लॉकडाउन लागू करते ही सरकार ने खाद्य सुरक्षा पोर्टल को कर दिया लॉक, मजदूरी छिनने से परेशान पात्र लोग सूची में नाम जुड़वाने के लिए खा रहे दरबदर की ठोकरें
हनुमानगढ़. कोरोना काल में रोजगार छिनने के बाद हजारों लोग बेरोजगार हुए हैं। प्रदेश में रोजगार के अवसर घटने के कारण लोगों के सामने परिवार का पेट भरने का संकट हो गया है। इस बीच सरकार उनके दर्द पर मरहम लगाने की बजाय उन्हें परेशान कर रही है। हैरान करने वाली बात है कि राज्य सरकार ने खाद्य सुरक्षा पोर्टल को छह महीने से बंद कर रखा है। इसके कारण गरीब लोगों के नाम इस सूची में जोडऩे का काम अटका हुआ है। जबकि हजारों अपात्र लोग लगातार सरकार के नि:शुल्क गेहूं वितरण योजना का लाभ उठा रहे हैं। इसमें कई तो मोटी तनख्वाह लेने वाले सरकारी कर्मचारी भी हैं। क्षेत्र में हालात ऐसे हैं कि गरीबी बढऩे के बावजूद सरकारी आंकड़ों में गरीबों की संख्या नहीं बढ़ पा रही है। जिससे इन परिवारों के लिए जीवन-बसर करना मुश्किल हो रहा है। कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जो गंभीर बीमारियों से पीडि़त हैं। सरकार की बाध्यता है कि उन्हें अस्पतालों में नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा का लाभ तभी मिलेगा, जब उनका नाम खाद्य सुरक्षा सूची में शामिल होगा। इस बाध्यता के कारण ऐसे लोगों का जीवन और भी ज्यादा संघर्षपूर्ण हो रहा है। जिला कलक्टर स्तर पर ऐसे कुछ लोगों का नाम खाद्य सुरक्षा सूची में शामिल करवाने को लेकर मुख्यालय को अवगत भी करवाया गया है। लेकिन राज्य सरकार खाद्य सुरक्षा योजना का पोर्टल खोलने को लेकर निर्णय नहीं ले पा रही है। इसका खामियाजा प्रदेश के हजारों गरीब उठा रहे हैं। जिला रसद अधिकारी कार्यालय के अनुसार हनुमानगढ़ जिले में लॉकडाउन के बाद से अब तक करीब दो हजार लोगों के नाम खाद्य सुरक्षा सूची से हटाने का काम पूरा कर लिया गया है। अभी और भी कई अपात्र लोगों की सूची राज्य सरकार से प्राप्त हो रही है। लगातार अपात्र लोगों के नाम सूची से हटाने का काम जारी है। लेकिन नए नाम जोडऩे का काम पोर्टल बंद होने के कारण नहीं हो पा रहा है।
अपात्र उड़ा रहे मौज
राज्य सरकार अपात्र लोगों के नाम खाद्य सुरक्षा से हटाने को लेकर प्रदेश स्तर पर सूची बनाकर सभी एसडीएम को भेज रही है। सत्यापन के बाद इनके नाम काटे जा रहे हैं। प्रदेश में हजारों सरकारी कर्मचारियों के नाम भी सूची में शामिल हैं। इनको क्रमबद्ध तरीके से हटाने में जिला प्रशासन की टीम लगी हुई है। हनुमानगढ़ जिले में लॉकडाउन के बाद से अब तक सरकारी कर्मचारियों के १३८३ राशन कार्ड को निरस्त किया गया है। गेहूं उठाने की एवज में इन कर्मचारियों से २७ रुपए प्रति क्ंिवटल के हिसाब से ५६ लाख ५४ हजार रुपए की वसूली भी कर ली गई है। लेकिन पात्र लोगों के एक भी नाम नहीं जोड़े गए हैं।
.........फैक्ट फाइल.........
-हनुमानगढ़ जिले में खाद्य सुरक्षा सूची में ०२ लाख ६४ हजार परिवार शामिल हैं।
-जिले में कुल ०५ लाख २० हजार परिवारों के राशन कार्ड बने हुए हैं।
-हनुमानगढ़ जिले में ६८१ राशन डिपो संचालित हो रहे हैं।
-पीएम गरीब कल्याण योजना में जिले को करीब ५००० एमटी गेहूं का विशेष आवंटन किया गया।
-जिले में अब तक सरकारी कर्मचारियों के १३८३ राशन कार्ड को निरस्त किया गया है।
- जिले में इन कर्मचारियों से २७ रुपए प्रति क्ंिवटल के हिसाब से ५६ लाख ५४ हजार रुपए की वसूली की गई है।
........वर्जन.......
नहीं जोड़ रहे नाम
लॉकडाउन के कारण कई लोग बेरोजगार हो गए हैं। इन लोगों का नाम खाद्य सुरक्षा सूची में जुड़वाने को लेकर हम जब डीएसओ के पास जाते हैं तो वह पोर्टल बंद होने की बात कहकर नाम जोडऩे में असमर्थता जता रहे हैं। पोर्टल बंद होने के कारण नाम जुड़वाने को लेकर सैंकड़ों आवेदन लंबित हैं।
-प्रदीप ऐरी, पार्षद, वार्ड नंबर २३ हनुमानगढ़
किसी को नहीं राहत
खुंजा क्षेत्र में तीन वार्ड हैं। यहां कोरोना काल में काफी लोगों के सामने दिहाड़ी-मजदूरी का संकट आ गया है। क्षेत्र के करीब पांच सौ लोगों ने खाद्य सुरक्षा सूची में नाम जुड़वाने को लेकर आवेदन कर रखा है। लेकिन एक का भी नाम नहीं जुड़ा है।
-मनोज बड़सीवाल, नागरिक, हनुमानगढ़
राज्य स्तर पर किया बंद
खाद्य सुरक्षा का पोर्टल राज्य स्तर पर बंद किया गया है। जिले में कई लोग नाम जुड़वाने के लिए आवेदन आ रहे हैं, लेकिन पोर्टल बंद होने के कारण उनके नाम नहीं जुड़ पा रहे।
-जाकिर हुसैन, कलक्टर हनुमानगढ़
September 28, 2020 at 07:42AM