>>: Digest for July 19, 2021

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Table of Contents

भीलवाड़ा। सुवाणा पंचायत समिति के नवगठित पंचायत गठिला खेड़ा में पट्टा शुदा जमीनों को अवैध तरीक से बेचने के खुलासे के बाद मामले की जांच जिला कलक्टर शिव प्रसाद नकाते ने जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामचन्द्र बैरवा को सौंपी है। उन्होंने समूचे मामले की जांच जल्द कर बैरवा को तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने को कहा है। राजस्थान पत्रिका ने शनिवार के अंक में 'पचास हजार दो और जमीन पर कब्जा लोÓ शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर गठिला खेड़ा में फर्जी तरीके से पूर्व में आवंटित जमीनों पर नए सिरे से कब्जे दिलाने के नाम पर लोगों से पचास-पचास हजार रुपए वसूले जाने का खुलासा किया था।

५७ ने अभी तक खरीदी जमीन

इधर, आटूण के पूर्व सरपंच औंकार गाडऱी का कहना है कि सालों पूर्व आटूण पंचायत ने कई लोगों को बीड़ का खेड़ा व आसपास में जमीन आवंटित कर पट्टे जारी कर दिए थे, लेकिन पंचायत में राजस्व रिकार्ड अस्त व्यस्त होने से कई भूखंडों का राजस्व रिकार्ड नहीं मिल पा रहा है। इसका फायदा कुछ लोग उठा रहे है और जमीनों का फर्जी बेचान कर रहे है। उन्होंने बताया कि ५७ लोग अभी तक झांसे में आ कर ५०-५० हजार रुपए में जमीन खरीद चुके है। पत्रिका के खुलासे के बादवह ठगा महसूस कर रहे है। गाडऱी का आरोप है कि क्षेत्र के तीन लोग प्रभावशालियों के कहने पर यह राशि वसूल रहे है।

राजस्व रिकार्ड में हेराफेरी
जानकारों का कहना है कि आटूण पंचायत में परिसीमन से पूर्व कई गांव शामिल थे, कई गांवों के राजस्व रिकार्ड की हेराफेरी हो गई, पुराने स्टाम्पों पर कई जमीनें बिक गई और कई कब्जे हो गए, अवैध कब्जों के बाद कईयों ने यह जमीनें अन्य लोगों को भी सस्ते दामों में बेच दी।

भीलवाड़ा। तेरापंथ समाज के आचार्य महाश्रमण का रविवार सुबह भीलवाड़ा में चातुर्मासिक मंगल प्रवेश, समाज ने उनके स्वागत में पलक पावड़े बिछा दिए। शहनाई वादन, शंखनाद व जयकारों से आदित्य नगर गूंज उठा। पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह ने भी महाश्रमण जी के दर्शन किए और धर्म सभा को संबोधित किया।

राज्यपाल वीपी सिंह दो दिवसीय दौरे पर भीलवाड़ा पर है। वह शनिवार को हमीरगढ़ हवाई पट्टी पर राजकीय विमान से उतरे। यहां नगर परिषद सभापति राकेश पाठक, विधायक विठ्ठलशंकर अवस्थी, जिला प्रमुख बरजी भील, भाजपा जिलाध्यक्ष लादूलाल तेली, उम्मेद सिंह राठौड़, सुशील नुवाल आदि ने उनकी अगवानी की। इसके बाद वह सर्किट हाउस पहुंचे।


यहां विभिन्न संगठनों ने उनका अभिनंदन किया। सिंह सड़क मार्ग से बनेड़ा पहुंचे। यहां पूर्व सांसद हेमेन्द्र सिंह बनेड़ा के आवास पर पहुंचे। यहां उनके निधन पर पुत्र गोपाल चरण सिसोदिया व छोटे भाई पराक्रम सिंह को संवेदना व्यक्त कर ढांढस बंधाया। इसके बाद सिंह बदनोर रवाना हो गए।

