>>: Digest for July 14, 2021

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Table of Contents

उदयपुर. दुनिया के तीसरे सबसे खूबसूरत शहर का दर्जा पा चुके लेकसिटी के ताज में एक के बाद एक नगीने जुड़ते जा रहे हैं। प्लेनेट डी की ट्रेवल लिस्ट में 'द 16 मोस्ट रोमांटिक सिटीज ऑन अर्थ' में देश का एकमात्र शहर उदयपुर है। इस लिस्ट में उदयपुर को चौथा स्थान दिया गया है। इसके अलावा एमएसएन के सर्वे में दुनिया के 60 खूबसूरत देशों की सूची में भी उदयपुर ने अपना स्थान बना रखा है। इसमें उदयपुर को 12वां स्थान मिला है। वहीं, इंटरमाइल्स की सूची में दुनिया की 10 खूबसूरत शहरों की लिस्ट में भी उदयपुर ने स्थान पाया है। वर्ष 2021 में ही उदयपुर ने ये उपलब्धियां हासिल की हैं।


दुनिया के खूबसूरत शहरों में हमारा उदयपुर

प्लेनेट डी की ओर से जारी सूची में रोमांटिक सिटीज में सबसे पहला स्थान पेरिस, फ्रांस को मिला है, दूसरे स्थान पर इटली के वेनिस को मिला है। तीसरे स्थान पर चीन का हांग्झू शहर है और चौथे स्थान पर भारत के उदयपुर शहर को शामिल किया गया है। वहीं, इंटरमाइल्स की ओर से जारी 10 खूबसूरत शहरों की सूची में प्राग, चैक रिपल्बिक को पहला, पेरिस को दूसरा, सैन फ्रांसिस्को को तीसरा, रोम को चौथा और उदयपुर को पांचवां स्थान मिला है। इंटरमाइल्स एतिहाद एविएशन ग्रुप का प्रोग्राम है जिसमें इस तरह के सर्वे किए जाते हैं। वहीं, माइक्रोसॉफ्ट के एमएसन पोर्टल की ओर से किए गए दुनिया के 60 खूबसूरत शहरों में उदयपुर को 12वां स्थान दिया गया है। इसकी भी खास बात ये है कि इसमें भी भारत से एकमात्र उदयपुर को ही स्थान दिया गया है।

इनका कहना है...
वॉल स्ट्रीट, एमएसएन और प्लेनेट डी जैसे प्रतिष्ठित प्लेटफॉम्र्स पर पूरे भारत में से उदयपुर का चुनाव किया जाना पर्यटन मानचित्र पर उदयपुर की लगातार बढ़ती ब्रैंड वैल्यू को दर्शाता है। इसका श्रेय यहां की हॉस्पिटेलिटी इंडस्ट्री, टूर ऑपरेटर्स, गाइड्स की लगन एवं पर्यटन विकास और मार्के टिंग के लिए विभाग और जिला प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयासों को जाता है। यहां प्राकृतिक और ऐतिहासिक सुंदरता का जो खूबसूरत मिश्रण है वो अद्भुत है। स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद तो शहर का हैरिटेज और भी निखर उठेगा।

शिखा सक्सेना, उपनिदेशक, पर्यटन विभाग

उदयपुर. अब प्रत्येक माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में स्मार्ट टीवी या स्मार्ट बोर्ड होंगे। इसका बजट पास भी हो गया है और हमें मिल भी गया है। इसके तहत जो ई-कक्षा के जो वीडियोज हैं, वे इस पर दिखाए जाएंगे। इसके माध्यम से ब्लेंडेड शिक्षा (मिश्रित शिक्षा प्रणाली यानी ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों तरह से पढ़ाई) का कॉन्सेप्ट लागू कर दिया जाएगा। राजस्थान इकलौत ऐसा राज्य है जहां ई-कक्षाओं का वीडियो शिक्षकों ने खुद बनाया है, इसके लिए उनका प्रशिक्षण कराया गया था। यहीं से अब दूसरे राज्य भी इसे लागू करेंगे। ये कहना है शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी का। सौरभ स्वामी शनिवार को राजसमंद व उदयपुर दौरे पर आए थे।

