>>Patrika - A Hindi news portal brings latest news, headlines in hindi from India, world, business, politics, sports and entertainment! |
सरसों कटाई के बदले में डंठलों से मजदूरी की भरपाई, किसान और मजदूर बन रहे एक-दूसरे का सहारा ...पढ़ें यह न्यूज Tuesday 27 February 2024 06:21 PM UTC+00 ![]() नौगांवा. सरसों की कटाई में मजदूरों और किसानों के लिए आम के आम और गुठली के भी दाम वाली कहावत सिद्ध हो रही है। महंगी होती लकड़ी एवं फसल कटाई में बढ़ती मजदूरी ने किसानों व मजदूरों दोनों को एक-दूसरे का सहाना बना दिया है। लकडी के आसमान छूते भाव से तंग आकर गरीब तबके के लोग दिनभर खेतों में पसीना बहाकर सरसों के डंठल कटाई कर ईंधन जुटा रहे हैं, जिससे उनके घर का चूल्हा जल रहा है, दूसरी ओर इसकी एवज में किसानों को महंगी मजदूरी और समय की बर्बादी से निजात मिल रही है। किसानों को जहां मजदूरी नहीं देनी पड़ रही, वहीं खेत साफ होने के साथ सरसों की भी कटाई हो रही है। मेवात अंचल के ग्रामीण क्षेत्रों में गिरते भूजल स्तर तथा महंगे उर्वरकों के मददेनजर कृषकों ने इस बार सरसों की अच्छी पैदावार की है। सरसों की फसल पककर तैयार है और किसान फसल की कटाई में लगकर उसे समेटने लगा है। खुशी की बात तो यह है कि जो मजदूर सरसों की कटाई कर रहे हैं, उनकों मजदूरी बतौर नकद राशि देने की बजाय किसान को सरसों कटने के बाद बचा कचरा ईंधन के रूप में देने में फायदा नजर आ रहा है। मजदूर भी ईंधन के लिए लकडी एकत्रित नहीं कर पाने से दिनभर कटाई कर सरसों के डंठलों से चूल्हा जलाना उपयुक्त समझने लगा है। मजदूरों का कहना है कि लकडी का भाव इन दिनों करीब तीन सौ से साढे तीन रुपए रुपए प्रति मण है। ऐसे में नकद राशि देकर लकडी खरीदना उनके लिए सम्भव नहीं है। इससे बचने के लिए खेतों में लावणी कर ईंधन इकटठा करना बेहतर है।
|
You received this email because you set up a subscription at Feedrabbit. This email was sent to you at rajisthanews12@gmail.com. Unsubscribe or change your subscription. |