>>: Digest for July 08, 2021

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भरतपुर. रेल गोदाम स्थित क्लिंकर लोडिंग-अनलोडिंग प्लांट प्रदूषण नियंत्रण मंडल की एनओसी के बगैर ही संचालित किया जा रहा था। यह दावा एनजीटी में वाद दायर करने वाले कॉलोनी के लोगों ने ही किया है। बताते हैं कि करीब एक साल तक यह प्लांट बगैर एनओसी चलता रहा। जबकि स्टोन क्रशर या ऐसी किसी भी गतिविधि के संचालन के लिए आवश्यक है कि एनओसी ली जाए। इस मामले में ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। बल्कि खुद अधिकारी भी गुमराह बने रहे। अब मामला सामने आया तो खुद ही साक्ष्य मांग रहे हैं। उल्लेखनीय है कि स्थानीय लोगों की ओर से बार-बार जिला प्रशासन को ज्ञापन देने और प्रदर्शन करने के बाद अब एनजीटी ने क्लिंकर से फैल रहे प्रदूषण के स्तर की जांच के लिए जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और चिकित्सा विभाग के एक चिकित्सक की टीम गठित की गई है। यह टीम क्लिंकर से पहले, क्लिंकर खाली होने के दौरान और क्लिंकर खाली होने के बाद फैल रहे प्रदूषण के स्तर की जांच कर रही है। सोमवार को डॉ. उदित चौधरी ने कॉलोनीवासियों के स्वास्थ्य जांच की थी। इसमें प्रथम दृष्टया सामने आया था कि यहां की ज्यादातर आबादी खुजली, सांस आदि रोगों से पीडि़त है। इस प्रकरण को लेकर सात जुलाई को एनजीटी में सुनवाई है। इधर, गणेश इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के नरेंद्र चौधरी ने भी सीएमएचओ को पत्र दिया है। इसमें कहा है कि प्लांट पिछले काफी समय से बंद है। ऐसे में डॉक्टर ने जिन बीमारियों का उल्लेख किया है। वह प्लांट बंद होने के बाद भी उसी को कारण बताकर क्यों कहीं जा रही हैं।


लोग: सांस की हो रही बीमारी, कूलर चलाना भी मुश्किल

-सांस लेने में समस्या हो रही है। जिला प्रशासन को ध्यान देना चाहिए। रात्रि को कूलर चलाया था डस्ट कमरे में भर गई।
गीता, गृहणी अनुराग नगर


-क्लिंकर की डस्ट से बहुत परेशान है। दिन र खाते रहते हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। जब इतने लोग बीमार हो रहे हैं तो प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।
सत्यप्रकाश, माल गोदाम रोड


-सांस की समस्या बन गई है। रात्रि को काम चला था उस दौरान कूलर के से डस्ट अंदर पहुंच गई। कूलर बंद करना पड़ा तब जाकर राहत की सांस ली।
संगीता, अनुराग नगर


-जहां प्लांट लगा हुआ है उससे आधा किलोमीटर पर ही पुराना औद्योगिक क्षेत्र में ऑयल मिल है लेकिन क्लिंकर की डस्ट वहां तक पहुंचती है। गाड़ी पर जमा हो जाती है पानी डालते हैं फिर भी नहीं हटती।
देवेंद्र कुमार, पुराना औद्योगिक क्षेत्र

-क्लिंकर बंद रहा उस दौरान राहत की सांस ली। सांस की समस्या हो गई है। इलाज चल रहा है लेकिन प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है। जल्द से जल्द बिल्कुल बंद किया जाए वरना आंदोलन करेंगे।
कृष्ण कुमार, माल गोदाम रोड


-क्लिंकर से बहुत परेशान हैं। शरीर में खाज खुजली हो गई है। बीती रात क्लिंकर से डस्ट उड़ती रही। इससे रात्रि को सो भी नहीं पाए। कूलर चल रहा था। पूरी डस्ट अंदर पहुंच गई कूलर बंद करना पड़ा।
रमेश चंद, माल गोदाम रोड


