>>: Digest for April 08, 2024

>>

Patrika - A Hindi news portal brings latest news, headlines in hindi from India, world, business, politics, sports and entertainment!

You are receiving a digest because your subscriptions have exceeded your account's daily email quota. Your quota has automatically reset itself.

राजस्थान का राज्य पुष्प रोहिड़ा इन दिनों खेतों में फूलों की खुशबु बिखेर रहा है। गणगौर पूजन करने वाली नवविवाहिता, महिला रोहिड़ा पुष्प से गणगौर पूजन कर रही हैं। पेड़ की उम्र अधिक होने पर इसके फूल, पत्ते, फलियां व छाल कई वर्षो तक आयुर्वेदिक दवाइयों में काम आती है। जिससे इस पेड़ को तैयार करने में खर्चा कुछ नहीं और आमदनी भी होती है।

सूखा सहन करने की अपार क्षमता
रोहिड़ा में सूखा सहन करने की अपार क्षमता है। यह वृक्ष कम बरसात वाले क्षेत्र में भी अपना अस्तित्व बनाए रखता है। रिछपाल कुड़ी, बंशीधर तंवर, रामअवतार कुड़ी सहित अन्य किसानों की माने तो यह पेड़ कम बरसात में भी हरा भरा रहता हैं।

1983 में राजस्थान का पुष्प घोषित किया गया
सहायक निदेशक उद्यान शीशराम जाखड़ ने बताया कि 1983 में राजस्थान का पुष्प घोषित घोषित किया गया था। इसे मरू शोभा व रेगिस्तान का सागवान भी कहा जाता है। इन दिनों रोहिड़ा पेड़ पर पुष्प लग रहे हैं। जिले के अलावा चुरू जिले के सरदारशहर, रतनगढ़, चूरू तहसील, राजगढ़, तारानगर क्षेत्र रोहिड़ा के हब बताए जाते हैं। यह पेड़ कम बारिश में भी हरा भरा रहता है।

यह भी पढ़ें : 200 रुपए किलो बिक रहा नींबू, अचानक भाव ने लगाई डबल सेंचुरी

आयुर्वेद में भी रखता है अपना स्थान
मरूशोभा के नाम से जाने जाने वाला रोहिड़ा का हर हिस्सा का आयुष चिकित्सा में काम आता है। आयुष चिकित्सक डां. युगावतार शर्मा ने बताया कि पेड़ के पुष्प, तना, छाल काम आता है। इससे बनी दवा लीवर, हार्ट व उदर व कृमि रोगों में यह कारगर है। इसकी शाखाओं को रात को पानी में भिगोकर सुबह पानी पीने से शुगर व बीपी में यह फायदेमंद है। इसके पुष्प से रोहितकारिष्ट, कुमार्यासव, कालमेघासव आदि दवा बनती है। जो लीवर संबंधी रोग, भूख की कमी, मोटापा, दमा, पुराना बुखार, मधुमेह व बवासीर जैसे रोगों के इलाज मेें कारगर है।

यह भी पढ़ें : यात्रियों को मिलेगी सुविधा, आज चलेगी ये फेस्टिवल स्पेशल ट्रेन, जानिए पूरा रूट

आयुष चिकित्सक डां. नीरज सैनी बताते हैं कि श्वेत प्रदर, कफ नाशक में भी यह काम आता है। फोड़े फुंसी में इसके तने को पीसकर लगाने से आराम मिलता है। आयुर्वेदिक औषधि निर्माण से जुड़े लोगों का कहना है कि अधिकतर आयुर्वेदिक दवाइयों में रोहिडा के पुष्प काम आते हैं। जो फरवरी से अप्रेल महीने तक पेड़ पर लगते हैं। मांग के अनुसार इनका भाव रहता है। किसानों गीले व सूखे पुष्प पंसारी की दुकान पर बेचते हैं। वहां से आयुर्वेद दवा बनाने इसे खरीद कर ले जाते हैं।

शूरवीरों और किसानों की धरा झुंझुनूं की अलग ही सियासी पहचान है। कांग्रेस का गढ़ रही यह सीट पिछले दो चुनाव में लगातार भाजपा के कब्जे में है। वहीं, कांग्रेस के लिए भी अपना किला फिर से जीतने की बड़ी चुनौती है। यहां परंपरागत रूप से ओला परिवार का ही वर्चस्व रहा है। इसीलिए कांग्रेस ने अपने सबसे विश्वस्त और दिग्गज झुंझुनूं विधायक बृजेन्द्र सिंह ओला को मैदान में उतारा है। उनके मुकाबले में भाजपा से पूर्व विधायक शुभकरण चौधरी हैं। झुंझुनूं की जनता का क्या रुझान है... इसकी पड़ताल करने लोगों से मिला तो लगा कि सेना और किसानी से जुड़े मददाताओं की संख्या सर्वाधिक होने से इन दोनों वर्गों के मुद्दे ही लोकसभा क्षेत्र की सियासत की दिशा तय करते हैं। नीमकाथाना से उदयपुरवाटी जाते हुए जड़ाया के प्राचीन बालाजी मंदिर पर रुका तो वहां संध्या-आरती हो रही थी।

वहां मदनलाल बानरिया, सीताराम, ओमप्रकाश आदि से बातचीत शुरू की। उनकी राय में यहां मोदी फैक्टर काम करेगा। रामजीलाल लाम्बा ने कहा, अग्निवीर योजना ने युवाओं के सपनों को कुचल दिया है। युवा विकास कुमार ने तल्खी के साथ सवाल उठाया कि ओला परिवार कई वर्षों से राजनीति कर रहा है, झुंझुनूं में उसी परिवार का ठेका कैसे हो सकता है। सीताराम ने कहा कि कांग्रेस के पास ओला के अलावा कोई प्रत्याशी ही नहीं है। यहां से मैंने झुंझुनूं जिला मुख्यालय की ओर रुख किया।
यह भी पढ़ें : करोड़ों का कर्जदार निकाला ये कांग्रेस प्रत्याशी, नामांकन भरते समय हुआ बड़ा खुलासा


