>>: Digest for July 13, 2021

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भरतपुर. अपनों ने बिसराया तो वह दर-दर की ठोकर खाने पर विवश हो गए। न जिंदगी का गुमान रहा और न मौत का भान। न काया की कद्र थी और न मन की फिक्र। जिंदगी जैसे बोझ हो गई हो। धरती उनकी बिछौना बन गई और आसमां चादर। सांसों के नाम पर चलती ऐसी जिंदगियों का सहारा और अंतिम समय का आसारा 'अपना घर बना है। जिंदगी को अलविदा कहने वाले 'प्रभुजी के 'अपने बने हैं अपना घर के संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज एवं उनकी पत्नी डॉ. माधुरी भारद्वाज।
सड़कों पर बेसुध घूमती ऐसी जिंदगियों को जीवन देने का जुनून उनकी रग-रग में समाया है। जीते-जी ऐसी जिंदगियों का सहारा बनने के साथ वह अंतिम समय में भी ऐसे लोगों का आसरा बन गए हैं। उनके अपने उन्हें बिसरा चुके हैं। ऐसे प्रभुजी के अंत समय का सहारा डॉ. दंपती बने हुए हैं। भारद्वाज दंपती सैकड़ों प्रभुजी को बेटा-बेटी बनकर मुखाग्नि दे चुके हैं। ऐसे प्रभुजन की जिंदगी संवारने को दंपती जीन-जान से जुटे हैं। अपना घर में सही होने वाले कई प्रभुजन को तो उनकेअपने घर ले जाते हैं, लेकिन जिनका कोई नहीं है, उनका सहारा डॉ. भारद्वाज दंपती हैं। अपना घर में स्वर्गवासी होने वाले सभी प्रभुजन को दंपती विधि-विधान से मुखाग्नि देकर उनके अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी को भलीभांति निभा रहे हैं। यह सिलसिला यहां बरसों से चल रहा है। डॉ. दंपती कहते हैं कि संभवतया भगवान ने हमें ऐसे लोगों के लिए चुना है। ऐसे लोगों को जिंदगी देना भगवान के हाथ में है, लेकिन यदि ऐसे लोग स्वर्गवासी होते हैं तो उनका अंतिम संस्कार भी हमारा फर्ज है।

अस्थियां जाती हैं गंगा-जमुना

अपना घर में प्राण त्यागने वाले प्रभुजी का विधि विधान के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाता है। अस्थियां विसर्जन करने के लिए भी यहां पूरी व्यवस्था है। अंतिम संस्कार करने के बाद पहले अस्थियों को गंगाजी ले जाया जाता था, लेकिन कोरोना काल में इन अस्थियों को जमुनाजी ले जाया जा रहा है। खास बात यह है कि श्राद्ध पक्ष में पितृ अमावस्या को सभी को एक साथ तर्पण किया जाता है। पूर्व में सभी का अंतिम संस्कार धर्मानुसार किया जाता था, लेकिन कुछ जगह से सहयोग नहीं मिलने के कारण अब सभी को मुखाग्नि दी जा रही है।

अंतिम इच्छा करते हैं पूरी

अपना घर के संस्थापक डॉ. बी.एम. भारद्वाज बताते हैं कि अमूमन प्रभुजी का अंतिम संस्कार हिन्दू रीति-रिवाज के अनुसार कर दिया जाता है, लेकिन यदि कोई प्रभुजी कहकर जाते हैं कि उनका अंतिम संस्कार फलां जगह होना चाहिए तो उनकी इस अच्छा को पूरी किया जाता है। प्रभुजी के बताए गए स्थान पर उनका रीति-रिवाज के अनुसार संस्कार किया जाता है। अन्य संस्कार भी उनकी इच्छा के अनुसार पूरे किए जाते हैं।