स्वामी ने पत्रिका में बातचीत में बताया कि इस तरह ई-कक्षा का कंटेंट अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के लिए अंग्रेजी में भी तैयार कराया जा रहा है। वहीं, चाइल्ड विद स्पेशल नीड्स के लिए साइन लैंग्वेज में ऑडियो-विजुअल कंटेंट भी तैयार कर दिया गया है। इसे लॉन्च भी कर दिया गया है और मिशन ज्ञान एप के माध्यम से इसे देखा जा सकता है।


प्रत्येक बच्चे का बनाया जा रहा पोर्टफोलियो

प्रत्येक बच्चे का होमवर्क का पोर्टफोलियो बनाया जा रहा है। शिक्षकों द्वारा जो सप्ताह में एक बार होमवर्क छोटी कक्षाओं में और नौवीं से बारहवीं के लिए सप्ताह में दो बार दिया जा रहा है, उसका अपडेट पोर्टफोलियो पर करा जाता है। ये स्कूल में रखा जाएगा। इसमें शिक्षकों का प्रयास है कि हर बच्चा इससे जुड़े, उनके पास जाएं। उनके जो शंका-समाधान है, वह करें। इसके माध्यम से पोर्टफोलियो चैक करना है कि बच्चे वास्तव में जुड़ रहें हैं या नहीं तो इसे देखकर हम बता सकते हैं कि बच्चे जुड़ रहे हैं और होमवर्क भी कर रहे हैं।


टीसी के लिए शिक्षा से वंचित नहीं रखा जा सकता

जिनके पास कागज नहीं हैं और जो शिक्षा से जुडऩा चाहते हैं उनके लिए बिना टीसी के प्रवेश का आदेश निकाला गया है। ऐसे में अस्थायी प्रवेश दिया जाएगा। जब उसके कागज पूरे हो जाएंगे तो उसका प्रवेश स्थायी रूप में कर दिया जाएगा लेकिन केवल इसलिए कि छात्र के पास टीसी नहीं है उसे शिक्षा से वंचित नहीं रखा जाएगा।

उदयपुर. प्रतिवर्ष आषाढ़ सुदी द्वितीय (इस वर्ष दि. 12 जुलाई 2021) पर सोमवार को जगन्नाथ रथयात्रा इस वर्ष भी मंदिर परिसर में ही निकलेगी। कोरोना महामारी को ध्यान में रखकर पुजारी परिवार द्वारा पारम्परिक रथयात्रा निकाली जाएगी। इस अवसर पर पुजारी परिषद् के आसरे द्वार पुजारी गजेन्द्र ने बताया कि मंदिर परिसर में रथयात्रा पारम्परिक रूप से शाम पांच बजे निकाली जाएगी। इससे पूर्व रविवार को जगन्नाथ रथयात्रा मार्ग को केसरिया पताकाओं से सजाया गया। साथ ही मंदिर में आकर्षक विद्युत सज्जा की गई। रथयात्रा के दिन जगदीश मंदिर को दोपहर 2 बजे आमजन के लिए बंद कर दिया जाएगा। दो बजे बाद मंदिर में भक्तों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। रथयात्रा का सीधा प्रसारण सोशल मीडिया के माध्यम से किया जाएगा।

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जगन्नाथ स्वामी ने 15 दिन बाद गणेश रूप में दिए दर्शन

जगन्नाथ धाम सेक्टर-7 में कोरोना प्रोटोकॉल गाइडलाइन अनुसार रविवार को भगवान जगन्नाथ स्वामी का प्राकट्य उत्सव मनाया गया। भगवान जगन्नाथ ने 15 दिन की बीमारी के बाद भक्तों को नए कलेवर वेश में गणेश रूप में दर्शन दिए। इस अवसर पर केवल मंदिर समिति के सदस्य ही उपस्थित थे। भक्तों ने अपने-अपने घरों से सोशल मीडियाके माध्यम से लाइव दर्शन किए। इस अवसर पर छप्पन भोग धराए गए।
जगन्नाथ धाम सेक्टर- 7 के संरक्षक डॉ. प्रदीप कुमावत ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते सेक्टर 07 से निकलने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा शहर में नहीं निकलेगी। केवल मंदिर परिसर में ही मंदिर समिति के पदाधिकारियों द्वारा ही प्रात: काल 11.30 बजे निकाली जाएगी। जगन्नाथ धाम पुरी की तरह तीन विभिन्न हल्के रथों में बैठ जहां भक्त परिक्रमा करते हैं वहीं भगवान भी यात्रा करेंगे। भक्तों का मन्दिर प्रवेश निषेध रहेगा। प्राकट्य उत्सव पर अध्यक्ष भूपेन्द्रसिंह भाटी, शिवसिंह सोलंकी, दिनेश मकवाना, रमेश ललवानी, दया शंकर पानेरी, रणवीर सिंह, गोपाल सोनी आदि सहित मन्दिर समिति के पदाधिकारी उपस्थित थे।

