>>: Digest for July 08, 2021

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लाचारी, कंगाली पर 8 साल से आंसु बहाता परिवार
जवान बेटे की सेवा को विवश बूढ़े माता-पिता
हाथ कटने से बोझिल हुई है भूपेन्द्र की जिंदगी
उपचार को चाहिए 18 लाख की मदद
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
करौली। यहां बरखेड़ा पुल के पास झीलकाहार निवासी भूपेंद्र मीणा के एक हादसे में 8 वर्ष पहले हाथ कट जाने के बाद से उसकी जिंदगी बोझिल हुई है। उसका दर्द है कि वह बुढ़ापे में माता-पिता का सहारा बनता लेकिन आज उन पर बोझ बना है। बुढ़ापे में खुद के शरीर से लाचार माता-पिता भी अपने जवान बेटे की सेवा करने को विवश हैं। परिवार की निर्धनता इस हालात से उनको उबरने नहीं दे रही। ऐसे में बेबस परिवार मदद के लिए याचक बना है। इस परिवार पर विपदा अप्रेल 2013 में आई, जब भूपेन्द्र के दोनों हाथ बस के टक्कर मारने के हादसे के बाद अलग हो गए। निर्धनता के बावजूद भूपेन्द्र के पिता रामस्वरूप ने बड़े अस्पतालों और चिकित्सकों के पास जाकर बेटे के उपचार के हर संभव प्रयास किए।

नहीं मिली सरकार से मदद

उस दौरान तत्कालीन चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड से गुहार करने पर उन्होंने भूपेन्द्र के उपचार के लिए चिकित्सकों की कमेटी गठित की। चिकित्सकों ने रिपोर्ट दी कि दोनों हाथ कोहनी के ऊपर से कटे हैं। ऐसे में केडेवर हैण्ड नहीं लग सकते, आर्टिफिशियल लिंब लगाने होंगे। इसका खर्च 8 लाख रुपए बताया। इसमें सरकार ने केवल 40 प्रतिशत राशि देने की बात कही। शेष राशि का प्रबंध करना परिवार के बूते नहीं था। इस कारण भूपेन्द्र उपचार से वंचित रहा। उसने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी अपनी विवशता में मदद के लिए पत्र लिखा तो वहां से 50 हजार की सहायता उपचार को स्वीकृत हुई। ऊंट के मुंह में जीरे के समान इस राशि से उपचार संभव था नहीं, इसलिए ये राशि वापस लौट गई। अब आर्टिफिशियल लिंब के उपचार का खर्च बढ़कर 18 लाख तक पहुंच गया है। जिस परिवार के पास दो समय के खाने का प्रबंध न हो, उसके लिए इतनी राशि का प्रबंध करना मुमकिन नहीं।


निर्धनता बनी उपचार में बाधक

भूपेन्द्र अपनी दीन-दशा को देख रोता है। नि:शक्ता के साथ उसका दर्द है कि दैनिक नित्य कर्म से लेकर छोटेे कामों के लिए वह बूढ़े माता-पिता पर बोझ बन गया है। माता-पिता की सेवा करने की उम्र में वह उनसे सेवा कराना नहीं चाहता। इसी मंशा से उसने अपने स्तर पर कृत्रिम हाथों के लिए जानकारी जुटाई है। भूपेन्द्र के अनुसार केरल के एक हॉस्पीटल ने उसके उपचार का खर्च18 लाख रुपए बताया है। लेकिन निर्धन परिवार के लिए इस राशि का प्रबंध संभव नहीं। गांव में जो पुश्तैनी भूमि थी वो विवादों के कारण कब्जे में नहीं है। दुर्घटना क्लेम की मिली राशि से करौली में बरखेड़ा पुल के समीप अविकसित इलाके में एक कमरा बनाकर वो रहते हैं।

कैसे भरें पेट

पेट भरने को सरकार से सामाजिक सहायता योजना में मिलने वाली 750 रुपए मासिक पेंशन सहारा है। तीनों की 2 हजार रुपए महीने की पेंशन से महंगाई के दौर में ये परिवार अपना पेट भरता है। एक तो हादसे में हाथ जाने का दर्द और उसके ऊपर निर्धनता की मार ने भूपेन्द्र को अंदर तक तोड़ डाला है। दिन में न जाने कितनी बार उसकी आंखों से आंसु छलकते हैं तो बूढ़े माता-पिता उसको दिलासा देकर आंसु पौंछते हैं। वे भी कलेजे पर पत्थर रखे हैं। उनको अपने से अधिक भूपेन्द्र के भविष्य की चिंता सता रही है। भूपेन्द्र के इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं कि जब माता-पिता इस दुनिया से चले जाएंगे तो मेरे को कौन संभालेगा।

