>>: जल संकट : आधे शहर में 72 व शेष में 48 घंटे में मिल रहा पानी, आमजन का फूट सकता है आक्रोश

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जलदाय विभाग की एकांतर में पेयजल सप्लाई का दावा
जनता को तीन दिन में नहीं मिल रहा पानी
अलवर. अभी गर्मी शुरू भी नहीं हुई है, लेकिन इससे पहले ही शहर में पानी का संकट गहरा गया है। जलदाय विभाग एकांतर (एक दिन छोडकऱ) पेयजल सप्लाई का दावा कर रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि लोगों के घरों में तीन-तीन दिन तक नलों से पानी नहीं टपक रहा। कांग्रेस सरकार में पानी के रोटेशन को लेकर शोर मचाने वाले भाजपा के बड़े नेताओं ने खूब शोर मचाया था, लेकिन अपनी सरकार आते ही अब पानी के मुद्दे पर सभी मौन हैं।
जलदाय विभाग के रेकॉर्ड के अनुसार शहर की 4 लाख 15 हजार 579 की आबादी को 60 हजार से ज्यादा पेयजल कनेक्शन दिए हुए हैं। एनसीआर के नियमों के तहत शहर को रोजाना 561 लाख लीटर पानी दिया जाना चाहिए, लेकिन यहां इसका आधार पानी ही दिया जा रहा है। जिसके चलते शहर के सभी 65 वार्डों में किसी ना किसी गली-मोहल्ले में संकट बना हुआ है। विभाग के अफसरों ने कागजों में शहर में पेयजल सप्लाई की एकांतर व्यवस्था को लागू किया हुआ है, लेकिन शहर के ज्यादातर इलाकों में इस एकांतर व्यवस्था के अनुसार पानी की सप्लाई नहीं दी जा रही।


रोजाना कर रहे सप्लाई बाधित

पेजयल सप्लाई की एकांतर व्यवस्था में जलदाय विभाग के अफसरों ने घालमेल किया हुआ है। लगभग रोजाना किसी ना किसी टंकी से क्षेत्रों में पेयजल सप्लाई को बाधित कर रहे हैं। वहीं, कई इलाकों में अघोषित रूप से पानी की सप्लाई को बाधित किया जा रहा है या फिर कम पानी छोड़ा जा रहा है। जिसके चलते लोगों को तीन-तीन दिन तक पानी नहीं मिल पा रहा। प्यासी जनता पानी के लिए अफसर और नेताओं के यहां चक्कर काट रही है, लेकिन कहीं भी उनकी सुनवाई नहीं हो रही।

पेयजल संकट दूर करने के प्रयास जारी
&अलवर शहर में पेयजल संकट दूर करने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। मेरी ओर से वर्ष 2023-24 की विधायक निधि की पूरी राशि बोङ्क्षरग के लिए दी, जिससे शहर में बोङ्क्षरग लगाए जा रहे हैं। जलदाय विभाग ने टंकियों को भरने के लिए 7 बड़े बोङ्क्षरग के प्रस्ताव मुख्यालय को भेजे हैं। इसके अलावा जल संसाधन मंत्री की ओर से भी प्रत्येक विधायक को 5 बोङ्क्षरग और 20 हैंडपम्प लगवाने के लिए बजट देने की घोषणा की है। गर्मी आने से पहले ही इन सभी बोङ्क्षरग को चालू कराने का प्रयास रहेगा। ताकि शहर में पेयजल संकट न रहे।
- संजय शर्मा, वन मंत्री, राजस्थान।

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