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Table of Contents

बाड़मेर.
सीमा पार पाकिस्तान से नशे की तस्करी करने वाला पंजाब का ड्रग माफिया अब शांत समझी जाने वाली पश्चिमी सरहद पर अपना नेटवर्क स्थापित करने में जुटा है। बॉर्डर पर एटीएस की कार्रवाई के बाद दो पंजाबी तस्कर बीएसएफ के हत्थे चढ़े है। ऐसे में जाहिर है कि अब लंबे समय बाद फिर से रेगिस्तान के धोरों से सटी तारबंदी को पंजाबी ड्रग माफिया ने निशाना बना लिया है।


सूत्रों से मिली जानकारी में सामने आया है कि पाकिस्तानी तस्करों की मदद से पंजाबी तस्करों ने बॉर्डर पर ऐसे सुराख भी ढूंढ़ निकाले हैं, जहां सीमा की सुरक्षा में तैनात प्रहरियों को गच्चा देकर हेरोइन या अन्य मादक पदार्थों की डीलीवरी डंप करवाने में सफल हो जाएं, साथ ही बॉर्डर पर पाकिस्तानी तस्कर पुराने भारतीय तस्करों का साहरा ले रहा है। ताजे मामले में पाकिस्तानी व पंजाबी तस्कर पांच किलोग्राम की डिलीवरी लेेने में सफल हुए तो दूसरी बार 21 किलोग्राम हेरोइन सीमा से पार करवा दी, हालांकि उसे एटीएस ने पकड़ लिया। अब फिर से शनिवार को बीएसएफ ने दो संदिग्ध पंजाबी लोगों को पकड़ा है। लगातार पंजाब व पाकिस्तानी तस्करों के गठजोड़ का खुलासा होने पर सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई है। साथ ही वर्ष 2009 में बाड़मेर जिले में आरडीएक्स व हथियार बरामद हुए थे, यह खेप भी पंजाब जानी थी। उसके बाद लगातार पंजाबी तस्कर पश्चिमी सरहद पर नजर बनाए हुए थे।


पुलिस अनजान, इंटेलीजेंस सुस्त
यहां बॉर्डर पर बीएसएफ के अलावा पुलिस व इंटेलीजेंस सहित अन्य सुरक्षा एजेंसियां काम कर रही है, लेकिन पुलिस व इंटेलीजेंस को लंबे समय से कोई बड़ा इनपुट नहीं मिला है। साथ ही दोनों एजेंसियों का खुफिया तंत्र कमजोर हो गया है। हालांकि पुलिस ने एक साल पहले नकली नोट व हेरोइन बरामद की थी, लेकिन यह मामला बैंक कर्मियों की सतर्कता के चलते प्रकाश में आया था।


पंजाबी तस्कर बॉर्डर पर सक्रिय
पंजाब में बीएसएफ की सख्ती के बाद पंजाबी ड्रग माफिया पाकिस्तानी तस्करों से संपर्क कर पश्चिमी सरहद के बाड़मेर-जैसलमेर जिले में धोरों से सटी तारबंदी पर डिलीवरी पॉइंट स्थापित कर रहा है।
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चार माह में इन मामलों ने चौंकाया
- 16 फरवरी 2021 को एटीएस ने बिजराड़ थाना क्षेत्र में कारज़्वाई करते हुए सात किलोग्राम हेरोइन बरामद की। स्थानीय तस्करों की मदद से यह खेप पंजाब के तस्करों तक पहुंचनी थी।
- 7 जुलाई को एटीएस ने कारज़्वाई करते हुए 22 किलोग्राम हेरोइन बरामद कर चार तस्करों को गिरफ्तार किया। यह खेप पंजाब के तस्करों तक पहुंचनी थी।
- 22 किलोग्राम के साथ गिरफ्त में आए तस्करों ने एक माह पहले सीमा पार से पांच किलोग्राम हेरोइन पंजाब भेजने में कामयाब हो गए।

