>>: तापमान में होने लगी बढ़ोतरी...लौटने लगे प्रवासी पक्षी अपने ‘देश’

>>

Patrika - A Hindi news portal brings latest news, headlines in hindi from India, world, business, politics, sports and entertainment!

इस बार मौसम आए दिन करवट बदल रहा है। दिन के तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। बढ़ते ताप को देखते हुए प्रवासी पक्षी सरिस्का से अपने घर लौटने लगे हैं। इसमें बार हेडिड गूज व रूडी शेलडक आदि शामिल हैं। सरिस्का के सीनियर गाइड रमेश ङ्क्षसह ने बताया कि मार्च के दूसरे सप्ताह में ये पक्षी जाते हैं, लेकिन तापमान में इजाफा होने के कारण कई पक्षी यहां से लौटे हैं। कुछ अभी बचे हैं। ये पक्षी पर्यटकों को खूब लुभाते हैं।

रूडी शेलडक की ये हैं खूबियां
रूडी शेलडक के परिवार के सदस्य यूरोप में रहते हैं। ऐसे में यहां परिवार के सदस्यों की बढ़ती संख्या का संदेश कुछ पक्षी वहां जाकर देते हैं। रूडी शेलडक (टैडोर्ना फेरुगिनिया), जिसे भारत में ब्राह्मणी बतख के नाम से जाना जाता है। एनाटिडे परिवार का सदस्य है। यह एक विशिष्ट जलपक्षी है। इसकी लंबाई 58 से 70 सेमी (23 से 28 इंच) और पंखों का फैलाव 43 से 53 इंच होता है। इसका शरीर नारंगी-भूरे रंग का है और सिर हल्का पीला है। जबकि पूंछ काला रूप लिए हुए है। यह एक प्रवासी पक्षी है, जो सर्दियों में भारतीय उपमहाद्वीप में रहता है और दक्षिणपूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में प्रजनन करता है। हालांकि उत्तरी अफ्रीका में इसकी छोटी आबादी रहती है। इसकी आवाज हॉर्न बजने जैसी है। घोंसला पानी से दूर बनाता है।

रूस, कजाकिस्तान से पहुंचे बार हेडिड गूज
बार हेडिड गूज को भारत में स्थानीय भाषा में हंस, बड़ा हंस या सफेद हंस भी कहते हैं। यह एक प्रवासी पक्षी है जो सरिस्का में आते हैं। ये खेती के आस-पास वाली जगहों, पानी व घास के नजदीक, झीलों, जोहड़ों व पानी के टैंकों के आसपास रहना पसंद करते हैं। सरिस्का में पर्यटकों के लिए ये आकर्षण का केंद्र बने हैं। इस पक्षी की गर्दन व सिर का रंग सफेद, शरीर के बाकी हिस्सों का रंग दूधिया स्लेटी, चोंच व पंजों का रंग सांवला पीला होता है। सिर पर काले रंग की दो धारियां दिखती हैं, जो बार (छड़) की तरह होती हैं। इन्हीं बार के कारण इसका नाम बार हेडिड गूज पड़ा है। इसकी आंख भूरे रंग की होती हैं। पक्षियों की यह प्रजाति सर्दियों के मौसम में तिब्बत, कजाकिस्तान, मंगोलिया, रूस आदि जगहों से एक लंबा सफर तय करके हिमालय की ऊंची चोटियों के ऊपर से उड़ कर सरिस्का में आते हैं। ये दुनिया के सबसे अधिक ऊंचाई पर उडऩे वाले पक्षी हैं। सरिस्का में ये पक्षी करना का बास लेक, हनुमान सागर लेक, मंगलसर लेक के आसपास देखे जा रहे है।

You received this email because you set up a subscription at Feedrabbit. This email was sent to you at rajisthanews12@gmail.com. Unsubscribe or change your subscription.