-क्लिंकर की उड़ती धूल के कारण शरीर पर फुंसी हो गई है। उनमें जलन और खुजली होती है। चिकित्सकों को दिखाया लेकिन फायदा नहीं पड़ रहा।
हरीश कुमार, अनुराग नगर

भरतपुर. अल्पसंख्यक मामलात, वक्फ एवं जन अभियोग निराकरण विभाग के मंत्री शाले मोहम्मद ने कहा कि आमजन के छोटे-छोटे प्रकरणों का नियमानुसार स्थानीय स्तर पर ही प्राथमिकता से निस्तारण किया जाए। इससे वे परेशानी से बच सकें। साथ ही लोगों में राज्य सरकार की संवेदनशील एवं पारदर्शिता की छवि भी बरकरार रह सके।
मंत्री मोहम्मद मंगलवार को कलक्ट्रेट सभागार में जिला स्तरीय अधिकारियों की अल्पसंख्यक कल्याण सम्बंधी समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए निर्देशित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से आम जनसुनवाई की प्रक्रिया में तब्दीली कर ग्राम पंचायतों का कलस्टर तैयार कर उपखण्ड अधिकारी के निर्देशन में जनसुनवाई कार्यक्रम आयोजित किए जाने की व्यवस्था की जा रही है। साथ ही उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे कार्यदिवस में एक घंटे की अवधि जनसुनवाई के लिए निर्धारित करें। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्य सरकार की ओर से स्वीकृत बजट राशि का समय पर पूर्ण सदुपयोग करें। इससे आमजन को लाभ मिल सके। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों के प्रकरणों का प्राथमिकता एवं समय पर निस्तारण करें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की एमएसडीपी योजना एवं केन्द्र की प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत स्वीकृत निर्माण कार्यों को निर्धारित समय सीमा एवं पूर्ण गुणवत्ता के साथ पूरा कराएं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से पात्र व्यक्तियों को जोडऩे के पश्चात् भी लाभान्वित न होना विभागीय लापरवाही को दर्शाता है, ऐसे प्रकरणों में जबावदेही तय कर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि 181, राजस्थान सम्पर्क पोर्टल एवं अन्य पोर्टलों पर दर्ज प्रकरणों का प्राथमिकता से एल-1 स्तर पर ही निस्तारण करने का प्रयास करें। एल-2 या एल-3 पर प्रकरणों का अग्रेषित होने पर कार्मिक की लापरवाही का घोतक माना जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि लम्बित परिवादों का समय अवधि में गुणवत्ता एवं संतुष्टिपूर्ण तरीके से निस्तारण करें। बैठक में एसपी देवेन्द्र सिंह विश्नोई, एडीएम प्रशासन बीना महावर, एडीएम शहर केके गोयल, जिला परिषद सीईओ राजेन्द्र सिंह चारण, नगर निगम आयुक्त डॉ. राजेश गोयल, सीएमएचओ डॉ. कप्तान सिंह, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी रत्ती खान, एसडीएम दामोदर सिंह, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक राजेन्द्र सिंह गुर्जर आदि उपस्थित थे।