राज्यपाल सिंह ने रविवार भीलवाड़ा में तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण के चातुर्मासिक मंगल प्रवेश के अवसर पर तेरापंथ नगर में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए, यहां आचार्य के दर्शन लाभ लिए। उन्होंने धर्म संवाद में आचार्य महाश्रमण के जीवन व अहिंसा परमो धर्म पर अपनी बात कही।


भीलवाड़ा। अपराध नियंत्रण एवं शांति व कानून व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए युवाओं की भूमिका अहम है। युवाओं को पुलिस मित्र बन कर सहयोग करना चाहिए ताकि अपराधियों में भय एवं पुलिस में विश्वास कायम रहे सके। राजस्थान पत्रिका के पुलिस पब्लिक संवाद कार्यक्रम के तहत मांडल थाना क्षेत्र के युवा वर्ग का मांडल थाने में शनिवार को हुए संवाद में यह बात सामने आई। संवाद में युवाओं ने प्रमुख क्षेत्रों में सीसी कैमरे लगाने, सीएलजी व शांति समिति की बैठको में सक्रिय लोगों को जोडऩे व गश्त व्यवस्था मजबूत करने पर भी जोर दिया। संवाद में थाना प्रभारी राजेन्द्र गोदरा ने युवाओं का आह्वान किया कि वह पुलिस के मित्र बन कर अपराध नियंत्रण में सहयोग करें।

हाईवे पर हो कड़ी गश्त

संवाद में हाइवे पर गश्त को और मुस्तैद करने, हाईवे पर होने वाली दुर्घटनाओं व अपराध को लेकर पुलिस को तत्परता दिखाने, पुलिस गश्त के दौरान देर रात को घूमने वाले आवारा तत्वों की धरपकड़ करने, बाइक सवारों को रोक करने की बात युवाओं ने कही।

बस स्टैंड चौराहा हो अतिक्रमण मुक्त

संवाद में प्रमुख चौराहों पर बीट प्रभारी व थाने के नम्बर अंकित किए जाए, बस स्टैंड से मेजा मार्ग को जाम से मुक्त करने, हादसों का सबब बना रेलवे ओवरब्रिज पर दिशा बोर्ड को ठीक कराने, कस्बे में बाहरी व्यक्तियों को चिन्हित किए जाने के सुझाव आए। युवाओं ने नशा करने वालों के खिलाफ मुहिम शुरू करने की बात भी कही।

संवाद में ये बोलें

संवाद में किशन सोनी, शुभम बिड़ला, प्रमोद चेचाणी, योगेश चौबे, नरेंद्र जीनगर, अनवर हुसैन अंसारी, खलील मोहम्मद, राजेश जयसवाल, रतन गाडरी, नंद लाल माली व मुकेश शर्मा मौजूद थे।

