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Table of Contents

जायल. नागौर जिले के बड़ी खाटू थाना क्षेत्र के ऊंचाईड़ा ग्राम की एक रहवासी ढाणी में रविवार को एक युवती की अज्ञात व्यक्ति ने चाकू जैसे नुकीले हथियार से वार कर निर्मम हत्या कर दी। घटना के दौरान युवती के सभी परिजन बाहर गए हुए थे। युवती घर में अकेली थी। दोपहर में करीब एक बजे मृतका का छोटा भाई ढाणी पहुंचा तो कमरे में बहन का लहूलुहान शव पड़ा देखकर परिजनों को सूचना दी।

जायल पुलिस उप अधीक्षक सुनील कुमार झाझड़िया ने बताया कि ऊंचाईड़ा निवासी उम्मेदसिंह राजपूत की पुत्री मनीषा (18) की हत्या की सूचना मिलते ही बड़ीखाटू थाना पुलिस व एफएसएल की टीम मौके पर पहुंची। युवती के गले पर चाकू जैसे नुकीले हथियार से वार करने के निशान बने हुए थे। पुलिस ने मौका मुआयना करने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए जायल उप जिला चिकित्सालय की मोर्चरी में रखवाया। जानकारी मिलने पर डीडवाना के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विमलसिंह नेहरा, बड़ी खाटू थानाधिकारी गणेश मीणा, जायल सीआई हरीश सांखला, सुरपालिया थानाधिकारी सोहनसिंह मय जाब्ते के मौके पर पहुंचे।

अज्ञात के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज

मृतका के भाई देवेन्द्र सिंह ने बड़ीखाटू थाने में रिपोर्ट देकर बताया कि जायल रोड स्थित खेत में उनकी ढ़ाणी है। वह खुद किशनगढ़ व पिता बड़ीखाटू में काम करते हैं। उसकी माता रविवार सुबह पडौसी गांव में शादी समारोह में गई हुई थी। छोटा भाई विकास सिंह भी गांव गया हुआ था। दोपहर एक बजे जब विकास घर पहुंचा तो कमरे में बहन मनीषा का खून से लथपथ शव देखा। उसने तत्काल घटना की जानकारी हमें दी। जानकारी मिलते ही परिजन व ग्रामीण घटनास्थल पर पहुंचे। मृतका के भाई की रिपोर्ट पर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू की है।
मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम की मांग

युवती की हत्या की जानकारी मिलते ही बड़ी संख्या में परिजन, ग्रामीण व राजपूत समाज के प्रतिनिधि जायल चिकित्सालय पहुंच गए। परिजनों ने नागौर अस्पताल के मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम कराने व हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग की। परिजनों मांग पूरी नहीं होने तक शव लेने से इनकार कर दिया। देर शाम अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नेहरा के साथ वार्ता के बाद सोमवार सुबह मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम पर सहमति बनी। एएसपी नेहरा ने बताया कि अज्ञात के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। एफएसएल सहित पुलिस जांच में जुट गई है। पोस्टमार्टम की कारवाई के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

नागौर. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बीमा कम्पनी, किसानों को क्लेम देने में जमकर मनमर्जी कर रही है। सरकारी अधिकारी नियमों एवं शर्तों के पुलिंदे पर हस्ताक्षर करने के बाद अपने आप को जिम्मेदारी से मुक्त मान रहे हैं, कम्पनी बीमा नियमों एवं शर्तों की पालना करती है या नहीं, इससे उन्हें कोई सरोकार नहीं है। यही वजह है कि अधिसूचना व फसल खराबे का सर्वे करने के बावजूद बीमा कम्पनी पूरा क्लेम नहीं दे रही है। ऐसे में किसान अपने आप को ठगा-सा महसूस कर रहे हैं।