अब तक 3232 का हो चुके स्वर्गवासी

- 3232 प्रभुजनों का अपना घर में स्वर्गवास हो चुका है अब तक वर्ष 2005 से।

- 1996 पुरुष प्रभुजन

- 1236 महिला प्रभुजन

भरतपुर. अपनों ने बिसराया तो वह दर-दर की ठोकर खाने पर विवश हो गए। न जिंदगी का गुमान रहा और न मौत का भान। न काया की कद्र थी और न मन की फिक्र। जिंदगी जैसे बोझ हो गई हो। धरती उनकी बिछौना बन गई और आसमां चादर। सांसों के नाम पर चलती ऐसी जिंदगियों का सहारा और अंतिम समय का आसारा 'अपना घर बना है। जिंदगी को अलविदा कहने वाले 'प्रभुजी के 'अपने बने हैं अपना घर के संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज एवं उनकी पत्नी डॉ. माधुरी भारद्वाज।
सड़कों पर बेसुध घूमती ऐसी जिंदगियों को जीवन देने का जुनून उनकी रग-रग में समाया है। जीते-जी ऐसी जिंदगियों का सहारा बनने के साथ वह अंतिम समय में भी ऐसे लोगों का आसरा बन गए हैं। उनके अपने उन्हें बिसरा चुके हैं। ऐसे प्रभुजी के अंत समय का सहारा डॉ. दंपती बने हुए हैं। भारद्वाज दंपती सैकड़ों प्रभुजी को बेटा-बेटी बनकर मुखाग्नि दे चुके हैं। ऐसे प्रभुजन की जिंदगी संवारने को दंपती जीन-जान से जुटे हैं। अपना घर में सही होने वाले कई प्रभुजन को तो उनकेअपने घर ले जाते हैं, लेकिन जिनका कोई नहीं है, उनका सहारा डॉ. भारद्वाज दंपती हैं। अपना घर में स्वर्गवासी होने वाले सभी प्रभुजन को दंपती विधि-विधान से मुखाग्नि देकर उनके अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी को भलीभांति निभा रहे हैं। यह सिलसिला यहां बरसों से चल रहा है। डॉ. दंपती कहते हैं कि संभवतया भगवान ने हमें ऐसे लोगों के लिए चुना है। ऐसे लोगों को जिंदगी देना भगवान के हाथ में है, लेकिन यदि ऐसे लोग स्वर्गवासी होते हैं तो उनका अंतिम संस्कार भी हमारा फर्ज है।

अस्थियां जाती हैं गंगा-जमुना

अपना घर में प्राण त्यागने वाले प्रभुजी का विधि विधान के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाता है। अस्थियां विसर्जन करने के लिए भी यहां पूरी व्यवस्था है। अंतिम संस्कार करने के बाद पहले अस्थियों को गंगाजी ले जाया जाता था, लेकिन कोरोना काल में इन अस्थियों को जमुनाजी ले जाया जा रहा है। खास बात यह है कि श्राद्ध पक्ष में पितृ अमावस्या को सभी को एक साथ तर्पण किया जाता है। पूर्व में सभी का अंतिम संस्कार धर्मानुसार किया जाता था, लेकिन कुछ जगह से सहयोग नहीं मिलने के कारण अब सभी को मुखाग्नि दी जा रही है।

अंतिम इच्छा करते हैं पूरी

अपना घर के संस्थापक डॉ. बी.एम. भारद्वाज बताते हैं कि अमूमन प्रभुजी का अंतिम संस्कार हिन्दू रीति-रिवाज के अनुसार कर दिया जाता है, लेकिन यदि कोई प्रभुजी कहकर जाते हैं कि उनका अंतिम संस्कार फलां जगह होना चाहिए तो उनकी इस अच्छा को पूरी किया जाता है। प्रभुजी के बताए गए स्थान पर उनका रीति-रिवाज के अनुसार संस्कार किया जाता है। अन्य संस्कार भी उनकी इच्छा के अनुसार पूरे किए जाते हैं।

अब तक 3232 का हो चुके स्वर्गवासी

- 3232 प्रभुजनों का अपना घर में स्वर्गवास हो चुका है अब तक वर्ष 2005 से।

- 1996 पुरुष प्रभुजन

- 1236 महिला प्रभुजन

भरतपुर. आरबीएम अस्पताल में रविवार को चिकित्सा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग सुविधाएं बढ़ाने का बखान करते रहे। उधर, एक वृद्ध पिता अपनी बेटी की जांच कराने के लिए उसे कंधे पर लेकर घूमता रहा। यह सब अस्पताल प्रशासन की नाक के नीचे हुआ, लेकिन 'मंत्रीजी की आवभगत में अस्पताल प्रशासन ने इसे तस्वीर को अनदेखा कर दिया। ऐसे में लाचार पिता दर-दर भटकता नजर आया।
जानकारी के अनुसार मिथलेश (35) पत्नी भरत सिंह निवासी नगला नंदराम की हाल ही में डिलेवरी हुई थी। प्रसव के दौरान मिथलेश के बीमार होने पर उसमें रक्त की कमी हो गई। इस पर मिथलेश को उसके पिता प्रेम सिंह (64) ने आरबीएम अस्पताल में भर्ती कराया। मिथलेश का आरबीएम की पांचवीं मंजिल पर भर्ती थी, जहां उसका उपचार चल रहा था। रविवार को वार्ड में ही चिकित्सक ने उसे ब्लड सहित अन्य जांच कराने का पर्चा थमा दिया। पिता अपनी बेटी को लेकर लिफ्ट के जरिए नीचे जांच कराने लाया। खास बात यह है कि भर्ती मरीज का न तो वार्ड में सेम्पल लिया गया और न ही उसे व्हील चेयर या स्ट्रेचर उपलब्ध कराया गया। ऐसे में वृद्ध पिता कुछ देर तक तो बेटी को पैदल ब्लड प्रयोगशाला में ले जाने लगा, लेकिन बीमारी के चलते मिथलेश ने पैदल चलने में असमर्थता जता दी। ऐसे में वृद्ध पिता अपनी बेटी को कंधे पर लादकर ब्लड प्रयोगशाला ले गया। खास बात यह है कि रविवार को आरबीएम में चिकित्सा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग का कार्यक्रम था। राज्यमंत्री यहां नई एम्बुलेंस, नेटल वेंटीलेटर एवं एनेस्थेसिया वर्क स्टेशन की नई मशीनों का उद्घाटन करने पहुंचे थे। इसके लिए अस्पताल प्रशासन मंत्री की आवभगत के लिए तैयारियों में जुटा रहा। उधर लाचार पिता बेटी को कंधे पर लादकर घूमता रहा, लेकिन इस ओर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया।