बाड़मेर. रेगिस्तान में टिड्डी का खतरा अब बढ़ रहा है। हालांकि एफएओ ने पूर्वानुमान में यह माना है कि अभी टिड्डी कहीं दिखी नहीं है। लेकिन यह भी है कि अब टिड्डी के लिए परिस्थितियां अनुकूल हो चुकी है, ऐसे में मौसम में बदलाव के साथ होने वाली मानसूनी बरसात के साथ टिड्डी भी दस्तक दे सकती है। इसलिए अलर्ट रहना होगा।
ऐसा माना जाता है कि मौसम में नमी के साथ ही टिड्डी का खतरा बढ़ता है। अभी मानसून की दस्तक के बाद भी बरसात नहीं हुई है। इसलिए टिड्डी अभी पूरे भारत में कहीं नहीं दिखी है। सर्वे में जून के दूसरे पखवाड़े में किए गए सर्वे में रेगिस्तानी टिड्डी से मुक्त रहा है। इस दौरान 338 अनुसूचित रेगिस्तानी क्षेत्रों में सर्वे किया गया था। जिसमें टिड्डी का खतरा कहीं नहीं दिखा।
पिछले दो सालों में मई में आ गई थी आफत
इस बार टिड्डी से राहत कही जा सकती है। जबकि पिछले दो सालों में मई महीने में टिड्डी आ गई थी। लगातार बड़े टिड्डी हमले हुए और गांवों से शहरों तक टिड्डी दल पहुंचे थे। जून-जुलाई में सबसे अधिक टिड्डी ने किसानों को प्रभावित किया। बोई गई फसल को नष्ट कर दिया। नियंत्रण के लिए भी बड़े स्तर पर प्रयास किए गए थे। लेकिन अब तक जुलाई का पहला सप्ताह बीत चुका है और एफएओ के अपडेट अनुसार दक्षिण पश्चिमी एशिया आयोग क्षेत्र में टिड्डी को लेकर स्थिति शांत बताई गई है।
कड़ी रखी जाएगी निगरानी
रेगिस्तानी टिड्डी नजर नहीं आने पर भी गहन सर्वे में निगरानी और कड़ी की जाएगी। आशंका इस बात की है कि अब परिस्थितियों को अनुकूल बताया गया है। जबकि जून के पहले पखवाड़े में टिड्डी के रेगिस्तान में पनपने के लिए स्थितियां अनुकूल नहीं थी। अब मानसून के साथ ही रेगिस्तान में नमी बढ़ेगी, इसलिए टिड्डी प्रजनन के लिए परिस्थितियां बेहतर होगी। वहीं अनुमानित वर्षा मानचित्र में बाड़मेर सहित रेगिस्तानी इलाकों में वनस्पति हरी मिली है।