मोटे आकलन के अनुसार जब से प्रधानमंत्री बीमा योजना लागू हुई है, तब से अब तक अलग-अलग बीमा कम्पनियों ने पिछले छह साल में प्रीमियम के नाम पर किसानों व सरकार से करीब 1800 करोड़ रुपए वसूल किए हैं, जबकि हर बार फसल खराबा होने के बावजूद कम्पनियों ने किसानों को करीब 800 करोड रुपए का क्लेम दिया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस प्रकार बीमा कम्पनियां अपना खजाना भरने में लगी हुई है। खरीफ-2021 में किसानों की जागरुकता के चलते बेमौसम बारिश से फसल खराबा होने पर रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कम्पनी ने 2 लाख 60 हजार किसानों को करीब 250 करोड़ रुपए का क्लेम जारी किया, जो प्रीमियम राशि से मात्र चार करोड़ कम रहा। अगले ही साल बीमा कम्पनी ने नई चाल चलते हुए यूपी-बिहार के अप्रशिक्षित लड़कों को सर्वे में लगा दिया और सोची समझी योजना के तहत किसानों के फसल खराब होने के बावजूद सर्वे करते समय किसानों से खाली फार्म पर हस्ताक्षर करवाने शुरू कर दिए। अमरपुरा में जागरूक किसानों ने इस षड़यंत्र को पकड़ा तो कम्पनी प्रतिनिधियों ने लिखित में गलती स्वीकार करते हुए दूसरे सर्वे फार्म भरने की बात कही, लेकिन किसानों को खरीफ 2022 का क्लेम पूरा नहीं मिल रहा है। कम्पनी की बेईमानी का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि कम्पनी ने प्रीमियम के रूप में कुल 282.77 करोड़ रुपए वसूल किए, लेकिन किसानों को अब तक मात्र 84.70 करोड़ रुपए ही क्लेम दिया है। जबकि सितम्बर व अक्टूबर 2022 में बेमौसम बारिश ने किसानों की फसलों को तबाह कर दिया था।

संयुक्त निदेशक ने दिए जांच के आदेश

राजस्थान पत्रिका के 4 मई के अंक में 'बीमा कम्पनी नियमों को ताक पर रखकर किसानों से कर रही छल' शीर्षक से प्रकाशित समाचार के बाद कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक शंकरराम बेड़ा ने सहायक निदेशक शंकरराम सियाक की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी गठित की है । कमेटी में कृषि अनुसंधान अधिकारी रणजीत सिंह व श्योपालराम जाट सदस्य होंगे। कमेटी को कम्पनी की ओर से किसानों के साथ किए जा रहे छल की जांच करके रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि पत्रिका ने समाचार के माध्यम से बताया कि बीमा कम्पनी न तो समय पर बीमा पॉलिसियों का अनुमोदन करती है और न ही अनुमोदन करने के बाद किसानों को पॉलिसी का वितरण किया जाता है। पॉलिसी नहीं मिलने से किसान क्लेम नहीं मिलने पर भी न्यायिक कार्रवाई नहीं कर पाते हैं।

यह लाभ नहीं, लूट है...

सांख्यिकी, राजस्व और कृषि विभाग के जिम्मेदार मिलकर फसल बीमा कंपनी के लिए आंकड़ों से छेड़छाड़ कर रहे हैं. यदि किसी एक साल के आंकड़े भी निकालकर निष्पक्ष समिति से प्रमाणित करवाए जाएं तो इनकी पोल खुल जाएगी। बीमा कम्पनियों ने नागौर में पिछले छह साल में एक हजार करोड़ रुपए केवल आंकड़ों की हेराफेरी से कमाए हैं। यह लाभ नहीं लूट है, लाभ 10 या 20 प्रतिशत का हुआ करता है। जनप्रतिनिधियों की खामोशी और किसानों की जागरूकता में कमी का बेजा फायदा पूरे हिन्दुस्तान में उठाया गया है। देश में इस तरह से लगभग 40 हजार करोड़ रुपए की कमाई इन कंपनियों ने पिछले छह साल में की है। ऐसा धंधा दुनिया में कोई नहीं है, जिसमें घर से एक रुपया लगाए बगैर इतना पैसा हजम किया जा सके। हम इस लूट को रोकने में कुछ कामयाब हुए हैं, अब आन्दोलन तेज करेंगे।

- डॉ. अशोक चौधरी, पूर्व आईपीएस, मेड़तासिटी।

नागौर. कोतवाली थाना पुलिस ने कार्रवाई करते हुए एक आरोपी को डोडा-पोस्त व अफीम का परिवहन करते गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपी के कब्जे से इलेक्ट्रोनिक कांटा व बिना नम्बरी कार भी जब्त की है।

