वैज्ञानिक यह जानने के बिल्कुल करीब आ गए हैं कि हम बातचीत के दौरान तेजी से बोली जाने वाली भाषा को कैसे समझ लेते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसमें हमारी मदद मस्तिष्क में न्यूरॉन कम्प्यूटेशन (गणनाओं ) का एक जटिल समूह करता है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 'नॉवेल कम्प्यूटेशनल मॉडल' विकसित किया है जिसकी सहायता से शोधकर्ताओं ने शब्दों के अर्थ को सीधे वॉलंटीयर्स के दिमाग में रियल-टाइम दिमागी गतिविधि के साथ परीक्षण किया।
कैंब्रिज विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर स्पीच, भाषा और मस्तिष्क विभाग के निदेशक और शोध की प्रमुख लेखक लॉरेन टाइलर का कहना है कि शब्दों को उनके संदर्भ में रखने की हमारी क्षमता उनके आसपास के अन्य शब्दों के आधार पर तय होती है। किसी भी भाषा को समझकर उसके अनुसार प्रतिक्रिया करने की दिमाग की इस विशेषता को 'सिमैंटिक कम्पोजिशन' कहते हैं। इस प्रक्रिया में हमारा दिमाग सुने गए शब्दों और उनके अर्थों को एक वाक्य में जोड़ता है ताकि पहले से दिमाग के मेमोरी बॉक्स में संचित शब्दों के साथ उनकी तुलना कर प्रतिक्रिया कर सके। यह सब मिली सेकंड्स से भी कम समय में होता है। जैसे ही हम कोई शब्द सुनते हैं तो 'सिमैंटिक कम्पोजिशन' मस्तिष्क को विवश करता है कि वह इस वाक्य के अगले शब्द की व्याख्या करे।

September 20, 2020 at 01:48PM