बाड़मेर. रेगिस्तान में टिड्डी का खतरा अब बढ़ रहा है। हालांकि एफएओ ने पूर्वानुमान में यह माना है कि अभी टिड्डी कहीं दिखी नहीं है। लेकिन यह भी है कि अब टिड्डी के लिए परिस्थितियां अनुकूल हो चुकी है, ऐसे में मौसम में बदलाव के साथ होने वाली मानसूनी बरसात के साथ टिड्डी भी दस्तक दे सकती है। इसलिए अलर्ट रहना होगा।
ऐसा माना जाता है कि मौसम में नमी के साथ ही टिड्डी का खतरा बढ़ता है। अभी मानसून की दस्तक के बाद भी बरसात नहीं हुई है। इसलिए टिड्डी अभी पूरे भारत में कहीं नहीं दिखी है। सर्वे में जून के दूसरे पखवाड़े में किए गए सर्वे में रेगिस्तानी टिड्डी से मुक्त रहा है। इस दौरान 338 अनुसूचित रेगिस्तानी क्षेत्रों में सर्वे किया गया था। जिसमें टिड्डी का खतरा कहीं नहीं दिखा।
पिछले दो सालों में मई में आ गई थी आफत
इस बार टिड्डी से राहत कही जा सकती है। जबकि पिछले दो सालों में मई महीने में टिड्डी आ गई थी। लगातार बड़े टिड्डी हमले हुए और गांवों से शहरों तक टिड्डी दल पहुंचे थे। जून-जुलाई में सबसे अधिक टिड्डी ने किसानों को प्रभावित किया। बोई गई फसल को नष्ट कर दिया। नियंत्रण के लिए भी बड़े स्तर पर प्रयास किए गए थे। लेकिन अब तक जुलाई का पहला सप्ताह बीत चुका है और एफएओ के अपडेट अनुसार दक्षिण पश्चिमी एशिया आयोग क्षेत्र में टिड्डी को लेकर स्थिति शांत बताई गई है।
कड़ी रखी जाएगी निगरानी
रेगिस्तानी टिड्डी नजर नहीं आने पर भी गहन सर्वे में निगरानी और कड़ी की जाएगी। आशंका इस बात की है कि अब परिस्थितियों को अनुकूल बताया गया है। जबकि जून के पहले पखवाड़े में टिड्डी के रेगिस्तान में पनपने के लिए स्थितियां अनुकूल नहीं थी। अब मानसून के साथ ही रेगिस्तान में नमी बढ़ेगी, इसलिए टिड्डी प्रजनन के लिए परिस्थितियां बेहतर होगी। वहीं अनुमानित वर्षा मानचित्र में बाड़मेर सहित रेगिस्तानी इलाकों में वनस्पति हरी मिली है।

बाड़मेर. रेगिस्तान में टिड्डी का खतरा अब बढ़ रहा है। हालांकि एफएओ ने पूर्वानुमान में यह माना है कि अभी टिड्डी कहीं दिखी नहीं है। लेकिन यह भी है कि अब टिड्डी के लिए परिस्थितियां अनुकूल हो चुकी है, ऐसे में मौसम में बदलाव के साथ होने वाली मानसूनी बरसात के साथ टिड्डी भी दस्तक दे सकती है। इसलिए अलर्ट रहना होगा।
ऐसा माना जाता है कि मौसम में नमी के साथ ही टिड्डी का खतरा बढ़ता है। अभी मानसून की दस्तक के बाद भी बरसात नहीं हुई है। इसलिए टिड्डी अभी पूरे भारत में कहीं नहीं दिखी है। सर्वे में जून के दूसरे पखवाड़े में किए गए सर्वे में रेगिस्तानी टिड्डी से मुक्त रहा है। इस दौरान 338 अनुसूचित रेगिस्तानी क्षेत्रों में सर्वे किया गया था। जिसमें टिड्डी का खतरा कहीं नहीं दिखा।
पिछले दो सालों में मई में आ गई थी आफत
इस बार टिड्डी से राहत कही जा सकती है। जबकि पिछले दो सालों में मई महीने में टिड्डी आ गई थी। लगातार बड़े टिड्डी हमले हुए और गांवों से शहरों तक टिड्डी दल पहुंचे थे। जून-जुलाई में सबसे अधिक टिड्डी ने किसानों को प्रभावित किया। बोई गई फसल को नष्ट कर दिया। नियंत्रण के लिए भी बड़े स्तर पर प्रयास किए गए थे। लेकिन अब तक जुलाई का पहला सप्ताह बीत चुका है और एफएओ के अपडेट अनुसार दक्षिण पश्चिमी एशिया आयोग क्षेत्र में टिड्डी को लेकर स्थिति शांत बताई गई है।
कड़ी रखी जाएगी निगरानी
रेगिस्तानी टिड्डी नजर नहीं आने पर भी गहन सर्वे में निगरानी और कड़ी की जाएगी। आशंका इस बात की है कि अब परिस्थितियों को अनुकूल बताया गया है। जबकि जून के पहले पखवाड़े में टिड्डी के रेगिस्तान में पनपने के लिए स्थितियां अनुकूल नहीं थी। अब मानसून के साथ ही रेगिस्तान में नमी बढ़ेगी, इसलिए टिड्डी प्रजनन के लिए परिस्थितियां बेहतर होगी। वहीं अनुमानित वर्षा मानचित्र में बाड़मेर सहित रेगिस्तानी इलाकों में वनस्पति हरी मिली है।