जानकारी के अनुसार एसपी राममूर्ति जोशी के निर्देशन में व एएसपी राजेश मीना, डीएसपी हिम्मतसिंह चारण व कोतवाली सीआई नरेन्द्र जाखड़ के निकटतम सुपरविजन में कोतवाली थाने के एसआई सुखराम ने टीम के साथ नागौर में अवैध मादक पदार्थों की रोकथाम के लिए प्रभावी कार्रवाई की गई। टीम ने शहर के शीतला माता मंदिर के पीछे कार्रवाई करते हुए सिणोद निवासी जितेन्द्रसिंह पुत्र अमराराम जाट को 28 किलो अवैध मादक पदार्थ डोडा पोस्त व 607 ग्राम अफीम, एक इलेक्ट्रॉनिक कांटा व परिवहन में काम ली जा रही बिना नम्बरी कार जब्त कर गिरफ्तार किया। आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू की है। इस कार्रवाई में डीएसटी टीम का विशेष योगदान रहा।

रास्ता रोककर मारपीट करने का मामला दर्ज
नागौर. जिले के श्रीबालाजी थाने में नया गांव निवासी एक व्यक्ति ने रिपोर्ट देकर तीन अज्ञात लोगों के खिलाफ रास्ता रोककर मारपीट करने का मामला दर्ज कराया है।

जानकारी के अनुसार अलाय के नया गांव निवासी निम्बाराम भादु ने बताया कि वह अपने पुत्र सत्यनारायण के साथ शुक्रवार को खेत से अपने रिश्तेदार के यहां जागरण में भाग लेने जा रहे थे। तभी रास्ते में गाडी लेकर खड़े तीन युवकों ने उन्हें रुकने का ईशारा किया तो वे रुके। तीनों युवक शराब के नशे में थे तथा रुकते ही उन्हें गाली-गलौच करने लगे। परिवादी ने बताया कि जब युवकों से कहा कि गाली क्यों दे रहे हो, तो उन्होंने मारपीट शुरू कर दी। एक जने ने उसके सिर पर शराब की बोतल फोड़ डाली, जिससे उसकी हालत बहुत गंभीर हो गई थी। आरोपियों ने मारपीट की तो उसके गले में पहनी हुई चेन भी टूटकर गिर गई, जो वापस नहीं मिली। शोर मचाने पर पीछे आ रहे उसके काका का लडका ओमप्रकाश व भान्जा सुरेश दौडकर आए, तब आरोपी गाड़ी लेकर भाग गए। पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू की है।

जायल. नागौर जिले के बड़ी खाटू थाना क्षेत्र के ऊंचाईड़ा ग्राम की एक रहवासी ढाणी में रविवार को एक युवती की अज्ञात व्यक्ति ने चाकू जैसे नुकीले हथियार से वार कर निर्मम हत्या कर दी। घटना के दौरान युवती के सभी परिजन बाहर गए हुए थे। युवती घर में अकेली थी। दोपहर में करीब एक बजे मृतका का छोटा भाई ढाणी पहुंचा तो कमरे में बहन का लहूलुहान शव पड़ा देखकर परिजनों को सूचना दी।

 

जायल पुलिस उप अधीक्षक सुनील कुमार झाझड़िया ने बताया कि ऊंचाईड़ा निवासी उम्मेदसिंह राजपूत की पुत्री मनीषा (18) की हत्या की सूचना मिलते ही बड़ीखाटू थाना पुलिस व एफएसएल की टीम मौके पर पहुंची। युवती के गले पर चाकू जैसे नुकीले हथियार से वार करने के निशान बने हुए थे। पुलिस ने मौका मुआयना करने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए जायल उप जिला चिकित्सालय की मोर्चरी में रखवाया। जानकारी मिलने पर डीडवाना के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विमलसिंह नेहरा, बड़ी खाटू थानाधिकारी गणेश मीणा, जायल सीआई हरीश सांखला, सुरपालिया थानाधिकारी सोहनसिंह मय जाब्ते के मौके पर पहुंचे।

