पोकरण. मानसून की बारिश होने पर किसानों के साथ आमजन में हर्ष का माहौल रहता है। इसी उत्साह के बीच ग्रामीण क्षेत्रों में कई जगहों पर किए गए गड्ढ़ों में भरा बारिश का पानी बच्चों व युवाओं की सांसों की डोर को तोड़ रहा है। कई बार हादसा हो जाने के बाद भी जिम्मेदारों की ओर से इस संबंध में कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। गौरतलब है कि ग्रामीण क्षेत्रों में मिट्टी, बजरी, पत्थर, ग्रेवल आदि की अवैध खुदाई होती रहती है। इसके अलावा ग्राम पंचायत व अन्य विभागों की ओर से किसी कार्य के दौरान गहरे गड्ढ़े कर दिए जाते है। बारिश के दौरान ये गड्ढ़े पानी से लबालब भर जाते है। इन गड्ढ़ों के आसपास आबाद ढाणियों व गांवों के छोटे बच्चे व युवा बारिश के बाद गड्ढ़ों में भरे पानी में उत्साह के चलते नहाने के लिए चले जाते है। उन्हें गहराई का सही अंदाजा नहीं होता है तथा गहरे पानी में चले जाने अथवा पांव फिसल जाने के कारण वे डूब जाते है और काल का ग्रास हो जाते है। बावजूद इसके इन गड्ढ़ों को समय रहते भरने, पानी भर जाने पर यहां सुरक्षा की व्यवस्था करने और लोगों को इन गड्ढ़ों से दूर रखने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। जिसका खामियाजा कई बार बच्चों व युवाओं को अपनी जान से हाथ धोकर भुगतना पड़ता है।
काम निकलने के बाद खुला छोड़ देते है गड्ढ़ा
पोकरण क्षेत्र के गांवों में भूमि में कई सम्पदाएं है। कहीं पर मकान निर्माण में काम आने वाली मिट्टी, तो कहीं बजरी, कहीं ग्रेवल, तो कहीं जिप्सम। लोग अपनी आवश्यकता के अनुसार सिवायचक, ओरण, गोचर, चारागाह भूमि में खुदाई कर इन सम्पदा को निकालकर उपयोग लेते है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरलोकिंग सड़क निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है। इसके अलावा कई जगहोंं पर ग्रेवल सड़कों का भी निर्माण होता है। ठेकेदार भी कार्यस्थल के आसपास क्षेत्र से खुदाई कर सम्पदा का उपयोग कर लेते है। जिसके कारण उस जगह पर गड्ढ़े हो जाते है तथा काम समाप्त होने के बाद उन गड्ढ़ों को खुला ही छोड़ देते है।
सुरक्षा प्रबंधों के अभाव में होते है हादसे
पोकरण क्षेत्र के लाठी, केरालिया, नेड़ान, सनावड़ा, सांकड़ा, चाचा, थाट, केलावा, पाउपाडिया, सतासर, पुरोहितसर, एकां, फलसूण्ड, कजोई, पारासर, नाचना के साथ नहरी क्षेत्र में कई जगहों पर भूमि मेे ऐसी सम्पदाएं है। ग्रामीणों की ओर से आवश्यकतानुसार अवैध व असमान रूप से खुदाई किए जाने के कारण ऐसे बड़े गड्ढ़े हो चुके है। इन गड्ढ़ों में बारिश के दौरान पानी भर जाता है तथा छोटे बच्चों व युवाओं की नासमझी के कारण ऐसे हादसे होते है। इन गड्ढ़ों में नहाने से रोकने के लिए सुरक्षा के कोई पुख्ता प्रबंध नहीं है। जिसके कारण प्रतिवर्ष ऐसे हादसे होते है।
पत्रिका व्यू-
प्रशासन को चाहिए कि सरकारी कार्य के दौरान ऐसी अवैध खुदाई पर लगाम लगाने के लिए ठेकेदारों को पाबंद करें। यदि खुदाई की आवश्यकता पड़ती है, तो पुन: उन गड्ढ़ों को भरें। यदि कहीं पुराने गड्ढ़े है, तो उन्हें रेत से भरें अथवा उसके चारों तरफ तारबंदी कर युवाओं व छोटे बच्चों को वहां जाने से राकें, ताकि हादसों से बचा जा सके।
फैक्ट फाइल:-
- 3 से 4 हादसे होते है प्रतिवर्ष ऐसे गड्ढ़ों मेे डूबने से
- 100 से अधिक गांवों व ढाणियों में है ऐसे गड्ढ़े
- 50 से अधिक जगहों पर होती है प्रतिदिन अवैध खुदाई
करवाया जाएगा सर्वे
तहसीलदार व विकास अधिकारी को क्षेत्र में ऐसे गड्ढ़ों के सर्वे के लिए निर्देशित किया गया है। सूची तैयार कर इन गड्ढ़ों को बारिश से पूर्व भरवाने व सुरक्षा के प्रबंध करने का कार्य किया जाएगा।
- राजेश विश्रोई, उपखंड अधिकारी, पोकरण।