कैदी के शरीर से चार मोबाइल निकले तो सख्ती से जांच में दूसरे कैदी से निकली स्प्रिंगें

जोधपुर.
जोधपुर सेन्ट्रल जेल में बंदियों के पास मोबाइल मिलना सामान्य बात है, लेकिन अब कैदियों के शरीर में मोबाइल व लोहे की हीटर स्प्रिंगें निकलने लगी हैं। पन्द्रह दिन के भीतर एक कैदी ने गुप्तांग से चार मोबाइल तो दूसरे अन्य कैदी ने हीटर की 19 स्प्रिंगें शरीर में छुपा लीं। आश्चर्यजनक रूप से १८ सितम्बर को कैदी देवाराम भील के शरीर में मोबाइल होने का पता नहीं लग पाया था। पन्द्रह दिन बाद तीन अक्टूबर को मेटल डिटेक्टर व एनएलजेडी मशीन की जांच में कैदी रईस उर्फ रशीद उर्फ रोशन खां के शरीर में आपत्तिजनक वस्तु पकड़ में आ गई। एेसे में जेल में कैदी व बंदियों की जांच पर सवाल उठने लगे हैं। बंदी-कैदियों की जांच सही नहीं हो पा रही है अथवा जांच मशीनें सुचारू काम नहीं कर रही है?

पुलिस को अंदेशा है कि पहले वाले मामले में मेटल डिटेक्टर व एनएलजेडी मशीन से जांच नहीं की गई होगी। वहीं, जेल प्रशासन का कहना है कि मशीन में तकनीकी गड़बड़ी के चलते जांच के बावजूद कैदी के शरीर में मोबाइल पकड़ में नहीं आए होंगे।
कैदी की गिरफ्तारी पर खुलेंगे राज

रातानाडा थानाधिकारी रमेश शर्मा का कहना है कि शरीर में हीटर की १९ स्प्रिंगें निकलने के मामले में कैदी रईस उर्फ रशीद उर्फ रोशन खां को प्रोडक्शन वारंट पर जेल से गिरफ्तार किया जाएगा। उससे पूछताछ में ही स्पष्ट हो पाएगा कि उसके पास हीटर की स्प्रिंगे किसने पहुंचाई और उसे किस तक स्प्रिंगें पहुंचानी थी?
ड्यूटी पर तैनात सुरक्षाकर्मियों से पूछताछ

गत १९ सितम्बर को कैदी देवाराम के शरीर से चार मोबाइल निकलने के मामले में जेल में ड्यूटी पर तैनात आरएसी के जवान व जेल प्रहरी से पूछताछ की गई। कैदी के पास मोबाइल आने से लेकर मुख्य जेल में ले जाने के बारे में छह-सात सुरक्षाकर्मियों से सवाल-जवाब किए गए। इस मामले में देवाराम व जेल प्रहरी अशोक बिश्नोई व कैलाश बिश्नोई को गिरफ्तार किया जा चुका है। मोबाइल मंगवाने वाले बंदियों की गिरफ्तारी होनी है।

जेल में सघन जांच के चलते पकड़ में आ रहे मामले
'उद्योगशाला से मुख्य जेल में जाने के दौरान कैदियों की मेटल डिटेक्टर व एनएलजेडी मशीनों से जांच होती है। जेल प्रशासन की सख्ती के चलते कैदी एेसी हरकतें कर शरीर में निषेध सामग्री छुपाकर ले जाने लगे हैं। गत १८ सितम्बर को देवाराम की भी मेटल डिटेक्टर और एनएलजेडी मशीन से जांच की गई थी, लेकिन तब वह पकड़ में नहीं आ सका था। दूसरे दिन तबीयत बिगडऩे पर शरीर में मोबाइल होने का पता लगा था।Ó

कैलाश त्रिवेदी, अधीक्षक, जोधपुर सेन्ट्रल जेल।



October 06, 2020 at 07:00AM