करौली. जिला मुख्यालय अभी तक ना रेल से जुड़ा और ना ही रोडवेज डिपो का स्वतंत्र संचालन हो सका है। इसके लिए ना केवल जनप्रतिनिधियों की प्रबल इच्छाशक्ति का अभाव रहा है, बल्कि सामूहिक प्रयासों की भी कमी रही है। अभी भी करौली रोडवेज डिपो हिण्डौन आगार के अधीन संचालित है, जिसको मूर्तरूप दिलाकर स्वतंत्र संचालन के लिए सामूहिक प्रयासों की दरकार है। यह विचार राजस्थान पत्रिका की ओर से यहां आयोजित टॉक-शो में कांग्रेस-भाजपा पदाधिकारियों के साथ प्रबुद्धजनों ने रखे।

उन्होंने करौली के रोडवेज डिपो के स्वतंत्र संचालन को लेकर पत्रिका द्वारा चलाई जा रही मुहिम की सराहना करते हुए एकजुटता से प्रयास कर राज्य सरकार तक पुरजोर तरीके से इस मांग को पहुंचाने पर जोर दिया।
चर्चा में राजस्थान पेंशनर्स मंच के जिलाध्यक्ष दिनेशचन्द चतुर्वेदी ने कहा कि करौली के लिए यह अफसोसजनक स्थिति है कि डिपो 2010-11 में स्वीकृत होते हुए भी एक दशक बाद भी इसका स्वतंत्र संचालन नहीं हो रहा है। इसके लिए उन्होंने राजनीतिक इच्छाशक्ति को कमजोर बताते हुए इस मुद्दे को सरकार स्तर पर पहुंचाने के लिए क्षेत्रीय विधायक के साथ आमजन के सामूहिक प्रयासों की जरुरत बताई।
इसी क्रम में कांग्रेस के पूर्व जिला उपाध्यक्ष भूपेन्द्र भारद्वाज ने कहा कि कांग्रेस सरकार की ओर से करौली में रोडवेज डिपो स्वीकृत किया गया। बिल्डिंग बनाकर यहां के लिए बसें भी आवंटित की गईं। वे बोले कि डिपो का उद्घाटन भी हो गया, लेकिन उसके बाद भाजपा शासन में इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। नतीजतन डिपो का स्वतंत्र संचालन नहीं हो सका।

भाजपा के जिला महामंत्री धीरेन्द्र बैंसला ने कहा कि करौली सहित जिले के चारों विधायक सत्ता में हैं। फिर भी करौली डिपो का हिण्डौन डिपो के अधीन संचालन होना विडबंना की बात है। इसके लिए विधायक को प्रयास करने चाहिए। बैंसला बोले कि आमजन के हित के इस मुद्दे पर वे जनता के साथ हैं और डिपो को शुरू कराने के लिए हरस्तर पर प्रयास करेंगे।

समाजसेवी बबलू शुक्ला ने कहा कि यह आमजन के हित का बड़ा मुद्दा है, इसके लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर प्रयास किए जाने चाहिए। सत्ताधारी दल के विधायक हैं, ऐसे में प्रयास किए जाएं तो डिपो शीघ्र शुरू हो सकता है। उन्होंने मांग की कि इस संबंध में मुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री को अवगत कराया जाना चाहिए।
बाल कल्याण समिति के सदस्य अनिल शर्मा ने कहा कि डिपो स्वीकृत होने के बाद भी इसका संचालन नहीं होना दुख की बात है। इसके लिए सभी को एकजुट होकर सरकार स्तर पर प्रयास करने की जरुरत है। इसके लिए जनप्रतिनिधियों को आगे आना चाहिए।

इसी क्रम में भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी मुकेश सालौत्री ने कहा कि डिपो का स्वतंत्र संचालन तो नहीं हुआ, बल्कि पिछले महिनों में यहां से डीजल टैंक हटा दिया। धीरे-धीरे व्यवस्थाएं समेट दी गई हैं। ऐसे में लगता ही नहीं है कि जिला मुख्यालय का बस स्टैण्ड है। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को इस पर ध्यान देना चाहिए। भाजपा की ओर से 9 जुलाई को जिला कलक्टर को ज्ञापन भी सौंपा जाएगा।