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इस्कॉन भक्त आज करेंगे सांकेतिक हरि संकीर्तन
इस्कॉन मंदिर उदयपुर के तत्वावधान में रथ यात्रा के पूर्व दिवस रविवार को दिन में भगवान जगन्नाथ मंदिर की परम्परानुसार सफाई मार्जन किया। पुरी में होने वाले गुण्डिचा मंदिर मार्जन की तरह नवरत्न काम्प्लेक्स इस्कॉन मंदिर में भी केवल पुजारी एवं चुनिन्दा भक्तों ने जगन्नाथजी के आने के उपलक्ष्य में अपने हाथों से मंदिर के पवित्र आंगन का मार्जन कर साफ-सफाई की। मंदिर प्रबंधक मायापुरवासी दास ने बताया कि प्रशासन की गाइडलाइन के अनुसार रथयात्रा महोत्सव को अत्यंत सूक्ष्म करते हुए आयड़ में नव निर्माणाधीन इस्कॉन जगन्नाथ मंदिर की पवित्र भूमि में सिर्फपुजारी एवं सीमित इस्कान भक्तों के द्वारा प्रात: जगन्नाथजी के भजनों के साथ हरि नाम महामंत्र कीर्तन किया जाएगा।

उदयपुर. राजधानी जयपुर के आमेर में वॉच टावर पर बिजली गिरने की घटना से हुई जनहानि से सबको डरा दिया है। इस घटना के बाद पर्यटन स्थलों, ऐतिहासिक पुरा महत्व वाले स्थानों से लेकर सरकारी भवनों में सुरक्षा की दृष्टि से तडि़त चालक पर पड़ताल की तो सामने आया कि कई स्थानों पर यह नहीं लगाया गया है। जयपुर की घटना के बाद तो सज्जनगढ़ के टॉप पर लगे तडि़त चालक की जांच भी की गई। उदयपुर में भी ऊंचाई वाले स्थानों व कई सरकारी कार्यालयों में अभी तडि़त चालक नहीं है।
इन ऐतिहिासिक स्थलों व सरकारी इमारतों के ऊपर तडि़त चालक की व्यवस्था नहीं होने से कभी भी जयपुर जैसी जनहानि हो सकती है। चूंकि इन सरकारी कार्यालयों पर हर दिन दूर-दराज से सैकड़ों लोग कामकाज के सिलसिले में पहुंचते हैं। शहर में अधिकांश सरकारी भवनों में तो तडि़त चालक लगा ही नहीं और जहां लगा भी है तो बहुत पुराना या खराब हो चुका है।
जिला मुख्यालय पर जनजाति व संभागीय आयुक्त कार्यालय की बिलिडंग पर तडि़त चालक नहीं लगा है वहां अर्थ सिस्टम कर रखा है। कलक्ट्री परिसर में कलक्ट्री की तरफ वाले भवन पर नहीं लगा है लेकिन परिसर में ही जिला परिषद की बिल्डिंग पर लगा है। नगर निगम के भवन में सालों पहले लगा हुआ पहले का लगा हुआ है, वह चालू है या नहीं यह तकनीकी टीम चेक करेगी। यूआईटी में प्लान शाखा के ऊपर लगा रखा है। सज्जनगढ़ स्थित मानसून पैलेस के ऊपरी गुम्बज पर तडि़त चालक लग रहे है। जयपुर की घटना के बाद सोमवार को वहां स्थानीय स्टाफ ने जाकर तकनीकी उसको जाकर संभाला भी।

जाने तडि़त चालक के बारे में
तडि़त चालक एक धातु की चालक छड़ होती है। इसे ऊंचे भवनों में आकाशीय बिजली से रक्षा के लिए लगाया जाता है। इसे भवनों के सबसे ऊपरी हिस्से में स्थापित किया जाता है। इसे एक चालक तार से जोड़ा जाता है। ये चालक तार नीचे लाकर धरती में कनेक्ट किया जाता है, इससे तडि़त चालक छड़ को अर्थ मिलता है और आसमानी बिजली से इमारत महफूज रहती है।

