>>: अब ट्रेक्टरों की जगह जल्द नजर आ सकते हैं यह उपकरण..पढ़े पूरी खबर

>>

Patrika - A Hindi news portal brings latest news, headlines in hindi from India, world, business, politics, sports and entertainment!

सरकार की ओर से खेती को बढ़ावा देने के लिए भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत कई प्रकार की योजनाएं संचालित कर अनुदान भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसके कारण अब परंपरागत खेती का स्थान हाईटेक खेती लेती जा रही है। पहले खेती के काम बैल आते थे। इनका स्थान टे्रक्टरों ने ले लिया, यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो जल्द ही इनका स्थान ई-बुल ले सकते हैं। हालांकि यह छोटी काश्त और उद्यानिकी फसलों के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। इसका रख-रखाव और संचालन भी आसान होता है। यह पर्यावरण के साथ फसलों के लिए भी फायदेमंद होता है।
सरकार को भेजा 100 यंत्रों का प्रस्ताव
कृषि विभाग (उद्यान) के अनुसार राजसमंद जिले में उद्यानिकी फसलों में यंत्रीकरण को बढ़ावा देने के लिए 100 की मांग का प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है। इस पर 50 प्रतिशत अनुदान भी उपलब्ध कराने की मांग की है। उक्त यंत्र की भारत सरकार के जैम पोर्टल पर लागत 3.96 लाख रुपए बताई जा रही है। जिले में फलदार बगीचों का क्षेत्रफल लगभग एक हजार हेक्टेयर से अधिक है। इसमें सर्वाधिक रेगमगरा और आमेट में है। इसमें सर्वाधिक आंवले के बगीचे लगे हैं।

यह होती है समस्याएं
- टे्रक्टर बड़ा होने से अंतर सस्य क्रियाएं करते समय पेडों की टहनियां टूटती है।
- ट्रेक्टर में ईंधन का व्यय और रखरखाव का खर्च भी बहुत अधिक होता है।
- टे्रक्टर काफी मंहगा आता है और इस पर सब्सिडी आदि भी नहीं मिलती है।
ई-बुल की विशेषताएं
- एक बार चार्ज होने पर तीन से चार घंटे तक जुताई कर सकते है।
- बैटरी का जीवन काल 3-4 वर्ष का होता है, रख-रखाव भी नगण्य
- ऊंचाई 4 फीट तक होने से फलदार पौधों व संरक्षित खेती के लिए उपयोगी
- स्प्रेगन जोडकऱ अधिक ऊंचाई के फलदार पौधों का संरक्षण का कार्य करता है।
- खरपतवार नियंत्रण, मेड़बंदी और कृषक पंप जोडकऱ फार्म पौंड से पानी निकाल सकता है।

प्रस्ताव बनाकर भेजा, उद्यान के लिए फायदेमंद
जिले के रेलमगरा और आमेट में सर्वाधिक बगीचे हैं। उद्यानिकी के लिए ई-बुल फायदेमंद साबित हो सकते हैं। इसके कारण एक प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय को भेजा गया है। इसमें किसानों को ई-बुल 50 प्रतिशत पर अनुदान पर उलब्ध कराने की मांग की है।
- हरिओम सिंह राणा, उप निदेशक कृषि उद्यानिकी विभाग राजसमंद

You received this email because you set up a subscription at Feedrabbit. This email was sent to you at abhijeet990099@gmail.com. Unsubscribe or change your subscription.