>>: चार साल बाद भी विधायकों के प्रश्नों के जवाब नहीं दे पाई सरकार

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नागौर. विधानसभा में प्रत्येक सत्र में एक विधायक को 100 सवाल पूछने का अधिकार है, हालांकि ज्यादातर विधायक 100 का आंकड़ा नहीं छू पाते हैं, इसके बावजूद विधायकों की ओर से लगाए लाने वाले प्रश्नों के जवाब सरकार चार साल बाद भी नहीं दे पाई है। कुछ प्रश्न तो बहुत सामान्य हैं, लेकिन अधिकारियों में शासन का भय नहीं होने से विधायकों के सैकड़ों प्रश्न आज भी अनुत्तरित है। कई विधायक तो विधायक खुद लगाकर भूल गए, इसलिए उन्होंने इस मुद्दे को विधानसभा में नहीं उठाया है।

विधानसभा में लगाए गए प्रश्नों के जवाब देने में राज्य सरकार पूरी तरह लापरवाह नजर आई है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 15वीं विधानसभा के प्रथम सत्र में 200 विधायकों ने मात्र 1466 सवाल लगाए और उनमें से 21 प्रश्न चार साल बाद भी अनुत्तरित है, यानी 1445 के ही जवाब दिए गए। इसी प्रकार आठवें सत्र में विधायकों ने कुल 8038 प्रश्न लगाए गए, जिनमें से 6490 प्रश्न आज भी अनुत्तरित है, जबकि 1548 प्रश्नों के ही जवाब दिए गए। यानी 80 प्रतिशत से अधिक सवाल अनुत्तरित है।


यह है 15वीं विधानसभा के सवालों की स्थिति
सत्र - कुल लगाए गए प्रश्न - उत्तरित - अनुत्तरित
पहला - 1466 - 1445 - 21
दूसरा - 7118 - 6820 - 298
तीसरा - 35 - 32 - 3
चौथा - 7130 - 6854 - 276
पांचवां - 1510 - 1405 - 105
छठा - 8479 - 7823 - 656
सातवां - 8364 - 7154 - 1210
आठवां - 8038 - 1548 - 6490


समय पर नहीं मिलते जवाब
एक ओर जहां विधायक के प्रश्नों का जवाब तीन-चार साल बाद भी नहीं दिया गया है, वहीं दूसरी ओर जिन सवालों के जवाब दिए जाते हैं, उनके भी एक या दो साल बाद विधानसभा की वेबसाइट पर अपलोड किए जाते हैं, तब तक कई प्रश्नों का औचित्य ही समाप्त हो जाता है। जो प्रश्न विधानसभा सत्र की चर्चा में शामिल हो जाता है, उनके जवाब मिल जाते हैं, शेष के छह महीने से एक साल बाद तक जवाब देते हैं या फिर देते ही नहीं हैं। ऐसे में विधायकों के विशेषाधिकार का हनन हो रहा है। साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से लाए गए लोक सेवाओं की गांरटी अधिनियम की भी धज्जियां उड़ रही हैं।

बड़े लोगों को बचाने में रहते हैं अधिकारी
विधानसभा में लगाए गए प्रश्नों का जवाब समय पर नहीं मिलता है, जिसके कारण सवालों का औचित्य ही खत्म हो जाता है। मैंने विधानसभा के तीसरे सत्र में अंगोर भूमि पर पेट्रेाल पंप की लीज देने व उसका नवीनीकरण करने से सम्बन्धित सवाल लगाया था, जिसका जवाब आज तक नहीं आया। अधिकारी बड़े लोगों को बचाने की फिराक में रहते हैं, जबकि गरीब लोगों के मकान आदि कोर्ट का हवाला देकर तोड़ देते हैं।
- नारायण बेनीवाल, विधायक, खींवसर

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