युवती की हत्या की जानकारी मिलते ही बड़ी संख्या में परिजन, ग्रामीण व राजपूत समाज के प्रतिनिधि जायल चिकित्सालय पहुंच गए। परिजनों ने नागौर अस्पताल के मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम कराने व हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग की। परिजनों मांग पूरी नहीं होने तक शव लेने से इनकार कर दिया। देर शाम अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नेहरा के साथ वार्ता के बाद सोमवार सुबह मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम पर सहमति बनी। एएसपी नेहरा ने बताया कि अज्ञात के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। एफएसएल सहित पुलिस जांच में जुट गई है। पोस्टमार्टम की कारवाई के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

 

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अज्ञात के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज
मृतका के भाई देवेन्द्र सिंह ने बड़ीखाटू थाने में रिपोर्ट देकर बताया कि जायल रोड स्थित खेत में उनकी ढ़ाणी है। वह खुद किशनगढ़ व पिता बड़ीखाटू में काम करते हैं। उसकी माता रविवार सुबह पडौसी गांव में शादी समारोह में गई हुई थी। छोटा भाई विकास सिंह भी गांव गया हुआ था। दोपहर एक बजे जब विकास घर पहुंचा तो कमरे में बहन मनीषा का खून से लथपथ शव देखा। उसने तत्काल घटना की जानकारी हमें दी। जानकारी मिलते ही परिजन व ग्रामीण घटनास्थल पर पहुंचे। मृतका के भाई की रिपोर्ट पर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू की है।

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नागौर . रेतीले धोरों में बीते तीन-चार सालों में ऊंट एक दुधारू जानवर के विकल्प के तौर पर सामने आया है। पशुपालक ऊंटनी के दूध को बेचकर आमदनी प्राप्त कर रहे हैं। दूध की बिक्री होने से पशुपालकों को ऊंट पालन के संरक्षण में अपेक्षित मदद मिल रही है। पशुपालकों के लिए यह सतत आजीविका का बेहतर व्यवसाय बना है।


200 ऊंट रखने वाले पशुपालक राजूराम व मोतीराम रेबारी बताते है कि ऊंटनी के दूध की बिक्री होने से ऊंट पालन एवं संरक्षण में काफी मदद मिली है। आमदनी प्राप्त होने से घर-परिवार का गुजारा इसी से चल रहा है। साल 2017 में राष्ट्रीय ऊष्ट्र अनुसंधान केन्द्र बीकानेर और भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण की गहरी जांच पड़ताल के बाद ऊंटनी के दूध को हृाूमन मिल्क के रूप में शामिल किया गया। जिसके बाद ऊंटनी के दूध के विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के बारे में जागरूकता में वृद्धि हुई। दूध की बिक्री होने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिला है और पारंपरिक ऊंट चरवाहों की आजीविका बढ़ी है। राइका समुदाय जिसका जीवन यापन का प्राथमिक स्रोत उनके मवेशियों, मुख्य रूप से ऊंट, भेड़-बकरी पर निर्भर है। समुदाय मवेशियों के साथ-साथ उन जंगलों के साथ सहजीवी संबंध साझा करते है जिन पर दोनों निर्भर है। चौमू, समोद, दौसा, अलवर, उदयपुर, राजसमंद, अजमेर की पहाड़ियों में जंगलों के साथ उनकी सह-निर्भरता हमेशा बड़े पारिस्थितिकी तंत्र को लाभ पहुंचाने के लिए निहीत रही है।


कृषि विज्ञान केन्द्र पोकरण के पशु वैज्ञानिक डॉ. रामनिवास ढाका बताते है कि ऊंटनी का दूध सेहत का खजाना है। इसके दूध में प्रोटिन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेड, फाइबर, लैक्टिक अम्ल, विटामिन-ए, ई, बी-2 और सी प्रचूर मात्रा में होते है। ऊंटनी का दूध एक मां के दूध जितना पौष्टिक होता है। इसमें वे सभी तत्व पाए जाते हैं जो एक मां के दूध में होते हैं और जो एक बच्चे के लिए जरूरी होते हैं। इसके दूध में केसीन और आयरन भी प्रचूर मात्रा में होते है। विटामिन सी की मात्रा अन्य दूध के मुकाबले चार गुना अधिक होती है।

