>>: भीलवाड़ा मॉडल बनाने में थी अहम भूमिका

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भीलवाड़ा।
महात्मा गांधी चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. अरुण गौड़ को सोमवार को जयपुर में आयोजित एक समारोह में चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। डॉ. गौड ने कोरोन काल में अच्छा काम करते हुए भीलवाड़ा को एक मॉडल बनाने में सहयोग किया था। डॉ. गौड वर्तमान में एमजीएच भीलवाड़ा में आचार्य एवं विभागाध्यक्ष मेडिसन के साथ ही पिछले दो वर्षों से अधीक्षक के पद पर कार्यरत हैं। गौड़ ने 1986 में डॉ. एस एन मेडिकल कॉलेज जोधपुर से एमबीबीएस की डिग्री लेने के बाद 1990 में उसी कालेज से एमडी की डिग्री प्राप्त की थी। उनके द्वारा लिखित 12 शोधपत्र विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं। कुचामन नागौर में रहते हुए गौड़ ने माता-पिता की स्मृति में लगातार तीन वर्षों तक नि:शुल्क ह्रदय रोग जांच एवं नैत्र शल्य चिकित्सा शिविर आयोजित करवाए। एम्स दिल्ली से ईको कार्डियोग्राफी प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद एमजीएच में ह्रदय रोगियों के लिए इसका पूरा सेट अप तैयार करा ईको कार्डियोग्राफी जांच शुरू की तथा दिल्ली से ही ट्रांसफेजिएल ईको कार्डियोग्राफी का प्रशिक्षण प्राप्त किया। गौड़ के कार्यकाल में एमजीएच को राष्ट्रीय नीति आयोग ने बेहतर चिकित्सकीय व्यवस्थाओं के लिए पूरे देश में पहले स्थान पर रखा। राजस्थान सरकार के कायाकल्प कार्यक्रम मे चिकित्सालय ने पूरे प्रदेश में दूसरा स्थान प्राप्त किया। टीवी की ओर से बेहतर कोविड मैनेजमेंट के लिए सम्मान पत्र भेट कर पुरस्कृत किया। साथ ही स्कोच फाउंडेशन के द्वारा भी चिकित्सालय को स्कोच अवार्ड 2021 से नवाजा गया है। चिकित्सालय में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए दो बार जिला स्तर पर तथा नोन कम्यूनिकेबल रोगों के प्रभावी रोकथाम और उपचार के लिए विभाग द्वारा एक बार प्रदेश स्तर पर सम्मानित हो चुके हैं। कार्यकाल के दौरान भीलवाड़ा चिकित्सालय में कोर्पोरेट लेवल के आईसीयू और सीसीयू संचालित किए जा रहे हैं। इससे गरीब रोगियों को लाभ मिल रहा है। कोविड की प्रथम लहर के दौरान भीलवाड़ा चिकित्सालय में सर्वप्रथम केवल आठ बेड की व्यवस्था थी। जिसे दो दिन में ही बढाकर पचास बेड तक कर कोरोना रोकथाम के लिए प्रभावी कार्य किया। दूसरी लहर के दौरान आक्सीजन बेड की ज्यादा जरूरत होने पर उसे बढाकर 80 बेड से 250 बेड तक किया गया। इससे कोविड रोगियों को काफी लाभ मिला तथा काफी सारे गंभीर रोगियों की जान बचाई जा सकी। कोरोना काल में एमजीएच से एक भी रोगी को अन्यत्र रेफर नहीं किया। कोविड काल के दौरान चिकित्सालय में चिकित्सकों की कमी महसूस की गई। इसके लिए गौड़ ने हाल ही में मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के फाइनल ईयर स्टूडेंट्स के लिए एक सीएमई का आयोजन किया। इसमें फाईनल ईयर स्टूडेंट्स के द्वारा ही व्याख्यान तैयार कर प्रस्तुत किए और उन्हीं के द्वारा प्रस्तुत किए गए। इससे देश और प्रदेश के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने इसमें आनलाइन भाग लिया और स्टूडेंट्स के साथ आनलाईन चर्चा में हिस्सा लिया। कोरोना की संभावित तीसरी लहर के लिए स्टूडेंट्स को कोविड मैनेजमेन्ट और वेंटिलेटर के लिए प्रशिक्षित किया ताकि भविष्य में यदि तीसरी लहर आती है तो चिकित्सकों की कमी महसूस नहीं हो सके।

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