बाड़मेर. रेगिस्तान में टिड्डी का खतरा अब बढ़ रहा है। हालांकि एफएओ ने पूर्वानुमान में यह माना है कि अभी टिड्डी कहीं दिखी नहीं है। लेकिन यह भी है कि अब टिड्डी के लिए परिस्थितियां अनुकूल हो चुकी है, ऐसे में मौसम में बदलाव के साथ होने वाली मानसूनी बरसात के साथ टिड्डी भी दस्तक दे सकती है। इसलिए अलर्ट रहना होगा।
ऐसा माना जाता है कि मौसम में नमी के साथ ही टिड्डी का खतरा बढ़ता है। अभी मानसून की दस्तक के बाद भी बरसात नहीं हुई है। इसलिए टिड्डी अभी पूरे भारत में कहीं नहीं दिखी है। सर्वे में जून के दूसरे पखवाड़े में किए गए सर्वे में रेगिस्तानी टिड्डी से मुक्त रहा है। इस दौरान 338 अनुसूचित रेगिस्तानी क्षेत्रों में सर्वे किया गया था। जिसमें टिड्डी का खतरा कहीं नहीं दिखा।
पिछले दो सालों में मई में आ गई थी आफत
इस बार टिड्डी से राहत कही जा सकती है। जबकि पिछले दो सालों में मई महीने में टिड्डी आ गई थी। लगातार बड़े टिड्डी हमले हुए और गांवों से शहरों तक टिड्डी दल पहुंचे थे। जून-जुलाई में सबसे अधिक टिड्डी ने किसानों को प्रभावित किया। बोई गई फसल को नष्ट कर दिया। नियंत्रण के लिए भी बड़े स्तर पर प्रयास किए गए थे। लेकिन अब तक जुलाई का पहला सप्ताह बीत चुका है और एफएओ के अपडेट अनुसार दक्षिण पश्चिमी एशिया आयोग क्षेत्र में टिड्डी को लेकर स्थिति शांत बताई गई है।
कड़ी रखी जाएगी निगरानी
रेगिस्तानी टिड्डी नजर नहीं आने पर भी गहन सर्वे में निगरानी और कड़ी की जाएगी। आशंका इस बात की है कि अब परिस्थितियों को अनुकूल बताया गया है। जबकि जून के पहले पखवाड़े में टिड्डी के रेगिस्तान में पनपने के लिए स्थितियां अनुकूल नहीं थी। अब मानसून के साथ ही रेगिस्तान में नमी बढ़ेगी, इसलिए टिड्डी प्रजनन के लिए परिस्थितियां बेहतर होगी। वहीं अनुमानित वर्षा मानचित्र में बाड़मेर सहित रेगिस्तानी इलाकों में वनस्पति हरी मिली है।

