जोधपुर।
राजस्थान स्टेट इण्डस्ट्रीयल डवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (रीको) की ओर से आवंटित भूखण्ड को निरस्त करने के बावजूद रीको के कूटरचित दस्तावेज व एनओसी के आधार पर बैंक ऑफ बड़ोदा में लीज डीड गिरवी रख दी गई। भूखण्ड का संविधान भी बदल दिया गया। सीबीआइ से मिले दो पत्र पर रीको ने जांच की तो धोखाधड़ी उजागर हुई।
शास्त्रीनगर थाना पुलिस ने बताया कि रीको के प्रबंधक (विधि) प्रवीण चौधरी की ओर से कोर्ट में पेश इस्तगासे के आधार पर कमला नेहरू नगर प्रथम विस्तार योजना निवासी मैसर्स चुंदड़ीघर टेक्सटाइल्स के मोहम्मद आसिफ, उसके भाई मोहम्मद आरिफ व मोहम्मद अशफाक के खिलाफ धोखाधड़ी को मामला दर्ज कराया है।
रीको का आरोप है कि फर्म के आवेदन पर 29 जून 2006 को बीएनपीएच औद्योगिक क्षेत्र में एक भूखण्ड आवंटित किया था, लेकिन लीज डीड व आवंटन की शर्तों का उल्लंघन करने पर रीको ने 21 मई 2012 को भूखण्ड आवंटन निरस्त कर दिया था। इसके बाद भी आरोपियों ने बैंक ऑफ बड़ोदा की चांदपोल शाखा में रीको के नाम से 6 नवम्बर 2015 को जारी एनओसी पेश कर भूखण्ड की लीज डीड बैंक में गिरवी रख दी थी। साथ ही, 18 फरवरी 2016 को संविधान परिवर्तन करने संबंधी रीको का आदेश भी पेश कर दिया था। जबकि भूखण्ड का आवंटन मई 2012 में ही निरस्त किया जा चुका है।
इस संबंध में सीबीआइ ने रीको को दो पत्र भेजकर जांच का आग्रह किया था। एनओसी पर तत्कालीन वरिष्ठ क्षेत्रीय प्रबंधक विनीत गुप्ता के हस्ताक्षर थे। उनसे जांच कराने पर हस्ताक्षर फर्जी होने की पुष्टि हुई थी। रीको के आउटवर्ड रजिस्टर में बैंक ऑफ बड़ोदा चांदपोल शाखा को पत्र लिखा होने की प्रविष्टि नहीं थी। वहीं, संविधान परिवर्तन संबंधी पत्र के आउटवर्ड नम्बर किसी अन्य फर्म को प्रेषित पत्र के निकले थे।जिससे स्पष्ट हो गया था कि आरोपियों ने रीको का फर्जी लेटर हेड बनाकर फर्जी हस्ताक्षर कर कूटरचित एनओसी व संविधान परिवर्तन संबंधी आदेश जारी कर बैंक में पेश किया था।
भूखण्ड की पत्रावली भी रीको से गायब
सीबीआइ से दो पत्र मिलने के बाद रीको के अधिकारी ने कार्यालय लिपिक से भूखण्ड आवंटन संबंधी पत्रावली मंगवाई थी, लेकिन कार्यालय से पत्रावली भी गायब थी। जो किसी के चोरी करने का अंदेशा जताया गया है।