भीलवाड़ा।
शहर के दो प्रमुख निजी अस्पतालों में शनिवार को विभिन्न विभागों के एचओडी की संयुक्त प्रशासनिक टीम ने औचक निरीक्षण किया। जांच में कई तरह की खामियां पाए जाने के बाद दोनों अस्पतालों को आगामी आदेश तक के लिए सीज कर दिया गया। प्रशासन की इस कार्रवाई से शहर के निजी अस्पतालों में हड़कम्प मच गया। आईएमए और निजी अस्पताल संचालकों ने प्रशासन की इस कार्रवाई का विरोध किया।
जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत उपचार नहीं करने और कई तरह की खामियों और अनियमितता की शिकायत प्रशासन को मिली थी। इस पर जिला कलक्टर के निर्देश पर नगर विकास न्यास सचिव, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, नगर परिषद आयुक्त, प्रदूषण नियंत्रण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी और तहसीलदार भीलवाड़ा के नेतृत्व में टीम आर.सी.व्यास नगर स्थित स्वास्तिक और तिलक नगर स्थित सिद्धी विनायक अस्पताल पहुंची। निरीक्षण के दौरान टीम ने दोनों अस्पतालों में कई तरह की गंभीर लापरवाही और खामियां मानी। इसके बाद दोनों ही अस्पतालों को सीज कर अग्रिम आदेश तक नए मरीज देखने और भर्ती करने पर रोक लगा दी गई।
जिला प्रशासन के अनुसार कोरोना महामारी के दौरान कुछ समय पहले स्वास्तिक अस्पताल में आग लग गई थी। उस दौरान निरीक्षण के समय कई खामियां मिलने पर शहर के सभी निजी चिकित्सालयों को नोटिस जारी कर उनके फ ायर सिस्टम सही करने व बायो मेडिकल वेस्ट का समुचित निस्तारण करने के निर्देश दिए थे, लेकिन नोटिस मिलने के बावजूद दोनों अस्पतालों में नियमों की पालना नहीं करने तथा लगातार शिकायतें मिलने के बाद शनिवार दोपहर को टीम का गठन करके जांच के लिए भेजा। उनसे जांच कर रिपोर्ट मांगी गई।
यह मिली खामियां
टीम के अनुसार स्वास्तिक अस्पताल में पिछले दिनों आग की घटना के बावजूद यहां फायर सिस्टम सही नहीं पाए गए। बायो मेडिकल वेस्ट का भी सही तरीके से निस्तारण नहीं हो रहा। आवासीय भवन में चिकित्सालय संचालित होने समेत कई खामियां पाई गई। अस्पताल कैंटिन में भी खामियां मिली। इस पर टीम ने अस्पताल को सीज करते हुए नए मरीजों को देखने पर रोक लगा दी। वर्तमान में भर्ती मरीजों का ही उपचार किया जाएगा। वहीं गंभीर रोगी आने पर उन्हें तुरन्त ही अन्य अस्पताल में पहुंचाने के लिए दो एम्बुलेंस हर समय तैयार रखने के निर्देश दिए है।
इसी प्रकार सिद्धी विनायक अस्पताल में भी आग बुझाने के यंत्रों में कमी पाई गई। यहां भी बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तारण सही नहीं होने समेत कई खामियां पाई जाने पर उसे भी सीज कर दी गया। हालांकि यहां दुर्घटना ग्रस्त मरीजों को ट्रोमा वार्ड में उपचार मिलेगा। निरीक्षण के लिए पहुंची टीम को नाबालिग काम करते हुए मिला, ंवहीं क्षमता से अधिक पलंग पाए गए। सेट बैक नहीं छोड़ा गया हुआ था।मिली कई खामियां
लगातार शिकायतें मिलने के बाद शनिवार को संयुक्त टीम का गठन करके निजी चिकित्सालयों का निरीक्षण करने के आदेश दिए थे। जांच के दौरान कई खामियां मिली। इससे आग का बड़ा हादसा होने से इंकार नहीं किया जा सकता। गंभीर लापरवाही को देखते हुए दोनों चिकित्सालयों को अगले आदेशों तक के लिए सीज कर दिया। गंभीर रोगी आने पर उन्हें एम्बुलेंस के माध्यम से अन्य अस्पताल में पहुंचाया जाएगा।
- शिवप्रसाद एम नकाते, जिला कलक्टर भीलवाड़ा
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इन बिन्दूओं को लेकर की गई जांच
- अस्पताल भूमि के भू-रूपान्तरण। आवंटन की विधिक स्थिति तथा मौके पर निर्माण से तुलनात्मक आकलन।
- फायर ऑडिट की स्थिति, फायरसेफ्टी के लिए प्रशिक्षित कार्मिकों की नियुक्ति, परिसर में आवश्यक अग्निशमन यंत्रों एवं केमिकल व रेत की बाल्टियों की व्यवस्था।
-आगजनी की स्थिति में मरीजों, परिजनों व स्टाफ के बचाव की व्यवस्था।
- बायो मेडिकल वेस्ट के भंडारण की व्यवस्था व बायोमेडिकल वेस्ट के नियमानुसार निस्तारण की स्थिति।
- ऑक्सीजन सिलेंडर के रखरखाव व उपयोग के लिए प्रशिक्षित कार्मिकों की उपलब्धता।
- विद्युत व्यवस्था के लिए प्रशिक्षित इलेक्ट्रिशियन की नियुक्ति।
- शुद्ध पेयजल एवं अन्य कार्यों के लिए जल की समुचित व्यवस्था।
- चिकित्सालय में आपात स्थिति में आपातकालीन निकास मार्ग एवं द्वार की व्यवस्था।
- पार्किंग व्यवस्था एवं अस्पताल का लेआउट प्लान के अनुरूप निर्माण।
- सेट बैक की स्थिति