एनजीओ के अरविन्द राय बोले कि जनप्रतिनिधियों को जनता की यह महत्वपूर्ण मांग सरकार स्तर पर उठाई जानी चाहिए। डिपो करौली की जरुरत है। वे बोले कि जब करौली डिपो अच्छी राजस्व आय अर्जित कर रहा है तो इसका स्वतंत्र संचालन शुरू हो। इसके लिए पार्टी से उठकर सभी को मिलकर काम करने की जरुरत है।

व्यापारी तुलसीदास फरैटिया, बाल कल्याण समिति के सदस्य फजले अहमद ने कहा कि क्षेत्रीय विधायक सत्ता में हैं, ऐसे में वे सरकार स्तर पर प्रभावी प्रयास करें तो डिपो का संचालन शुरू होने से करौली सहित क्षेत्र के लोगों को लाभ मिल सकेगा। इसी क्रम में छात्रनेता धर्म मीना, अग्रवाल युवा समिति के सुमित गर्ग, खेमराज बंसल आदि ने भी विचार व्यक्त किए।

हिण्डौनसिटी. निर्धारित अवधि से दोगुना समय बीतने के बाद भी अधूरे पड़े सीवरेज कार्य को लेकर एसडीएम अनूपसिंह ने जिम्मेदारों को फटकार लगाई है। बुधवार शाम उपखंड कार्यालय में हुई बैठक में एसडीएम ने एलएण्डटी के प्रोजेक्ट मैनेजर और नगरपरिषद के अधिकारियों को लताड़ लगाते हुए निर्माण कार्य को जल्द से जल्द पूरा कराने के निर्देश दिए।


दसअसल राजस्थान पत्रिका ने मंगलवार को 'दो बार बढ़ी अवधि फिर भी चार साल में अधरझूल में सीवरेज' शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर निर्माण की मंथर चाल को उजागर किया था। समाचार प्रकाशित होने के बाद उपखण्उ प्रशासन ने कार्य में देरी को गंभीरता से लिया। इस संबंध में एसडीएम ने बुधवार को सीवरेज निर्माण एजेंसी व इससे सम्बद्ध विभागों के अधिकारियों की बैठक ले अब तक हुए कार्य की समीक्षा की। साथ ही मापदण्ड के अनुसार निर्धारित अवधि में कार्य पूरा करने के निर्देश दिए।


एसडीएम ने बताया कि अमृत योजना के तहत 117 करोड़ 82 लाख रुपए की लागत से शहर में सीवर लाइन का कार्य 28 मार्च 2017 को आरंभ हुआ था, जो दो वर्ष में (27 मार्च 2019 को) पूरा होना था। लेकिन निर्माण करा रही लार्सन एण्ड टर्बो (एल एण्ड टी) कम्पनी की लापरवाही से चार वर्ष बाद भी कार्य अधूरा पड़ा हुआ है, जो शहरवासियों के लिए मुसीबत बना है। एसडीएम ने कहा कि सीवर लाइन के ओवरफ्लो होने की शिकायतें लगातार आ रहीं है। इसलिए जेटिंग मशीन से सीवर लाइन की सफाई कराई जाए। जिससे लोगों को राहत मिल सके।


उन्होंने सीवरेज कार्य के दौरान क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत करने के निर्देश दिए। साथ ही नगरपरिषद आयुक्त को एलएण्डटी का बकाया भुगतान करने के लिए निर्देशित किया। बैठक में नगरपरिषद के सहायक अभियंता महेन्द्र जाटव ने बताया कि नाले की पुलिया के पास स्थित विद्युत ट्रांसफार्मर सीवरेज निर्माण में अवरोधक बना हुआ है। इस पर एसडीएम ने मौके पर ही बिजली निगम के सहायक अभियंता केके शर्मा को सात दिवस में ट्रांसफार्मर को अन्यत्र शिफ्ट कराने के निर्देश दिए। 15 नवम्बर तक करना होगा

