दिल्ली से अलवर तक चलने वाली रैपिड रेल का फर्स्ट लुक जारी, 180 किमी की रफ्तार से दौड़ेगी, जानिए अन्य विशेषताएं

अलवर. देश में पहली रीजनल रेपिड ट्रांजिट सिस्टम आरआरटीएस ट्रेन के प्रथम लुक का अनावरण शुक्रवार को केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने राष्ट्रीय राजधानी परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह और एनसीआरटीसी के बोर्ड के सदस्यों की उपस्थिति में किया।

180 किलोमीटर प्रति घंटे की डिजाइन स्पीड वाली आरआरटीएस ट्रेन आधुनिक प्रणाली वाली ट्रेन है। जो संभवतया 2025 के बाद ही अलवर में पहुंचेगी। मतलब इससे पहले कॉरिडोर का धरातल पर लाने कार्य किया जाएगा। दूसरे चरण में कॉरिडोर अलवर के शाहजहांपुर से होते हुए बहरोड़ व सोतानाला तक पहुंचेगी। फिर तीसरे चरण में खैरथल से अलवर आएगा। जो 2025 के बाद ही आ सकेगा।

एक तिहाई लगेगा समय

82 किलोमीटर लंबा दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर भारत में लागू होने वाला पहला आरआरटीएस कॉरिडोर है। यह कॉरिडोर दिल्ली से मेरठ के बीच यात्रा के समय को लगभग एक तिहाई कर देगा। वर्तमान में सडक़ मार्ग से दिल्ली से मेरठ तक का आवागमन समय 3-4 घंटे का समय लगता है। आरआरटीएस की मदद से यह दूरी 60 मिनट से भी कम मे तय की जा सकेगी। साहिबाबाद से शताब्दी नगर (मेरठ) और गाजियाबाद, साहिबाबाद, गुलधर और दुहाई आरआरटीएस स्टेशन का निर्माण कार्य भी पूरे जोरों पर है। साहिबाबाद से दुहाई के बीच के 17 किमी लंबे प्राथमिक खंड पर परिचालन 2023 से प्रस्तावित है जबकि पूरे कॉरिडोर को 2025 में जनता के लिए खोल दिया जाएगा।

ये होंगी विशेषताएं -

स्टेनलेस स्टील से बनी ये एयरोडायनामिक ट्रेनें हल्के होने के साथ-साथ पूरी तरह से वातानुकूलित होंगी। प्रत्येक कोच में प्रवेश और निकास के लिए ‘प्लग-इन’ प्रकार के छह (दोनों तरफ तीन-तीन) स्वचालित दरवाजे होंगे। बिजनेस क्लास कोच में ऐसे चार (दोनों तरफ दो-दो) दरवाजे होंगे। आरआरटीएस ट्रेनों में ट्रांसवर्स आरामदायक सीटें, ्रसामान रखने का रैक, मोबाइल/ लैपटॉप चार्जिंग सॉकेट, वाई-फाई और अन्य यात्री-केंद्रित सुविधाएं भी होंगी।

आपातकालीन सार्वजनिक घोषणा और प्रदर्शन प्रणाली, डायनामिक रूट मैप डिस्प्ले, इंफोटेनमेंट डिस्प्ले, और संचार सुविधाओं से लैस, ट्रेन में आधुनिक घोषणाओं की सुविधा होगी। स्वचालित प्लग-इन प्रकार के चौड़े दरवाजे, सीसीटीवी, फायर एंड स्मोक डिटेक्टर, अग्निशामक यंत्र और डोर इंडिकेटर, दिव्यांगजनों के अनुकूल ट्रेन के दरवाजों के पास व्हीलचेयर के लिए जगह, इनोवेटिव ट्रेन कंट्रोल मॉनिटरिंग सिस्टम (टीसीएमएस) तकनीक, प्रत्येक 5-10 किमी पर स्टेशन की उपलब्धता, ट्रेन में पुश बटन, ट्रेन के सभी दरवाजों को खोलने की जरूरत नहीं होगी। आरआरटीएस ट्रेन ऑटोमैटिक ट्रेन ऑपरेशन के अंतर्गत संचालित होंगी।



September 26, 2020 at 08:41AM