>>: मद से पुण्य क्षीण और मदद से पुण्यार्जन

>>

Patrika - A Hindi news portal brings latest news, headlines in hindi from India, world, business, politics, sports and entertainment!

बाड़मेर. शहर के आराधना भवन में चातुर्मास धर्मसभा में साध्वी मृगावतीश्री ने कहा कि स्वयं के दोष व दूसरों के दु:ख देखने की शक्ति व्यक्ति में आ जाए तो उसे जीवन जीने की कला आ जाती है। हमें अपने जीवन में सम्पत्ति, अधिकार आदि का मद नहीं, हो सके तो मदद करनी चाहिए है। मद व मदद में मात्र एक 'द' अक्षर का फर्क है ये 'द' शब्द हट जाए तो ये मद व्यक्ति को गर्त में लेकर जाता है तथा यह जुड़ जाए तो मदद बन जाता है और वो व्यक्ति को उत्थान के मार्ग पर लेकर जाता है। मद करने से पुण्य क्षीण होता है और मदद करने से पुण्यार्जन होता है।
मनुष्य जन्म में सबसे अधिक प्रभाव मान-अभिमान का है। मनुष्य गति के अन्दर चार कषायों में से मान कषाय की बहुलता है। हमें कृपणता से हटकर उदारता, कठोरता से हटकर कोमलता व कृतघ्नता से हटकर कृतज्ञता की और बढऩा है। जब तक कषाय है तब तक संसार है और जब तक संसार है तब तक चारों गति में भ्रमण करते रहेगे। धर्मसभा में साध्वी नित्योदयाश्री ने भी प्रवचन किए।

अट्ठम तप आराधना आज से
खरतरगच्छ संघ चातुर्मास समिति बाड़मेर के अध्यक्ष प्रकाशचंद संखलेचा ने बताया कि सामूहिक अट्ठम तप की आराधना मंगलवार से प्रारम्भ हो रही है। जिसकी पूर्णाहुति 20 अगस्त को होगी।

You received this email because you set up a subscription at Feedrabbit. This email was sent to you at rajisthanews12@gmail.com. Unsubscribe or change your subscription.