भीलवाड़ा।
जिले में वैध और अवैध पत्थर खदानों में प्रतिदिन बड़ी मात्रा में विस्फोटक सप्लाई हो रहा है लेकिन खनिज विभाग यह नहीं जानता कि इसकी सप्लाई कौन कर रहा है। उनका कहना है, यह मामला जिला प्रशासन स्तर का है। उधर, जिला प्रशासन के पास रिकार्ड नहीं है कि जिले में प्रतिदिन कितने किलो विस्फोटक सामग्री आती है। उल्लेखनीय है कि पांसल की डांग, समोड़ी, दरीबा, कारोई समेत अन्य क्षेत्र में प्रतिदिन 100 किलो से अधिक जिलेटिन, डेटोनेटर तथा फ्यूज वायर काम में लिए जा रहे हैं।
जिले में सैकड़ों पत्थर खदान अवैध ढंग से चल रही है। अवैध व लीज पत्थर खदानों में अवैध ढंग से विस्फोटक पहुंचाया जा रहा है। पुलिस प्रशासन व खनन विभाग खानापूर्ति की कार्रवाई करते हैं। ये अवैध सप्लाई देर रात बाइक व चौपहिया वाहनों से होती है। मिली जानकारी के अनुसार, सप्लाई की जानकारी स्थानीय पुलिस को होती है लेकिन वह कार्रवाई नहीं करती। पत्थर खदानों में प्रतिदिन ब्लास्ंिटग होती है लेकिन लाइसेंसधारी विस्फोटक आपूर्तिकर्ता के बजाय अवैध सामग्री आ रही है। अधिकतर विस्फोटक बाहर से आते हैं।
सूत्रों के अनुसार, लाइसेंसधारी 100 से 150 किमी में ही विस्फोटक सप्लाई कर सकता है। असल में जिले में 250-300 किमी दूर से विस्फोटक लाया जा रहा है। लाइसेंसधारी आपूर्तिकर्ता के भी घालमेल का शक है। गोदाम में क्षमता से अधिक विस्फोटक का भंडारण कर अवैध खदानों को सप्लाई करते हैं। चोरी-छिपे विस्फोटक पहुंचाने के लिए क्षेत्र में एजेंट तय हैं।
क्या कहता है नियम
नागपुर से विस्फोटक पदार्थ का थोक विक्रेता लाइसेंस मिलता है। विक्रेता को जिस जिले में कारोबार करना है, वहां के जिला कलक्टर से एनओसी लेनी पड़ती है। हर माह रिटर्न की कापी देनी होती है। कई एक्सप्लोसिव कंपनियां कलक्टर से एनओसी के बिना माल सप्लाई करती है। खनन विभाग के नियम के अनुसार विस्फोटक का लाइसेंस रहने के बाद ही वैध डेटोनेटर, जिलेटीन व बारूद उपलब्ध हो सकता है। हालांकि जिले में रोजाना वैध-अवैध खनन में अवैध विस्फोटक इस्तेमाल हो रहा है। माना जा रहा है कि एक महीने में लाखों रुपए का विस्फोटक इस्तेमाल हो रहा है।
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पुलिस-प्रशासन का जिम्मा
खनन में अवैध विस्फोटक इस्तेमाल हुआ या नहीं, यह देखने का जिम्मा पुलिस व प्रशासन का है। इसमें खनिज विभाग की कोई भूमिका नहीं है। वह केवल पुलिस प्रशासन को सूचना दे सकता है। कार्रवाई प्रशासन को ही करनी होती है।
अरविन्द नन्दवाना, अधीक्षण खनि अभियन्ता भीलवाड़ा