भरतपुर . मिड डे मील में स्वयं सहायता समूहों पर बरसी मेहरबानी संदेह के दायरे में नजर आ रही है। 'साहबÓ की मेहरबानी और कार्मिकों की अनदेखी का आलम यह है कि स्कूलों में मिडडे मील उपलब्ध कराने को किए गए अनुबंध पूरे ही नहीं हैं। एक ऐसा भी मामला सामने आया है, इसमें न तो अनुबंध करने वाले के हस्ताक्षर हैं और न ही जिला शिक्षा अधिकारी के। ऐसे में यह अनुबंध कैसे हो गया और वर्क ऑर्डर कैसे जारी हो गया। यह समझ से परे है।
भले ही विभाग कोविड-19 की आड़ में राशि नहीं लौटने की बात कह रहा है, लेकिन करीब चार वर्षों में 70 से 80 करोड़ रुपए का अग्रिम भुगतान स्वयं सहायता समूह एवं अन्नपूर्णा महिला सहकारी समितियों को किया है, जिनका समायोजन विभाग के लिए मुश्किल हो रहा है। खास बात यह है कि जिला कलक्टर के यहां से पूर्व में चली नोटशीट में राशि नहीं लौटाने वाले समूहों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने के निर्देश दिए जा चुके हैं, लेकिन यह आदेशों पर भी पूरी तरह अमल नहीं हो सका है। इस आदेश के बाद कुछ समूहों को तो चेतावनी दे दी गई, लेकिन पूरी राशि लौटने का मामला अधरझूल में ही बना रहा। उल्लेखनीय है कि जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा की ओर से मिडडे मील क्रियान्वयन के लिए 90 स्वयं सहायता समूहों को तीन-तीन माह की राशि अग्रिम के रूप में भुगतान की गई। खास बात यह है कि इसमें नियमों की बात सामने आ रही है। इस मामले में प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान बीकानेर के अतिरिक्त निदेशक प्रशासन ने जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर पीआईपीआर पोर्टल पर दर्ज राजस्थान पत्रिका की खबर 'नियम न कायदा, सीधा समूहों को फायदाÓ के प्रकरण पर तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है। पत्र में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग जयपुर पोर्टल का प्रकरण राजस्थान पत्रिका की खबर पर तथ्यात्मक रिपोर्ट सोमवार को ही ई-मेल पर मांगी। उल्लेखनीय है कि पत्रिका ने 5 जुलाई के अंक में खबर प्रकाशित कर विभागीय अधिकारियों का ध्यान इस ओर खींचा। खबर में बताया कि जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा की ओर से मिडडे मील क्रियान्वयन के लिए 90 स्वयं सहायता समूहों को तीन-तीन माह की राशि बिना नियमों के अग्रिम के रूप में भुगतान की गई है। इस राशि का समायोजन लंबे समय से नहीं हुआ है।

समायोजन के बाद भी नहीं लौटी राशि

खास बात यह है कि नियमानुसार कार्य करने वाले कुछ समूहों ने अपनी राशि विभाग से मांगी है। ऐसे करीब 11 समूह बताए जा रह हैं, जिनकी काम के एवज में दी जाने वाली राशि उन्हें नहीं दी गई है। विभाग समायोजन की बात कहकर लगातार इस मामले को टाल रहा है। ऐसे समूहों का विभाग पर करीब 23 से 24 लाख रुपए बकाया चल रहा है, लेकिन इनकी सुध अभी तक नहीं ली जा रही है।

इनका कहना है

मिडडे मील का काम करने वाले समूहों पर करीब 3 करोड़ 41 लाख रुपए बकाया थे। इनमें से कुछ समूहों से करीब 42 लाख रुपए वापस लिए हैं। मेरी जानकारी में आया है कि कुछ अनुबंध अपूर्ण हैं, जिन पर हस्ताक्षर नहीं हैं। विभाग की ओर से काम करने वाले दो से तीन समूहों को पैसा वापस भी किया गया है।
- गोपाल सिंह कुंतल, प्रभारी एमडीएम जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय प्रारंभिक भरतपुर

भरतपुर . मरीजों की पीर पर माननीय के साथ अस्पताल प्रशासन ने भले ही मौन साध लिया है, लेकिन मरीजों की मुश्किलों पर मल्हम लगाने के लिए लुपिन संस्था आगे आई है। गर्मी से बेहाल हो रहे नौनिहाल और जननी की जान को महफूज रखने के लिए लुपिन ने मंगलवार को 60 पंखे भेंट किए। साथ ही एग्जॉस्ट फैन, कूलर एवं शौचालयों की सफाई आदि का कार्य भी शुरू कराया है।
उमस भरी गर्मी के बीच अस्पताल में मरीज एवं उनके तीमारदार खासे परेशान हैं। इस बीच अस्पताल प्रशासन ने बजाय उनकी पीड़ा कम करने के गैलरी और बरामदों के कनेक्शन काटकर उनकी पीर को और बढ़ा दिया। मरीजों की इस पीड़ा को पत्रिका ने अभियान के रूप में खबर प्रकाशित कर उठाया। खबरें प्रकाशित होने के बाद भरतपुर विधानसभा क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले चिकित्सा राज्यमंत्री एवं अस्पताल प्रशासन मौन साधे बैठे रहे, लेकिन लुपिन संस्था ने आगे आकर मरीजों की इस पीड़ा को दूर करने का बीड़ा उठाया है। मंगलवार को लुपिन ने अस्पताल प्रशासन को पंखे उपलब्ध करा दिए। अब मरीजों को उसम भरी भीषण गर्मी से निजात मिल सकेगी।

