>>: ARYA SAMAJ ---हादसे में दोनों हाथ गवाएं, हिम्मत नहीं, 3 इंटरनेशनल सहित 31 पदक जीते

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जोधपुर।

जोधपुर में शुक्रवार से शुरू हुए अन्तरराष्ट्रीय आर्य सम्मेलन में देश-विदेश से हजारों आर्य सन्सायी व अनुयायी आए। इनमें रोहतक (हरियाणा) से आई डॉ सुनीता मल्हान सबके लिए प्रेरणा बनी। जिनके दोनों हाथ नहीं होते हुए भी उनके चेहरे पर चमक झलक रही थी। सुनीता ने शारीरिक कमजोरी को हावी नहीं होने दिया व अन्तराष्ट्रीय स्तर तक मुकाम बनाया। सुनीता स्कूली समय से आर्य समाज से जुड गई थी। वर्तमान में रोहतक मे महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में हॉस्टल वार्डन के साथ मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में छात्राओं का मनोबल बढ़ाने का काम कर रही है।

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शादी के चार माह बाद ही हादसा

शादी के चार माह बाद ही एक रेल हादसे में सुनीता के दोनो हाथ चले गए। ऐसे में ससुराल वालों ने अस्पताल में ईलाज के लिए छोड़ पूरा सम्बंध ही तोड़ दिया। फिर भी सुनीता ने हिम्मत नहीं हारी और आगे बढ़ती रही। अस्तपाल से माता-पिता सुनीता को पीहर ले गए, जहां उसने महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय रोहतक (हरियाणा) से अपनी एमए की पढ़ाई पूरी की। बाद में एमफिल की व डॉक्टरेट की उपाधि ली।

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खेलों में आगे बढ़ी, राष्ट्रपति से हुई सम्मानित

सुनीता ने शारीरिक अक्षमता को हावी नहीं होने दिया व खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ी। पैरा एथलीट के नाते सुनीता ने 28 नेशनल व 3 इंटरनेशनल पदक जीते। इतना ही नहीं, अपने काम के बलबूते पर वर्ष 2009 में अति कुशल कर्मचारी अवार्ड व वर्ष 2010 में रानी लक्ष्मीबाई स्त्री शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया।

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