भीलवाड़ा।
आचार्य महाश्रमण का जन्म चूरू जिले के सरदारशहर में १३ मई १९६२ को हुआ। इनके पिता का नाम झूमरमल दुगड़ और मां का नाम नेमादेवी था। उनका सांसारिक नाम मोहनलाल था। व्यवहार जगत में मोहन नाम से पहचान बनाई। बालक मोहन बचपन से ही मेधावी, श्रमशील, कार्यनिष्ठ विद्यार्थी थे। उनकी विनम्रता, भद्रता, ऋजुता, मृदुता और पापभीरुता हृदय का छूने वाली थी। उस समय कौन जानता था कि यह बालक आगे चलकर तेरापंथ का ग्यारहवां अधिशास्ता बनेगा।
दीक्षा
जब बालक मोहन मात्र सात वर्ष के थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया। परिवार में अपूरणीय क्षति हो जाने के बावजूद मां ने अपनी वात्सलता और स्‍नेह देकर अपने लाडले को पिता की कमी की अनुभूति नहीं होने दी। जीवन की क्षणभंगुरता ने बालक की दिशा और दशाकृ दोनों को बदल दिया। उनके मन में वैराग्य का अंकुर प्रास्फुटित हो उठा। ज्यों-ज्यों उसे सिंचन मिला,वह पुष्पित, पल्‍लवित होता चला गया। अध्यात्म के प्रति रुचि बढ़ती गई। धीरे-धीरे उन्होंने उन अर्हताओं को अर्जित कर लिया, जो एक दीक्षित होने वाले साधक में होनी चाहिए। उन्होंने अपने मनोबल और शरीर बल को तोलकर दीक्षा लेने की भावना आचार्य श्री तुलसी के सामने रखी। उस समय आचार्य श्री दिल्ली में प्रवासरत थे। आचार्यश्री ने उनका यथोचित परीक्षण कर सरदारशहर की पुण्य भूमि पर ही मुनिश्री सुमेरमलजी (लाडनूं) को दीक्षा देने की अनुमति प्रदान की। विसं. 2031, वैशाख शुक्ला 14 (5 मई, 1974) रविवार के दिन बारह वर्ष की अल्प आयु में वे दीक्षित हो गए। वे मोहन से मुनि मुदित बन गए। बाह्य परिवेश बदलने के साथ-साथ उनका आन्तरिक परिवेश भी बदल गया। सारी प्रवृत्तियां संयममय हो गई। व्यवहार में बाहर जीना और निश्‍चय में भीतर में रहना उनका जीवनसूत्र बन गया। वे अपना अधिक से अधिक समय स्वाध्याय, ध्यान, पाठ का कंठीकरण और उसके पुनरावर्तन में नियोजित करते थे। समय-समय पर उन्हें आचार्य तुलसी और युवाचार्य महाप्रज्ञ का सान्निध्य मिलता रहा। विसं. 2041, ज्येष्ठ कृष्णा अष्टमी को आचार्यश्री ने उन्हें अपनी व्यक्तिगत सेवा में नियुक्त कर लिया, इससे उन्हें ज्ञानार्जन, गुरुसेवा और गुरुकुलवास में रहने का सहज ही अवसर मिल गया। संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं में उनका अध्ययन चलता रहा। महाश्रमण प्रारम्भ से ही एक प्रशान्तमूर्ति के रूप में जाने जाते है। ना अधिक बोलना और ना अधिक देखना। आंखों की पलकें भी प्राय: निमीलित ही रहती है। ज्यों-ज्यों उनकी अर्हताएं बढ़ रही थी, वैसे-वैसे दायित्व की परिधि भी विस्तार पा रही थी। विसं. 2041 जोधपुर प्रवास में वे एक उपदेष्टा के रूप में उभर कर सामने आए। आचार्य तुलसी ने उन्हें व्याख्यान से पूर्व प्रतिदिन उपदेश देने के कार्य में नियुक्त किया।
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महाश्रमणपद पर प्रतिष्ठित
आचार्य तुलसी ने संघ में अनेक नवीन कार्य किए। महाश्रमण पद का सृजन भी उसी नवीनता का परिचायक था। योगक्षेम वर्ष का पावन प्रसंग। लाडनूं की पुण्यस्थली। विसं. 2046 भाद्रव शुक्ला नवमी (6 सितम्बर 1989) का मंगलमय प्रभात। आचार्य तुलसी के पट्टोत्सव का पावन प्रसंग पर उस दिन आचार्यवर ने मुनि मुदित को महाश्रमण के गरिमामय पद पर नियुक्त कर एक नया इतिहास बना दिया। महाश्रमण को सम्मान स्वरूप आदर की चादर ओढ़ाने का श्रेय शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमलजी को मिला। वरीयता के क्रम में यह पद आचार्य और युवाचार्य के बाद होने वाला तीसरा पद था। यह पद अपने आप में गौरवशाली भी था और रचनात्मक कार्य करने की दिशा में एक नया कदम भी था।
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युवाचार्य पद
पूज्यवर्य गणाधिपति श्री तुलसी के महाप्रयाण के कुछ दिनों पश्‍चात आचार्य महाप्रज्ञ ने अप्रत्याशित रूप से युवाचार्य मनोनयन की घोषणा कर दी। विसं. 2054. भाद्रव शुक्ला द्वादशी (14 सितम्बर 1997) के मंगलमय दिवस पर चौपड़ा हाई स्कूल के विशाल मैदान पर वह दृश्य जन-जन के लिए कितना उल्लासित और नयनाभिराम था, जब आचार्य महाप्रज्ञ ने विशाल जनसमूह के बीच आओ मुदित कहकर पुकारा। एक शब्द के साथ ही लाखों हाथ हवा में ठहरा उठे। एक आवाज के साथ ही महाश्रमण मुनि मुदित युवाचार्य महाश्रमण बन गए, लाखों लोगों के आराध्य और पूजनीय बन गए। आचार्यश्री महाप्रज्ञ ने पहले स्वयं पछेवडी (उत्तरीय) धारण कर बाद में महाश्रमण को ओढ़ाकर उन्हें युवाचार्य के रूप में प्रतिष्ठित किया और अपने समीप पट्ट पर बिठा कर अलंकृत किया ।
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आचार्य पदाभिषेक
विसं 2657, द्वि वैशाख कृष्णा एकादशी (9 मई 2010) के दिन आचार्य महाप्रज्ञ का सरदारशहर, गोठी भवन में आकस्मिक महाप्रयाण हो गया। विसं. 2067 द्वि. वैशाख शुक्ला दशमी (23 मई 2010) को गांधी विद्या मन्दिर के विशाल प्रांगण में आचार्य महाश्रमण का ग्यारहवें अनुशास्ता के रूप में पदाभिषेक का विशाल आयोजन हुआ।