लुपिन ने जनाना को दिए 60 पंखे

लुपिन फाउंडेशन ने जनाना अस्पताल में भर्ती रोगियों के लिए 60 पंखे दान स्वरूप उपलब्ध कराए हैं। संस्था ने अस्पताल के खराब एग्जॉस्ट फैन, कूलरों व शौचालयों की मरम्मत का कार्य भी शुरू करा दिया है। इस दौरान अतिथि के रूप में नगर निगम आयुक्त डॉ. राजेश गोयल, अतिरिक्त कलक्टर शहर के.के. गोयल एवं संस्था के अधिशासी निदेशक सीताराम गुप्ता मौजूद रहे। आयुक्त डॉ. गोयल ने कहा कि चिकित्सा संस्थानों में रोगियों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के लिए हम सबको सहयोग करना चाहिए। जनाना चिकित्सालय में पंखे काफी पुराने होने के कारण खराब हो गए हैं। इससे रोगियों को भीषण गर्मी में परेशानी हो रही थी। उन्होंने लुपिन का आभार जताते हुए कहा कि चिकित्सालय की अन्य समस्याओं को शीघ्र दूर कराने का प्रयास किया जाएगा। एडीएम गोयल ने कहा कि चिकित्सालय की सभी समस्याओं का मिलकर समाधान कराया जाएगा। उन्होंने चिकित्सालय को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए मैन पानी की टंकी से जोडऩे के लिए अधिशासी अभियंता को निर्देश दिए। लुपिन के अधिशासी निदेशक सीताराम गुप्ता ने बताया कि जनाना चिकित्सालय की समस्याओं को सूचीबद्ध करा लिया है, जिनका निराकरण लुपिन, नगर निगम व नगर विकास न्यास से कराया जाएगा। रोगियों को बेहतर चिकित्सा सेवा मुहैया कराने के लिए समिति भी गठित की जाएगी। संस्था ने चिकित्सालय को दो एयरकन्डीशनर पूर्व में मुहैया करा दिए हैं तथा दो एसी हरी ऑयल मिल व एक ऑटो मोबाइल डीलर सोसायटी की ओर से उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने सुझाव दिया कि खराब पंखों में ठीक होने योग्य पंखों की सूची बनाई जाए, ताकि शेष खराब पंखों की नीलामी की जा सके। उन्होंने चिकित्सालय को नेबूलाइजर उपलब्ध कराने का विश्वास भी दिलाया। इसके बाद सभी ने चिकित्सालय का भ्रमण किया। इस दौरान उनके साथ चिकित्सालय के प्रभारी डॉ. रूपेन्द्र झा, डॉ. हिमांशु, लुपिन के क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबन्धक डॉ. राजेश शर्मा, पुनीत गुप्ता, राजेन्द्र माहुरे एवं बबीता चौहान आदि मौजूद रहे।

स्वास्थ्य मंदिर भी लगवाएगा 20 पंखे

पत्रिका में खबर प्रकाशित होने के बाद स्वास्थ्य मंदिर संस्थान ने भामाशाह योगेश इण्डस्ट्रीज एवं आयॅल मिल भरतपुर की ओर से 20 पंखे लगाने का निर्णय लिया है। भामाशाह दिनेशचन्द अग्रवाल ने कहा कि पत्रिका की ओर से इस तरह का मुद्दा उठाने से लोगों की पीड़ा का आभास हुआ। इस बात को ध्यान में रखते हुए जनाना हॉस्पिटल को 20 पंखे दान देने के साथ लगाने का भी निर्णय लिया है। पूर्व में भी स्वास्थ्य मंदिर की ओर से भामाशाहों के माध्यम से व्हीलचेयर, स्ट्रेचर एवं निमूलाइजर आदि उपलब्ध कराए थे।