आवभगत में बिसरा दी पीड़ा

आरबीएम अस्पताल में जिस समय वृद्ध पिता अपनी बेटी को कंधे पर लादकर घूम रहा था, उस समय चिकित्सा राज्यमंत्री डॉ. गर्ग अस्पताल में मौजूद थे। एक ओर वृद्ध पिता विवाहित बेटी को कंधे पर लेकर घूम रह था। वहीं दूसरी ओर चिकित्सा राज्यमंत्री डॉ. गर्ग आरबीएम में बढ़ती सुविधाओं का बखान करते हुए राज्य सरकार की शान में कसीदे पढ़ रहे थे। अस्पताल प्रशासन ने भी इस पीड़ा को खूब अनदेखा किया। मंत्री की आवभगत के लिए अस्पताल में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रजत श्रीवास्तव, कार्यवाहक प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. केसी बंसल, मेडिकल विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मुकेश गुप्ता, जनाना अस्पताल के प्रभारी डॉ. रूपेन्द्र झा सहित चिकित्सा विभाग का पूरा अमला मौजूद रहा, लेकिन किसी ने भी वृद्ध की पीड़ा जानने की जहमत नहीं उठाई।

भरतपुर. डीग क्षेत्र के गांव खोह में सोमवार को एक बाइक बेचने को लेकर दो समुदायों के दो व्यक्तियों में हुए झगड़े के बाद एक पक्ष द्वारा फायरिंग में दूसरे पक्ष का एक जना छर्रे लगने तथा दूसरे पक्ष का एक व्यक्ति मारपीट और पथराव में घायल हो गया। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और समझाइश कर मामला शांत कराय और घायलों को उपचार के लिए चिकित्सालय भिजवाया। पुलिस ने दोनों पक्षों के चार जनों को शांतिभंग के आरोप में गिरफ्तार किया है। उधर, घटना के चलते पुलिस ने इलाके पर नजर बनाए हुए हैं। सीओ मदन लाल जैफ ने बताया कि गांव खोह में सोमवार को एक बाइक को खरीदने को लेकर गांव खोह निवासी दो अलग-अलग समुदाय के पड़ोसियों में झगड़ा हो गया। जिसमें हुई फायरिंग में छर्रा लगने से रमजान पुत्र आशू मेव निवासी झेंझपुरी थाना खोह तथा मारपीट और पथराव में दूसरे पक्ष का भुल्ला पुत्र दयाल सिंह गुर्जर निवासी खोह घायल हो गए। सूचना पर डीग सीओ मदनलाल, थाना प्रभारी रघुवीर सिंह, खोह थाना प्रभारी धारा सिंह, नगर व कैथवाडा थाने का जाब्ता मौके पर पहुंच गया। पुलिस ने दोनों पक्षों को समझाइश कर मामला शांत कराया। घायलों को डीग अस्पताल भिजवाया। उधर, पुलिस ने मौके से दोनों पक्षों के चार जनों को शांति भंग के आरोप में गिरफ्तार किया है। घटना को लेकर अभी किसी भी पक्ष की ओर से रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई है। वहीं, दो समुदाय से जुड़ा हुआ मामला देखते हुए पुलिस इलाके में नजर बनाए हुए हैं।

दहेज प्रताडऩा मामले में 3 गिरफ्तार

बयाना. दहेज मे दो लाख व बाइक मांगने के आरोपी में अलवर जिले के बिचगांव निवासी तीन आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
पुलिस ने बताया कि कस्बे के भगवती कॉलोनी निवासी विवाहिता गीतेश शर्मा ने गत 14 अप्रेल को पुलिस में ससुरालजनों के खिलाफ दहेज में दो लाख व बाइक की मांग का आरोप लगाते मामला दर्ज कराया था। मामले मे पुलिस ने सोमवार को पति रमेश उर्फ विक्की पुत्र प्रकाश शर्मा, सहित कुलदीप पुत्र प्रकाश शर्मा, प्रकाश पुत्र रघवरदयाल शर्मा को गिरफ्तार किया है।

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