भीलवाड़ा।
यूनाइटेड प्राइवेट क्लिनिक एण्ड हॉस्पिटल एसोसिएशन ने शनिवार को शहर के दो अस्पतालों को सीज करने की कार्रवाई को जिला प्रशासन की तानाशाही और मरीजों के साथ कुठाराघात बताया। इसके विरोध में रविवार को शहर के सभी निजी चिकित्सालय, लेब और जांच सेंटर बंद रखने की घोषणा की।
एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष डॉ. हरीश मारू ने कहा कि प्रशासन ने बिना किसी नोटिस के कार्रवाई की, जो गलत है। प्रशासन ने गैर कानूनी काम किया है। इसके खिलाफ कानूनी रास्ता अपनाया जाएगा। जिला सचिव डॉ. कुलदीप सिंह नाथावत ने कहा कि नियमानुसार निर्धारित सभी 16 तरह के लाईसेंस प्राप्त कर अस्पतालों का संचालन किया जा रहा है। इसके बावजूद जिला प्रशासन की टीम ने चिकित्सा संस्थानों का सीज कर दिया गया, जो बिल्कुल गैर कानूनी है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में जब आवश्यकता थी, तब जिला प्रशासन ने कोविड नियंत्रण के दौरान इन्हीं चिकित्सा संस्थानों की पीठ थपठापाई थी। यहीं चिकित्सा संस्थान अब कैसें गैर कानूनी हो गए। यह समझ से बाहर है। प्रशासन अब केवल बाल की खाल निकाल रहा है। इस दौरान आईएमए उपाध्यक्ष डॉ. नरेश पोरवाल, डॉ. हरीश मारू, डॉ. परमजीत सिंह गंभीर, डॉ. सुभाष टेलर आदि मौजूद थे।