भरतपुर. रेंज के भरतपुर समेत चारों जिले की हैड कांस्टेबल से एएसआई पद पर विभागीय पदोन्नति परीक्षा के तहत बुधवार को आउटडोर और साक्षात्कार का आयोजन हुआ। भरतपुर जिले का परिणाम रात करीब आठ बजे जारी हुआ। इसमें 58 पदों पर सफल रहे हैड कांस्टेबलों का चयन हुआ है। इनका पीसीसी के लिए चयन हुआ है। बोर्ड में रेंज आईजी प्रसन्न कुमार, सदस्य सचिव डीआइजी रामेश्वर सिंह, भरतपुर एसपी देवेन्द्र कुमार, धौलपुर से केसर सिंह शेखावत, करौली से मृदुल कच्छावा व सवाईमाधोपुर से राजेश सिंह शामिल थे।

इससे पहले सुबह करीब करीब 5 बजे से पुलिस लाइन मैदान पर रेंज के भरतपुर, धौलपुर, सवाईमाधोपुर व करौली जिले के लिखित परीक्षा में सफल रहे अभ्यर्थियों को आउटडोर के लिए आमांत्रित किया गया। हैड कांस्टेबलों ने मैदान पर परेड, पीटी की और बोर्ड सदस्यों ने उनसे हथियार, आयुद्ध समेत अन्य की जानकारी ली गई। दोपहर करीब एक बजे तक आउटडोर चला। इसके बाद सफल रहे अभ्यर्थियों को आईजी कार्यालय पर साक्षात्कार के लिए बुलाया गया। एसपी देवेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि जिले में 2018-19 के 58 रिक्त पद जिसमें सामान्य 46, एससी 8 व एसटी के 4 पद शामिल थे। इसमें 22 व 23 जून को लिखित परीक्षा में सफल रहे करीब 90 हैड कांस्टेबल अभ्यर्थियों को आउटडोर में बुलाया गया था। इसमें सफल रहे अभ्यर्थियों को दोपहर बाद आईजी कार्यालय पर साक्षात्कार के लिए बुलाया गया।


ये हुए सफल

पीसीसी के लिए भगवान सिंह, कमल सिंह, नवाब सिंह, भगवान सिंह, रामगोपाल, महावीर सिंह, राजेन्द्र सिंह, जसंवत सिंह, बाबूलाल, हजारीलाल, महेन्द्र सिंह, हरदम सिंह, बने सिंह, ऐदल सिंह, दरब सिंह, मीनादेवी, प्रहलाद सिंह, ईश्वरसिंह, रामसिंह, हरवीर सिंह, रामफूल सिंह, बृजलाल, पे्रमचंद, राजेन्द्र सिंह, अमरचंद, भल्लो सिंह, महेशचंद, रणधीर सिंह, मानसिंह, प्रभुदयाल, महेन्द्र सिंह, नरेन्द्र सिंह, भोजराज, हुकम सिंह, भोजराज सिंह, हुकम सिह, भानू प्रताप (जिला करौली), देवेन्द्र सिंह, रमेशचंद, गजेन्द्र सिंह, लेखराज, खुशीराम, भरतलाल, यतेन्द्र सिंह, राकेश कुमार, दिनेश कमार, रामावतार, दारा सिंह, चंद्रशेखर, भगत सिंह, जितेन्द्र सिंह, वीरेन्द्र सिंह, रामवीर सिंह, कप्तान सिंह, ललित कुमार तिवारी, सोमभद्र सिंह, योगेश कुमार उपाध्याय, श्रीचंद, ब्रजेन्द्र सिंह व रमेशचंद सफल रहे।

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