ग्रेटर निगम के वार्ड कार्यालयों में अस्थायी अकुशल श्रमिकों को पगार नहीं मिल रही है। जबकि, इन श्रमिकों को वार्ड कार्यालय की साफ-सफाई और अतिथियों के सत्कार के लिए लगाया गया है। चार जोन के कर्मचारियों को दो माह से पगार नहीं मिली है। ग्रेटर निगम के सात में से तीन जोन में नियमित रूप से भुगतान किया जा रहा है।
90 वार्ड में ही पार्षद कार्यालय
ग्रेटर निगम के 150 वार्ड में से 90 में ही कार्यालय हैं। ऐसे में यहां गड़बड़झाला भी हो रहा है। कुछ जगह तो पार्षद निजी स्तर पर कार्यालय चला रहे हैं। पार्षदों ने कार्यालय घोषित करवा लिया और दो अस्थायी कर्मचारी ले लिए।
करोड़ों खर्च हो रहे सालाना
-20.98 लाख प्रति माह और सालाना 2.51 करोड़ हो रहे खर्च
-269 रुपए प्रतिदिन मिलते हैं एक अस्थायी कर्मचारी को
-26 दिन का अधिकतम भुगतान किया जाता है एक माह में
ये उपलब्ध करवा रहीं मैन पावर
एक कम्पनी निगम के 81 वार्ड में 162 अकुशल श्रमिक उपलब्ध करवा रही है। इस कम्पनी के श्रमिकों को भुगतान की दिक्कत हो रही है। वहीं, दूसरी कम्पनी ने 69 वार्ड में 138 अकुशल श्रमिक उपलब्ध कराए हैं। इस कम्पनी के अकुशल श्रमिकों को नियमित रूप से भुगतान किया रहा है।
ऐसे होता भुगतान
-महीने की पांच तारीख तक कर्मचारियों को भुगतान करने के बाद कम्पनी को निगम में बिल देना होगा और उसके बाद निगम पैसा फर्म को दे देगा।-अस्थायी कर्मचारी की उपस्थिति की स्वीकृति पार्षद और उसके बाद मुख्य सफाई निरीक्षक (सीएसआइ) देता है। अंत में स्वास्थ्य शाखा उपायुक्त कार्यालय से भुगतान होता है।
हैरिटेज में हुआ था विवाद
हैरिटेज निगम में बीट सिस्टम को लेकर जून में विवाद हो चुका है। महापौर मुनेश गुर्जर और तत्कालीन अतिरिक्त आयुक्त राजेंद्र वर्मा आमने-सामने हो गए थे। मामला इतना बढ़ गया था कि महापौर अपने पार्षदों के साथ धरने पर बैठ गई थीं। वहीं, वर्मा ने बैठक में अभद्रता के आरोप लगाए थे।
ग्रेटर ने वापस कर दी थी बैंक गारंटी
बीट सिस्टम के एक प्रकरण में ग्रेटर निगम ने 25.62 लाख रुपए बैंक गारंटी के वापस कर दिए थे। जबकि, ये पैसा निगम को जब्त करना था। दरअसल, 06 मई, 2022 को ग्रेटर निगम ने प्रत्येक वार्ड में आठ-आठ बीट कर्मचारी उपलब्ध कराने के लिए आरएसबी सिक्योरिटी को कार्यादेश दिया। आठ जून को अंतिम नोटिस दिया। सात दिन में कर्मचारी उपलब्ध नहीं कराने का कारण पूछा और ठेका निरस्त कर बैंक गारंटी जब्त करने की बात भी नोटिस में लिखी। लेकिन, निगम अधिकारियों से मिलीभगत कर कम्पनी ने बैंक गारंटी को वापस ले लिया।
अस्थायी कर्मचारियों के भुगतान संबंधी पत्रावली वित्त समिति अध्यक्ष के पास गई है। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद भुगतान किया जाएगा।
-मुकेश मूंड, उपायुक्त, स्वास्थ्य शाखा