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Pali Cotton Cloth Industry : पाली जिले में कॉटन (कपास) का उत्पादन तो महज 10 हजार हैक्टेयर में ही होता है। यहां कॉटन का कपड़ा तैयार नहीं किया जाता है, बल्कि कपड़े की प्रोसेसिंग होती है। इसके बावजूद पाली कॉटन का किंग है। यहां प्रोसेस हुए कॉटन के कपड़ों की देश के साथ विदेशों तक धाक है। कॉटन के कपड़ों के साथ पाली के कॉटन का कपड़ा पग के रूप में सिर पर भी सजता है।

पाली में कॉटन के कपड़ों की रंगाई व छपाई का कार्य सालों पहले घरों में शुरू हुआ था। उस समय शुद्ध कॉटन की मलमल पर ब्लॉक से प्रिंटिंग की जाती थी। इस व्यवसाय का विस्तार होने के बाद आज पाली में यह कार्य करने वाली 800 से अधिक इकाइयां स्थापित हो चुकी है। पाली की सभी इकाइयों में रोजाना करीब 60 लाख मीटर कॉटन का कपड़ा तैयार किया जाता है।

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मुख्य रूप से ये कपड़ा इतनी इकाइयों में होता तैयार
● अस्तर करीब 300 इकाइयों में
● ब्लॉउज का कपड़ा करीब 200 इकाइयों में
● पगड़ी का कपड़ा 100 से अधिक इकाइयों में
● साड़ी 50 से अधिक इकाइयों में
● सलवार सूट 50 से अधिक इकाइयों में
● चून्नी व दुपट्टा व गमछा भी काफी इकाइयां निर्माण कर रही
● इसके अलावा लूंगी भी होती तैयार

यहां बनता है कॉटन का कपड़ा
● पाली
● अहमदाबाद
● त्रिपुर
● सेलम
● इरोड
● बुहरानपुर
● बालोतरा

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नाम से बिकता ब्रांड
पाली में महिलाओं के सूट कई इकाइयों की तैयार किए जा रहे है। जो अब उनके ब्रांड के नाम से ही देश में बिकते हैं। वह भी कैटलॉग के साथ। पाली में हर माह करीब 700-800 करोड़ रुपए के कपड़े का व्यापार होता है। -अनिल गुलेच्छा, उद्यमी व अध्यक्ष, सीइटीपी, पाली

टॉपिक एक्सपर्ट : देश के हर कोने में जाता है पाली का कपड़ा
पाली में आज कॉटन के साथ सिंथेटिक कपड़े की भी प्रोसेसिंग की जाती है। पाली में तैयार कपड़ा देश के हर कोने में जाता है। विदेशों में खासकर अफ्रीका व कनाडा में जाता है। कनाडा में पग का कपड़ा अधिक भेजा जाता है। यह कपड़ा सीधे पाली से तो नहीं जाता है। कपड़ा हमारे यहां से पंजाब, दिल्ली या मुम्बई में कम्पनियों आदि के मार्फत जाता है। अब पाली में कॉटन की साड़ी की जगह महिलाओं के सूट भी तैयार किए जा रहे हैं। -विनय बम्ब, उद्यमी व प्रांत महासचिव, उद्योग भारती

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