>>: प्रोपर्टी में इन्वेस्ट : गुरुग्राम, बेंगलुरु, जयपुर से आगे निकला अलवर

>>

Patrika - A Hindi news portal brings latest news, headlines in hindi from India, world, business, politics, sports and entertainment!

अलवर. गुरुग्राम, बेंगलुरु, जयपुर, पुणे, अहमदाबाद आदि विकसित शहरों में आते हैं। इन जगहों पर सालाना प्रोपर्टी के रेट अधिकतम 13 फीसदी तक पहुंचे हैं लेकिन अलवर में प्रोपर्टी की ग्रोथ रेट इन शहरों से दोगुनी पहुंच गई है। यहां प्रोपर्टी की दरें 25 फीसदी तक पहुंच गई हैं। इसका बड़ा कारण ये है कि लोग ब्याज पर रकम देने या बैंकों में जमा कराने की बजाय प्रोपर्टी में इन्वेस्ट कर रहे हैं। तीन साल में ही उनकी यह रकम लगभग दोगुनी हो रही है।

प्रोपर्टी दरों की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक गुरुग्राम में सालाना दरें 13 फीसदी तक बढ़ी हैं। इसी तरह बेंगलुरु में 10, जयपुर में 9, अहमदाबाद में 8 पुणे में 7 फीसदी रेट बढ़े हैं। वहीं अलवर में यह आंकड़ा 25 फीसदी तक पहुंचा है। रजिस्ट्री विभाग के आंकड़ों को देखें तो वर्ष 2020 में हर माह 550 से 650 तक रजिस्टि्रयां होती थीं लेकिन अब ढाई साल बाद इनकी संख्या बढ़कर 1200 तक पहुंच गई है जबकि जयपुर की अपेक्षा यहां डीएलसी दरें अधिक हैं। हालांकि जयपुर में बड़ी संख्या में रजिस्ट्री होती हैं।
इस तरह समझें प्रोपर्टी में बूम
कोरोना काल में तमाम कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम कर दिया। अलवर एनईबी के रहने वाले इंजीनियर अभिषेक अग्रवाल भी घर आ गए। यहां आने के बाद घर लेने की इच्छा जाहिर हुई। उन्होंने यहां तैनात अधिकारी जीजा को बताया तो वह जमीनों के रेट लेने पहुंचे। वर्ष 2020 में अंबेडकर नगर पहुंचे। उस समय यहां प्रति वर्ग मीटर जमीन की कीमत 14 हजार थी। अब इसके रेट 35 हजार तक पहुंच गए हैं। इसी तरह शालीमार, विज्ञान नगर, दिल्ली रोड, बहरोड़ मार्ग, तिजारा मार्ग की जमीन का मूल्य 12 हजार रुपए प्रति वर्ग मीटर था पर आज यहां 25 हजार से ज्यादा कीमत हो गई। अन्य क्षेत्रों में प्रोपर्टी के रेट में बड़ा उछाल देखने को आया है।

सरकार हर साल अधिकतम 10 फीसदी बढ़ाती है कीमत

प्रदेश सरकार हर साल डीएलसी की दरें 10 फीसदी तक बढ़ाती है लेकिन वास्तविक मूल्य जमीन का अलग है। वर्ष 2020 के बाद अलग से डीएलसी को लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ लेकिन सरकार ने मौखिक रूप से डीएलसी की दरें पांच फीसदी तक बढ़ाई थीं। अब नई दरें घोषित होना बाकी है लेकिन यह दरें अब जोन रूप में जारी होंगी।

यूआईटी के भूखंड बिक्री में आया उछाल
नगर विकास न्यास (यूआईटी) ने अपनी आवासीय कॉलोनियों में भूखंड बिक्री के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे थे। अंबेडकर नगर में ही एफ टाइप के आवास की बोली 35 हजार रखी थी। यह जमीन करीब 40 हजार रुपए प्रति वर्ग मीटर में बिकी। यानी सरकारी दरों से भी ज्यादा मूल्य में लोग जमीन खरीदने को तैयार हैं। सूर्य नगर में 30 हजार रुपए प्रति वर्ग मीटर की जमीन 46 हजार रुपए तक बिक्री की गई। बुद्धविहार में भी लोग भूखंड खरीद रहे हैं। ये इलाके लोगों के लिए अच्छे भी माने जा रहे हैं। यही कारण है कि यूआईटी ने अप्रेल में शुरू की भूखंडो की बिक्री से करीब 24 करोड़ रुपए कमाए। यानी खजाने में आए। रियल एस्टेट में भी जमीनों के मूल्य यही हैं। आवास बनाकर जो दिए जा रहे हैं वहां के रेट अलग हैं।

यहां चार ऐसे अपार्टमेंट जहां रहता कोई नहीं पर बिक सब गए
शहर के चारों ओर प्रमुख मार्गों पर 30 से ज्यादा अपार्टमेंट बने हैं। इनमें चार ऐसे बड़े अपार्टमेंट हैं जो छह से आठ मंजिला है जो खाली पड़े हैं। धूल चढ़ रही है। देखने में लग रहा है कि बिक्री नहीं हुई होगी लेकिन सब फ्लैट बिक चुके हैं। रियल एस्टेट एक्सपर्ट राजीव सारंग के मुताबिक लोगों ने यह इन्वेस्ट का तरीका निकाला है। रहना नहीं है लेकिन पैसे का सदुपयोग किया है जो तीन से पांच साल में यह कई गुना मुनाफा देगा। हालांकि कुछ अपार्टमेंट यहां खाली भी हैं। वहीं यूआईटी की स्कीमों में अधिकांश लोग रहने के उद्देश्य से प्लाट खरीदे हैं। इसी के चलते तेजी से इन स्कीमों में बसावट हो रही है।

जमीनों के रेट में सालाना 25 फीसदी तक उछाल आया है। रजिस्टि्रयों की संख्या में भी काफी बढ़ोत्तरी हुई है। यानी लोग जमीन काफी खरीद रहे हैं। अब प्रोपर्टी घाटे का सौदा नहीं है।
- अनिल गोयल, सब रजिस्ट्रार, द्वितीय, पंजीयन विभाग

यूआईटी की स्कीमों में प्लाट लेने वाले लोगों की संख्या में इजाफा हो रहा है। अप्रेल माह में भूखंड बिक्री के लिए आवेदन मांगे गए थे। काफी प्लांटों की बिक्री हुई है। आगे भी यह क्रम जारी रहेगा। लोगों के लिए यह क्षेत्र सुरक्षित हैं और भविष्य की जरूरतों को पूरा करेंगे। हम जल्द ही स्कीमों को पूरा करके अन्य स्कीमें भी शुरू करेंगे।
- अशोक कुमार योगी, सचिव यूआईटी

You received this email because you set up a subscription at Feedrabbit. This email was sent to you at rajisthanews12@gmail.com. Unsubscribe or change your subscription.