और किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक नहीं करें और न ही किसी अनजान कॉल करने वाले के साथ गोपनीय जानकारी साझा करें।

युवती के साथ जालसाझी का क्रम तब शुरू हुआ जब 11 सितंबर को उसे मोबाइल पर एक टेक्सट संदेश मिला जिसमें पार्ट टाइम जॉब का विज्ञापन करने वाला एक लिंक था। उत्सुकतावश, उसने लिंक पर क्लिक किया, जिससे वह एक टेलीग्राम ग्रुप से जुड़ गई। वहां, उन्हें केवल होटलों की समीक्षा करने के लिए 100 रुपए देने का वादा किया गया था। प्रारंभ में, उसे अपनी होटल समीक्षाओं के लिए छोटे भुगतान प्राप्त हुए।

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टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार, स्कैमर्स ने तुरंत अपनी चाल बदल दी और उसे एक ऐसे निवेश के बारे में बताया गया जिसके बारे में उनका दावा था कि इससे काफी मुनाफा होगा। ऑफर पर भरोसा करके महिला ने पैसे निवेश करना शुरू कर दिया, यहां तक कि अपने और अपनी सास के खातों से पैसे निकाल कर उसमें निवेश कर दिए। समय के साथ, युवती ने इस योजना में 60 लाख रुपए का चौंका देने वाला निवेश किया।

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ठगे जाने का अहसास युवती को तब हुआ जब उसे वादा किया गया वह पार्ट टाइम जॉब नहीं मिला जिसे दिलाने का स्कैमर्स ने वादा किया था। हैरानी की बात यह है कि इस तरह का मामाला पहला ऐसा मामला नहीं है जिसमें लोगों ने स्कैमर्स ने ठगा नहीं हो। पूर्व में आकर्षक कमाई का लालच देकर स्कैमर्स ने सॉफ्टवेयर इंजीनियरों और अन्य पेशेवरों को निशाना बनाया है।

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अगस्त में, मुंबई में एक फुटबॉल कोच इसी तरह के घोटाले का शिकार हो गया, जिसमें उसे 9.87 लाख रुपए ठग लिए गए। कोच को यह विश्वास दिलाया गया कि उसने पार्ट टाइम जॉब हासिल कर लिया है, लेकिन बाद में उसे एक यूट्यूब चैनल की सदस्यता लेने और समय-समय पर भुगतान करने के लिए स्कैमर्स ने उसे मजबूर किया। हालांकि, धोखाधड़ी का जब तक उसे पता चला, वह करीब 10 लाख रुपए गंवा चुका था।

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जयपुर. आमतौर पर ब्रेन की नस में एक भी गुब्बारा (एन्युरिज्म) बनता है तो मरीज की जान खतरे में आ जाती है। लेकिन डॉक्टर्स ने हाल ही में एक ऐसे मरीज की जान बचाई, जिसके ब्रेन में तीन एन्युरिज्म बन गए थे और उनमें से दो फट भी चुके थे।
मरीज बेहोशी की हालत में हॉस्पिटल पहुंचे थे। यहां से पहले वे अन्य सेंटर्स पर भी गये लेकिन मामले की गंभीरता देखते हुए कहीं भी भर्ती नहीं किया जा सका। हमने चुनौती स्वीकारते हुए उन्हें भर्ती किया और एक ही सिटिंग में तीनों एन्युरिज्म में क्लिपिंग कर दी गई।
न्यूरोसर्जन डॉ. संजीव सिंह ने बताया कि रुक्मणी बिरला हॉस्पिटल में हुए इस प्रोसीजर में चार घंटे का समय लगा। इसके बाद उन्हें कुछ दिनों आईसीयू में वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था और ट्रिक्योस्मी करके धीरे धीरे वेंटिलेटर से हटा लिया गया। प्रोसीजर के 12 दिन बाद उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
डॉक्टर ने एन्युरिज्म के बारे में जानकारी दी कि हमारे दिमाग में रक्त संचार के लिए खून की नसें होती हैं | कई कारणों से नसों की भित्ति में कमजोरी आने पर बहते रक्त के दबाव से नसों में गुब्बारें की तरह फुलावट आ जाती हैं। इस स्थिति को ब्रेन एन्युरिज्म कहते हैं। एन्युरिज्म फट जानें पर दिमाग में हेमरेज (hemorrhage) हो जाता हैं, जोकि बहुत हे तेज़ सिरदर्द का कारण होता हैं। कई केसेस में उसी दौरान मरीज की मृत्यु भी हो सकती हैं। इसीलिए ब्रेन एन्युरिज्म के लक्षण दिखने पर बिना देर किए मरीज को विशेषज्ञ के पास लाना चाहिए जिससे उसे बचाया जा सके।

