>>: नागौरी पान मैथी को जीआई टैग दिलाने के लिए कमेटी गठित, जानिए क्या होगा फायदा

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नागौर जिले में उगाई जाने वाली नागौरी पान मैथी को जीआई टैग दिलाने के लिए जिला कलक्टर अरुण कुमार पुरोहित ने जिला स्त्रीय कमेटी का गठन किया है, जिसमें अध्यक्ष खुद कलक्टर हैं तथा सदस्य सचिव कृषि मंडी के सचिव रघुनाथराम सिंवर को बनाया है। कमेटी में कृषि विशेषज्ञों के साथ प्रगतिशील किसानों को भी शामिल किया गया है। कमेटी पान मैथी के इतिहास, गुणवत्ता, बुआई क्षेत्र आदि से जुड़ी जानकारी जुटाकर जीआई टैग के लिए आवेदन दाखिल करेगी।
गौरतलब है कि नागौरी पान मैथी अब अन्य मसालों की तरह हर रसोई की जरूरत बन चुकी है। पिछले कुछ ही साल में इसकी डिमांड कई गुना बढ़ चुकी है। नागौर की जलवायु एवं मिट्टी इसके उत्पादन के लिए अनुकूल होने से खुशबू भी अधिक रहती है। नागौर में वर्तमान में 50 के करीब प्रोसेसिंग यूनिट लगी हुई हैं, जो किसानों से खरीद करने के बाद मैथी को साफ कर बाहर भेज रही हैं।

जांच के लिए भेजे नमूने
नागौरी पान मैथी को जीआई टैग दिलाई के लिए आवेदन करने से पूर्व कमेटी को कई प्रकार के डाटा एकत्र करने होंगे। हालांकि कृषि कॉलेज में इसके लिए पहले से काम चल रहा है। कमेटी के सदस्य विकास पावडिय़ा ने बताया कि नागौरी पान मैथी खुशबू इसे विशेष बनाती है। मैथी की रासायनिक संरचना एवं खुशबू का पता लगाने के लिए इसके नमूने आईसीएआर के सीफेट लुधियाना की लैब में भिजवाए हैं, ताकि रिपोर्ट को आवेदन के साथ लगाया जा सके। पान मैथी की ज्यादातर बुआई मूण्डवा उपखंड क्षेत्र में होती है। मैथी के बुआई का क्षेत्र एवं राजस्व नक्शा तैयार करने के लिए मूण्डवा एसडीएम को कमेटी में शामिल किया गया है।

बढ़ रही है जीआई टैग की मांग
अब नागौरी पान मैथी को जीआई टैग देने की मांग बढऩे लगी है। पत्रिका की ओर से किए जा रहे प्रयासों के चलते ही गत दिनों कोटा में आयोजित बिजनेस मीट 2024 में राजस्थान एसोसिएशन ऑफ स्पाइसेस ने कसूरी मैथी की जगह नागौरी पान मैथी लिखा। जीआई टैग का मतलब ज्योग्राफिकल इंडिकेशन से है, जिसे भौगोलिक पहचान के नाम से जाना जाता है। इसमें फसल का उत्पादन, उसकी गुणवत्ता, प्रतिष्ठा और अन्य विशेषताएं शामिल हैं। जीआई टैग मिलने से इसकी उपयोगिता और मांग दोनों में बढ़ोतरी होगी, जिससे किसानों को भी आर्थिक सहायता मिलेगी।

यह होंगे जीआई टैग के फायदे
- उत्पाद को कानूनी सुरक्षा।
- उत्पाद के अनधिकृत उपयोग पर रोक।
- प्रमाणिकता का आश्वासन।
- राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय बाजारों में जीआई टैग वस्तुओं की मांग बढने से उत्पादकों की समृद्धि को बढावा मिलता है।
- उत्पाद की विश्वसनीयता को बढ़़ावा मिलता है।

पत्रिका ने लगातार उठाया मुद्दा
नागौरी पान मैथी को जीआई टैग दिलाने के लिए राजस्थान पत्रिका पिछले करीब ढाई साल से अभियान चला रहा है। पत्रिका ने समय-समय पर समाचार प्रकाशित कर बताया कि नागौरी पान मैथी की बुआई केवल प्रदेश में केवल नागौर की जाती है। साथ ही नागौरी पान मैथी की खुशबू विशिष्ट होने के कारण ही इसकी मांग देश के साथ विदेशों में भी है। पत्रिका में समाचार प्रकाशित होने के बाद पूर्व सांसद हनुमान बेनीवाल ने इस मुद्दे को लोकसभा में उठाकर पान मैथी को जीआई टैग दिलाने की मांग की थीख्। गौरतलब है कि वर्ष 2017 में सरकार ने पान मैथी को नोटिफाई कमोडिटी में शामिल किया था, उस समय भी पत्रिका ने अभियान चलाकर अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों का ध्यान आकृष्ट किया था।

कमेटी में इनको किया शामिल
जिला स्तरीय कमेटी में जिला कलक्टर पुरोहित ने मूण्डवा एसडीएम लाखाराम बाना, कृषि कॉलेज के असिसटेंट प्रोफेसर विकास पावडिय़ा, कृषि विभाग के सहायक निदेशक शंकरराम सियाक, नाबार्ड के डीडी मोहित कुमार, एफपीओ डायरेक्टर रविन्द्र गौड़ को शामिल किया है। इसके साथ प्रगतिशील किसान के रूप में जनाणा के राजेन्द्र भाकल व मूण्डवा के धर्मेन्द्र मुण्डेल को भी शामिल किया है।

कमेटी गठित की है
नागौरी पान मैथी को जीआई टैग मिले, इसके लिए जिला कलक्टर ने जिला स्तरीय कमेटी का गठन किया है। कमेटी जल्द ही पूरी जानकारी व तथ्य जुटाकर आवेदन दाखिल करेगी।
- रघुनाथराम सिंवर, सचिव, कृषि उपज मंडी, नागौर

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