ऊंची इमारतों व पर्यटन स्थलों पर लगें तडि़त चालक
उदयपुर शहर में ऊंची इमारतों से लेकर पर्यटक स्थलों व पुरा महत्व वाले स्थानों पर आकाशीय बिजली से बचाव के लिए तडि़त चालक जरूर लगाना चाहिए। उदयपुर में पर्यटन स्थल बड़ी संख्या में है और यहां पर्यटकों की आवाजाही भी बहुत रहती है।


पर्यटन स्थलों पर बेहतर प्रबंध की मांग
उदयपुर. आमेर में रविवार को बिजली गिरने से हुई मौतों पर कांग्रेस मीडिया सेन्टर अध्यक्ष पंकज कुमार शर्मा ने दु:ख जताया। उन्होंने कहा कि खराब मौसम के चलते वे ऊंचे स्थानों पर जाने से बचें और विशेषकर बच्चों को न साथ ले जाए। उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से झीलों एवं पहाड़ों के आस-पास पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की सुरक्षा के लिए और बेहतर इंतजाम करने की मांग की। कांग्रेस मीडिया सेन्टर पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में मुकेश जाट, टीना डांगी, दक्ष, जालमसिंह, रमेश जोशी, दुर्गेश मेनारिया व एन के शर्मा सहित आदि उपस्थित थे

उदयपुर. वल्लभनगर के पूर्व विधायक रणधीर सिंह भींडर ने यहां जिला कलक्टर चेतन देवड़ा से मिलकर कानोड़ में कमलवाला तालाब की भूमि से हरे पेड़ व बबूल के पेड़ को अवैध तरीके से काटने एवं चोरी होने के पूरे मामले से अवगत कराते हुए मामले में अब तक कार्रवाई नहीं होने से अवगत कराया।
भींडर ने कलक्टर को बताया कि पूर्व में पार्षद पारस नागोरी, राजकुमार कामरिया, प्रकाश लक्षकार, भवानी सिंह चौहान व प्रेमदेवी चौहान ने एडीएम को ज्ञापन भी दिया लेकिन अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई। भींडर ने पार्षदों का ज्ञापन पत्र फिर से कलक्टर को देकर बताया कि कानोड़ नगर के कमल वाला तालाब के पेटे में सैकड़ों की तादाद में बबूल सहित कई प्रजातियों के पेड़ बिना स्वीकृति के तालाब सफाई के नाम पर कटवा कर बेच दिए।
पार्षदों ने बताया कि 20 जून को कानोड़ थानाधिकारी को लिखित में सूचना दी। वहां पार्षदों ने मौके पर जाकर स्थिति देखी तो वहां एक लोडिुंग ऑटो में लकडिय़ां भरी हुई थी जिनको बेचने ले जा रहे थे। पार्षदों ने कहा कि यह सम्पति नगर पालिका की थी और पूरी प्रक्रिया अपनाकर पालिका बेचती तो पालिका को भी राजस्व मिलता। पार्षदों ने कलक्टर से कहा कि पूरे मामले की जांच हो और जो राजस्व का जो नुकसान हुआ उसको वसूल राजकोष में जमा कराया जाए और दोषियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए। उनके साथ पार्षद नागोरी भी साथ थे।
भींडर ने कलक्टर से कानोड़ व भींडर में ग्रामीणों की सुविधा के लिए उपखंड अधिकारी की ओर से से कैम्प कोर्ट लगाने को लेकर भी कलक्टर को अवगत कराते हुए बताया कि वल्लभनगर में एसीएम का पद सृजित किया गया और उनको भींडर व कानोड़ के राजस्व मामलों की जिम्मेदारी दी गई, वैसे इतने सालों बाद भी एसीएम की नियुक्ति नहीं हो पाई। उन्होंने भींडर व कानोड़ में कोर्ट कैम्प पुन: लगाने की भी मांग की।

