>>: पशु चिकित्सालय में नहीं दवाइयां, पशुपालकों को महंगे दामों में बाजार से करनी पड़ रही खरीद

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गोविंदगढ़. विधानसभा चुनाव से पहले लगी आचार संहिता से लेकर आज तक सरकारी पशु चिकित्सालय में दवा नहीं मिल रही है। इसका मुख्य कारण नया टेंडर नहीं होना बताया जा रहा है। सरकारी पशु चिकित्सालय में दवाइयों की कमी से पशुपालकों को बीमार पशुओं के इलाज के लिए परेशान होना पड़ रहा है। इनको मजबूरी में बाजार में मेडिकल से दवा लेकर पशुओं का इलाज करना पड़ रहा है।

सरकारी पशु चिकित्सालय में बीमार पशुओं के इलाज के लिए 138 प्रकार की दवा मुफ्त में देने की घोषणा है, लेकिन अब तो स्टॉक में पड़ी थोड़ी बहुत दवाइयों से ही काम चलाना पड़ रहा है। इधर पशु पालकों का कहना है कि पशु के बीमार होने पर अस्पताल में दवा नहीं मिलने से बाजार में महंगी दवाइयां लाकर इलाज करना पड़ रहा है। सरकारी पशु चिकित्सालय में दवाइयों की कमी करीब 6 से 7 महीने से चल रही है। जब विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लगी थी। इसके साथ ही दवाइयों की कमी आने लग गई थी। विधानसभा चुनाव भी हो गए। सरकार बन गई, लेकिन अभी तक पशु चिकित्सालय में दवा नहीं आई।

निमोनिया से पीड़ित अधिकांश पशु :

इस वर्ष सर्दी का सीजन लंबा चला है। अधिकांश गाय, भैंस निमोनिया से ग्रसित है। सर्दी में बुखार, पशुओं के पेट में कीड़े आदि की समस्याएं चल रही है। आरोप है कि पशुपालन विभाग में अधिकांश पशुधन सहायक अपनी बाइक के का डिब्बा लगाकर बैग में दवाइयां भर कर गांव में घूम-घूम कर इलाज कर रहे हैं। वह पशुपालकों से मनमर्जी से पैसा वसूल रहे हैं। इधर मजबूरी में दवाइयां नहीं मिलने से कई पशुपालक बीमार पशुओं को झोलाछाप से इलाज करवा रहे हैं।

क्षेत्र के हिसाब से वितरण होती है दवा :

पशुपालन विभाग के अनुसार पशु चिकित्सालय में दवा क्षेत्र के अनुसार वितरण की जाती है। बहरोड, बानसूर, रैनी, गोविंदगढ़, लक्ष्मणगढ़, कठूमर, मालाखेड़ा, खेड़ली, रामगढ़ सभी जगह डिमांड और क्षेत्र के हिसाब से दवा का वितरण हो रहा है। पहाड़ी वन क्षेत्र का भी दवा वितरण के दौरान विशेष ध्यान रखा जाता है।

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138 तरह की दवाई मौजूद

हमारे पास 138 तरह की दवाई मौजूद है। पशु चिकित्सालय में क्षेत्र के हिसाब से दवाइयों का वितरण किया जाता है। अगर कहीं चिकित्सालय पर दवाइयां की कमी है तो हम सप्लाई डिमांड के अनुसार करवा देंगे।

विजय मंडोवेरा, प्रभारी दवा वितरण, पशुपालन विभाग अलवर।

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