सीट के समीकरण
झुंझुनूं लोकसभा सीट पर बृजेन्द्र ओला के पिता शीशराम ओला 1996 से 2009 तक लगातार पांच बार सांसद रहे। इसके बाद भाजपा लगातार दो बार से यहां से विजयी है। संतोष अहलावत 2014 में और नरेन्द्र कुमार 2019 में जीते।

लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटों में से झुंझुनूं, मंडावा, सूरजगढ़, पिलानी, उदयपुरवाटी और फतेहपुर में कांग्रेस के विधायक हैं। नवलगढ़ और खेतड़ी में भाजपा विजयी रही। इस आधार पर कांग्रेस की संभावनाओं वाली सीटों में झुंझुनूं भी एक है।
यह भी पढ़ें : किसानों की करोड़ों की मुआवजा राशि दूसरे खातों में ट्रांसफर, प्रशासन में मचा हड़कंप
सभी को देखाहमारा दर्द वहीं
झुंझुनूं संसदीय क्षेत्र में अहम दखल रखने वाले और अल्पसंख्यक बहुल फतेहपुर में बस स्टैण्ड पर पहुंचा तो चाय की एक थड़ी पर कुछ लोग चुनावी चर्चा में मशगूल दिखे। रसीद गौरी ने बताया कि झुंझुनूं सीट पर टक्कर तो पक्की है। इस बीच नवाब ने कहा, हमने तो सभी को देख लिया, कोई भी हमारी समस्याएं नहीं दूर कर सकता। फतेहपुर बस स्टैण्ड पर बारिश के दौरान इतना पानी भरता है कि यहां आना-जाना बंद हो जाता है।

पानी बड़ी समस्या
पिलानी विधानसभा क्षेत्र के चिड़ावा कस्बे में एक ट्रैक्टर वर्कशॉप के बाहर लोगों से बात की तो उनका दर्द छलक आया। कुलदीप बुगालिया ने कहा, पानी की कमी और बेरोजगारी क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या है। संदीप और बीरबल सिंह ने कहा कुम्भाराम लिफ्ट परियोजना लागू नहीं होना बहुत बड़ी विफलता है। राजेश अजीतपुरिया बोले शेखावाटी के किसान और सेना में भर्ती होने वाले युवा दोनों ही छले गए हैं। विकास डांगी की राय इनसे जुदा थी, उन्होंने कहा, भाजपा के सांसद बनने के बाद क्षेत्र में विकास हुआ है।

युवा बोले, देश भर में पीएम मोदी का माहौल
झुंझुनूं के नेहरू पार्क में दस-बारह लोग योगासन के बाद सियासी चर्चा में मशगूल थे। करीब दस मिनट तक उनके वार्तालाप को सुना। सार यही था कि यहां मोदी बनाम ओला में मुकाबला है। पार्क में घूम रहे युवा शुभम, निखार और तरूण जैसे युवाओं की राय थी कि देश में मोदी का माहौल है। मंजू मंगल, शीला और संतोष गर्ग का मत था कि दो बार भाजपा का शासन देख लिया इस बार कांग्रेस को देखते हैं।

खेतों में सिंचाई और पीने के पानी की समस्या से जूझ रहे शेखावाटी अंचल के लोगों का गुस्सा फुट पड़ा। शेखावाटी के कई गांवों के लोगों ने इसस बार 19 अप्रेल को होने वाले लोकसभा चुनावों के बहिष्कार करने का फैसला कर लिया है। ग्रामीणों ने यहां तक चेतावनी दे दी है कि वोट तो डालेंगे ही नहीं, किसी भी पार्टी के प्रत्याशी को गांव में घुसने नहीं दिया जाएगा। झुंझुनूं जिले के हमीनपुर के ग्रामीण पहले ही मतदान बहिष्कार का निर्णय कर चुके हैं। अब बनगोठड़ी एवं केहरपुरा के ग्रामीणों ने यह फैसला ले लिया है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक जल नहीं तब तक वोट नहीं। रविवार को हमीनपुर एवं गाडोली के लोगों ने सभा बुलाकर वोट नहीं डालने की शपथ ली। साथ में यह भी निर्णय लिया कि किसी भी लोकसभा प्रत्याशी या उसके कार्यकर्ताओं को गांव में घुसने नहीं दिया जाएगा। हालांकि लोकसभा चुनाव का बहिष्कार कर रहे ग्रामीणों से प्रशासन समझाइश कर रहा है।

सिंचाई व पेयजल के लिए जूझ रहा शेखावाटी
झुंझुनूं, चूरू, सीकर व नीमकाथाना जिले के लोग पीने के पानी के साथ-साथ सिंचाई के पानी के लिए भी जूझ रहे हैं। जबकि चारों जिलों में कई दशकों से दोनों ही बड़ी पार्टियों से जुड़े प्रतिनिधि नहर के मुद्दे को लेकर चुनाव लड़ते और जीतते आ रहे हैं। लेकिन नहर का पानी आज तक नहीं पहुंच पाया है। यहां तक की इंदिरा गांधी नहर परियोजना के तहत कुंभाराम लिफ्ट कैनाल का पानी भी शेखावाटी अंचल के दस फीसदी हिस्से तक नहीं पहुंच पाया है।

You received this email because you set up a subscription at Feedrabbit. This email was sent to you at rajasthanews12@gmail.com. Unsubscribe or change your subscription.