मुकेश हिंगड़

उदयपुर. कोरोना बीमारी और इससे लगे लॉकडाउन ने आम आदमी के जीवन को प्रभावित किया है लेकिन सबसे ज्यादा कोई प्रभावित हुआ है तो सुबह कमाकर शाम को घर चलाने वाले लोग। खाद्य सुरक्षा योजना में पात्र होने वाले परिवारों को योजना का फायदा पता है लेकिन उसका फायदा नहीं मिल रहा है। वे पिछले लॉकडाउन से लेकर अभी तक सरकारी विभागों से लेकर जनप्रतिनिधियों के चक्कर लगा रहे है लेकिन उनका नाम इस योजना में नहीं जुड़ा। उनका इतना सा कहना है कि उनका नाम जुड़ जाए तो इस संकट की घड़ी में उनको 2 रुपए किलो गेंहू मिल जाएगा और परिवार को सबसे बड़ा आर्थिक सम्बल मिलेगा कि दो वक्त की रोटी का संकट तो दूर होगा। असल में खाद्य सुरक्षा योजना का पोर्टल बंद होने से नया आवेदन तक नहीं लिया जा रहा है।
असल में इस योजना का फायदा लेने के लिए ऐसे परिवार जिसमें खासकर विधवा, विकलांग, श्रमिक व ठेले वाले आदि परिवार जिनका गुजारा भी बड़ी मुश्किल से चल रहा और कोरोना संक्रमण व लॉकडाउन से उनको में बड़ा धक्का लगा। ऐसे परिवार व खासकर विधवा महिलाएं शहर में पार्षदों तो गांवों में सरपंचों के पास जाकर अपना नाम जुड़ाने के लिए चक्कर लगा रही है। शहर में तो नगर निगम से लेकर रसद विभाग के कार्यालय तक ऐसे आवेदन लेकर आए दिन ऐसे प्रभावित परिवार पहुंच जाते है। अधिकांश पार्षदों का कहना है कि उनके पास ऐसे ढेरों केस है जिनको इस संकट में मदद चाहिए लेकिन रसद विभाग से लेकर उपखंड अधिकारी कार्यालय तक एक ही जवाब मिलता है कि पंजीकरण का पोर्टल सरकार ने बंद कर रखा है। बताते है कि पिछले लॉकडाउन के पहले से ये पोर्टल बंद है और नाम नहीं जुडऩे से ऐसे लोग इस योजना का फायदा नहीं ले पा रहे है।

योजना को समझे
खाद्य सुरक्षा योजना के लाभ के लिए पेंशनर्स, निर्माण श्रमिक, लघु सीमांत किसान, घरेलु कामकाजी महिला, विधवा, विकलांग सहित 24 श्रेणी वाले इस योजना में आते है। इसके लिए ऑनलाइन सक्षम दस्तावेजों के साथ आवेदन करना होता है और उसके बाद उपखंड अधिकारी कार्यालय से इसकी अनुमति जारी होती है। नाम जुडऩे के बाद डीएसओ के जरिए राशन की दुकानों के पात्र परिवारों को दो रुपए किलो गेंहू मिलता है। इसमें स्वास्थ्य को लेकर भी फायदा दे रखा है।


केस एक
शहर के बाहुबली कॉलोनी में 50 वर्षीय विधवा महिला सब जगह चक्कर लगा चुकी लेकिन उसे यह लाभ नहीं मिला। बीमारी से पति की मौत हो गई लेकिन खाद्य सुरक्षा के लिए पार्षद से लेकर सरकारी विभागों में जाकर आ गई लेकिन नाम नहीं जुड़े तब तक फायदा नहीं मिल रहा। कोरोना ने मुश्किलें बढ़ा दी है।

केस : 3
विधवा, विकलांग, ठेले वाले व श्रमिकों के नाम पार्षदों के पास बड़ी संख्या में है। पार्षद बोले कि आवेदन नहीं ले रहे है तब भी लोग देकर चले जाते है। गरीबों को इस समय इस योजना का फायदा चाहिए लेकिन उनको तकलीफ के अलावा कुछ नहीं मिल रहा है।

केस 3
सुंदरवास क्षेत्र में विकलांग व विधवा महिलाएं राशन की दुकान से लेकर कलक्टरी तक के चक्कर लगा चुकी। वहां के पार्षद भी नगर निगम में जाकर थक गए लेकिन जरूरतमंद को पूरे कोरोना काल में इस योजना का लाभ नहीं मिल सका।