40 से 60 रुपए मिल रहे भाव
राजूराम व मोतीराम रेबारी ने बताया कि बगरू डेयरी में ऊंटनी का दूध 60 रुपए प्रति लीटर बिकता है, वही चौसला में प्रति लीटर 40 रुपए मिलते है। उन्होंने बताया कि हमें भ्रमण के दौरान चरागाह के नजदीक जो भी डेयरी पड़ती है वहां दूध बेच देते है। हालांकि सभी जगह एक भाव नहीं मिलते। ऊंट पालकों ने सरकार से सभी डेयरियों पर ऊंटनी के दूध के वाजिब दाम रखने की मांग की है।

इन रोगों में रामबाण इलाज
डॉ. रामनिवास ने बताया कि वैज्ञानिक अनुसंधानों से पता चला है कि ऊंटनी के दूध में न केवल भरपूर पौषक तत्व, बल्कि उच्च कोटि के एंटीओक्सिडेटस भी पाए जाते है, इसका उपयोग पीलिया, बवासीर, टीबी, हृदय रोग, उच्च रक्त चाप, एलर्जी जैसे रोगों के उपचार में भी किया जाता है। ये मेमोरी पॉवर को बढ़ाने के साथ, शरीर को स्वस्थ रखने में भी मदद करता है। ऊंटनी के दूध में 2 से 3.5 प्रतिशत वसा, 3.1 प्रतिशत प्रोटीन, 4.5 प्रतिशत लेक्टोज व 11 प्रतिशत कुल ठोस पदार्थ पाए जाते है। ऊंटनी का दूध जल्दी से खराब भी नहीं होता है।

ऊंटनी के दूध की बर्फी, गुलाब जामुन और चॉकलेट
ऊंटनी के दूध से सुंगधित दूध, चाय, कॉफी एवं कुल्‍फी तैयार कर उनकी बिक्री की जा रही हैं। खास बात ये हैं कि इन उत्पादों की मांग भी तेजी से बढ़ रही है। डॉ. रामनिवास ने बताया कि अब तो ऊंटनी के दूध से पेड़ा, बर्फी, गुलाबजामुन और चॉकलेट भी तैयार की जा रही है। दूध से पनीर, मक्खन और घी भी निकाला जा रहा है, जो स्वादिष्ट व सुपाचलक है।

10 लीटर दूध से 800 ग्राम चीज उत्पादित
डाॅ. रामनिवास बताते है कि 100 लीटर दुग्ध से 8 किलो सूखा पाउडर बनाया जा सकता है, जो एक साल तक खराब नहीं होता है और पशुपालक 10 लीटर दूध से 800 ग्राम चीज बना सकते है, जिसे महंगे दामों में बाजार में बेचा जा सकता है। पशुपालकों को ध्यान रखाना चाहिए की ऊंटनी के दूध से दही नहीं बनता है, इसलिए इसके दूध और दूध उत्पाद ही बनाए जा सकते है।

इसलिए बढ़ रही ऊंट के दूध की डिमांड
रिसर्च से पता चला है कि ऊंट के दूध में गाय के दूध के मुकाबले कम फैटी एसिड, कोलेस्ट्रॉल और शर्करा पाया जाता है। इसमें ओमेगा-3, मैग्नीशियम, जस्ता और आयरन समेत कई खनिज तत्वों के साथ विटामिन सी, बी-2, ए और ई भी पाए जाते हैं। एक दिन में ऊंटनी 7 से 8 लीटर दूध देती है। ऊंट पालन का चलन काफी कम है और बाजार में दूध की मांग काफी ज्यादा है।

-सीवरेज के जमा हुए पानी के रिसकर अंदर धरती में जाने से स्थिति बिगड़ी
-बालवा रोड स्थित पालीटेक्निक कॉलेज के सामने कई दिनों से सीवरेज का जमा पानी बना पर्यावरण के लिए खतरा


