>>: Good News : Chemotherapy के जहरीलेपन को कम करने में नई दवा कारगर! जून तक बाजार में होगी उपलब्ध

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कैंसर का इलाज: इलाज के बाद भी जोखिम, स्वस्थ कोशिकाओं में फैल सकता है कैंसर

Cancer treatment: Risk even after treatment, cancer can spread to healthy cells


कैंसर (Cancer ) के इलाज के बाद भी रह जाता है खतरा! टाटा मेमोरियल अस्पताल (Tata Memorial Center) द्वारा किए गए एक दशक लंबे शोध के अनुसार, कैंसर का इलाज करते समय की जाने वाली कीमोथेरेपी (Chemotherapy) जैसी प्रक्रियाएं कैंसर कोशिकाओं को तो मार देती हैं, लेकिन ये मरने वाली कोशिकाएं एक खतरनाक चीज छोड़ जाती हैं - क्रोमोसॉल टुकड़े (cfChPs). ये टुकड़े स्वस्थ कोशिकाओं में जाकर उन्हें भी कैंसरग्रस्त (Cancer ) कर सकते हैं, जिससे इलाज के बाद भी कैंसर (Cancer ) फैलने का खतरा बना रहता है।

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नई दवा उम्मीद की किरण:


नई दवा का विकास इस समस्या से निपटने के लिए, शोधकर्ताओं ने तांबे के नैनोकणों और अंगूर के छिलके के एक पदार्थ से मिलकर बनी एक नई दवा विकसित की है। यह दवा इन क्रोमोसॉल टुकड़ों को खत्म करने और उन्हें स्वस्थ कोशिकाओं में बदलने से रोकने में मदद कर सकती है, जो कैंसर (Cancer ) के इलाज में नई उम्मीद जगाती है।

अध्ययन कैसे किया गया?
टाटा मेमोरियल सेंटर (Tata Memorial Center ) के ट्रांसलेशनल रिसर्च लेबोरेटरी के प्रोफेसर इंद्रनील मित्रा के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की टीम ने 10 वर्षों तक इस जटिल विषय पर गहन अध्ययन किया। उन्होंने यह जानने का प्रयास किया कि कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और सर्जरी जैसी पारंपरिक कैंसर (Cancer ) के फैलने में किस प्रकार भूमिका निभा सकती हैं।

अध्ययन में क्या पाया गया?
अध्ययन में एक चिंताजनक तथ्य सामने आया है: मरने वाली कैंसर (Cancer ) कोशिकाएं अपने क्रोमोसोम के टुकड़े छोड़ती हैं, जिनमें कैंसर पैदा करने वाले जीन होते हैं। ये टुकड़े रक्तप्रवाह के माध्यम से स्वस्थ कोशिकाओं तक पहुंच सकते हैं और उन्हें कैंसरग्रस्त कर सकते हैं।

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नई दवा कैसे काम करती है?

टीम के हालिया अध्ययन में, प्रो. मित्रा की प्रयोगशाला में खोजे गए एक खास निष्क्रिय करने वाले तत्व की पहचान की गई है। यह तत्व स्वस्थ कोशिकाओं में क्रोमोसोम के टुकड़ों को घुसने से रोकने में सक्षम है, जिससे यह संभावना बनती है कि इसका उपयोग कैंसर (Cancer ) के फैलने को रोक सकता है।

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जून तक बाजार में उपलब्ध होने की उम्मीद
कैंसर (Cancer ) के इलाज में इस्तेमाल होने वाली कीमोथेरापी जैसी दवाएं भले ही फायदेमंद हों, लेकिन इनके दुष्प्रभाव भी काफी परेशान करने वाले होते हैं। टाटा मेमोरियल सेंटर के प्रोफेसर इंद्रनील मित्रा की अगुवाई में 10 साल तक चले शोध में एक बड़ी सफलता मिली है। उनकी टीम ने एक नई दवा खोज निकाली है, जो कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों को कम करने में मददगार हो सकती है। यह दवा रेस्वेराट्रॉल और कॉपर के मिश्रण से बनी है और जून तक बाजार में उपलब्ध होने की उम्मीद है।

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नया कैंसर फैलने का खतरा

इलाज के बाद होने वाले नुकसान को कम करने की उम्मीद कैंसर के इलाज में काफी तरक्की हुई है, लेकिन इस अध्ययन से पता चलता है कि मौजूदा इलाज के तरीकों से भी कुछ जोखिम जुड़े हुए हैं। कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी भले ही प्राथमिक ट्यूमर कोशिकाओं को खत्म करने में कारगर हों, लेकिन ये मरने वाली कोशिकाओं से cfChPs निकलने का कारण बनती हैं। ये कण रक्तप्रवाह के माध्यम से शरीर में अन्य जगहों पर स्वस्थ कोशिकाओं में जा सकते हैं और संभावित रूप से नया कैंसर पैदा कर सकते हैं।

प्रो. मित्रा ने इन निष्कर्षों के मद्देनजर कैंसर के इलाज की नीतियों पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि "इन निष्कर्षों के कैंसर के इलाज से जुड़ी नीतियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकते हैं। चिकित्सकों को cfChPs को कैंसर फैलने के संभावित कारण के रूप में विचार करना चाहिए, और कैंसर के इलाज में ऐसी दवाओं को शामिल करने की आवश्यकता हो सकती है जो cfChPs को निष्क्रिय या नष्ट कर दें।"

इस शोध से कैंसर के इलाज में क्रांति आने की उम्मीद है।

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