पत्रिका व्यू....
सांसद-विधायक आवाज बने ऐसे जरूरतमंदों की

खाद्य सुरक्षा योजना में नाम जोडऩे के लिए केन्द्र व राज्य सरकार के स्तर पर पोर्टल को शुरू करने के लिए हमारे सांसदों व विधायकों को ऐसे परिवारों की आवाज बनना चाहिए। सरकार के स्तर पर पोर्टल बंद है और इस कोरोना के संकट में इन लोगों की मदद के लिए वे राज्य व केन्द्र सरकार तक अपनी मजबूत पैरवी करते हुए नाम जुड़ाने की प्रक्रिया के लिए पोर्टल खुलवाने के प्रति काम करें। स्वयं इन जनप्रतिनिधियों के पास ऐसे परिवारों से लेकर इनके नीचे के स्तर के जनप्रतिनिधि तक पहुंच ये पीड़ा बता रहे है। सारी चीजे सबके सामने है, कोरोना व लॉकडाउन से ऐसे परिवारों पर बीत रही स्थिति इनके सामने है, ऐसे में इसके लिए ऐसे जरूरतमंद लोगों की आवाज बनना चाहिए।

मुकेश हिंगड़
उदयपुर. शहर के समीप तितरड़ी स्थित तीतरड़ा तालाब की पाल के पास की जमीन पर इन दिनों दिन-रात डम्पर चल रहे है। पाल के पास की जमीन के मूल स्वरूप को बिगाड़ा जा रहा है। साथ के साथ वहां बड़ी मात्रा में भराव डाला जा रहा है, इस बीच वहां बाधा बन रहे पेड़ों को भी काटा जा रहा है। क्षेत्रवासियों की शिकायत पर यूआइटी की टीम भी मौके पर पहुंची।
तीतरड़ा तालाब की पाल के पास की आराजी में यह भराव ड़ाला जा रहा है। वहां पर बड़ी संख्या में डम्पर लाकर भराव पटकर जगह को समतल किया जा रहा है। क्षेत्रवासियों ने तालाब के पास में इस तरह की गतिविधियों को देखकर विरोध जताया। एक महीने पहले इस तरह की गतिविधियों की थोड़ी संभावना लगी तो जिला कलक्टर चेतन देवड़ा को लिखित में शिकायत दी थी। इस बीच वहां डम्पर से भराव लाकर डालने का काम तेजी से बढ़ा तो लोगों ने फिर शिकायत की और यूआईटी को भी बताया। लोगों ने बताया कि इस कार्य के दौरान वहां पेड़ भी काटे जा रहे है। लोगों ने बताया कि जब भी तालाब भरता है तो जिस स्थान पर भराव डाला जा रहा है वहां तक पानी भरता है।

एक बावड़ी भी जिसमें साल भर पानी रहता

पाल के पास बड़ी संख्या में राष्ट्रीय पक्षी मोर रहते है, जिस जगह पर भराव ड़ाला जा रहा है वहां पर मोर, बंदर भी रहते है। साथ ही वहां पर पुरानी बावड़ी है जिसमें साल भर पानी भरा रहता है। सांसद व विधायकों सहित अन्य जनप्रतिनिधयों ने तितरड़ा तालाब को पर्यटन स्थल बनाने की मांग कई बार की है। इसके लिए मुख्यमंत्री से लेकर यूआईटी तक अपनी मांग रखी है।

यूआईटी ने रिपोर्ट बनाई
यूआईटी की ओर से टीम ने मौका देखा गया तो वहां पाल के पास ये सारी गतिविधियां देखी गई। यूआईटी तहसीलदार को पटवारी की ओर से दी गई रिपोर्ट में तालाब के पाल के पास इस जमीन के मूल स्वरूप को बिगागडऩे की रिपोर्ट दी गई।




तीतरड़ा तालाब के पाल के पास इस तरह लाकर डाल रहे भराव। - पत्रिका
IMAGE CREDIT: Pramod Soni

तालाब के बारे में जाने
- करीब 60 से 80 बीघा के क्षेत्र में तालाब फैला है
- तालाब पेटे में खेती होती है
- तालाब खातेदारी हिस्से में है
- राष्ट्रीय पक्षी मोर की शरण स्थली है

इनका कहना है....