भीलवाड़ा।
पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनोर ने कहा कि त्याग, तपस्या और बलिदान की धरती में आचार्य महाश्रमण के चातुर्मास से भीलवाड़ा जिले ही नहीं पूरे मेवाड़ क्षेत्र में लोगों को धर्म के बारे में उपदेश मिलेगा। आज मुझे आपका स्वागत करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। आपके प्रवचन हम सभी का मार्गदर्शन करने वाले हैं। उन्होंने आचार्य से विनती करते हुए कहा कि वे पंजाब की धरा पर भी पधारे। इस चातुर्मास से पूरे देश में धर्म की ज्योति जलेगी। सिंह ने आचार्य महाश्रमण के मंगल प्रवेश के बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि मेरा सौभाग्य है कि आचार्य महाश्रमण के चातुर्मास जो भीलवाड़ा में हो रहा है उनके मंगल प्रवेश के मौके पर उपस्थित हुआ हूं। जहां आचार्य महाश्रमण ने डेमोक्रेसी, रेस्पॉन्सब्लिटी और ड्यूटी पर जो उपदेश दिया है वह वास्तव में हम लोगों को अपने जीवन में उतारना चाहिए। आचार्य महाश्रमण चेन्नई में चातुर्मास कर रहे थे उस दौरान मैं भी पंजाब के लोगों के साथ चेन्नई में इनके दर्शन करने गया। और पंजाब में चातुर्मास करने के लिए विनती कि थी। आज भी मैंने आचार्य महाश्रमण को पंजाब में चातुर्मास करने के लिए निवेदन किया कि वह वहां पधारें। मंगल प्रवेश में पंजाब से भी काफी संख्या में लोग आते, लेकिन कोरोना महामारी के चलते भक्तजन उपस्थित नहीं हो सके। राज्यपाल सिंह ने कहा कि मैं आचार्य महाश्रमण का लंबे समय से भक्त हूं। जब वे युवाचार्य थे तब २००४ में आसींद में आचार्य महाप्रज्ञ का कार्यक्रम हुआ था। उस समय मैं भीलवाड़ा जिले से जनप्रतिनिधि था।

