>>: Video : गलावण-वलावण के साथ थमने लगी थाली-मांदल की गूंज

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उदयपुर. राखी के बाद से ही मेवाड़ के अलग-अलग क्षेत्रों में चल रहा आदिवासी अंचल का लोक नाट्य गवरी सवा माह बाद अब थमने लगा है। गवरी की विदाई के अंतिम दो दिवसीय गलावण-वलावण के आयोजनों में बड़ी संख्या में लोग उमड़ रहे हैं। थाली-मांदल की धुन पर कलाकार गवरी नृत्य के साथ ही विभिन्न रस्मों को अदा कर रहे हैं।

जिले के विभिन्न गांवों की गवरी का गलावण और वलावण का आयोजन अलग-अलग दिन हो रहा है। शनिवार को भूवाणा गांव की गवरी का गलावण के आयोजन किए गए। इसके तहत सुबह गवरी नृत्य हुआ। दोपहर को कुम्हार के यहां से हाथी पर सवार गौरज्या माता को विधि-विधान से शोभायात्रा के रूप में लाया गया। इस दौरान गवरी कलाकारों के साथ ही गांव के बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। गौरज्या माता की प्रतिमा गांव के मंदिर पहुंची तो श्रद्धा के साथ उनकी अगवानी की गई। कलाकारों का माला पहनाकर स्वागत किया गया। यहां पेरावण की रस्म हुई। इसके साथ ही रात को जागरण हुआ।
यहा रविवार सुबह गवरी नृत्य होगा। इसके साथ ही पेरावणी होगी और वलावण की रस्म होगी।

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