तितरड़ी के इस तालाब में किसी भी प्रकार की आवासीय, व्यावसायिक या प्रदूषणकारी गतिविधि अवैध है। वहां जो मिट्टी भराव की शिकायत आई है वह कार्रवाई वर्ष 2007 के राजस्थान उच्च न्यायालय के उदयपुर के छोटे तालाबो पर दिए फैसले का भी उल्लघंन है।
- अनिल मेहता, झील प्रेमी

कोटड़ा. (उदयपुर). कोटड़ा थाना क्षेत्र के निचली सुबरी गांव में ससुराल गए युवक की शराब के नशे में गिरने से मौत हो गई। परिजनों द्वारा चौथे दिन सोमवार को ससुराल पक्ष से 2 लाख 25 हजार मौताणा राशि लेने की सहमति बनने एवं अंतिम संस्कार के लिए 40 हजार रुपए मौके पर लेने के बाद मामला निपटा। जोगीवड़ निवासी पन्ना लाल पुत्र लालू (25) अपनी पत्नी को लेने ससुराल निचली सुबरी कालू पुत्र रता वडेरा के यहां गया था। जहां शुक्रवार को पन्ना लाल ने दोपहर में ससुराल एवं अन्य मेहमानों के साथ मिलकर शराब पी और पेशाब करने घर के पीछे गया। जहां पन्ना लाल नशे की हालत में असंतुलित होकर पत्थर पर गिर गया। शरीर पर चोट लगने के कारण युवक की मौके पर ही मौत हो गई। युवक की मौत को लेकर चौथे दिन सोमवार को दोनों पक्षों के पंच एवं मौतबीर लोगों की मौजूदगी में सामाजिक स्तर पर चली वार्ता के बाद 2 लाख 25 हजार रुपए मौताणा देने पर सहमति बनी, जो मौके पर ससुराल पक्ष द्वारा अंतिम संस्कार के 40 हजार रुपए देने के बाद युवक के परिजन अंतिम संस्कार करने को तैयार हुए। पुलिस की मौजूदगी में युवक का पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजन को सौंप दिया।

कोटड़ा. (उदयपुर). क्षेत्र में अवैध मादक पदार्थों की तस्करी करने के मामले में कोटड़ा पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। कोटड़ा थानाधिकारी रामसिंह चूंडावत ने बताया की कोटडा में गश्त के दौरान गांधीसरणा रोड पर 1 किलो 380 ग्राम गांजा जब्त कर कोटड़ा निवासी आरोपी मुस्तकीन पुत्र शकुर अब्बासी उम्र 42 वर्ष, निवासी कोतवाली मोहल्ला पुलिस थाना कोटडा को गिरफ्तार किया गया। तस्करी के दौरान मुस्तकीन गांधीसरणा मुख्य सड़क पर हाथ में प्लास्टिक का थैला लिये आता नजर आया, जिसे शंका के आधार पर कोटड़ा पुलिस ने पकड़ा। आरोपी के कब्जे से प्लास्टिक के थैले की तलाशी ली गई। तलाशी में 1 किलो 380 ग्राम गांजा अवैध मादक पदार्थ पाया गया। कानूनी प्रावधानों के अनुसार अवैध मादक पदार्थ को जब्त किया एवं आरोपी मुस्तकीन को एनडीपीएस एक्ट में गिरफ्तार कर लिया। उक्त प्रकरण एवं अनुसंधान की कार्यवाही बेकरिया थानाधिकारी शंकर लाल राव कर रहे हैं। कार्यवाही के दौरान कोटड़ा थानाधिकारी रामसिंह चूंडावत, हैड कांस्टेबल कालूराम ,कॉन्स्टेबल रक्षपाल एवं सुरेन्द्र मौजूद रहे।

घासा. (उदयपुर).थाना क्षेत्र के भानसोल गढ़वाड़ा निवासी एक व्यक्ति ने अज्ञात के खिलाफ चोरी की रिपोर्ट दर्ज करवाई है। प्रार्थी उंकार पुत्र लादा चारण निवासी भानसोल गढ़वाड़ा ने पुलिस को रिपोर्ट देकर बताया कि 5 जुलाई को परिवार सहित मारवाड़ रिश्तेदारी में गए थे। घर पर कोई नहीं था, 9 जुलाई शाम को वापस घर लौटे तो घर का दरवाजा टूटा हुआ पड़ा था व कमरे में सामान बिखरा था। कमरे से सोने के कान के गोखरू जोड़ा, 1 जोड़ कान का टॉप्स, आधा तोले की दो अंगूठी, सोने की एक तोला का लॉकेट, 5 ग्राम चौन, 5 ग्राम कान के लौंग, 2 जोड़ पाईजैब, 500 ग्राम कंदोरा, 500 ग्राम पैर का जोड़ा, 750 ग्राम आंवला, 200 ग्राम हाथ का पट्टा, 200 ग्राम हाथ का आंवला, एक तोला सोने की अंगूठी सहित पोस्ट ऑफिस, बैंक की डायरी व जीवाराम व गोपाल के स्कूल सर्टिफिकेट गायब मिले। पुलिस ने मामला दर्जकर जांच शुरू की।
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चोरों ने तीन घरों को बनाया निशाना
मावली . कस्बे के गायत्रीनगर के सेजा का कुंआ में रविवार देर रात्रि को चोरों ने तीन घरों के ताले तोड़कर चोरी की वारदात को अंजाम दिया। चोरों ने शंकरदास पुत्र गणेशदास वैष्णव के घर से 4 चांदी के सिक्के, चौथ माता की पुतली, चांदी की अंगुठियां एवं कपड़े चोरी किए। वहीं पास के दो घरों के भी ताले एवं खिड़की तोड़कर चोरी का प्रयास किया। सुबह मावली थाना पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मुआयना किया तथा जांच शुरू कर दी।


