>>: 10 साल में दुगुना हो गया विद्युत भार, लेकिन सिस्टम वहीं का वहीं

>>

Patrika - A Hindi news portal brings latest news, headlines in hindi from India, world, business, politics, sports and entertainment!

- चन्द्रशेखर व्यास
जैसलमेर. जैसलमेर जिसे उसके पीत पाषाणों की आभा के कारण गोल्डनसिटी यानी सुनहरे शहर की संज्ञा दी गई है, मौजूदा गर्मियों के मौसम में यहां के हालात किसी गांव-ढाणी सरीखे दिखाई देते हैं। इसका एकमात्र कारण चरमराई हुई विद्युत आपूर्ति व्यवस्था है। पश्चिमी विक्षोभ के कारण मौसम तंत्र में आने वाली तब्दीली तथा गर्मी में विद्युत की बढ़ती खपत को संभालने में डिस्कॉम पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है। शहर के सबसे पॉश माने जाने वाले इलाकों से लेकर ऐतिहासिक दुर्ग और आवासीय कॉलोनियों से लेकर कच्ची बस्तियों व व्यावसायिक क्षेत्रों में आए दिन विद्युत आपूॢत व्यवस्था में उत्पन्न होने वाले फॉल्ट के कारण हजारों की आबादी वाला शहर बुरी तरह से कराह रहा है। शहर के विद्युत तंत्र को पुख्ता बनाने की अव्वल तो जिम्मेदारों ने पुरजोर इच्छाशक्ति दिखाते हुए कोशिश ही नहीं की और जितने उन्होंने अब तक प्रयास किए हैं, वे फलीभूत नहीं हुए हैं। शहर की बढ़ती आबादी और उस अनुपात में विद्युत खपत का सफलतापूर्वक प्रबंधन करने के लिए शहरी क्षेत्र में एक अदद नया जीएसएस बनाने में पिछले कई वर्षों में जिम्मेदारों को कामयाबी नहीं मिल सकी है। इसके लिए कहीं न कहीं निर्वाचित जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की उदासीनता को भी उत्तरदायी माना जाना चाहिए।
2012 में बनना चाहिए था जीएसएस
जैसलमेर शहर विशेषकर केंद्र में बसी आबादी क्षेत्रों से जोधपुर मार्ग पर अवस्थित गोल्डनसिटी 132 केवी जीएसएस 4 किलोमीटर की दूरी पर आया हुआ है। वहां से आने वाली बिजली ज्यादा दूरी होने के कारण ज्यादातर फॉल्ट की समस्या से दो-चार रहती है। डेडानसर में विगत वर्षों में जीएसएस बन जाने से उससे संबद्ध इलाकों में आपूर्ति काफी हद तक सुधरी है लेकिन पुराने शहर सहित कई क्षेत्र आज भी एयरफोर्स फीडर पर निर्भर है और उनके लिए जीएसएस का निर्माण नहीं हो पाया है जबकि यह कार्य 5 साल आगे की कार्ययोजना के मद्देनजर वर्ष 2012 में ही करवाया जाना चाहिए था। वास्तविकता यह है कि अभी तक इसके लिए प्रस्ताव मंजूरी के लिए उच्चाधिकारियों के पास भेजा गया है। जमीन को लेकर नगरपरिषद स्तर पर अभी कवायद पूरी होनी शेष है। प्रस्तावित जीएसएस राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय के पीछे व्यास बगेची के पास जमीन पर स्थापित किया जाना है। डिस्कॉम चाहता है कि जनहित का कार्य होने के कारण उसे नगरपरिषद से जमीन नि:शुल्क मिल जाए। वैसे यह सारा कार्य करीब 5 करोड़ रुपए तक का माना जाता है। डिस्कॉम के शहरी क्षेत्र के कनिष्ठ अभियंता मोहित भारती के अनुसार नया जीएसएस बन जाने से बहुत बड़े हिस्से में आपूर्ति व्यवस्था सुधार हो सकेगा।
दिखानी होगी इच्छाशक्ति और तत्परता
- साल 2012 में डिस्कॉम एयरफोर्स चौराहा पर जीएसएस बनाना चाहता था। जिस जगह पर बाद में कब्जे हुए और पशुपालन विभाग की भी अपनी आपत्ति होने के कारण यह जमीन नहीं दी जा सकी।
- जैसलमेर शहर में बीते 10 साल के दौरान विद्युत भार करीब दोगुना तक बढ़ गया है। विशेषकर थोक के भाव में लग रहे एयरकंडीशनर से गर्मियों में व्यवस्था एकदम से पटरी से उतर जाती है।
- साल 2017 में जैसलमेर शहर को 30 मेगावाट से बढ़ाकर 50 मेगावाट करने की कवायद की गई, जिससे अब तक काम चल पा रहा है।
- शहर में कई जगहों पर नए ट्रांसफार्मर लगाए जाने बाकी हैं। लोगों की तरफ से भी डिस्कॉम को जरूरी सहयोग नहीं दिया जा रहा।
- अधिकांश लोगों ने घरों में एकाधिक एसी लगाने के बावजूद थ्री फेज कनेक्शन नहीं लिया हुआ है। इससे संबंधित ट्रांसफार्मर्स पर लोड बढ़ता है और आए दिन उनमें व सर्विस लाइन्स में फॉल्ट जैसी दिक्कतें पेश आती हैं।
- शहर की सबसे पॉश मानी जाने वाली जयनारायण व्यास कॉलोनी, शिव मार्ग का एक हिस्सा और सोनार दुर्ग के करीब 40 मकानों में विद्युत आपूर्ति ग्रामीण अंदाज में की जा रही है। शहर की अधिकांश आवासीय कॉलोनियों में भी आपूर्ति व्यवस्था सुचारू नहीं हो पा रही है। नगर का ह्रदयस्थल कहलाने वाला गोपा चौक व उससे जुड़े अन्य इलाके प्रतिदिन कई बार की अघोषित कटौती की मार झेल रहे हैं।

व्यवस्था को सुचारू बनाने के प्रयास
शहरी क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। शहर में नए जीएसएस का निर्माण हो जाने से संबंधित क्षेत्रों को बड़ी राहत मिल सकेगी और इसके लिए कवायद जारी है। शहर में उचित स्थान मुहैया करवाया जाए तो कम से कम 8-10 नए ट्रांसफार्मर्स भी स्थापित कर सकते हैं।
- रणजीत भारद्वाज, सहायक अभियंता, डिस्कॉम जैसलमेर

You received this email because you set up a subscription at Feedrabbit. This email was sent to you at rajasthanss63@gmail.com. Unsubscribe or change your subscription.