जयपुर। प्रदेश में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले राज्य सरकार ने शुक्रवार देर रात एक बार फिर बड़ा प्रशासनिक फेरबदल किया है। सरकार ने 53 आरएएस अधिकारियों और एक आईएएस अधिकारी का तबादला किया है।

इससे पहले भी हाल ही में सरकार आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की तबादला सूची जारी कर चुकी है। कार्मिक विभाग की ओर से जारी सूची के मुताबिक आईएएस अधिकारी डॉ. धीरज कुमार सिह को खींवसर-नागौर का एसडीएम लगाया गया है। वहीं 53 आरएएस अधिकारियों को भी अलग-अलग पोस्टिंग दी गई है। माना जा रहा है कि रविवार या सोमवार को भी कोई बड़ी तबादला सूची जारी हो सकती है।

इन आरएएस अधिकारियों के हुए तबादले
महेंद्र कुमार खींची- निदेशक भाषा एवं पुस्तकालय विभाग जयपुर, जोगाराम देवासी- सीईओ व पदेन मुख्य परियोजना अधिकारी माडा उदयपुर, रचना भाटिया-अतिरिक्त आयुक्त उपनिवेशन (सतर्कता) बीकानेर, भावना शर्मा- अतिरिक्त आयुक्त नगर निगम कोटा उत्तर, कैलाश चंद शर्मा-सीईओ नाथद्वारा मंदिर मंडल, मेघराज सिंह मीणा- एडीएम भरतपुर, लोकेश कुमार मीणा- एडीएम जयपुर, रामचंद्र- उपमहानिरीक्षक पंजीयन एवं मुद्रांक अजमेर, राजेश जोशी-सचिव नगर विकास न्यास उदयपुर, कृष्णपाल सिंह चौहान- एडीएम सलूंबर, रतन कुमार- सीओ माडा श्रीगंगानगर, सोबीला माथुर- प्रबंधक रवींद्र मंच जयपुर, डॉ. प्रभा व्यास -जिला रसद अधिकारी प्रथम जयपुर, रविंद्र कुमार शर्मा-अतिरिक्त आयुक्त व शासन उप सचिव प्रथम पंचायती राज विभाग जयपुर, आलोक कुमार सांखला-उपनिदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग करौली, अशोक कुमार मीणा-राजस्व अपील अधिकारी हनुमानगढ़ यशपाल आहूजा-आयुक्त नगर परिषद श्रीगंगानगर के पद पर लगाया गया है।


इसी प्रकार योगेश कुमार डागुर -एडीएम कोटपूतली, प्रियव्रत सिंह चारण- रजिस्ट्रार राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर, रविंद्र कुमार- एडीएम कुचामन सिटी लगाया गया है । प्रकाश चंद्र रैगर- एसडीएम सराड़ा सलूंबर में लगाया गया है। दुर्गा शंकर मीणा-सीईओ जिला परिषद प्रतापगढ़, विनोद कुमार मीणा-एसडीएम कामां,ओम प्रभा-उपायुक्त जयपुर विकास प्राधिकरण, संजू पारीक-उपायुक्त नगर निगम जयपुर हेरीटेज, पंकज शर्मा-एसडीएम भीनमाल के पद पर लगाया गया है।

इसके अलावा राम सिंह राजावत-एसडीएम बसेड़ी, दिवांशु शर्मा एडीएम सीलिंग न्यायालय कोटा, विवेक व्यास-एसडीएम बायतु, विजेंद्र कुमार मीणा-एसडीएम दीगोद, केशव कुमार मीणा-एसडीएम मलारना डूंगर, हर्षित वर्मा-उपसचिव नगर विकास न्यास कोटा, सुनील कुमार- एसडीएम साबला, सरिता मल्होत्रा-सहायक कलक्टर मुख्यालय टोंक, सीता शर्मा- एसडीएम विजयनगर अनूपगढ़ के पद पर लगाया गया है। सरिता -आयुक्त नगर निगम कोटा, मधुलिका सींवर-सहायक भू प्रबंधन अधिकारी जोधपुर, प्रमोद कुमार-एसडीएम सिणधरी, सुप्रिया-एसडीएम लाडनूं के पद पर लगाया गया है।