सराडा. (उदयपुर). प्रशासन की उदासीनता से पुराने समय के बने ऐतिहासिक तालाबों का अस्तित्व संकट में है। मामला सराडा पंचायत समिति के नाल अलंकार खोड़ी महूडी ग्राम पंचायत के प्राचीन तालाब का है। राजा-महाराजाओं के समय का बना ऐतिहासिक तालाब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। खैरकी तालाब के नाम से प्रसिद्ध यह तालाब 2 ग्राम पंचायतों के लोगों की प्यास के साथ-साथ कृषि कार्य के रूप में काम आता है। तालाब की भराव क्षमता करीब 50 से 55 फीट के करीब है, तालाब की स्थिति जर्जर अवस्था में है। लंबी चौड़ी पाल जगह जगह से गिर चुकी है, लपट में पानी सीपेज होता है, जिसके चलते कुछ दिनों में लबालब तालाब खाली हो जाता है। इस तालाब के भरोसे खेरकी, मेघात फ ला, महुडी सहित कई गांव खेती आदि करते हैं।तालाब लबालब होने से क्षेत्र के कुओं में जलस्तर अच्छा बना रहता है, जिससे लोगों को पेयजल की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता। परंतु पानी का ठहराव नहीं होने की स्थिति में समस्या होती है। बार-बार अधिकारियों को जानकारी देने के बावजूद भी इस तालाब को नजर अंदाज किया जा रहा है। ग्राम सरपंच वर्षा देवी मीणा
ने बताया कि ग्राम पंचायत के पास तालाब की पाल के
मरम्त को लेकर इतना बजट नहीं होता है जिसके चलते हम यह काम करवा सकें ।

कोटड़ा. (उदयपुर).देवला- कोटड़ा मार्ग पर निर्माण की मांग को लेकर हितरक्षा संस्थान एवं आदिवासी ग्राम विकास समिति ने उपखंड अधिकारी कोटड़ा को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया कि देवला से कोटड़ा उपखंड को जोडऩे वाली उक्त सड़क बीते 15 वर्षों से टूटी पड़ी है। सड़क पर जगह-जगह गड्ढे हो चुके है। लेकिन प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। संस्थान के कार्यकर्ताओं ने चेतावनी देते हुए कहा कि आगामी 10 दिनों में सड़क का कार्य शुरू नहीं किया तो कोटड़ा से देवला मार्ग पर धरना प्रदर्शन करते हुए अनिश्चितकाल के लिए रास्ता बंद कर दिया जाएगा।
18 करोड़ की स्वीकृति के बाद भी कार्य शुरू नहीं हुआ
कोटडा उपखंड और जिले से जोडऩे वाली कोटड़ा से देवला 50 किमी लंबी सडक वर्षों से क्षतिग्रस्त है। जिससे आमजन को परेशानी हो रही है। पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा उक्त सड़क कार्य के लिए 18 करोड़ की राशि स्वीकृत कर फरवरी में टेंडर निकाले गए, लेकिन 5 माह बाद भी ठेकेदार एवं पीडब्ल्यूडी विभाग के खींचतान के चलते निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ। हित रक्षा संस्थान के अध्यक्ष हिम्मत लाल तावड़, रूपलाल खैर, देवीलाल तराल, कैलाश तराल, दलपत सिंह, रामलाल खराड़ी, रमेश गमार, चम्पा बाई, भैरूलाल पारगी, सोहनलाल गमार एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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