>>: राजस्व मंत्री के भाई पर परिजनों के आरोप, सीबीआइ बाड़मेर में कर रही पड़ताल

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बाड़मेर. बहुचर्चित कमलेश प्रजापत एनकाउंटर मामले चार दिन से सीबीआइ पड़ताल में जुटी है। एनकाउंटर से जुड़े पुलिसकर्मियों, परिजनों एवं राजनीतिक व्यक्तियों को बेसब्री से इंतजार है कि सीबीआइ दूध का दूध और पानी का पानी करेगी। सीबीआइ ने यहां सर्किट हाऊस में अस्थाई कार्यालय स्थापित कर पड़ताल प्रारंभ कर दी है। रविवार को परिजनों ने आरोप पत्र एक बार फिर सीबीआइ के दिल्ली कार्यालय को भेजा है तो इधर सीबीआइ ने एनकाउंटर में उपयोग ली गई गाड़ी का निरीक्षण भी किया है। उसके बाद सर्किट हाऊस में अधिकारी पड़ताल कर रहे है।

मृतक कमलेश के भाई भैराराम ने सीबीआई दिल्ली कार्यालय को भेजे मांग पत्र में आरोप लगाया है कि कमलेश मैसर्स केके इंटरप्राइजेज फर्म में वर्ष 2014 में कार्यप्रारंभ किया। आरोप है कि फर्म को पचपदरा रिफाइनरी में कार्य मिलने से राजस्व मंत्री व उनके भाई मनीष से व्यापारिक प्रतिस्पद्र्धा हो गई थी। आरोप है कि कमलेश ने सांडेराव में पुलिस पर फायरिंग के मामले में नाम काटने के लिए मनीष को 10 लाख रुपए दिए थे। सांडेराव, बाड़मेर पुलिस पर भी आरोप लगाए है कि वो लगातार कमलेश के संपर्क में थे और कमलेश के साथ उनकी शराब पार्टी होती रहती थी। इसका खुलासा कमलेश के सोशल मीडिया अकाउंट से हुई कॉल डिटेल से लग सकता है। इसके अलावा कमलेश की एक महिला मित्र पर कमलेश से जुड़ी सूचनाएं पुलिस को देने के आरोप लगाए है। आरोप है कि एनकाउंटर से पहले कमलेश के घर का विद्युत कनेक्शन क्यों काटा गया? उन्होंने ज्ञापन में 29 बातें उल्लेख कर उस जांच करवाने की मांग की।
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यों चला है घटनाक्रम
- 22 अप्रेल की रात विष्णु कॉलोनी में पुलिस दल ने दबिश देकर एनकाउंटर को अंजाम दिया। उस दौरान बताया कि कमलेश ने पुलिस पर वाहन चढ़ाने का प्रयास किया तो हुइ मुठभेड़ में मारा गया। लेकिन कमलेश ने कोई फायरिंग नहीं की गई थी। उसी दिन से पचपदरा विधायक मदन प्रजापत एनकाउंटर को फजीज़् बताते हुए विरोध दजज़् करवाया और सीबीआई से जांच करवाने की मांग पर अड़ गए।
- एनकाउंटर के दो दिन घटनाक्रम का सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। उसके बाद यह मामला लगातार विवादों में रहा। साथ ही पोस्टमार्टम, सीसीटीवी फुटेज व पुलिस की ओर से दजज़् एफआइआर में भिन्नता सामने आई।
- इसके बाद लगातार भाजपा व कांग्रेस नेताओं की ओर से मामले को लेकर बयान बाजी चलती रही। साथ ही मृतक कमलेश के परिजन हाईकोट भी गए। सीबीआई जांच की स्वीकृति से पहले लंबा विवाद चलता रहा।
- परिजनों व विधायक की मांग की मांग पर 1 जून को गहलोत सरकार ने मामले की जांच सीबीआई से करवाने के लिए केन्द्र सरकार को अनुशंषा भेज दी गई। उसके बाद केन्द्र सरकार की स्वीकृति पर 7 जुलाई को सीबीआई ने एफआइआर दजज़् कर जांच शुरू की।
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कांग्रेस विधायक ने किया नेतृत्व
कांग्रेस के पचपदरा के विधायक मदन प्रजापत इस मामले मेे समाज के साथ खडेु हुए। सीबीआइ जांच की मांग के साथ वे आरोप लगा चुके है कि यह हत्या है, एनकाउंटर नहीं।
राजनीतिक
भाजपा से केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी, जलशक्ति मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत सहित कई लोग केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर कर आए थे सीबीआइ जांच की मांग।

- आरोप निराधार है,
सीबीआई जांच कर रही है, जांच में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। मैंने भी निष्पक्ष व सीबीआई जांच के लिए कहा था। अब इनकी क्या मंशा है, यह मुझे जानकारी में नहीं है। आरोप निराधार है। जांच में सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा। - हरीश चौधरी, राजस्व मंत्री, राजस्थान सरकार

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