>>: बदली लाइफ स्टाइल और खाने-पीने का ट्रेंड, शादियों में भी जोड़ा सर्दी का मेन्यू

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कोचिंग नगरी कोटा में सर्दी के तेवर अचानक तीखे हो गए है। सीजन की पहली मावठ के कारण सर्दी ने रंग दिखाना शुरू किया है। सर्दी का असर बढ़ने के साथ ही लोगों के खानपान व पहनावे में भी बदलाव आ गया। घरों में अब पुए, पकौड़ी, दाल-ढोकला, आलू, मैथी, मूली पराठा, मक्का रोटी-साग की खुशबू महकने लगी है। शादियों में भी सर्दी का मेन्यू बदल गया। बाजारों में शाही थाली की डिमांड बढ़ गई। शाही थाली में दाल-बाटी, बाफले, गट्टे की सब्जी की मांग बढ़ी है। इसके अलावा कचोरी की मांग भी बढ़ी है।

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मेवों की बिक्री तेज
इधर, सर्दी की खुराक की डिमांड तेज हो गई है। शहर में कई जगहों पर तिल की गजक, ब्यावर की तिलपट्टी, रेवड़ी, गजक, तिल के लड्डू आदि चीजें उपलब्ध हैं। खजूर की भी बिक्री होने लगी है।

घरों से शादियों तक में गर्म तासीर के व्यंजन
घरों से लेकर बाजारों और शादियों के खानों तक में गर्म तासरी की चीजों की डिमांड ज्यादा होने लगी है। घरों में जहां मक्के की रोटी, दाल-ढोकले, राबड़ी आदि बनने की शुरुआत हो चुकी है तो वहीं, शादियों में मेन्यू में फास्ट फूड के साथ आलू बड़े, पकौड़े, पुडी, हल्दी की सब्जी, मक्की की रोटी और सरसों की साग, धनिया की चटनी, मूंग की दाल व गाजर का हलवा सर्दी में दावत का स्वाद बढ़ा रहे है।

गर्म कपड़ों की खरीद
शहर में वुलन बाजार में गर्म कपड़ोें की खरीद बढ़ गई है। तिब्बतियन मार्केट में भी दुकानों पर सर्दी बढ़ते ही लोेग यहां खरीदारी के लिए पहुंच रहे हैं। दुकानों व फुटपाथों पर गर्म कपड़ों की खरीद हो रही है।

हेमंत ऋतु
मार्गशीर्ष-पौष (नवम्बर, दिसम्बर, जनवरी) - इस ऋतु में जठराग्नि अधिक प्रबल होती है, अत: वात व पित्त का प्रकोप नहीं होता। भोजन सहजता से पचता है। इस ऋतु में अग्नि प्रबल होने पर उसे उचित ईंधन (गुरु आहार) नहीं मिलता तो अग्नि शरीर में उत्पन्न प्रथम धातु (रस) को जला डालती है। अत: गुरु आहार यानि गरिष्ठ भोजन यानि घी, तेल में बना उष्ण भोजन लेना आवश्यक है। सूखे मेवे और उससे बनने वाले पौष्टिक खाद्य पदार्थ लेना उचित है।

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सर्दी चमकी तो घरों में गर्मा गर्म पकवान लोगों को पसंद आने लगे है। शादियों में भी खाने का मेन्यू बदला है। हमारे शास्त्रों में उसी अनुसार ऋतुचर्या भोजन का विधान है।-डॉ. संजीव सक्सेना, डाइट एंड फिटनेस एक्सपर्ट

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