नौ माह पूर्व बारिश के दौरान नया दरवाजे का एक हिस्सा भरभराकर गिर गया था
-नगरपरिषद की ओर से याद दिलाए जाने के बाद भी पुरातत्व विभाग ने नहीं ली नया दरवाजा की सुध
गत जुलाई माह में बारिश के दौरान ऐतिहासिक नया दरवाजा का एक हिस्सा भरभराकर गिर गया था
-नया दरवाजे का नहीं हुआ जीर्णोद्धार तो खत्म हो जाएगा इसका इतिहास
नागौर. शहर के ऐतिहासिक नया दरवाजे के इतिहास पर अब संकट उत्पन्न हो गया है। करीब नौ माह पूर्व बारिश के दौरान गिरे दरवाजे के एक हिस्से की अब तक मरम्मत पुरातत्व विभाग की ओर से नहीं कराई जा सकी। हालांकि इस संबंध में नगरपरिषद की ओर से पुरातत्व विभाग को पूर्व में पत्र प्रेषित कर इससे अवगत कराया जा चुका है। इसके बाद भी अब तक जस का तस की स्थिति पड़े मलबे के साथ गिरा दरवाजे का एक हिस्सा अपने ऐतिहासिक अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है। दरवाजे का पुरातात्विक तरीके से जीर्णोद्धार नहीं कराए जाने की स्थिति में नया दरवाजे का पूरा इतिहास ही समाप्त होने का संकट अब उत्पन्न हो गया है। हालांकि परिषद के अधिकारियों ने आश्वस्त किया कि पुरातत्व विभाग की ओर से सहयोग नहीं मिलने की स्थिति में परिषद ही अब इसका इसके मूल स्वरूप के साथ जीर्णोद्धार कराएगा।
नौ माह पूर्व गिरे नया दरवाजा के एक हिस्से की मरम्मत अब तक नहीं कराई जा सकी। रखरखाव के अभाव में दरारें और गहरी होने के साथ ही स्थिति विकट होने लगी है। स्थिति यह है कि गिरे हुए हिस्से का मलबा भी अभी तक वहीं जैसे का तैसे पड़ा हुआ है। शहर के हनुमान मंदिर के पास स्थित ऐतिहासिक नया दरवाजा के दायीं ओर का हिस्सा गत 21 जुलाई को सुबह करीब 11 बजे तेज बारिश के दौरान भरभराकर गिर गया था। तभी से इस ऐतिहासिक दरवाजे का पूरा मलबा वही पर पड़ा हुआ है। बाद में नगरपरिषद की ओर से एहतियातन गिरे मलबे को घेरते हुए बेरिकेड्स लगा दिए के पश्चात जल्द मरम्मत किए जाने का एक आग्रह पत्र भी पुरातत्व विभाग को भेजवाए जाने के बाद भी इस संबंध में कुछ नहीं हुआ। नतीजतन दरवाजे दरवाजे का इतिहास अपने मलबा के साथ गौरवमय अतीत को दर्शाता हुआ खुद-ब-खुद विभाग के जिम्मेदारों की कार्यशैली की पोल खोलता हुआ नजर आ रहा है।
मरम्मत नहीं होने व मलबा पड़े रहने से संकरी हुई सडक़
शहर के ऐतिहासिक नया दरवाजा के रास्ते एक रोड शारदापुरम, दरगाह होते हुए बस स्टैंड एवं बंशीवाला होते हुए गांधी चौक तक का रास्ता यहां से जाता है। इससे यहां पर ट्रेफिक का काफी दबाव रहता है। देर रात्रि तक यहां पर आवागमन जारी रहता है। यही नहीं, बल्कि गेट से सटा हुआ लघुशंका केन्द्र भी बना हुआ है। यहां पर आसपास के दुकानदार एवं राह गुजरते लोग जाते रहतेे हैं। स्थिति यह है कि रखरखाव के अभाव में गेट की हालत और ज्यादा खराब होती चली जा रही है।ऐसे में गेट की हालत जीर्ण-शीर्ण होने के साथ ही अब लोगों को अनहोनी की आशंका भी सताने लगी है। बताया जाता है कि इस संबंध में यहां के लोगों की ओर से नगरपरिषद को कई बार ज्ञापन आदि दिए गए। इसके बाद भी लोगों की समस्याओं का हल नहीं हुआ।
दरवाजा की मरम्मत कभी हुई या नहीं...!
जीर्ण-शीर्ण हो रहे नया दरवाजा गेट की मरम्मत कभी हुई या नहीं कि जानकारी नगरपरिषद को भी नहीं है। इस संबंध में परिषद के जिम्मेदारों से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि यह गेट के रखरखाव एवं मरम्मत का मामला पूरी तरह से पुरातत्व विभाग से जुड़ा हुआ है। ऐसे में इस संबंध में कोई जानकारी परिषद को नहीं है। परिषद के अधिकारियों का मानना है कि पुरातत्व विभाग इस ऐतिहासिक दरवाजे को भूल बैठा है। यही वजह रही कि पत्राचार के माध्यम से याद दिलाए जाने के बाद पुरातत्व विभाग की ओर से अब तक इसकी मरम्मत के लिए कोई भी सकारात्मक कदम नहीं उठाया जा सका। इसके कारण अब स्थिति विकट होने लगी है।
इनका कहना है...
ऐतिहासिक नया दरवाजा का जीर्णोद्धार इसके मूल स्वरूप में कराने के लिए पुरातत्व विभाग की ओर से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाया। अब जल्द ही नगरपरिषद की ओर से इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाया जाएगा।
देवीलाल बोचल्या, आयुक्त नगरपरिषद
नागौर. नया दरवाजे का गिरा मलबा खोल रहा पुरातत्व विभाग की पोल