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बिजली संकट से राहत पहुंचा सकता है मातासुख का कोयला Monday 11 December 2023 08:03 AM UTC+00 ![]() नागौर जिले की प्रसिद्ध मातासुख- कसनाऊ लिग्नाइट परियोजना में कोयले का अथाह भंडार पड़ा है। राजस्थान में बाडमेर के बाद यह दूसरी सबसे बड़ी परियोजना है।नागौर जिले इस कोयले को वर्ष 2004 से अब तक विभिन्न प्रकार के उपयोग के लिए सीमेंट फैक्ट्ररी, टैक्सटाइल उद्योग, ईंट भट्टा में उपयोग लिया जाता रहा है। हालांकि मातासुख खदान में निकलने वाले लिग्नाइट कोयले को पूर्व में सूरतगढ़ थर्मल में भी बिजली उत्पादन के लिए एक बार उपयोग में लिया गया था। सूत्रों की माने तो लिग्नाइट कोयले को अगर बिजली उत्पादन में काम में लिया जाए तो सरकार को यह कोयला कम लागत में बिजली उत्पादन दे सकता है, क्योंकि मातासुख लिग्नाइट कोयले में कार्बन की मात्रा बिटुमिनस कोयले के आसपास ही है। बिजली उत्पादन में कोयले का उपयोग जानकारी अनुसार बिजली उत्पादन के पावर प्लांट में कोयले को जलाकर पानी को भाप बनाने के काम में लिया जाता है। पानी भाप बनकर दूसरी यूनिट में लगे टर्बाइन को चलाया जाता है। टर्बाइन के साथ जुड़े अल्टीनेटर से बिजली उत्पादन होता है। इस प्रोसेस में कोयला जलाने के काम आता है। मातासुख लिग्नाइट खदान में निकलने वाला कोयला भी काफी ज्यादा ज्वलनशील है। गर्मी के दिनों में मांइस व कोयला गोदाम में पड़ा कोयला अपने आप जलना शुरू हो जाता है। बिजली के खर्च को कम कर सकता है लिग्नाइट कोयला- 19 साल में निकला 40 लाख टन कोयला- मातासुख लिग्नाइट कोयला खदान से बीस साल में आरएसएमएमएल की ओर से करीब चालीस लाख टन कोयला निकाला गया है। गौरतलब है कि वर्ष 2003 में मातासुख गांव में आरएसएमएमएल ने कोयला खदान की खुदाई शुरू की गई थी। वर्ष 2004 में आरएसएमएमएल की ओर से कोयला निकाल लिया गया, लेकिन इस दौरान माइंस में कोयले में पहले ही प्रचुर मात्रा में खारा पानी निकल आया। पानी को तोड़ कर भारी परेशानी का सामना करते हुए आरएसएमएमएल ने कोयला खनन जारी रखा। वर्ष 2010 तक आरएसएमएमएल मात्र साढे छ: लाख टन ही कोयला निकाल पाई। इस दौरान माइंस में बाधा बन रहे खारे पानी को मीठा कर जायल तहसील में देने का प्लान बना कर आरओ प्लांट बनाया गया। आरओ प्लांट 2009 में शुरू हो गया था। प्लांट में पानी की आपूर्ति देने के बाद मातासुख खदान में पानी कम होने लगा तो आरएसएमएमएल के लिए कोयला निकालने में आसानी होने लगी और वर्ष 2011 से मार्च 2022 तक आरएसएमएमएल ने साढे 33 लाख टन कोयला निकाल लिया गया। कोयले की है प्रचुर मात्रा- इनका कहना है |
अर्द्धवार्षिक परीक्षा के परिणाम का भी होगा आकलन, कम रिजल्ट वाले शिक्षकों पर गिरेगी गाज Monday 11 December 2023 03:19 PM UTC+00 ![]() सूत्रों के अनुसार स्कूलों में 23 दिसम्बर तक अर्द्धवार्षिक परीक्षा चलेगी। अलग-अलग तिथि से शुरू हो रही इन परीक्षाओं के परिणाम पर शिक्षकों का भी आकलन किया जाएगा। नागौर (डीडवाना-कुचामन) जिले के तकरीबन चालीस हजार विद्यार्थी दसवीं व बारहवीं बोर्ड की परीक्षा में बैठेंगे। नवीं से बारहवीं कक्षा के बच्चों की संख्या साठ हजार से अधिक