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चंबल और रणथम्भौर भ्रमण का कॉम्बो प्लान फाइलों में दफन, पर्यटकों को घड़ियालों की अठखेलियों का इंतजार Tuesday 27 February 2024 05:46 AM UTC+00 ![]() जयपुर/सवाईमाधोपुर। रणथम्भौर नेशनल पार्क और राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल अभयारण्य पालीघाट का एक साथ पर्यटन का कॉम्बो प्लान आपको जंगली जीवन की अनूठी दुनिया में ले जाएगा। आप टाइगर सफारी, घड़ियाल दर्शन, और वन्यजीवों के साथ अपनी यात्रा को यादगार बना सकते हैं। यह सब एक साथ हो तो जंगल सफारी पर आए पर्यटकों का रोमांच दोगुना हो जाए। लेकिन अधिकारियों की अनदेखी से यह सपना साकार नहीं हो रहा है। पूर्व में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वन विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने रणथम्भौर और राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभयारण्य के कॉम्बो टिकट जारी करने की योजना बनाई थी। करीब एक साल बीतने के बाद भी अब तक धरातल पर योजना नहीं उतर सकी। इससे पर्यटकों का दायरा मात्र रणथम्भौर तक सिमटा हुआ है। वह घड़ियालों की अठखेलियों को देखने से वंचित रह रहे हैं। इससे बड़ी संख्या में पर्यटक घड़ियाल अभयारण्य का दीदार नहीं कर पाते।
तो मध्यप्रदेश तक जुड़ जाएं तार, हो नौका विहारपर्यटक पालीघाट पर नौकायन करने के लिए पहुंचते हैं उन्हें केवल नौकायन की सुविधा ही प्राप्त हो पाती है। वहीं वन विभाग की ओर से कॉम्बो टिकट जारी करने की योजना शुुरू होती तो रणथम्भौर के पर्यटन के तार मध्यप्रदेश से जुड़ जाते। मध्यप्रदेश से आने वाले पर्यटक भी टाइगर व वाटर ट्यूरिज्म का एक साथ लुत्फ उठा पाते। इससे रणथम्भौर से एमपी तक पर्यटन सर्किट विकसित हो जाता।
इसलिए है महत्वपूर्णरणथम्भौर नेशनल पार्क : यह पार्क भारत के प्रमुख टाइगर रिजर्व्स में से एक है। यहां आप टाइगर सफारी के माध्यम से जंगली जीवन का आनंद ले सकते हैं। बाघ, चीतल, नीलगाय, लंबू, जंगली और विभिन्न पक्षियों को यहां देखने का मौका मिलता है। राष्ट्रीय चम्बल अभयारण्य पालीघाट : यह अभयारण्य घड़ियालों के लिए मुख्य रूप से जाना जाता है। यहां पर घड़ियालों की विश्व की 75 प्रतिशत संख्या पाई जाती है। यहां पर ब्लैक हेडेड गुल, इण्डियन स्कीमर्स, बार हेडेड गीज, वन्यजीवों के विचरण के लिए भी स्वर्ग है।
ऑनलाइन होनी थी बुकिंगविभाग की मंशा टिकट बुकिंग प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए चंबल अभयारण्य के टिकट को भी ऑनलाइन करने की थी। पूर्व में वन विभाग के पीसीसीएफ की ओर से भी नवम्बर 2022 में रणथम्भौर दौरे के दौरान चंबल अभयारण्य के टिकट को भी रणथम्भौर की तर्ज पर ऑनलाइन करने के निर्देश जारी किए थे। लेकिन सॉफ्टवेयर विकसित नहीं हो पाने के कारण अब तक चंबल अभयारण्य के टिकट को ऑनलाइन नहीं किया जा सका है। अब विभाग की ओर से कॉॅम्बो टिकट बुकिंग को भी ऑनलाइन ही शुरू की जानी थी।
स्टडी कर रहे हैं...मीटिंग करेंगेकोम्बो टिकट की योजना बनी हुई है। इसकी स्टडी कर रहे हैं। अधिकारियों से चर्चा करके जंगल सफारी के साथ वोटिंग सफारी का भी पर्यटक लाभ उठाएं तो बेहतर है। जंगल से चंबल अभयारण्य प्वाइंट 38 किमी दूरी है। इस पर भी प्लान कर रहे हैं। प्रमोद धाकड़, उपवन संरक्षक(पर्यटन), रणथम्भौर बाघ परियोजना, सवाईमाधोपुर। |
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