सीवरेज का पूरा काम-

बैठक में एसडीएम ने स्पष्ट तौर पर कहा कि लार्सन एण्ड टर्बो (एल एण्ड टी) कम्पनी की समयावधिक दो बार बढाई जा चुकी है। लेकिन अब 15 नवम्बर 2021 तक सीवर लाइन का काम पूरा करना होगा। इसके लिए एसडीएम ने कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर को पाबंद किया। साथ ही कहा कि अब अगर काम में देरी हुई तो जुर्माना ही नहीं, बल्कि फर्म के खिलाफ अप्रत्याशित कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान नगरपरिषद आयुक्त कीर्ति कुमारी कुमावत, सहायक अभियंता महेन्द्र जाटव, एलएण्डटी के प्रोजेक्ट मैनेजर कार्तिकेत, विद्युत निगम के सहायक अभियंता केके शर्मा, सफाई निरीक्षक खलीक अहमद, पूजा बंशीवाल, दीनदयाल आदि मौजूद थे।


हिण्डौनसिटी. उपखंड क्षेत्र के झारेड़ा गांव की जाटव बस्ती में जल संकट से परेशान ग्रामीणों के लिए बुधवार का दिन राहत लेकर आया। एसडीएम अनूप सिंह के निर्देश पर जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अभियंता और कार्मिक गांव में पहुंचे और प्रभावशाली लोगों द्वारा किए एक दर्जन से अधिक अवैध नल कनेक्शनों पर कैंची चला दी। इसके बाद जाटव बस्ती की टंकी तक सीधी जलापूर्ति शुरु कराई गई।


दरअसल राजस्थान पत्रिका द्वारा पांच जुलाई के अंक में 'जाटव बस्ती में दो दशक से पेयजल किल्लत' शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर झारेडा गांव की जाटव बस्ती के लोगों की पानी की पीर को उजागर किया था। जिस पर एसडीएम ने संज्ञान लेते हुए तत्काल प्रभाव से जन स्वास्थय अभियंात्रिकी विभाग के अधिशासी अभियंता को मामले की सतही जानकारी लेकर समस्या समाधान के निर्देश दिए थे।

13 कनेक्शन काट पहुंचाया टंकी में पानी-
श्रीमहावीर जी खण्ड़ के कनिष्ठ अभियंता के नेतृत्व में झारेडा पहुंचे विभाग के दल ने मुख्य पाइप लाइन में अवैध रुप से किए नल कनेक्शन काटे। पीएचईडी की टीम ने शिम्भू शर्मा, मलके, रेखसिंह, रामसिंह, लोकेश, नवल, निरंजन, लाखन, धर्मी, मुकेश, जब्ती, सुमेर व कल्ला द्वारा किए अवैध जल संबंधों को काटा गया। बाद में नलकूप चलाकर जाटव बस्ती की टंकी में जलभराव किया।

हिण्डौनसिटी. समीप के भोपुर-बहादुरपुर गांव में बुधवार दोपहर रंजिश को लेकर कुछ लोगों ने एक युवक को घेरकर पैर में गोली मार दी। किसी प्रकार युवक वहां से भाग निकला और सात किलोमीटर दूर खेडीशीश गांव में बहन के घर पहुंच जान बचाई। रिश्तेदारों ने उसे राजकीय अस्पताल में भर्ती कराया। जहां चिकित्सकों ने उसे गंभीर हालत में जयपुर रैफर कर दिया। बालघाट थाना पुलिस ने चिकित्सालय पहुंच घायल की स्थिति देखी, लेकिन अचेतावस्था में होने की वजह से बयान दर्ज नहीं हो सके।


ड्यूटी चिकित्सक डॉ. ओपी मीणा व डॉ. जेपी मीना ने बताया कि गांव भोपुर बहादुरपुर निवासी मुनेश मीना को रंजिश के चलते गांव के कुछ लोगों ने हनुमान मंदिर पर बुलाया। जहां उसे घेरकर पैर में गोली मार दी। जांघ में छर्रे लगने के बाद भी वह मोटरसाइकिल लेकर भाग निकला और खेडीशीश गांव पहुंच जान बचाई।

कैलाश मीणा बने जिलाध्यक्ष
हिण्डौनसिटी. राजस्थान आदिवासी मीणा सेवा संघ के प्रदेशाध्यक्ष व गंगापुर सिटी विधायक रामकेश मीणा ने गांव नांगल शेरपुर निवासी कैलाश चंद मीणा को संघ करौली जिलाध्यक्ष मनोनीत किया है। प्रदेशाध्यक्ष ने मीणा को 15 दिन में जिला कार्यकारिणी का गठन कर सूची संघ के प्रदेश महामंत्री के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।

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