भीलवाड़ा।
आचार्य महाश्रमण रविवार को चित्तौड रोड स्थित तेरापंथ नगर से आदित्य विहार में चातुर्मास के लिए मंगल प्रवेश किया।
मंगल प्रवेश के बाद आचार्य महाश्रमण ने कहा कि आज समाज, राजनीति में भी अहिंसामय नीति होनी चाहिए। लोकतंत्र हो या राजतंत्र दोनों जनता की भलाई के लिए होते हैं। किसी भी समस्या का समाधान हिंसा से नहीं हो सकता। अहिंसा, प्रेम-मैत्री से भी समस्या सुलझाई जा सकती है। राजनीति बहुत महत्वपूर्ण सेवा का साधन है अगर राजनेता सेवाभाव से सेवा करें तो पिडि़त व्यक्ति को न्याय मिल सकता है। राजनेताओं को सत्ता सुख भोगने के लिए नहीं बल्कि जनता की सेवा करने के लिए है। राजनीति में आकर राजनेता जनता की सेवा न करें तो फिर राजनीति में आना बेकार है। आचार्य महाश्रमण ने राजनेताओं को सेवा का पाठ पढ़ाने के दौरान संस्कृत में श्लोक का वाचन भी किया। उन्होंने कहा कि भारत देश में धर्मनिरपेक्षता ही नहीं पंथनिरपेक्षता भी है। सबको अपनी रुचि अनुसार धर्म करने की छूट है। भारत एक आजाद देश है, आजादी के साथ संयम, अनुशासन का होना बहुत जरूरी है। लोकतंत्र में अगर कर्तव्यनिष्ठा, अनुशासन नहीं तो देश का विकास नहीं हो सकता। साथ ही सत्ता में निस्वार्थ सेवा रूपी तप भी होना चाहिए। अहिंसा, संयम और तप रूपी धर्म जीवन में आ जाए तो व्यक्ति अपना जीवन सार्थक कर सकता है। प्रवचन के बाद पंजाव के राज्य पाल वीपीसिंह बदनोर ने आचार्य महाश्रमण से उनके कक्ष में १० मिनट तक चर्चा की।
साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा ने कहा कि आचार्य एक महान यात्रा, विजय यात्रा कर यहां पधारे हैं। मेवाड़ के श्रावकों में विशिष्ट भक्ति है। चातुर्मास में सभी लक्ष्य बनाएं कि हमें गुरुवर की वाणी को आत्मसात कर जीवन में अपनाना है। यह सिर्फ भीलवाड़ा का ही नहीं पूरे मेवाड़ का चतुर्मास है।