नागौर. शहर के बालवा रोड पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के चेंबर्स से लीकेज हुए पानी का तालाब बन गया है। पिछले कई दिनों से जमा हुआ पानी अब न केवल जमीन से रिसकर धरती के अंदर भूजल के साथ पूरी जमीन को जहरीला बनाने में लगा हुआ है, बल्कि इसकी दुर्गन्ध के साथ निकल रही जहरीली गैस पूरे पर्यावरण को निगलने में लगी हुई है। जमाव हुए पानी को नहीं हटाए जाने के कारण पर्यावरण के साथ ही आसपास के भवनों की बुनियाद पर भी यह खतरा बन गया है। उल्लेखनीय है कि सीवरेज चेंबर्स से लीकेज हुए गंदे पानी के जमाव का मुद्दा राजस्थान पत्रिका की ओर से उठाया गया था। इसके बाद सीवरेज चेंबर्स का लीकेज तो दुरुस्त कर दिया गया, लेकिन वहां पर जमा हुए पानी की समस्या का समाधान नहीं किया गया। इसकी वजह से स्थिति विकट होने लगी है।
पालीटेक्निक कॉलेज के सामने स्थित बालवा रोड पर पिछले कई दिनों से जमा सीवरेज का पानी पर्यावरण के लिए खतरा बनता जा रहा है। करीब बीस मीटर से भी ज्यादा जमीन के हिस्से पर फैला यह गंदा दूषित जल रिसकर जमीन के अंदर जाने लगा है। विशेषज्ञों की माने तो इसका जल्द निस्तारण नहीं किया गया तो अंदर जा रहा यह जल नीचे के भूजल को बेकार करने के साथ ही अपने आसपास के भूजल को भी प्रभावित कर सकता है। इसकी वजह से इस क्षेत्र की पर्यावरणीय स्थिति अब बिगड़ती नजर आने लगी है। इसके अंदर जमा हुई गंदगी भी पानी के साथ मिलकर पूरे वातावरण को प्रदूषित कर रही है।
ऐेसे में इसका समाधान नहीं किए जाने पर स्थिति विकट हो सकती है।


बेपरवाही से बिगड़ी स्थिति
गंदा पानी सीवरेज के जरिये इसके ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचता है। कुछ अर्सा पहले बालवा रोड सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के रास्ते सीवरेज चेंबर्स का पानी लीकेज होने के कारण वहां खाली जमीन पर फैलने लगा। स्थानीय बाशिंदों की माने तो इसकी जानकारी उन लोगों की ओर से ट्रीटमेंट प्लांट के जिम्मेदारों को दी गई थी। इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया गया। इसके चलते जमीन के काफी बड़े हिस्से पर यह पानी फैल गया। बताते हैं कि इसके पानी के कारण आसपास स्थित सरकारी प्रतिष्ठानों के भवनों की नींव के अंदर पहुंचकर दीवारों को खोखली करने लगा। यहां पर स्थित अल्पसंख्य छात्रावास की दीवारों में जहां दरारें आ गई थी, वहीं निकट के अन्य भवनों की दीवारें भी गीली रहने लगी है।


बेहद खतरनाक होता है यह सीवरेज का पानी
बताते हैं कि इस प्रकार झाग से भरपूर, मिश्रित, काले, भूरे रंग का जल जो सिंक, शौचालय, लॉन्ड्री आदि से नालियों में जाता है। अपशिष्ट जल बेहद खतरनाक होता है। जमीन के अंदर जाने या फिर इसका जमाव होना भी पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा बन जाता है। ऐसे पानी का पीने के पानी की तुलना में तापमान थोड़ा अधिक होता है। ताजा सीवेज का रंग थोड़ा ग्रे होता है, जबकि पुराना सीवेज गहरे भूरे या काले रंग का होता है। ताजा सीवेज की गंध "तैलीय" और अपेक्षाकृत अप्रिय है, जबकि पुराने सीवेज में हाइड्रोजन सल्फाइड गैस और अन्य अपघटन उप-उत्पादों के कारण एक अप्रिय दुर्गंध होती है। यह प्रत्येक प्रकार से जहरीली होती है।


इनका कहना है...
सीवरेज के चेंबर्स के लीकेज को तो सही करा दिया गया है। इस संबंध में अब तक किसी ने शिकायत तो नहीं की है। फिर भी इसे देखवा लेता हूं।
देवीलाल बोचल्या, आयुक्त नगरपरिषद नागौर

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