बाड़मेर. रेगिस्तान में टिड्डी का खतरा अब बढ़ रहा है। हालांकि एफएओ ने पूर्वानुमान में यह माना है कि अभी टिड्डी कहीं दिखी नहीं है। लेकिन यह भी है कि अब टिड्डी के लिए परिस्थितियां अनुकूल हो चुकी है, ऐसे में मौसम में बदलाव के साथ होने वाली मानसूनी बरसात के साथ टिड्डी भी दस्तक दे सकती है। इसलिए अलर्ट रहना होगा।
ऐसा माना जाता है कि मौसम में नमी के साथ ही टिड्डी का खतरा बढ़ता है। अभी मानसून की दस्तक के बाद भी बरसात नहीं हुई है। इसलिए टिड्डी अभी पूरे भारत में कहीं नहीं दिखी है। सर्वे में जून के दूसरे पखवाड़े में किए गए सर्वे में रेगिस्तानी टिड्डी से मुक्त रहा है। इस दौरान 338 अनुसूचित रेगिस्तानी क्षेत्रों में सर्वे किया गया था। जिसमें टिड्डी का खतरा कहीं नहीं दिखा।
पिछले दो सालों में मई में आ गई थी आफत
इस बार टिड्डी से राहत कही जा सकती है। जबकि पिछले दो सालों में मई महीने में टिड्डी आ गई थी। लगातार बड़े टिड्डी हमले हुए और गांवों से शहरों तक टिड्डी दल पहुंचे थे। जून-जुलाई में सबसे अधिक टिड्डी ने किसानों को प्रभावित किया। बोई गई फसल को नष्ट कर दिया। नियंत्रण के लिए भी बड़े स्तर पर प्रयास किए गए थे। लेकिन अब तक जुलाई का पहला सप्ताह बीत चुका है और एफएओ के अपडेट अनुसार दक्षिण पश्चिमी एशिया आयोग क्षेत्र में टिड्डी को लेकर स्थिति शांत बताई गई है।
कड़ी रखी जाएगी निगरानी
रेगिस्तानी टिड्डी नजर नहीं आने पर भी गहन सर्वे में निगरानी और कड़ी की जाएगी। आशंका इस बात की है कि अब परिस्थितियों को अनुकूल बताया गया है। जबकि जून के पहले पखवाड़े में टिड्डी के रेगिस्तान में पनपने के लिए स्थितियां अनुकूल नहीं थी। अब मानसून के साथ ही रेगिस्तान में नमी बढ़ेगी, इसलिए टिड्डी प्रजनन के लिए परिस्थितियां बेहतर होगी। वहीं अनुमानित वर्षा मानचित्र में बाड़मेर सहित रेगिस्तानी इलाकों में वनस्पति हरी मिली है।

बाड़मेर. कई दिनों से बाड़मेर में डेरा जमाए बैठे मानसून अब सक्रिय होता नजर आ रहा है। पिछले दो दिनों से बादल-बारिश का मौसम लगातार बन रहा है। बाड़मेर शहर में रविवार शाम करीब साढ़े पांच बजे बाद बूंदाबांदी के साथ बारिश का सिलसिला शुरू हुआ, जो करीब 25 मिनट तक चला। इससे सड़कों पर पानी बह निकला। आमजन को भीषण गर्मी और उमस से राहत मिली।
मौसम विभाग ने रविवार को जारी बुलेटिन में भी दक्षिण-पश्चिम मानसून की उत्तरी सीमा बाड़मेर में बताई और अब अनुकूल परिस्थितियां बनने के चलते इसके सक्रिय होकर आगे बढऩे की उम्मीद भी जताई गई है। हालांकि अभी तक पूरी तरह से मानसून सक्रिय नहीं हुआ है, लेकिन दो-तीन दिनों में कई स्थानों पर अच्छी बारिश की संभावना है।
दिनभर गर्मी के बाद बरसे बादल
बाड़मेर में पूरे दिन भारी गर्मी और उमस के कारण आमजन बेहाल रहा। हालांकि बादलों की आवाजाही रही और शाम को राहत बरसी। लेकिन अधिकतम तापमान 42.8 डिग्री तक चढ़ गया। जो सामान्य से 6 डिग्री अधिक रहा। जो इस सीजन में सामान्य से अधिक की सीमा का रेकार्ड है। वहीं रात का पारा भी सामान्य से तीन डिग्री अधिक होते हुए 30.6 डिग्री रहा।
बाड़मेर के लिए तीन दिन का यलो अलर्ट
मौसम विभाग ने रविवार सहित बाड़मेर के लिए तीन दिन का यलो अलर्ट जारी किया है। इस दौरान तेज गर्जना के साथ बरसात की चेतावनी दी गई है। साथ ही 40-50 किमी प्रतिघंटा की तेज हवाओं के साथ आंधी चलने के साथ आइसोलेटेड स्थानों पर बरसात की उम्मीद जताई है।

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