भीलवाड़ा।
तेरापंथ धर्म संघ के 11वें आचार्य महाश्रमण अपनी धवल सेना के साथ रविवार को आदित्य नगर के आचार्य महाश्रमण सभागार में सुबह ९.२१ बजे मंगल प्रवेश किया। तो पूरा आदित्य नगर जयकारों से गूंज उठा। हर कोई आचार्य की एक झलक पाने को आतुर था। आचार्य महाश्रमण ससंघ सुबह ९.०६ बजे तेरापंथ नगर से विहार करके मात्र १५ मिनट में २०० मीटर का फासला तय करते हुए चातुर्मास स्थल पर पहुंचे। मंगल प्रवेश के दौरान पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनोर सहित भारत के अलग-अलग स्थान से आए जैन समाज के लोग और भीलवाड़ा जिले के राजनेता इसके साक्षी बने। शांतिदूत आचार्य महाश्रमण के मंगल प्रवेश पर चारों तरफ श्रद्धा व भक्ति का अनूठा दृश्य दिखाई दे रहा था। वस्त्रनगरी भीलवाड़ा में आचार्य का यह चातुर्मास प्रवेश अनेक दृष्टियों से ऐतिहासिक रहा। भीलवाड़ा में तेरापंथ के आचार्यों का यह पहला चातुर्मास है। आचार्य के साथ प्रथम बार 200 से अधिक साधु-साध्वियां चातुर्मास में है। देश. विदेश की हजारों किलोमीटर पदयात्रा संपन्न कर मेवाड़ पधारे आचार्य के स्वागत में सभी में उत्साह-उमंग की नई लहर छाई हुई है। दो युवा शंख से अभिनन्दन कर रहे थे।
आचार्य की अगवानी के लिए जैन व अजैन लोग वहा पहुंचे थे। सड़क के एक तरफ बालिकाए अपने हाथों में लाल ध्वज लहराते हुए उनका स्वागत किया। वही युवा मोर पंख लगाए हुए टेबुल पर खड़े होकर नाच रहे थे। मुख्य द्वार के बाहर दोनो और चार नगाड़े लगाए गए थे। जिसे युवा जोश के साथ बजा रहे थे। इस दौरान जय-जय ज्योतिचरण, जय-जय महाश्रमणÓ, 'महाश्रमण जी ने घणी-घणी खम्माÓ, 'तेरापंथ सरताज ने घणी-घणी खम्माÓ, 'नेमा जी रा लाल ने घणी-घणी खम्माÓ, आदि उद्घोष से सारा वातावरण भक्तिमय हो गया। पंजाब से आए बैण्ड वादकों ने शानदार बैंड वादन किया। तथा लोगों को अपने करतब दिखाए। बालिकाए उनके स्वागत के लिए मुख्य द्वार के पास खड़ी, लेकिन वे स्वागत गीत नहीं गा सकी। इसके अलावा समाज की महिलाए केसरिया परिधान में तो पुरुष सफेद परिधान पहनकर आए थे।
कोरोना गाइड लाइन को ध्यान में रखते हुए मंगल प्रवेश का जुलूस का आयोजन नहीं रखा गया था। साधु-साध्वियों की धवल पंक्ति के मध्य आचार्य प्रवर को मंगल प्रवेश करता देख सभी श्रद्धानत थे। भीलवाड़ा वासियों का वर्षों पूर्व देखा गया स्वप्न आज साकार हो गया, ऐसा लग रहा था मानो भीलवाड़ा शहर महाश्रमणमय बन गया हो।
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इन्होंने भी किया सम्बोधित
शांतिदूत के स्वागत में पंजाब के राज्यपाल सिंह विशेष रूप से उपस्थित थे। इस अवसर पर सांसद सुभाष बहेडिय़ा, मांडल विधायक रामलाल जाट, विधायक वि_ल शंकर अवस्थी, नगर परिषद सभापति राकेश पाठक, आचार्य महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति अध्यक्ष प्रकाश सुतरिया, स्वागताध्यक्ष महेंद्र ओस्तवाल, वरिष्ठ श्रावक नवरतन झाबक ने विचार व्यक्त किए। संचालन मुनि दिनेश कुमार व व्यवस्था समिति के महामंत्री निर्मल गोखरू ने किया। कार्यक्रम में राइफल संघ के जिलाध्यक्ष अभिजीत सिंह बदनोर, भाजपा जिलाध्यक्ष लादूलाल तेली, कांग्रेस नेता विवेक धाकड़, ओमप्रकाश नराणीवाल, एडवोकेट उम्मेद सिंह राठौड़, मंजू पोखरणा आदि ने भी आचार्य का अभिनंदन किया। कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल सिंह व सांसद बहेडिया, जाट अवस्थी का चातुर्मास समिति की ओर से स्वागत किया गया।
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पुलिस के पुख्ता प्रबन्ध
आचार्य महाश्रमण के मंगल प्रवेश की एक झलक देखने के लिए पूरा शहर उमड़ पड़ा था। लेकिन पुलिस के कड़े प्रबन्ध के चलते लोगों को ओवरब्रिज के पास ही रोक दिया गया था। वही जो लोग तेरापंथ नगर में थे उन्हें आचार्य के मंगल विहार से पहले ही उन्हें जैन मुनि ने बाहर निकाल दिया था। मंगल प्रवेश के दौरान एडीएम (प्रशासन) राकेश कुमार, उपखण्ड अधिकारी ओमप्रभा, उपपंजीयक अजितसिंह, तहसीलदार, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गजेन्द्रसिंह जोधा, पुलिस उप अधीक्षक राहुल जोशी, शहर कोतवाल दुर्गा प्रसाद दाधीच समेत अन्य अधिकारी व्यवस्था बनाए रखने में लगे हुए थे।
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आरटीपीसीआर जांच
मंगल प्रवेश में आने वाले लोगों की चिकित्सा विभाग की ओर से कोरोना जांच की व्यवस्था की गई थी। वही उसके पास ही एक अन्य कक्ष में चिकित्सा टीम लोगों के उपाचर के लिए लगाई गई थी।
- आवास व्यवस्था के लिए भी लोग जानकारी लेते रहे। गर्मी व उमस तथा कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए सभागार में मात्र सौ जनों से अधिक लोग नहीं थी। लोग सभागार के चारों तरफ बाहर खड़े होकर प्रवचन सुन रहे थे। बाहर एलईडी लगाई गई थी। जिस पर सीधा प्रसारण किया जा रहा था। आचार्य महाश्रमण ने कई मुनियों व साध्वियों का परिचय करवाते हुए कहा कि कई मुनि व साध्वी से वे वर्षा बाद मिल रहे है।

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