>>: जगह-जगह बारिश, इस बार वैशाख पूर्णिमा पर नहीं होगी वन्यजीवों की गणना

>>

Patrika - A Hindi news portal brings latest news, headlines in hindi from India, world, business, politics, sports and entertainment!

जैसलमेर. जैसलमेर जिले में राज्य भर के अभयारण्यों की भांति राष्ट्रीय मरु उद्यान (डीएनपी) क्षेत्र में वन्यजीवों की गणना इस बार वैशाख पूर्णिमा के मौके नहीं करवाई जाएगी। हर साल वन विभाग की तरफ से गठित टीमें वैशाख मास की पूर्णिमा को दिन-रात तक जलाशयों व अन्य जलस्रोतों पर आंखें गड़ा कर वहां पानी पीने आने वाले वन्यजीवों की गणना करती रही है लेकिन इस बार पारिस्थितिकी तंत्र में पश्चिमी विक्षोभ के कारण जिले भर में हुई व्यापक बारिश के चलते जंगलों में जगह-जगह पानी भरा होने से गणना की इस कवायद को टाला गया है। पूर्व में वैशाख पूर्णिमा यानी 5 मई को यह काम करवाया जाना था, जो अब प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक की तरफ से जारी आदेश के बाद 4 जून को करवाई जाएगी। 4 जून को भी पूर्णिमा ही है। दरअसल पूर्णिमा को चूंकि चंद्रमा की चांदनी सबसे प्रखर होती है, ऐसे में इस दिन को वन्यजीवों की गणना का समय मुकर्रर है। साल 2020 में भी विभाग ने वैशाख पूर्णिमा को वन्यजीवों की गणना करवाई थी, तब भी अभयारण्य क्षेत्र में जगह-जगह पानी भरा होने की वजह से विभाग की तरफ से चिन्हित जलस्रोतों पर सभी वन्यजीव नहीं पहुंचे थे और गणना के नतीजे निराशाजनक आए थे। इससे सबक लेते हुए विभाग ने वन्यजीवों की गणना को एक माह बाद करवाने का फैसला किया है।
मौसम में गर्मी का असर नहीं
जलस्रोतों पर आने वाले वन्यजीवों की गणना को वाटर हॉल सेंसस पद्धति कहा जाता है। वैशाख मास की पूर्णिमा को गणना करवाने के पीछे सोच यह रहती है कि मई माह में तेज गर्मी पड़ती है और वन्यजीवों को पीने के पानी का संकट भी झेलना पड़ता है। वन विभाग की तरफ से अभयारण्य क्षेत्र में जगह-जगह जलस्रोतों पर तब 24 घंटे निगरानी रख कर वन्यजीवों की गणना करवाई जाती है। इस बार कई दफा बारिश हो जाने से एक तो वन क्षेत्रों में जगह-जगह पानी भर गया है और दूसरा गर्मी भी हर साल जितनी प्रखर नहीं पड़ रही है। इन दो वजहों से गणना को टाला गया है।
एक साल पहले दिखे थे 42 गोडावण
- जैसलमेर जिले के डीएनपी क्षेत्र में सबसे ज्यादा नजर राज्य पक्षी गोडावण पर रहती है। गत वर्ष करवाई गई गणना में 42 गोडावण नजर आने से विभागीय अधिकारियों सहित वन्यजीव प्रेमियों की बांछें खिल गई थी क्योंकि साल 2018 की गणना में केवल 13 और 2019 में 19 गोडावण ही नजर आए थे।
- 24 घंटे में वन्य जीवों के कम से कम एक बार जलस्रोत पर आने का सिद्धांत गोडावण पर सटीक नहीं बैठता है क्योंकि यह पक्षी अपना आवास भी बदलता रहता है। देसी फल व वनस्पति से भी उसके शरीर को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल जाता है। यही कारण है कि गोडावण की गणना के लिए वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से विशेष तरीके से की जाती है।
- गत साल की गणना में 18 जंगली बिल्ली, 26 मरु बिल्ली, 173 इंडियन फोक्स, 101 डेजर्ट फोक्स, 390 नील गाय, 1249 चिंकारा, 345 जंगली सूअर, 142 गिद्ध, 159 शिकारी पक्षी, 117 मोर तथा 120 सांडा नजर आए।
- साल 2020 में वैशाख पूर्णिमा से ठीक पहले और गणना के दिन भी जिले में बारिश हो जाने से बहुत कम संख्या में वन्यजीवों की गणना हो पाई। तब अधिकारियों ने माना कि जंगल में जगह-जगह पानी भर जाने से अनेक गोडावणों सहित बड़ी संख्या में वन्यजीव वाटर पॉइंट पर पहुंचे ही नहीं क्योंकि प्यास बुझाने के लिए उन्हें अपने आसपास ही पानी मिल गया।

अगले महीने होगी गणना
गत दिनों के दौरान जिले में बारिश होने की वजह से वन्यजीवों की गणना अब अगले महीने की 4 तारीख को पूर्णिमा के दिन-रात में करवाई जाएगी। बारिश होने से जगह-जगह पानी भर जाने से विभाग के वाटर हॉल पर सभी जानवरों के पहुंचने की संभावना नहीं रहेगी इसलिए गणना को अगले माह करवाने का निर्णय लिया है।
- आशीष व्यास, उप वन संरक्षक, डीएनपी, जैसलमेर

You received this email because you set up a subscription at Feedrabbit. This email was sent to you at rajasthanss63@gmail.com. Unsubscribe or change your subscription.