>>: चैत्र नवरात्र आरम्भ, धनु राशि में सूर्य और मंगल बना भौमादित्य योग, पढ़ें

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नागौर. हिंदू पंचांग के अनुसार मंगलवार से चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो गई। घर-घर घट स्थापना की गई। इसके बाद नौ दिन तक नौ देवियों की पूजा कर आराधना की जाएगी। ज्योतिषी डॉ. महेश दाधीच ने बताया कि नवरात्र के घट स्थापना के साथ नववर्ष विक्रम संवत 2081 शुरू हो गया। नववर्ष के पहले दिन की शुरुआत सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग से हो रही। इस वर्ष का राजा मंगल और मंत्री शनि होंगे। इस बार हिंदू नववर्ष की शुरुआत दो बड़े शुभ संयोग में होगी। इस दिन धनु राशि में सूर्य और मंगल भौमादित्य योग रहेगा।


चैत्र नवरात्र में इन 9 देवियों की होगी पूजा
चैत्र नवरात्र में मां दुर्गा के इन नौ रूपों की पूजा की जाती है- शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।


घटस्थापना मुहूर्त
पंडित सुनील दाधीच ने बताया कि देवी पुराण के अनुसार घट स्थापना स्थिर लग्न में या द्वि स्वभाव लग्न में अथवा अभिजीत मुहूर्त में करना सर्वश्रेष्ठ रहता है। नागौर के सूर्योदय समय अनुसार कलश स्थापना अभिजित मुहूर्त उचित होगा, जो कि दोपहर 12 बचकर 11 मिनट से 1.02 तक रहेगा।


घट स्थापना शुभ मुहूर्त
चर 09:27 - 11:02 शुभ
लाभ 11:02 - 12:37 शुभ
अमृत 12:37 - 14:11 शुभ
शुभ 15:46 - 17:21 शुभ
अभिजित 12:11 - 13:02 शुभ


लंबे समय से रुके कार्य पूर्ण होंगे
दाधीच ने बताया कि अभिजित 12:11 - 13:02 शुभ लंबे समय से रुके कार्य पूर्ण होंगे 30 सालों बाद शश राजयोग से इस साल राशियों के हिसाब से जातक को फल मिलेगा। कुछ राशियों के लिए यह साल मिला-जुला रहेगा, वहीं कुछ राशियों के लंबे समय से रुके कार्य पूर्ण होंगे। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, 8 अप्रेल सोमवार की रात 11:55 पर लगेगी, लेकिन उदया तिथि में प्रतिपदा मंगलवार को मिलने के कारण नव संवत्सर के राजा मंगल और शनि होंगे। मंत्रिमंडल में मंगल धनेश और शस्येश के और शनि दुर्गेश्व और मेघेश के रूप में तीन-तीन विभागों की कमान संभालेंगे। धनयेश में चंद्रमा और राष्येश में बृहस्पति होंगे।

जानिए, किस राशि पर पड़ेगा प्रभाव
महेश दाधीच ने बताया कि राशिफल के अनुसार मेष, कर्क, वृश्चिक, मकर, कुंभ और मीन राशि वाले देशों को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से विशेष समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। कभी असामाजिक एवं आतंकवादी गतिविधियों के कारण तो कभी बाढ़, भूकंप, समुद्री तूफान, भूस्खलन आदि प्राकृतिक आपदाओं के कारण जन- धन की हानि हो सकती है। वर्ष लग्न के अनुसार सूर्य, चंद्रमा और राहु की युति में ग्रहण होने से संसार के नियमों और नीतियों का बार- बार उल्लंघन होगा। शनि की बृहस्पति पर दृष्टि होने से पूर्वोत्तर भागों में प्राकृतिक आपदाएं उत्पन्न होने का अनुमान है। भले ही विश्व व्यापार में बदलाव और सुधार हो, फिर भी कई देशों में मुद्रास्फीति और बेरोजगारी की समस्याएं बनी रह सकती है।

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