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मां ने कहा, मरने के बाद कौन देखता है मूति...र्बेटों ने जीवित मां की मूर्ति बनवाकर लगा दी Thursday 19 August 2021 10:11 AM UTC+00 सीकर/फतेहपुर. गीतों और भीतों की धरा शेखावाटी में मूर्तियां केवल अनगढ़ हाथों से गढ़ी हुई पत्थर की बेजान कृति ही नहीं है...बल्कि मूर्तियों के साथ यहां के लोग भावनात्मक रूप से जुड़े हैं। यहां कहा जाता है, शहीदों की इस धरा पर जितने गांव हंै, उससे ज्यादा शहीदों की मूर्तियां लगी हैं...यह तो शहीद और शहादत की बानगी है। हम यहां चर्चा कर रहे हैं एक सामान्य जीवित व्यक्ति की मूर्ति की। जीवित व्यक्ति की मूर्ति! सुनने में कुछ अजीब सा लगे...लेकिन प्रदेश में संभवत: यह दूसरा मामला है जहां जीवित व्यक्ति की मूर्ति बनाकर लगा दी गई हो। पहला मामला जोधपुर जिले का है, जहां सैनिक कल्याण सलाहकार समिति के पूर्व अध्यक्ष प्रेमसिंह बाजौर की जीवित ही प्रतिमा लगाई गई है। प्रदेश के एक हजार से ज्यादा शहीद परिवारों से बाजौर ने लंबे समय तक यात्रा कर मुलाकात की थी। पूर्व सैनिकों के समूह ने इस उपलक्ष्य में बाजौर की मूर्ति लगवा दी। दूसरा मामला सीकर के फतेहपुर क्षेत्र के खुड़ी गांव का है। जहां, दो बेटों ने अपनी जीवित मां की मूर्ति बनाकर दिवंगत पिता की मूर्ति के पास स्थापित की है। खुड़ी गांव के रहने वाले सतपाल व उसके छोटे भाई महेन्द्र के पिता नत्थूराम थालौड़ का मई 2019 में निधन हो गया था। उनके निधन के बाद जब बेटों ने उनकी मूर्ति बनवाकर लगाने का विचार किया, तो मां बोल उठी, निधन के बाद मूर्ति कौन देखने आएगा...। बात छोटी सी थी, लेकिन सतपाल व महेंद्र के दिल को छू गई। उन्होंने पिता की मूर्ति के साथ ही मां की मूर्ति बनवाई और पिता के बगल में स्थापित कर दी। विधायक ने किया अनावरण, बताया पूण्य का काम
अचानक कह उठी मां |
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