>>: भुगतान बकाया होने से बन्द की अन्नपूर्णा रसोई

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बहरोड कस्बे में संचालित अन्नपूर्णा रसोई मंगलवार से बन्द हो गई है। जिससे अब मजदूर व गरीब लोगोंं को भोजन के लिए परेशानी का सामना करना पड़ा।


कस्बे में वेदांता फाउंडेशन की ओर से तीन अन्नपूर्णा रसोईयों का संचालन किया जा रहा था। जिसमें जिला अस्पताल व इंदिरा कॉलोनी में तो पहले ही और खेल मैदान में संचालित अन्नपूर्णा रसोई को मंगलवार को भुगतान बकाया के चलते बन्द कर दिया।

इस मामले में नगर पालिका के अधिकारी ने बताया कि वेदांत फाउंडेशन की शिकायत मिल रही थी। यहां पर जिला कलक्टर व उपखंड अधिकारी की ओर से भी कुछ दिन पहले निरीक्षण किया गया तो कमियां पाई गई। जिस पर जिला कलक्टर ने नोटिस देकर कार्रवाई करने की बात कही थी। जिस पर यहां जांच करने के बाद रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी गई और सरकार ने इनका भुगतान रोक दिया।

इधर, वेदांत फाउंडेशन के चेयरमैन वेदपाल यादव ने बताया कि सरकार ने इंदिरा रसोइयों का नाम बदलकर अन्न पूर्णा तो कर दिया लेकिन जुलाई माह से लगभग 7 लाख रुपए का भुगतान बकाया चल रहा है। उसके लिए सरकार ने वर्तमान तक कोई फंड रिलीज नहीं किया है। इसके साथ ही रसोइयों के निरीक्षण में छोटी-छोटी कमियों पर भी 10-10 हजार रुपए की पेनल्टी लगाई जा रही है। जेब से पैसा लगाते-लगाते अब हालत खराब होने लगे है।


5 रुपए सब्सिडी बढ़ाई, पर सुविधाएं घटाई
चेयरमैन यादव ने बताया कि कि अन्नपूर्णा रसोई पर पहले सरकार की तरफ से प्रति थाली 17 रुपए की सब्सिडी दी जाती थी और 8 रुपए खाना खाने वाले से लिए जाते थे। इस प्रकार संचालक को प्रति थाली 25 रुपए मिलते थे। अब सब्सिडी बढ़ाकर 22 रुपए प्रति थाली कर दी गई है। जिसके चलते संचालकों को प्रति थाली 30 रुपए मिलते हैं। दूसरी तरफ हर रसोई पर खाना खाने वालों की संख्या घटा दी गई।

पहले एक रसोई पर संचालक रोजाना सुबह और शाम 300 लोगों को खाना खिला सकता था। अब इसे घटाकर 100-100 लोग प्रति रसोई कर दिया गया है। इस दौरान थाली घटाने से हर दिन 200 थाली का पैसा मिल रहा है,जबकि खाना बनाने से लेकर बर्तन साफ करने और अन्य काम करने वाले लोगों को तो उतना ही वेतन देना पड़ रहा है,जितना पहले दिया जाता था। जिससे संचालकों को लगातार नुकसान हो रहा है,यदि बीच में काम छोड़ते हैं तो ब्लैक लिस्ट कर दिए जाएंगे। इस डर से जैसे-तैसे समय पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं। वही अब तक लेबर भी तनख्वाह मांग रही है। अपनी जेब से इन्हें दे चुके हैं,लेकिन अब हमारी भी जेब खाली हो गई।

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