वहीं दिनेश कुमार मीणा-एसडीएम मांगरोल, सोहनलाल नरूका-एसडीएम बदनोर, मनोज सोलंकी-एसडीएम देसूरी, दिनेश शर्मा-एसडीएम सेपऊ, सुमन शर्मा- नारायणपुर कोटपूतली , विनीता स्वामी- बोंली, राधेश्याम मीणा-एसडीएम गंगापुर सिटी , नीलम मीणा- उपायुक्त नगर निगम जोधपुर दक्षिण , सिद्धार्थ संधू- एसडीएम रानी पाली , पूनम-एसडीएम खींवसर, सुनील कुमार-एसडीएम नागौर, कपिल कोठारी-एसडीएम धरियावद, भारतीय फुलफखर-एसडीएम रायसिंहनगर अनूपगढ़ के पद पर लगाया गया है।

जयपुर. देश-दुनिया में चल रही विभिन्न गतिविधियों पर बच्चों के मन में सवाल कौंधते हैं। वे जवाब चाहते हैं, लेकिन जवाब के बजाय उन्हें डांट दिया जाता है, लेकिन इसके विपरीत माहौल विद्याधर नगर स्टेडियम में आयोजित बाल संसद में देखा गया। इस दौरान नई पीढ़ी के सवालों के उत्तर राज्यसभा सांसद और विभिन्न विभागों से जुड़े विशेषज्ञों ने दिए। कार्यक्रम का आयोजन गैर सरकारी विद्यालयों के संगठन स्कूल शिक्षा परिवार की ओर से किया गया। इसमें सरकारी और निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के बीच किए जा रहे भेदभावों के खिलाफ तीन संकल्पों को पारित किया गया।

ये हुए शामिल

एसएसपी अध्यक्ष अनिल शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम में बच्चों के साथ शिक्षक, संचालक और अभिभावक सम्मिलित हुए। सेवानिवृत्त न्यायाधीश दीपक माहेश्वरी ने अध्यक्षता की। वहीं राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा राजनीतिक विशेषज्ञ के रूप में शामिल हुए। रिटायर आईएएस जीपी शुक्ला, पूर्व उपनिदेशक सत्येंद्र पवार, मनीष विजयवर्गीय और राजस्थान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर भगवान दास रावत भी उपस्थित रहे। बाल संसद को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया।

ये संकल्प हुए पारित

पहला संकल्पः भारतीय संविधान में सरकारी और गैर सरकारी विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों में भेदभाव करने का कोई प्रावधान नहीं है। अतः संविधान की भावना के अनुरूप सभी बच्चों को समान मानकर सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाए।

दूसरा संकल्पः सभी भेदभाव वाली योजनाओं के संबंध में बाल संसद का पारित संकल्प पत्र राज्य सरकार को आवश्यक कार्यवाही के लिए भेजा जाए। सरकार की ओर से कार्यवाही न होने पर न्यायालय जाएंगे।

तीसरा संकल्पः शिक्षा सेवा है, इसे व्यवसाय नहीं माना जाए। राज्य सरकार द्वारा शिक्षा को व्यवसाय मानकर लिए जा रहे फैसलों पर उचित कार्यवाही की जाए।

बना वर्ल्ड रिकॉर्ड
बाल संसद में बच्चों की उपस्थिति के आधार पर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की ओर से विश्व की सबसे बड़ी बाल संसद का अवाॅर्ड दिया गया। विशेषज्ञों ने संबोधन में परोक्ष रूप से कहा कि जो दल बच्चों के संकल्पों को समर्थन देगा उसे ही मत दिया जाए।

बच्चों से ज्यादा अभिभावक और परिजन नजर आए

कार्यक्रम को राजनीतिक रूप देने के भरसक प्रयास किए गए। बच्चों की उपस्थिति काफी संख्या में जरूर थी, लेकिन उन से कहीं अधिक अभिभावक नजर आए।

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