>>: ऑपरेशन अंकुश सिमट गई आरबीएम की सर्जरी

>>

Patrika - A Hindi news portal brings latest news, headlines in hindi from India, world, business, politics, sports and entertainment!

भरतपुर . कोरोना काबू में आने के बाद संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में रफ्तार पकड़ा सर्जरी का काम अब ऑपरेशन अंकुश तक सिमटा नजर आ रहा है। आरबीएम में हाल ही में रिश्वत लेते पकड़े गए चिकित्सक के बाद ऑपरेशन की रफ्तार बेहद धीमी हो गई है। आलम यह है कि मरीजों को चिकित्सकों से डेट तक नहीं मिल पा रही है। ऐसे में मरीज यहां-वहां भटक रहे हैं। अब यह खौफ का साया है ही है कि चिकित्सक ऑपरेशन से ही कन्नी काटते नजर आ रहे हैं। दबी जुबान में मरीज भी स्वीकार रहे हैं कि अब 'भेंटÓ नहीं चढऩे के कारण ऑपरेशन सुस्त रफ्तार में हैं।
कोरोना काल में ऑपरेशन का करीब-करीब ठप सा हो गया था। ऐसे में बेहद जरूरी ऑपरेशन ही किए जा रहे थे, लेकिन कोरोना के थमने के बाद आरबीएम में ऑपरेशन के काम अब रफ्तार पकड़ रहे थे। अस्पताल में एक माह की बात करें तो करीब 150 ऑपरेशन का काम प्रतिमाह हो रहा था, लेकिन हाल ही में आरबीएम अस्पताल के सर्जन डॉ. अनिल गुप्ता को दूसरी बार एसीबी ने दो हजार रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। इसके बाद अस्पताल में खौफ इस कदर हावी हुआ कि ऑपरेशन दहाई से सिमटकर इक्का-दुक्का पर ही आ गए। मरीजों ने बताया कि चिकित्सक को दिखाने पर वह फिलहाल ऑपरेशन की डेट नहीं दे रहे हैं। ऐसे में मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है। हालांकि बेहद जरूरी ऑपरेशन दिन में एकाध किया जा रहा है।

बमुश्किल मिल पाती है तारीख

आरबीएम एवं जनाना में चिकित्सक मरीजों की सर्जरी करने में आना-कानी करते नजर आते हैं। इसको लेकर कई मर्तबा मरीजों ने अपनी पीड़ा जाहिर की है, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं होने से चिकित्सकों के हौसले बुलंद ही रहे हैं। मरीज पहले चिकित्सक को अस्पताल में दिखाते हैं तो उन्हें चिकित्सक के घर दिखाने पर मजबूर कर दिया जाता है। इसके बाद भी उन्हें ऑपरेशन की डेट आसानी से नहीं मिल पाती। मरीज एवं उनके परिजनों का दावा है कि चिकित्सक के घर भेंट चढ़ जाने के बाद सरकारी अस्पताल में ऑपरेशन हो पाता है। यह खेल लंबे समय से चल रहा है, लेकिन तीमारदार अपने मरीज की जान की हिफाजत के लिए यह सब चुपचाप सह लेते हैं।


व्यवस्था सुधरनी चाहिए...

ऑपरेशन कम हो रहे हैं ज्यादा, यह आंकड़ों का भंवरजाल है। इसके मायने कुछ भी निकाले जा सकते हैं। हमारा मत है कि व्यवस्थाओं में सुधार होना चाहिए। कोई भी जरुरतमंद मरीज अगर अस्पताल आए तो वह खुद को ठगा सा महसूस न करे। उसे ऐसा नहीं लगे कि वह सरकारी अस्पताल में आकर प्राइवेट अस्पताल की फीस चुका रहा है। बिगड़ती व्यवस्थाओं के बीच जिम्मेदारों को भ्रष्टाचारियों को क्लीन चिट देने के बजाय सख्ती बरतनी चाहिए। वरना वह दिन दूर नहीं जब यह अस्पताल भ्रष्टाचारियों का अड्डा बन जाएगा। क्योंकि जनाना अस्पताल व आरबीएम अस्पताल में हुई एसीबी की कार्रवाई इस बात का संकेत है कि यहां सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। बल्कि जिम्मेदारों की छूट से मरीजों के साथ खुलेआम लूट हो रही है।


दिनांक ऑपरेशन
10 अगस्त 1
9 अगस्त 1
8 अगस्त 8
7 अगस्त 9
6 अगस्त 3
4 अगस्त 7
3 अगस्त 7
2 अगस्त 1
31 जुलाई 15
30 जुलाई 3

आरबीएम में सर्जन
ईएनटी सर्जन 3
आर्थो सर्जन 4
जनरल सर्जन 4

वैसे तो रुटीन में ऑपरेशन हो रहे हैं। फिर भी यदि कम हुए हैं तो मैं रिकॉर्ड देखकर ही बता सकती हूं। ट्रेप के बाद इस पर फर्क पड़ा है तो यह रिकॉर्ड से ही पता चलेगा।

- डॉ. जिज्ञासा शाहनी, अधीक्षक आरबीएम भरतपुर

You received this email because you set up a subscription at Feedrabbit. This email was sent to you at rajisthanews12@gmail.com. Unsubscribe or change your subscription.