बताई जा रही है। अध्यापन को लेकर शिक्षकों की शिकायत जग-जाहिर है। वर्ष 2022-23 की बोर्ड परीक्षा में कम रिजल्ट देने पर कई शिक्षकों को नोटिस तक जारी किए जा चुके हैं। सूत्र बताते हैं कि अर्द्धवार्षिक परीक्षा के परिणाम को भी इस बार गंभीरता से लिया जा रहा है। उच्च अधिकारियों का कहना है कि दसवीं-बारहवीं बोर्ड की परीक्षा में तीन माह बाद बैठने वाले बच्चों की पढ़ाई की स्थिति क्या है, इससे पता चलेगा। यह भी सामने आया कि तीस फीसदी स्कूलों में कोर्स भी आधा-अधूरा सा है। रिक्त पद से भी हाल-बेहाल रिक्त पदों के चलते सरकारी स्कूलों के हाल खराब हैं। बरसों से खाली पड़े पदों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा। कुछ पद हाल ही में भरे गए, लेकिन वो ऊंट के मुंह में जीरा की तरह हैं। करीब एक चौथाई से अधिक पद खाली हैं । 25 हजार 792 में से पांच हजार पद खाली हैं। जिले के करीब तीन हजार से अधिक स्कूलों का यह हाल है। कई स्कूल तो एक अथवा दो शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं। हालत यह है कि दसवीं-बारहवीं का कोर्स पूरा कराने के लिए शिक्षकों की वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ रही है। सरकारी शिक्षकों की किल्लत से परिणाम बिगड़ रहा है। पिछले पांच साल में विषय के अनुरूप गणना करें तो परिणाम में अध्यापकों की किल्लत से तीन से पांच फीसदी की गिरावट आ रही है। शिक्षकों की तबादला नीति में हो रहे दांवपेंच भी इसका कारण बताए जाते हैं। केवल दो-तीन शिक्षक से चल रहा है काम सूत्रों का कहना है कि नागौर समेत कुछ अन्य शहरी/कस्बाई इलाकों को छोड़ दें तो सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की किल्लत साफ नजर आती है। मकराना के पास एक राउप्रा विद्यालय में केवल तीन शिक्षक हैं, ऐसे में आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को पढ़ाएं कैसे? आलम यह है कि गणित/अंग्रेजी पढ़ाने वाले अध्यापक नहीं हैं। ऐसा ही हाल मौलासर, पीलवा, खजावाना, मेड़ता समेत जिले के कई क्षेत्र में चल रहे स्कूलों का है। यहां तक कि सीनियर सैकण्डरी स्कूलों में विषय अध्यापक की तंगी खत्म नहीं हो पा रही। इनका कहना नवीं से बारहवीं कक्षा की अर्द्धवार्षिक परीक्षा सोमवार से शुरू हो रही है। इसका रिजल्ट बोर्ड परीक्षा में बैठने वाले विद्यार्थियों की तैयारी के संकेत देता है। स्कूली ड्रेस का वितरण भी शुरू हो गया है।-रामनिवास जांगिड़, कार्यवाहक सीडीइओ, नागौर। 000000000000000000000000000000 स्कूली ड्रेस वितरण शुरू |
VIDEO...ढाई करोड़ से ज्यादा की राशि व्यय होने के बाद भी बख्तासागर पार्क को निगल रही गंदगी Monday 11 December 2023 03:21 PM UTC+00 ![]() -जिम्मेदारों की बेपरवाही के चलते मिट्टी की प्रकृति बदलने के साथ ही पार्क का स्वरूप भी अब होने लगा बदरंग |
VIDEO...पशु पालक बोले: ट्रेन का संचालन शुरू कराए सरकार नहीं तो रामदेव पशु मेला पर लग जाएगा ग्रहण Monday 11 December 2023 03:57 PM UTC+00 ![]() -इस माह होने वाली पशु मेला की बैठक में पशु पालन विभाग जिला कलक्टर के साथ इस मुद्दे पर करेगा चर्चा |
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