>>: कोटा के जेके लोन अस्पताल को भूल नहीं पाए चिकित्सा मंत्री, फिर गिनाए बच्चों की मौतों के आंकड़े

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कोटा. नवजात बच्चों की मौत के मामले में देशभर में सुर्खियों में रहे कोटा के जेके लोन अस्पताल को शुक्रवार को चिकित्सा मंत्री भूल नहीं पाए। उन्हें जेके लोन अस्पताल की फिर से याद आ गई। चिकित्सा मंत्री कोटा मेडिकल कॉलेज के विभिन्न कार्यों के लोकार्पण समारोह में शुक्रवार को कोटा पहुंचे थे। मीडिया से बातचीत में उन्हें फिर से कोटा के जेके लोन अस्पताल की याद आ गई। मंत्रीजी ने मीडिया के सामने फिर बच्चों की मौतों के आंकड़े गिनाते शुरू कर दिए। उन्होंने कहा कि 2018 में बच्चों की मृत्यु दर 20 प्रतिशत थी। 2019 में 21 प्रतिशत हुई। 2020 में 17 प्रतिशत हुई और अब 2021 तक हम साढ़े 8 प्रतिशत पर लेकर आ गए हैं। यह सुविधा बढ़ाने का ही नतीजा रहा है कि बच्चों की मृत्यु दर नीचे आई गई। शुक्रवार को भी चिकित्सा मंत्री ने जेके लोन अस्पताल में प्रदेश के पहले मोड्यूलर एनआईसीयू का निरीक्षण किया।

टिवट् के बाद हरकत में आई थी सरकार

गौरतलब है कि बीते 2018 व 2019 के सत्र में कोटा के जेके लोन अस्पताल में कई नवजात बच्चों की मौत हुई थी। उसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला व तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावेडकर ने भी ट्विट किया था। उसके बाद राज्य सरकार हरक त में आ गई। देश के सांसदों का दल, बाल कल्याण आयोग, मानवाधिकार आयोग, केन्द्रीय दल, राज्य दल समेत राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित मंत्रियों ने कोटा का दौरा किया। उसके बाद यूडीएच मंत्री व चिकित्सा मंत्री ने मिलकर जेके लोन अस्पताल की दशा बदल दी।

नीकू में 258 बेड की क्षमता तथा पीकू में 263 बेड की क्षमता होगी
चिकित्सा मंत्री ने कहा, कोटा में चिकित्सा के क्षेत्र में पिछले ढाई सालों में 350 करोड़ की राशि के नवीन कार्य कराए गए है। जेके लोन अस्पताल में नीकू में 258 बेड की क्षमता तथा पीकू में 263 बेड की क्षमता हो जाएगी। आईसीयू के भी 300 बेड हो जाएंगे। एमबीएस व जेकेलोन नवीन ब्लॉक का निर्माण चल रहा है। इनके लिए 8 करोड़ रुपए की लागत के उपकरण भी प्राप्त हो गए है, जो शीघ्र शुरू कर दिए जाएंगे।

लापरवाही से तीसरी वेव आ सकती
चिकित्सा मंत्री ने कहा कि आमजन ने लापरवाही बरती तो प्रदेश में सितम्बर में कोरोना की तीसरी वेव भी आ सकती है, लेकिन हम पूरी तैयारी कर रहे है। उसी को लेकर शिशु अस्पतालों में 550 बेड्स का लोकार्पण तो मुख्यमंत्री के हाथों करवा चुके हैं। कोविड में सबसे ज्यादा जरूरत ऑक्सीजन व बेड्स की रही। तीसरी लहर से पहले प्रदेश में एक हजार मैट्रिक टन ऑक्सीजन जनरेशन करने की कैपेसिटी प्राप्त कर लेंगे। इससे राजस्थान पूरी तरह से ऑक्सीजन को लेकर आत्मनिर्भर बन जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में सीएचसी व पीएचसी पर भी चिकित्सा सुविधा को मजबूत कर रहे हैं। प्रदेश में 332 हैल्थ वेलनेस सेंटर बनाए गए हैं। हर सीएचसी व पीएचसी पर 10 बेड ऑक्सीजन के तैयार किए गए हैं। कंसंट्रेटर व पल्स ऑक्सीमीटर उपलब्ध करवा दिए हैं।

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